सादर अभिवादन
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है
( शीर्षक और भुमिका आदरणीय संदीप जी की रचना से)
आओ बुन आते हैं
नदी और किनारों के बीच
गहरी होती दरारों को
जहां
टूटन से टूट सकता है
रिश्ता
और
भरोसा।
आओ नदी तक हो आएं
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"नदी भी मर रही है और आदमियत भी"
विचारणीय विषय
मगर सोचने का समय किसके पास...
आज भी नहीं विचार किया तो यकिनन... देर ही नहीं....बहुत देर हो जायेगी...
अति महत्वपूर्ण विषय पर चिंतन करती आदरणीय संदीप जी की बेहतरीन रचना..
चलते हैं आज की कुछ खास रचनाओं की ओर...
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"दोहा छन्द" आलेख (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
तेरह-ग्यारह से बना, दोहा छन्द प्रसिद्ध।
माता जी की कृपा से, करलो इसको सिद्ध।।
चार चरण-दो पंक्तियाँ, करती गहरी मार।
कह देती संक्षेप में, जीवन का सब सार।।
समझौता होता नहीं, गणनाओं के साथ।
उचित शब्द रखकर करो, दोहाछन्द सनाथ।।
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नदी का मौन, आदमियत की मृत्यु है
आओ
नदी के किनारों तक
टहल आते हैं
अरसा हो गया
सुने हुए
नदी और किनारों के बीच
बातचीत को।
आओ पूछ आते हैं
किनारों से नदी की तासीर
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माटी में मिल जाए माटीजैसे गागर माटी की बनी है, टूट जाए तो माटी का कुछ नहीं बिगड़ता, वैसे ही मन आत्मज्योति से उपजा है; मन उदास हो, चिंतित हो तो ज्योति का कुछ नहीं घटता। आत्मा का न कोई आकार है न ही उसमें कभी कोई विकार होता है। मन को सुख और पूर्ण विश्राम पाना हो तो कुछ देर के लिए सब कुछ भुलाकर स्वयं से मिलना सीखना होगा। *****महावर, नाखुर गीत (अवधी लोकगीत)
रगरि रगरि धोवे गोड़ कहारिन,
अरे नाउन आई बोलाइ, रमन जी कै आजु है नाखुर ।।
दूर देस सखि रंग मंगायंव,
मेहंदी मंगायंव मारवाड़, रमन जी कै आजु है नाखुर ।।
काजल की कोठरी
में पहुंच काजल की
कालिख से कैसे बचेंगे |
कितना भी बच कर चलेंगे
काला रंग काजल का
लग ही जाएगा |
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जर जोरु जमीन के खातिर बँट रहे हैं लोग
जाति धर्म समुदाय के नाम पे कट रहे हैं लोग
इन्सानियत और अपनेपन को भुला चुके हैं
धीरे-धीरे परिवार मे तभी घट रहे हैं लोग
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रिश्ते की अहमियत स्नेह से ही है । अपने और पराए की पहचान सुख-दुख में स्नेह से ही होती है। स्नेह ना हो तो अपना भी पराया। स्नेह हो तो पराया अपना। मनीषियों ने भी स्नेह को ही सर्वोत्तम रिश्ता माना है।
अस्नेही भाई दुर्योधन ने द्रोपदी का चीरहरण किया। और स्नेही कृष्ण भाई से बढ़कर हुए।
स्नेह ही है जो एक पप्पी (कुत्ता) को परिवार का सदस्य बना देता है।
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आज का सफर यही तक, अब आज्ञा दे
आप का दिन मंगलमय हो
कामिनी सिन्हा
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंआभार सहित धन्यवाद मेरी रचना को स्थान देने क लिए |
मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार 🙏
जवाब देंहटाएंसुप्रभात 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार प्रस्तुति
सभी अंक पठनीय और सरहानीय हैं!
प्रभावशाली भूमिका और बेहतरीन रचनाओं से सजा है आज का चर्चा मंच, आभार कामिनी जी।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीया कामिनी सिन्हा जी।
सुंदर,भूमिका और सराहनीय अंक, आपके श्रमसाध्य कार्य को मेरा हार्दिक नमन प्रिय कामिनी जी, मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार, आपको और सभी रचनाकारों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंबहुत संतुलित और सटीक पोस्ट संकलन, आभार
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका कामिनी जी। मेरी रचना को सम्मान देने के लिए साधुवाद।
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी को बधाई।
सादर
आप सभी स्नेहीजनों को हृदयतल से धन्यवाद एवं सादर अभिवादन
जवाब देंहटाएंआप का ब्लॉग नहीं खुल रहा है शायद कोई तकनीकी समस्या है
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