सादर अभिवादन
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।
(शीर्षक और भुमिका आदरणीया श्वेता सिन्हा जी की रचना से)
अपने दुपट्टे की छोर से
भावनाओं की महीन चाभियाँ
और
बचाए रखती है
सृष्टि में प्रेम के बीज...।
प्रतीक्षा
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प्रेम,तपस्या त्याग करने के वावजूद अपने ही पति द्वारा श्रापित भी होती है ऋषिवर को ग्लानि हुई भी तो क्या
यादों में उतरी अहल्या,
शापित इंद्र सहस्त्र-योनि तन।
गहन ग्लानि में गड़ा चाँद था,
कलंक से कलुषित कृष्ण गगन।
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"छोड़ा यहाँ बाँधा वहाँ
मुक्ति से डरता है जहां"
विचारणीय.....मुक्ति तो परमात्मा के पास ही है
तो क्यूँ ना प्रेम की लौ उन्ही से लगाए...
पाया हुआ है सब जो खोजते हैं हम
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नहीं तो आखिरी में पछता कर यही कहना होगा......
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है . . .
हर एक जिस्म घायल, हर एक रूह प्यासी; निगाहों में उलझन, दिलों में उदासी ये दुनिया है या आलम-ए-बदहवासी, ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है
यहाँ इक खिलौना है इंसां की हस्ती, ये बस्ती है मुरदापरस्तों की बस्ती यहाँ पर तो जीवन से है मौत सस्ती, ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है
ये दुनिया जहाँ आदमी कुछ नहीं है; वफ़ा कुछ नहीं, दोस्ती कुछ नहीं है जहाँ प्यार की कद्र ही कुछ नहीं है, ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है
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मैं धीमी आवाजों को अभिव्यक्ति दिलाने लिखता हूँ -
आज सुबह दौड़ते हुए मेरे पास से एक नौजवान आगे निकला गया उसके हावभाव से लग रहा है कि वह दौड़ने में नौसिखिया है , नतीजा थोड़ी देर बाद ही वह हांफने लगा और वाक करने लगा ! तब मैंने उसे समझाया कि हांफते हुए दौड़ना जान ले सकता है , हांफने का मतलब तुम्हें सही पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही अतः हृदय पर अधिक दवाब पड़ रहा है ! मेरे साथ दौड़ो और दौड़ते हुए मेरी तरह साँस लो , हर गिरते उठते कदम पर सांस खींचना और छोड़ना शामिल होना चाहिए जिस दिन कदम ताल के साथ सांस लेना और छोड़ना सीख गए उस दिन तुम कितनी ही दूरी दौड़ोगे , थकोगे नहीं !
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आज का सफर यही तक,अब आज्ञा दें
आप सभी स्वस्थ रहें,सुरक्षित रहें
कामिनी सिन्हा
चर्चा,सीमित और विविधता पूर्ण रही - आपको धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंप्रिय कामिनी जी,
जवाब देंहटाएंस्नेहिल नमस्कार।
आपके स्नेह से अभिभूत हूँ। मेरी रचना को मान देने के लिए बहुत बहुत आभारी हूँ।
सभी रचनाएँ पढ़ी। बेहतरीन रचनाओं से सजी अपनत्व भरा अंक बहुत अच्छा लगा।
सस्नेह शुक्रिया।
संकलन वैविध्यपूर्ण है। मेरे आलेख को स्थान देने हेतु आपका आभार आदरणीया कामिनी जी।
जवाब देंहटाएंएक से बढ़कर एक सुंदर पठनीय रचनाओं से सजा मंच, आभार कामिनी जी!
जवाब देंहटाएंसुंदर भूमिका से आगाज करता अत्यंत सुन्दर संकलन। बधाई और आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर भूमिका के साथ बहुत ही सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
सादर
बेहतरीन लिंकों से सजी उम्दा प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना संकलन
जवाब देंहटाएंलाजवाब तथा विविधतापूर्ण रचनाओं से सजा आज का अंक मन मोहक और पठनीय लगा प्रिय कामिनी जी,आपको बहुत सारी शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह ।
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर उपस्थित होकर उत्साहवर्धन करने हेतु आप सभी स्नेहीजनों को तहेदिल से शुक्रिया एवं सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंअभिभूत हूँ इस विविधतापूर्ण विश्लेषणात्मक प्रस्तुति को पढकर.....
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