मित्रों!
आज की चर्चा आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी को करनी थी
लेकिन उनकी व्यस्तता के कारण मैं चर्चा लगा रहा हूँ।
इस बार वह मेरी बुधवार की चर्चा कर देंगे।
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सरस्वती वन्दना
"माँगता काव्य-छन्दों का वरदान हूँ"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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म्हारी लाडेसर
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कृषक आंदोलन सफलता के कुछ पहलू
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खुशियों की हुई बरसात !
प्यार भरी हुई इक बात
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भीतर जब प्रकटेगी सहजता
बुद्धि रूपी मछली जब आत्मा रूपी सागर को छोडकर मन और इन्द्रियों रूपी संकरी नहरों में आ जाती है तो उसका संबंध सागर से छूट जाता है और वह व्याकुल हो उठती है. जब वह पुनः आत्मा के सागर में पहुँच जाती है तो सुखी हो जाती है.... ईश्वर से हमारा संबंध वैसा ही है जैसा बूंद या लहर का सागर से. प्रियजनों के स्नेह में जो आनंद झलकता है वह हमारी आत्मा का ही प्रकाश है. आत्मा का पूर्ण उद्घाटन ही मानव का साध्य है. राग-द्वेष अर्थात आसक्ति व विरक्ति मन के कार्य हैं, स्वास्थ्य-रोग आदि देह के, जो सुख-दुःख के रूप में हमें मिलते हैं. लेकिन वह हमारा वास्तविक परिचय नहीं है. सहजता के प्राकट्य में आनंद है और उसी में हमारी शक्तियों का पूर्ण विकास सम्भव है.
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ग़ज़ल - चिढ़ है जन्नत से
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बेइज्जती उतनी ही होती है जितनी महसूस करो
मानसिक थकान को दूर करने का आसान तरीका है सब कुछ छोड़ छाड़ कर सिद्धार्थ की तरह घर से अकेले निकल लो.
पर इस मामले में सिद्धार्थ भाग्यशाली थे कि वो चुपके से निकल लिए और यशोधरा नींद के आगोश में समाई रही. जब तक वो नींद के आगोश से बाहर आई तब तक बहुत देर हो चुकी थी.
पर ताऊ इतना भाग्यशाली कभी रहा ही नहीं, जैसे ही लगा कि यशोधरा (ताई) नींद के आगोश में समाई है,
चुपके से बैग उठाकर, धीरे से दरवाजे की कुंडी खोलने लगा, कुंडी अभी खुली भी नहीं थी कि पीठ पर ताई का लठ्ठ टिका था. पूछने लगी ये आधी रात को चुपके चुपके कहां तपस्या करने जा रहे हो? कहीं चोरी करने जा रहे हो या किसी के यहां डाका डालने?
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राधा तिवारी ,"राधेगोपाल ",
*रक्तबीज कोरोना*
विधा *गीत*
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“यह वीरदास ने क्या कह दिया? आश्चर्य होता है कि लोग किस हद तक गिर सकते हैं. जब स्वामी............” मुकन्दी लाल बिना रुके बोले जा रहे थे. मैंने बीच में टोका, “रुकिए, आप यह क्या कहने जा रहे हैं? आप किस की तुलना किस के साथ करने जा रहे हैं.”
“क्या मतलब?” मुकन्दी लाल जी की त्योरी चढ़ गई.
“कभी सिंह की तुलना लकड़बग्घे के साथ की जा सकती है?”
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मेरा हुनर मुझे सीढ़ियों से गिरने नहीं देता !
मेरा हुनर मुझे सीढ़ियों से गिरने नहीं देता ।
परेशानियां के बाज़ार में उतरने नहीं देता ।
माना कि लाख चुनौतियां है जीवन में ,
फिर भी मुझे टूटकर बिखरने नहीं देता ।
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Watch: शेख़ू को TikTok स्टार हरीम शाह का फोन
देशनामा--
कविता "जीवन कलश--
बनिए कलमबाज़ और जीतिए 50 हजार रुपये के पुरस्कार
एक बुक जर्नल--
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घर में यहाँ-वहाँ बार-बार ज़मती धूल खींचती है अपनी ओर जिसके पीछे छिपा सच पल में खोल देता मेरी आँखें
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आज के लिए बस इतना ही..!
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बहुत सुंदर, सराहनीय तथा पठनीय अंक । सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुति🙏🙏
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ।मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीय 🙏
जवाब देंहटाएंविविध विषयों पर रचनाकारों द्वारा लिखी सराहनीय रचनाओं से सजा सुंदर चर्चा मंच! आभार मुझे भी इसका भाग बनाने हेतु!
जवाब देंहटाएंसुंदर रोचक लिंक्स से सुसज्जित चर्चा... मेरी रचना को चर्चा में शामिल करने हेतु आभार....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन संकलन आदरणीय सर।
जवाब देंहटाएंशीर्षक पर स्वयं के गीत का शीर्षक देखकर अत्यंत हर्ष हुआ।
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर।
सादर प्रणाम
आदरणीय, मेरी रचना को इस अंक में शामिल करने के बहुत धन्यवाद और आभार ।
जवाब देंहटाएंसभी संकलित रचनाएं बहुत ही उम्दा है । बहुत शुभकामनाएं ।