शीर्षक पंक्ति: आदरणीय कैलाश बाजपेयी जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
सोमवारीय प्रस्तुति में
आपका स्वागत है।
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किया ऐसा सिंगार
चमका दिया
चेहरा चांदनी सा
आया निखार
नूरानी चहरे पे
सजी बालिका
नया सा अंदाज है |
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हो भले ही हजार पर्दों में,कल दीद भी लिखा होगा।
कौन कहता है वरक हर्फों सियाही बदलेंगे नहीं,
आज लिखा है मुश्किल तो कल मुफ़ीद भी लिखा होगा।
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चाहती हूं सिर्फ़ एक दिन | कविता | डॉ शरद सिंह
सिर्फ़ एक दिन
जीना चाहती हूं -
निर्विरोध, निश्चेष्ट,
निर्विवाद, नि:शंक
अपने साथ,
अपने अस्तित्व को
बूझने के लिए
वह दिन हो
मेरा अंतिम दिन,
शून्य में विलीन हो जाने के लिए
प्रस्थान बिंदु।
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हमारा
जंगल तुम रख लो
जिसमें
केवल सूखा है
चीख हैं
और कुछ
अस्थियां
सूखी हुई
उन वन्य जीवों की
जिनसे हम छीन चुके हैं
उनका जंगल...।
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फिर एक दिन उसने मौन को दस्तक दी. मेरा वाचाल अकेला रह गया. मेरे कंधों पर भरम की तितलियाँ फड़फड़ाने लगीं. वाचाल मरने को था. मौन ने वाचाल को गले लगा लिया. मैं अपना स्व भूलती रही. मुझे पता था उसका वाचाल टकराया है किसी सुनामी से. सुन्न पड़ गया कंधों पर तितलियों का फड़फड़ाना.
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न का मतलब, नदी की तरह चालो
अपनी राह खुद बनाओ
नदी बहकर सागर में मिलती है
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आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे अगले सोमवार।
बहुत ही बेहतरीन चर्चा मंच और उतना ही शीर्षक!
जवाब देंहटाएंहाँ ये बात सच है कि हमारे यहाँ ओलंपिक खेलों को उतना महत्व नहीं मिलता जितना उसे मिलना चाहिए!
जो कहते हैं कि भारत के लोग मन से ओलंपिक नहीं देखते उन्हें यह जान लेना चाहिए कि खिलाड़ीयो जीत लोगों के मन से मैच देखने पर नहीं निर्भर करती है वो उनके मेहनत और हौसले पर निर्भर करती है इस बार तो कोरोना के कारण मैच देखने जाने की इजाज़त नहीं है फिर भी रजत जीत गयें हम! और कल के टेबल टेनिस में मानिका बत्रा ने तो कोच की भी गैरमौजूदगी में जीत लिया जबकि जिनके साथ उनका मैच था वो खिलाड़ी अपने कोच (माँ) की मौजूदगी में भी हार गयी!
आज का शीर्षक बहुत ही अच्छा है👍👍👍👍
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा अंक आज का |मेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद सर |
आदरणीय रवींद्र जी बहुत बहुत आभार आपका। मेरी रचना को सम्मान देने के लिए। सभी लिंक गहन भाव लिए हुए हैं और सभी रचनाकारों को भी बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया संकलन।
जवाब देंहटाएंरवीन्द्र, आज का सुंदर सारगर्भित अंक,शानदार प्रस्तुति के लिए आपका बहुत बहुत आभार,शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह।
जवाब देंहटाएंमनमोहक प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर भूमिका के साथ सराहनीय प्रस्तुति सर।
जवाब देंहटाएंसभी को बधाई।
सादर
बहुत बढियां चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर संकलन ।
जवाब देंहटाएंमेरी कविता को चर्चा मंच में स्थान देने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद एवं आभार रवीन्द्र सिंह यादव जी 🙏
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