सादर अभिवादन
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।
(शीर्षक और भूमिका आदरणीया मीना भरद्वाज जी की रचना से)
भोर की वेला
सुरभित कुसुम
मृदु समीर
हिमाद्रि आंगन में
नैसर्गिक सुषमा
भोर की बेला का आनंद उठाते हुए चलते हैं आज की कुछ खास रचनाओं की ओर.....
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सावन भोर
धरती के पाहुन
धूसर घन
उतरे अम्बर से
छम छम बरसे
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समय दरिया में डूब न जाऊँ माझी
पनाह पतवार में जीवन पार लगाना है
भावनाओं के ज्वार-भाटे से टकरा
अंधकार के आँगन में दीप जलाना है।
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दिन चला अवसान को अब
नील नभ पर स्वर्ण घेरा
काल क्यों रुकता भला कब
रात दिन का नित्य फेरा ।।
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दमन वायु की निर्दयता ने,
दीपशिखा का तोड़ा दम है।
सूखा दीपक, बुझ गयी बाती
अब तो पसरा गहरा तम है।
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तृप्ति की शाल ओढ़े
खिलता है हरसिंगार,
पाया जो जीवन से
बाँट देता निर्विकार !
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कुछ भी नहीं बदला (वैधव्य और रूढ़ियाँ)
मेरे प्यारे दोस्तों, मैं अपने एक सहयोगी राजनैतिक मित्र के साथ मिल कर पिछले एक मा
ह से एक नई राजनैतिक पार्टी बनाने की क़वायद कर रहा था। आपको जान कर खुशी होगी कि हम अपने इस अभियान में सफल हो गए हैं, खुशी होनी भी चाहिए😊। न केवल पार्टी की संरचना को मूर्त रूप दिया जा चुका है, अपितु इसका नामकरण भी किया जा चुका है।
बेहद सामान्य पृष्ठभूमि से एवं ग्रामीण अंचल से निकलकर इस पद तक पहुँचना वाक़ई तारीफ़ के क़ाबिल है और सभी के लिए प्रेरणास्पद है, हम सबको इन से प्रेरणा लेने की जरूरत है कुछ ऐसे उदाहरण मैं आज अपनी इस पोस्ट के माध्यम से आप लोगों को अवगत कराना चाहता हूं जो कि प्रिंट मीडिया के माध्यम से हम तक पहुंचे हैं. सफलता की अलग-अलग कहानियां जिन्होंने विषम परिस्थितियों में भी सफलता प्राप्त की है।
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कच्ची माटी के गाँव में ,
नन्ही बुलबुल
आज का सफर यही तक,अब आज्ञा दें
आप सभी स्वस्थ रहें,सुरक्षित रहें
कामिनी सिन्हा
सुंदर संकलन। बधाई और आभार।
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह सभी अंक बहुत ही उम्दा हैं सभी को बहुत बहुत बधाई और मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए आभार🙏🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर संकलन कामिनी जी। आज की चर्चा का शीर्षक मेरे सृजन से चयनित करने के लिए हार्दिक आभार । श्वेता जी को
जवाब देंहटाएंनन्ही बुलबुल के जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ।
सदा की ही तरह सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंसुंदर तथा शानदार सूत्रों से सज्जित अंक के लिए हार्दिक शुभकामनाएं प्रिय कामिनी जी,मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार एवम नमन, सादर शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह..
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा, कामिनी दी।
जवाब देंहटाएंप्रिय कामिनी जी,
जवाब देंहटाएंआज के अत्यंत मधुर संकलन में सराहनीय रचनाओं के बीच मेरी बिटुआ को आशीष देना मन भावुक कर गया।
सभी रचनाएँ बहुत सुंदर है। आपके भावों की कोमलता और बौद्धिकता महसूस कर पा रहे है।
सस्नेह शुक्रिया।
सादर।
बहुत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन संकलन ।
जवाब देंहटाएंसब पढ़ आये
ऋतु सौंदर्य जैसा मोहक शीर्षक ,
जवाब देंहटाएंशानदार संकलन,सभी रचनाएं बहुत आकर्षक पठनीय,सभी रचनाकारों को बधाई।
मेरी रचना को चर्चा प्रवाह में शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार।
सादर सस्नेह।
बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमेरे सृजन को स्थान देने हेतु बहुत बहुत शुक्रिया।
सभी को बधाई।
सादर
बहुत सुंदर संकलन,
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट को मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आद. कामिनी जी
सुंदर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर उपस्थित होकर उत्साहवर्धन करने हेतु आप सभी स्नेहीजनों को हृदयतल से धन्यवाद एवं सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंनमस्कार आ. कामिनी जी! मेरी रचना 'एक पत्र दोस्तों के नाम' को इस सुन्दर पटल पर स्थान देने के लिए आपका बहुत आभार! विलम्ब से उपस्थित होने के लिए खेद है। अभी कुछ व्यस्तता होने से रचनाओं को पढ़ नहीं सका हूँ, लेकिन शीघ्र ही यह लाभ लेना चाहूँगा।
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