सादर अभिवादन
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।
(शीर्षक आदरणीया प्रतिभा कटियार जी की रचना से)
आज बिना किसी भूमिका के
चलते हैं आज की रचनाओं की ओर.....
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औरतें सपने देख रही हैं
खेतों की कटाई में, धान की रुपाई में
रिश्तों की तुरपाई में लगी औरतें सपने देख रही हैं
बच्चों को सुलाते हुए, उनका होमवर्क कराते हुए
गोल-गोल रोटी फुलाते हुए
औरतें सपने देख रही हैं
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नया अंदाज
है चाँद सा मुखड़ा
चमक ऐसी
चाँद आया धरा पे
दीखती ऎसी
खिले कमल जैसी
सुडौल अप्सरा सी
कंचन देह
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देहरी से द्वार तक
प्रोफ़ेसर पांडेय की यह कृति ‘देहरी से द्वार तक’ कई मामलों में एक विलक्षण कृति है। पहली बात तो यह कि यह पुस्तक हमारी नयी पीढ़ी को उनकी उस महान विरासत से परिचित कराती है जो इस पुस्तक के मुख्य किरदार के रूप में उनके सामने उपस्थित हुई है। और, दूसरी एक और महत्वपूर्ण बात यह कि पुस्तक का कथ्य रेडियो रूपक की रोचक शैली में है जो पाठकों का परिचय एक नयी विधा से भी कराती है।
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भले लोग भेड़ जैसे जो किसी को हानि नहीं पहुँचाते हैं
बह चुके पानी से कभी चक्की नहीं चलाई जा सकती है
लोहे से कई ज्यादा सोने की जंजीरें मजबूत होती है
चांदी के एक तीर से पत्थर में भी छेद हो सकता है
एक मुट्ठी धन दो मुट्ठी सच्चाई पर भारी पड़ता है
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ख़ाली हाथ - -
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जीवन में अपना व्यक्तित्व शून्य रखिये
जीवन में अपना व्यक्तित्व शून्य रखिये साहब ताकि,
कोई उसमें कुछ भी घटा न सके..!
परंतु...
आप जिसके साथ खड़े हो जाएं
उसकी कीमत दस गुना बढ़ जाये.!
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पाठकों से मन की बात भाग 5 (लेख)
------------------एक गंभीर और विचारणीय प्रश्न मंथन करना जरुरी है....वो जिस्म बेचती है तो वो बाजारू कहलायी लेकिन जिस्म को खरीदने वाले.....?
पता है मुझे बहुतों को मेरा ये लेख आपतिजनक और अश्लीलता से भरा हुआ लगेगा ! रास नहीं आयेगा शीर्षक देखकर ही अनदेखा कर देंगे ! लेकिन इससे हकीकत नहीं बदल जाता!
वैश्या बदचलन और चरित्रहीन तो है ही इस लिए तो समाज का तिरस्कार और समाज द्वारा दिये गये अनेक नाम के साथ खमोशी के साथ जीती है! पर क्या कोई औरत जन्म से ही वैश्या होती ?क्या वो पैदाइशी चरित्रहीन होती है ?
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कृपया २६ की जगह २७ पढ़े
कल थोड़ी व्यस्तता है इसलिए आमंत्रण एक दिन पहले ही भेज रही हूँ।
आज का सफर यही तक,अब आज्ञा दें
आप सभी स्वस्थ रहें,सुरक्षित रहें
कामिनी सिन्हा
बहुत बढ़िया संकलन आदरणीया कामिनी जी बहुत-बहुत आभार हमारी पोस्ट को चर्चा मंच पर शामिल करने के लिए
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह शानदार और बेहतरीन प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंहमारे लेख को शामिल करने के लिए आपका तहेदिल से बहुत बहुत धन्यवाद प्रिय मैम🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
उम्दा चर्चा, कामिनी दी।
जवाब देंहटाएंआदरणीया कामिनी जी, सारी रचनाएँ, जो चर्चा मंच के लिए आपने चयनित किये है, सभी अच्छे हैं। मेरी रचना को भी चयनित करने के लिए हार्दिक आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
जवाब देंहटाएंसिर्फ़ सपने ही नहीं, महिलाएं हर क्षेत्र में नए क्षितिजों को छू रही हैं, सभी रचनाएँ अद्वितीय माधुर्य से लबरेज़ हैं, मुझे शामिल करने हेतु असंख्य आभार आदरणीया।
जवाब देंहटाएंऔरतें सपने देख रही हैं। सुनने और पढ़ने में सकरात्मक भाव जगाता शीर्षक बहुत पसंद आया। आदरणीया कामिनी सिन्हा जी के साथ-साथ सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट समिल्लित करने हेतु आभार
जवाब देंहटाएंसदा की तरह उम्दा संकलन
जवाब देंहटाएंपठनीय सूत्रों का सुन्दर संकलन ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर संकलन कामिनी जी!
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुरंगी विविधताओं से भरी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंखूबसूरत तथा पठनीय रचनाओं का बेहतरीन अंक, बहुत बहुत बधाई आपको कामिनी जी।
जवाब देंहटाएंबहुत महत्वपूर्ण लिंक्स सहेजे हैं आपने कामिनी सिन्हा जी 🙏
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा अंक आज का |मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार सहित धन्यवाद कामिनी जी |