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शनिवार, जुलाई 31, 2021

'नभ तेरे हिय की जाने कौन'(चर्चा अंक- 4142)

शीर्षिक पंक्ति :आदरणीया सुधा देवरानी जी। 

सादर अभिवादन। 
शनिवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।

काव्यांश आ.सुधा देवरानी जी 
की रचना से -

तृषित धरा तुझे जब ताके
कातर खग मृग तृण वन झांके
आधिक्य भाव उद्वेलित मन...
रवि भी रूठा बढती है तपन
घन-गर्जन तेरा मन मंथन
वृष्टि दृगजल हैं माने कौन
ये अकुलाहट पहचाने कौन

आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
 --

नभ तेरे हिय की जाने कौन

तृषित धरा तुझे जब ताके
कातर खग मृग तृण वन झांके
आधिक्य भाव उद्वेलित मन...
घन-गर्जन तेरा मन मंथन
वृष्टि दृगजल हैं माने कौन
ये अकुलाहट पहचाने कौन...
रवि भी रूठा बढती है तपन
--
बात
समझानी है
कुत्ता घुमाने के काम की
हजूर
कान खोल कर जरा साफ रखियेगा

बहुत
बड़ी है मगर है
तमन्ना है
कुछ कर दिखाने की
सब की होती है याद रखियेगा
--
अगिनत योजन, असंख्य कोस चलने
के बाद भी उस टीले पर वो अकेला
ही रहा, न जाने किस मोड़ से
मुड़ गए सभी परचित
चेहरे, कोहरे में
बाक़ी हैं
कुछ
तैरते हुए उँगलियों के निशान

नेहा शेफाली)


देखा जाये तो
हम दरवाज़ों की दुनिया में जीते हैं।
कुण्डी लगा के
तालों में जकड़ कर,
न जाने इन दरवाज़ों के पीछे
क्या छुपा रहे हैं
क्यों छुपा रहे हैं।
अपने अगल बगल
दरवाज़े बना रहे हैं।

--

सहज कहाँ है

 इसको साधना

देख कर भी

करना पड़ता है अनदेखा 

सहने पड़ते हैं

विष बुझे तीर..

गरल  सा

पीना पड़ता है

न चाहते हुए भी

अपमान का घूंट

 कभी कभी विवेक 

दे कर.., 

--

एकांत और अकेलापन

अकेलापन खलता है 

एकांत में अंतरदीप जलता है 

अकेलेपन के शिकार होते हैं मानव 

एकांत कृपा की तरह बरसता है !

जब भीड़ में भी अकेलापन सताए 

तब जानना वह एकांत की आहट है 

जब दुनिया का शोरगुल व्याकुल करे 

तब मानो एकांत घटने की घबराहट है !

--

 तिमिर के पार जिजीविषा 

दूर तिमिर के पार 
एक आलौकिक 
ज्योति-पुंज है।
एक ऐसा उजाला
जो हर तमस  पर भारी है।
अनंत सागर में फंसी
नैया हिचकोले खाती है।
--
कहने को सब पास होते है, 
पर बुरे वक्त में ,
सब साथ छोड़ देते हैं! 
सूख जाते है
आंसू यूं ही आंखों में
पर उसकी खबर
लेने वाला कोई नहीं होता है! 
टूट जाती हैं ,
जब सारी उम्मीदे तो
अपने भी मुंह मोड़ लेते है! 
यूनाइटेड नेशन के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) में चीफ टेक्निकल एडवाइजर रह चुके कृषि वैज्ञानिक प्रो. रामचेत चौधरी ने काला नमक चावल को विश्व स्तर पर पहचान दिलवाई, आजादी के बाद पहली बार “2019-20” में 200 क्‍विंटल सिंगापुर गया। वहां के लोगों को पसंद आया, फिर यहां 300 क्‍विंटल भेजा गया। दुबई में 20 क्‍विंटल और जर्मनी में एक क्‍विंटल का एक्सपोर्ट किया गया है, जहां इसका दाम 300 रुपये किलो मिला। इसके बाद तो यह इसी अथवा इससे भी अध‍िक कीमत पर बेचा जा रहा है। हालांक‍ि अभी तो यह शुरुआत है क्‍योंक‍ि बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन की तरह काला नमक एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन बनाने की जरूरत है ताकि उसकी गुणवत्ता की भी जांच पड़ताल हो सके। एक्सपोर्ट के लिए लगातार इसका प्रमोशन हो क्‍योंकि अभी तक देश के बाहर सिर्फ बासमती की ही ब्रांडिंग है।
--
इस वक्त मेरे सामने मेज़ पर संदीप कुमार शर्मा का ताज़ा कहानी संग्रह 'हरी चिरैया' की पांडुलिपि है। अभी-अभी इससे गुज़रा हूँ और इसके किरदार मेरे भीतर हलातोल मचा रहे हैं। उनकी आवाज़ें गूँज रही है। उनके आसपास की स्थितियाँ मुझे डरा रही हैं। इन कहानियों से होते हुए मैं झाँक पा रहा हूँ उस आसन्न विभीषिका के दरवाज़े के आर-पार। मैं चाहता हूँ कि यह विभीषिका टल जाए लेकिन जिस गति से यह मेरे और मेरे समाज की तरफ़ बढती हुई चली आ रही है, उससे बच पाना तो मुश्किल है। लेकिन इन्हीं कहानियों में दिए गए छोटे-छोटे उपायों के ज़रिए हम इसकी तीव्रता को कम कर सकते हैं और हमारे समाज को आपदा के बड़े और खतरनाक संकट से बचा सकते हैं।
--

चूँ कि मुझे  हर काम इत्मिनान से करना पसंद है तो हमेशा फ़्लाइट के लिए काफ़ी मार्जिन लेकर ही  घर से निकलता हूँ ।वैसे भी एयर पोर्ट पर ड्यूटी-फ़्री शॉप्स से छोटी-मोटी शॉपिंग करना मुझे पसंद है । सोनल के लिए परफ्यूम और ईशान के लिए शर्ट ले ली थी और अपने लिए अपनी मनपसंद स्टारबक्स की लार्ज कॉफ़ी लाते लेकर आराम से बैठ कर सिप लेने लगा था कि देखा बोर्डिंग स्टार्ट हो गई तो कॉफ़ी ख़त्म कर उठ गया अपनी सीट ढूँढ कर मैंने केबिन में सूटकेस जमाया और इत्मिनान से बैठ  आस-पास का जायज़ा लेने लगा ।विंडो सीट पर एक स्टूडेंट्स टाइप लड़का कानों में ईयरफ़ोन लगा कर चिप्स खाने में मस्त था लेफ़्ट वाली सीट ख़ाली थी अभी ।

आज का सफ़र यहीं तक 
फिर मिलेंगे 
आगामी अंक में 

11 टिप्‍पणियां:

  1. शुभप्रभात🙏🙏
    शानदार प्रस्तुति सभी अंक बेहतरीन है! मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय🙏🙏🙏🙏

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  2. सदैव की भांति विविधरंगी सूत्रों से सजी बहुत सुन्दर प्रस्तुति अनीता जी ! मेरे सृजन को चर्चा में शामिल करने के लिए हार्दिक आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  3. गहन अंकों वाली प्रस्तुति...। खूब बधाई अनीता जी...।

    जवाब देंहटाएं
  4. पठनीय रचनाओं के लिंक्स देती सुंदर चर्चा, आभार !

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सशक्त और अच्छी रचनाओं के लिए तथा आज की चर्चा में मुझे शामिल करने के लिए आभार......

    जवाब देंहटाएं
  6. मन मंथन करती हुई प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ ।

    जवाब देंहटाएं
  7. उत्कृष्ट लिंकों से सजी लाजवाब चर्चा प्रस्तुति..
    मुझे शामिल करने हेतु तहेदिल से धन्यवाद प्रिय अनीता जी!चर्चा के शीर्षक में अपनी रचना का शीर्षक पाकर अपार खुशी हुई दिल से आभार आपका।

    जवाब देंहटाएं
  8. सुंदर रचनाओं का बेहतरीन संकलन, बहुत शुभकामनाएँ अनिता जी।

    जवाब देंहटाएं
  9. शानदार प्रस्तुति, सभी लिंक बेहतरीन, पठनीय ।
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय से आभार।

    जवाब देंहटाएं
  10. सप्त रंगीय रचनाओं से सुसज्जित चर्चा मंच हमेशा की तरह आकर्षित करता है, मुझे अपने बज़्म में शामिल करने हेतु ह्रदय से आपका आभार आदरणीया अनीता दी, नमन सह।

    जवाब देंहटाएं

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