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बुधवार, जुलाई 21, 2021

'सावन'(चर्चा अंक- 4132)

शीर्षिक पंक्ति :आदरणीया मुदिता जी। 

सादर अभिवादन। 

बुधवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है। 

        सावन की प्रतीक्षा में सावन और प्रेम पर बहुत कुछ रचा-लिखा गया है। हरीतिमा से आच्छादित बसुंधरा का विराट स्वरुप पुलकित हो सृष्टि के वरदान रूप में उभरता है। शांत मन के लिए मधुर नम बयार और पक्षियों की सुकोमल बोलियों से गूँजता परिवेश सबका मन मोह लेता है। नभ में छाए काले बादल जब बरस पड़ते हैं तो पेड़-पौधों से मनमोहक संगीत उत्पन्न होता है जो मानव मन के तार झंकृत कर देता है। 
   -अनीता सैनी 'दीप्ति'

आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-  
 --
कोई खुशहाल है. कोई बेहाल है,
अब तो मेहमान कुछ दिन का ये साल है,
ले के आयेगा नव-वर्ष चैनो-अमन!
स्वागतम्! स्वागतम्!! स्वागतम्!!!
--
प्रारंभ  सावन का 
उभार देता है 
एक गीत  हृदय के 
अंतरतम तल में, 
जुबां तक आते आते
कर जाता है अवरुद्ध
कण्ठ को ,
बजाय प्रस्फुटित होने 
अधरों से 
बहने लगते है बोल 
सुनो बादल! फिर आ जाओ एक बार!
जल-दर्पण में मुखड़ा फिर देखो एक बार।
सिमट रहे तटबंध 
उदास है नाविक,
बरसो आकर 
ऋतु-चक्र स्वाभाविक,
--

प्रेम तब भी जीवित होगा

पत्थरों पर बिछी हुई चुभती-सी रात,

तीन बटा छः की संकरी-सी रात,

दर्द के मारे कराहती-सी रात,

खनकती आवाज़ों में सिसकती-सी रात

--

मैंने देखा है तुम्हें तब भी

मैंने देखा है अक्सर
तुम्हें
तब बहुत करीब से
जब 
तुम 
अक्सर थककर सुस्ताती हो 
और सोचती हो पूरे घर को
थकी हुई रात के बाद
अगली सुबह के लिए।
--

देवशयनी | कविता | डॉ शरद सिंह

संगमरमरी और ग्रेनाइट के
सुचिक्कन पत्थरों से बने
मंदिरों में 
भजन-पूजन के शोर में डूबे
मालदार भक्तों पर आनंदित
सोते रहे
देवता
जागते हुए भी
भरी बदरी सी गढ़ी,मेघ आगे पीछे मढ़ी 
मोती जैसे बूँद बूँद, गिरे झरे बरसात है ।
कोई अँचरा पसारो,गोरी धना को संभारो 
देखो सृष्टि की जननी डगर चली जात है ।।
क्या आप एक नवविवाहिता है या आपकी शादी को पांच-सात साल ही हुए है? क्या आपको लगता है कि शादी से पहले ससुराल वालों ने आपसे कहा था कि वे आपको बेटी बना कर रखेंगे लेकिन वे लोग आप में और आपकी नणंद में बहुत फर्क करते है? क्या आपको भी लगता है कि ससुराल वाले आपको बेटी की तरह नहीं रखते? यदि हां, तो एक बार यह लेख पढ़ कर अपने आप में कुछ विचार कीजिए...मंथन कीजिए...थोड़ा सा ठंडे दिमाग से सोचिए...फ़िर निष्कर्ष निकालिए कि ससुराल वालों की गलती कितनी है और आपकी अपनी सोच या आपकी अपनी अपेक्षाएं कितनी गलत है!
-- 
आज का सफ़र यहीं तक 
फिर मिलेंगे 
आगामी अंक में 


13 टिप्‍पणियां:

  1. विविध रंगों से सजा चर्चा मंच सावन को और अधिक मनभावन बना जाता है, अपने बज़्म में शामिल करने हेतु दिल की गहराइयों से आभार आदरणीया अनीता जी - - नमन सह।

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  2. उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, अनिता।

    जवाब देंहटाएं
  3. सावन की प्रतीक्षा में हम सभी!! बहुत सुन्दर प्रस्तुति चर्चा की!!धन्यवाद अनीता जी मेरी कृति को स्थान दिया!!

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  4. प्रकृति की सुंदरता को बयां करता बहुत ही खूबसूरत चर्चा मंच ! सभी को बहुत बहुत बधाई🎉🎊

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  5. सुन्दर चर्चा। मेरी रचना को शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित आज की चर्चा ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी ! सप्रेम वन्दे !

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  7. सावन के स्वागत में सुन्दर भूमिका कज साथ विविधरंगी संकलन ।

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  8. अनीता जी, आज का वैविध्यपूर्ण तथा सुसज्जित संकलन मन को मोह गया, कुछ रचनाएँ पढ़ीं, कुछ पे जाना शेष है,मेरी रचना को स्थान और मान देने के लिए शुक्रिया, सभी चुनिंदा रचनाओं के लिए आपको बधाई तथा हार्दिक शुभकामनाएँ ..जिज्ञासा सिंह..

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  9. अनीता जी आभारी हूँ...। मेरी रचना को मान देने के लिए साधुवाद....।

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  10. बहुत अच्छी प्रस्तुति। अच्छे लिंक्स।

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  11. बेहतरीन प्रस्तुति, सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं सादर नमस्कार

    जवाब देंहटाएं

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