मित्रों!
दीपावली से जुड़े पंचपर्वों की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
प्रस्तुत है बुधवार (रूप चौदस) का चर्चा अंक।
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दोहे "आई चौदस रूप की, चहक रहे घर द्वार"
आई चौदस रूप की, चहक रहे घर द्वार।
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अपने घर में चलाया है
वार्षिक स्वच्छता अभियान
घर का कौना कौना पोता बुहारा
श्री लक्ष्मीं के आगमन की प्रतीक्षा है |
दीप प्रज्वलित किये घर बाहर के
दीपों की चमक दमक से स्वागत के लिए
आने वाली देवी लक्ष्मी का |
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उपन्यास 'तरकीब' के लेखक आलोक सिंह खालौरी से एक बातचीत
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दीपावली पर गणेश संग लक्ष्मी पूजन क्यों ?
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रिश्तों की रसधार (कहानी) लघुकथा
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वारंटी पीरियड में कार किसी भी वजह से ख़राब हो तो कंपनी निशुल्क रिपेयर करके दे - राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग
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Watch- Joy of Homecoming: ये एड आपका दिल छू लेगा
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आइये आज धनतेरस के पर्व पर तरही मुशायरे को आगे बढ़ाते हैं सुलभ जायसवाल, डॉ. संजय दानी, अश्विनी रमेश और चरनजीत लाल इन शायरों के साथ
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जगत का अनुभव है कि मृत्यु के क्षण में इस दुनिया में हर कोई पूर्णत: अकेला है, उस समय सिवाय परमात्मा के वह किसी पर भी निर्भर नहीं हो सकता. हरेक की अपनी दुनिया होती है जो उसने स्वयं ही बनाई है पर जब उस दुनिया में परमात्मा अपना अधिकार कर लेते हैं तो वह अकेलापन एकांत में बदल जाता है। डायरी के पन्नों से--
"जन्मे थे धनवन्तरी करने को कल्याण"
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आज के लिए बस इतना ही...।
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रोचक लिंक्स से सुसज्जित चर्चा... मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार...
जवाब देंहटाएंसुप्रभात !
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी,
नमस्कार👏👏
दीवाली की जगमग तथा तथा कई अन्य सुंदर सूत्रों से सजा आज का अंक, मेरी रचना को शामिल करने ke लिए आपका बहुत बहुत आभार और अभिनंदन ।
सभी को दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई 💐💐 ।
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंशुभ दीपावली आप सब को |
मेरी रचना को स्थान देने के लिए आज के चर्चा मंच मेंआभार सहित धन्यवाद सर |