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गुरुवार, नवंबर 25, 2021

'ज़िंदगी का सफ़र'(चर्चा अंक 4259 )

सादर अभिवादन। 
गुरुवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है। 


 शीर्षक व काव्यांश आ. जी की रचना 'ज़िंदगी का सफ़र, अविरल अनवरत' से-

 ज़िंदगी का सफ़र 

वक्त के वाहन पर होकर सवार 

चलता जाता है अविरल, अनवरत।  

सफ़र की पगडंडी में 

आते हैं कई मोड़।  

हर एक मोड़ पर 

दिखती है एक नयी डगर। 


आइए अब पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-

 --

ग़ज़ल "खून पीना जान ते हैं" 

काम कुछ करते नही बातें बनाना जानते हैं।
महफिलों में वो फकत जूते ही खाना जानते हैं।।

मुफ्त का खाया है अब तक और खायेंगे सदा,
जोंक हैं वो तो बदन का खून पीना जानते हैं।
अंजानी डगर पर लगता है 
अंजाना सा डर। 
एक राह से पहचान होती है 
कि फिर आ जाता है एक मोड़।  
--
बचपन  मे  दिन  बीते खेल- कूद करते हुए,
बारिश  में भींग जाते उछल कूद करते हुए।
खेल हमारे अलग - अलग से हुआ करते थे,
काम से होते ही फुरसत हम खेला करते थे।
घूम रहे सब दिशा दुशासन
दृग मोड़ कर साधु बैठे
लाज धर्म को भूल घमंडी
मूढ से शिशुपाल ऐंठे
सकल ओर तम का अँधियारा
घोर लहर है तरणी पर।।
लालिमा नीरव लिए जब,शब्द इठलाते चले,
काव्य की फिर रागिनी में, बिम्ब मंथन गीतिका।।

गा रहीं चारों दिशाएं,हो अमर चिरकाल तक,
हैं प्रफुल्लित फिर जनक भी, देख गुंजन गीतिका।
                                        
किसी भी बात पर 
ना नुकुर
शोभा  न देती कभी 
 समय देखो
दीखते उलझते     
 विचारों में ही   
 तुम हो  मेरे 
--
 क्‍या ढुढ़ता हूँ मै अँधेरें में मालूम नहीं ,
क्‍यों रोशनी आँखों के रस्‍ते दिल में
उतड़ती ज़हर सी लगती है अब ।
फिर से कहाँ शुरू होता है न,
जो छोड़ दिया जाता है उस समय 
कि बाद में करेंगे 
पहले सा फिर से.......
कितना कुछ छूटा सा है न पीछे 
इंतजार में कि कुछ समय 
बाद सब ठीक होने पर
शुरू करेंगे इसे
पह
ले सा फिर से....
 मुझे गजरा बहुत पसंद है, वो जब आता है शाम को.. अक्सर उसके हाथ में बेला की लड़ियाँ होती हैं, वो आता ही कितना है, आर्मी में है न...
   कोई बात नहीं जब घर रहता है.. तब तो वो ये लड़ियाँ लाना नहीं भूलता..
सृष्टि परमात्मा के संकल्प से उपजी है। यहाँ जो कुछ भी सुंदर है, कल्याणकारी है, किसी के शुभ विचारों का परिणाम है और जो कुछ भी असुंदर है, विनाशकारी है, वह भी किन्हीं  अशुभ संकल्पों का परिणाम है।

आज का सफ़र यहीं तक 

@अनीता सैनी 'दीप्ति'

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बेहतरीन चर्चा प्रस्तुति|
    आपका आभार आदरणीया अनीता सैनी 'दीप्ति' जी!

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात
    उम्दा चर्चा प्रस्तुति
    आभार अनीता जी मेरी रचना को आज के चर्चामंच में स्थान देने के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात !
    सुंदर, सारगर्भित सूत्रों का चयन । मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद अनीता जी, मेरी हार्दिक शुभकामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुप्रभात! सराहनीय रचनाओं के सूत्र देता चर्चा मंच, आभार!

    जवाब देंहटाएं
  5. सराहनीय चर्चा सार्थक शीर्षक।
    सभी रचनाएं बहुत आकर्षक, सुंदर, पठनीय!
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
    मेरी रचना को चर्चा में स्थान देने के लिए हृदय से आभार।
    सादर सस्नेह।

    जवाब देंहटाएं
  6. उम्दा चर्चा प्रस्तुति
    आभार अनीता जी मेरी रचना को आज के चर्चामंच में स्थान देने के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत ही शानदार प्रस्तुति
    सभी अंक पठनीय और सरहानीय है!

    जवाब देंहटाएं
  8. उत्कृष्ट लिंको के साथ लाजवाब चर्चा प्रस्तुति।
    मेरी रचना को चर्चा में सम्मिलित करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार प्रिय अनीता जी!

    जवाब देंहटाएं
  9. ज़िंदगी का सफ़र रचना को इतना सम्मान देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया अनीता जी। बहुत सुन्दर संकलन।

    जवाब देंहटाएं

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