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शनिवार, जुलाई 03, 2021

'सघन तिमिर में' (चर्चा अंक- 4114)

शीर्षिक पंक्ति :आदरणीया अनुपमा त्रिपाठी जी। 

सादर अभिवादन। 
शनिवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है। 

 काव्यांश आदरणीया अनुपमा त्रिपाठी जी 
की रचना से -

पूस की रैन
जाग जाग कर बीतती है,
जब टीस हृदय की
आस लिए नैन बसती है,
ओस पात पात जमती है। 

आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-

--

मन का सुमन हमेशा गाये, अभिनव मंगल गान।
अपनी कुटिया बन जाएगी, फिर से विमल-वितान।।
उगें नये पौधे बगिया मेंमिले खाद और पानी,
शिक्षा के भण्डार भरे होंनर-नारी हों ज्ञानी,
तुलसीसूरकबीर सुनाएँ, राम कृष्ण की तान।
अपनी कुटिया बन जाएगी, फिर से विमल-वितान।।
नैराश्य से लड़ता है मन ,
आशा का रहता है संचार
जब सघन तिमिर में,
तारों सी निसर्ग पर ,
तब भी रहती है,
उद्दीप्त  मुस्कान,
सघन तिमिर में  !!
घातक पशुओं से घिरी हुई
अपने मृग से भी डरी हुई
मैं मकड़जाल में फंसी मगर
चुन चुन कोमल पल्लव ही चुगा
--
तेरे बाद दिल खिला नही
तुझसा कोई मिला नही
यादों का दरिया पास है
ख्वाबों का काफ़िला नही
जिस मोड़ पर बिछड़ी थी तू
मैं वहीं खड़ा हूँ आजतक।
दिल टूटे तो कौन संभाले
पीता क्यूँ है विष के प्याले 
इस दुनिया में कौन सखा है 
किस उम्मीद के चुग्गे डाले 
कितनी सुन्दर होती धरती, जो हम सब मिल जुल कर रहते
झरने गाते, बहती नदिया, दूर क्षितिज तक पंछी उड़ते
ना होता साम्राज्य दुखों का,  ना धरती सीमा में बँटती
ना बजती रणभेरी रण की, ना धरती हिंसा से कँपती !
कितना मुश्क़िल है
अतीत से बचाना
वर्तमान को
और तय करना
भविष्य की 
अज्ञात यात्रा
किसी सूखे हुए
फूल के साथ।
 --
ये रजत बूंटो से सुसज्जित नीलम सा आकाश,
ज्यों निलांचल पर हीर कणिकाएं जडी चांदी तारों में,
फूलों  ने भी पहन लिये हैं वस्त्र किरण जाली के,
आई चंद्रिका इठलाती पसरी लतिका के बिस्तर में।
गर  हमारी क़िस्मत में कच्चा घर नहीं होता,
तो  हमें भी बारिश  का कोई डर नहीं होता।

चार दिन में हो जाए ज़िंदगी से जो रुख़सत,
ग़म का दौर इतना भी मुख़्तसर नहीं होता।
हरियाणा और उत्तरप्रदेश के मैदानी इलाकों से घिरी दिल्ली में प्रवेश के लिए दसियों मार्ग हैं जो अलग-अलग बॉर्डर के नाम से जाने जाते हैं। सुविधा के लिए तकरीबन सारे नाम सीमा पर स्थित जगहों, गावों या उपनगरों के नाम पर ही रखे जाते रहे हैं। जैसे बदरपुर, सिंघु, नोएडा, फरीदाबाद, गाजीपुर, टिकरी, गुरुग्राम, औचंदी, झड़ौदा, कुंडली बॉर्डर इत्यादि। मुख्य मार्ग पर पड़ने वाली सीमाओं के नामों से तो सभी परिचित होते ही हैं, पर महीनों से चलने वाले किसान आंदोलन ने कुछ अनजाने से नामों को भी प्रसिद्धि दिलवा दी। ऐसा ही एक नाम है सिंघु बॉर्डर ! जो करनाल बायपास की तरफ से हरियाणा-दिल्ली बॉर्डर का एक चेक पोस्ट है। शुरू में आम इंसान की तो छोड़ें अखबारों तक में इसे अज्ञानता के कारण सिंघु की जगह सिंधु बॉर्डर  कहा जाता रहा था। अभी भी अधिकांश लोगों को इस नाम के बारे में कोई खास जानकारी नहीं है ! कौन था सिंघु, जिसके नाम पर इस जगह का नामकरण कर दिया गया ! 

वर्षा ऋतु

काले घनघोर बादलों ने आकाश को कंबल की तरह ढक रखा था। बरखा रानी अपने जल से पूरी पृथ्वी को स्नान कराने के लिये आतुर थी। नर्मदा नदी तरंगें लेती हुई और कल-कल नाद करती अपने तीव्र बहाव से बह रही थी।बच्चों की बनी कागज़ की नाव नर्मदा नदी में स्थिर गति से चलती हुई नावों के मुकाबले बड़ी तेज़ी से बह रही थी, मानो यह प्रतियोगिता जीतने को ठान रखी हो। बच्चे मोर के समान आनंदित हो कर नाच रहे थे।
आज का सफ़र यहीं तक 
फिर मिलेंगे 
आगामी अंक में 

@अनीता सैनी 'दीप्ति'

11 टिप्‍पणियां:

  1. मेरी कविता को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं हार्दिक आभार प्रिय अनिता सैनी जी 🙏

    जवाब देंहटाएं
  2. चर्चा मंच के सुंदर संयोजन के लिए आपको साधुवाद अनीता जी🙏

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर शीर्षक के साथ बहुत शानदार और श्रमसाध्य प्रस्तुति। चयनित रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित आज का संकलन ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी ! सप्रेम वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  5. अनीता जी,सादर नमस्कार!
    बहुत सुंदर,सार्थक सूत्रों से सजी चर्चा प्रस्तुति, आपके श्रमसाध्य कार्य को मेरा सादर नमन, मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  6. आदरणीया मैम, अत्यंत सुंदर व प्रेरणादायक प्रस्तुति। मेरी रचना को यहाँ सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार व प्रणाम। हर एक रचना सुंदर, भावपूर्ण और प्रेरणा-दायक है। यहाँ बहुत दिनों बाद आना हुआ, पर अब आती रहूँगी। इतने दिनों बाद आती पर आप ने फिर भी मेरी रचना साझा कर मुझे प्रोत्साहन दिया, बहुत बहुत आभार। आप सभी बड़ों का आशीष मेरी अमूल्य पूँजी है। पुनः प्रणाम।

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  7. अनीता जी इस सम्मान के लिए हृदय से धन्यवाद देती हूँ।सभी उत्कृष्ट लिंक का चयन किया आज!!मेरी कविता को स्थान देने हेतु बहुत बहुत-बहुत धन्यवाद !!

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  8. शीर्षक पंक्तियों से अंत तक शानदार सफर, मन को अभिभूत करते लिंक, सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
    मेरी रचना को इस सफ़र का हिस्सा बनाने के लिए बहुत बहुत आभार आपका, हृदय से आभार प्रिय अनिता आपको।

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  9. एक एक रचना उच्च कोटि की।
    इतने शानदार संकलन के लिए आपको बधाई

    सचमुच आनंद आ गया पढ़कर

    जवाब देंहटाएं

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