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शनिवार, नवंबर 27, 2021

'भाईचारा रहे, प्रेम का सागर हो जग' (चर्चा अंक 4261)

शीर्षक पंक्ति: आदरणीया जिज्ञासा सिंह जी की रचना से। 

 सादर अभिवादन.

शनिवासरीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है.

देरी के लिए क्षमा!

लीजिए प्रस्तुत हैं चंद चुनिंदा रचनाएँ आज के अंक में-

गीत "दुर्दशा,मेरे भारत-विशाल की" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

लिखने को बहुत कुछ है अगर लिखने को आयें,

लिखकर कठोर सत्ययहाँ किसको सुनायें,

जंगल में लोमड़ी के, शीश पे धरा है ताज।

चिड़ियों की कारागार में, पड़े हुये हैं बाज।।

*****

अवसर देखें करते घात

घर बिकता बिकते हैं सपने,
लुट जाता सारा संसार।

वादों पर बस जीवन चलता,
जीना दोधारी तलवार।।

दो पाटों में पिसे आदमी,
छोड़े बैठा जीवन आस।
भ्रष्ट बुनें मकड़ी सा जाला,
उसकी कैसे बुझती प्यास।।
*****

आशा की एक किरण

भाईचारा रहे, प्रेम का सागर हो जग,
धरती, अंबर, सूर्य, चाँद, तारों का संगम  ।
जुड़ें प्रकृति के साथ, पशूपक्षी बहुतेरे,
इस सृष्टि के लिए, समन्वय करें सदा हम ।।

इस दुनिया में जन्म का ये कारण बन जाए ।
समझो जीवन स्वर्ग सदृश सुन्दर बन जाए ।।
*****
सप्त सुर में गूँजती सी 
काव्य की अनुपम छटा 
नौ रसों के भाव नूतन 
यौवना बाँधे जटा।। 
*****
नेटवर्क के फ़र्जी खातों के हज़ारों फॉलोअर थे और इस नेटवर्क की पोस्ट को असली सोशल मीडिया उपभोक्ताओं द्वारा लाइक और रिट्वीट किया जाता था. इस नेटवर्क के ज़रिए जो सामग्री तैयार की गयी हैवह ज़्यादातर अंग्रेजी में है. बीबीसी ने ये रिपोर्ट ट्विटर और फेसबुक एवं इंस्टाग्राम चलाने वाली कंपनी मेटा के साथ साझा की है. इसके साथ ही इस पर उनकी टिप्पणी मांगी है. बीबीसी के मुताबिक ट्विटर ने मंच का दुरुपयोग करने के नाम पर इन अकाउंट्स को बंद कर दिया है. मेटा ने भी इन खातों को फेसबुक और इंस्टाग्राम पर नीतियों के उल्लंघन की वजह से बंद कर दिया है.
*****
जिसे भी हम पूजते हैं, उसकी ऐसी की तैसी कर डालते हैं

पेड़-पौधों,  लता-गुल्मों की तो बात ही ना की जाए तो बेहतर है ! जीवन देने वाली इस प्रकृति की नेमत की कैसी पूजा आज कल हो रही है जग जाहिर है ! कभी ध्यान गया है किसी मंदिर में लगे किसी अभागे वृक्ष की तरफ ? उसके तने या जड़ के पास अपनी मन्नत पूरी करने के लिए दीया जला-जला कर उसकी लकड़ी को कोयला कर, हमें लगता है कि वृक्ष महाराज हमारी मनोकामनाएं जरूर पूरी करेंगें ! कोई कसर नहीं छोड़ते हम, अपनी आयु बढ़ाने के लिए उसकी जड़ों में अखाद्य पदार्थ डाल-डाल कर उसको असमय मृत्यु की ओर ढकेलने में ! 
*****झूमर ( मगही भाषा )
टीकबा पहीन हमें गेलियै अंगनमा।
मोर देवर जी मारे नजरिया जी।
                        नजरिया जी।
उनका ठेलके भेजबै अटरिया जी।
ननदोई जी मारे नजरिया जी।
                      नजरिया जी।
उनका ननदी संग चढैबै पहड़िया जी।
*****

आज बस यहीं तक 
फिर मिलेंगे आगामी सोमवार। 

रवीन्द्र सिंह यादव 

7 टिप्‍पणियां:

  1. मुझे अनीता सैनी जी ने आज सुबह-सुबह बताया था कि
    27 तारीख की चर्चा नहीं दिखाई दे रही है और यह भी कहा था कि
    उनके मामाजी का देहान्त हो गया है। वह गाँव में हैं इसलिए चर्चा लगाना सम्भव नहीं है।
    मैंने अनीता जी से कहा था कि में 10 बजे 27 तारीख की चर्चा लगा दूँगा।
    लेकिन आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी ने चर्चा लगा दी। उनका हृदय से आभारी हूँ।
    मैं अनीता सैनी जी के मामा जी को भावभीनी श्रद्धांजलि समर्पित करता हूँ।
    परमपिता परमात्मा दिवंगत आत्मा के शान्ति प्रदान करें।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी टिप्पणी के ज़रिये ज्ञात हुआ कि आदरणीया अनीता जी मातृशोक से गुज़र रही हैं। माताजी को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि एवं शोक संतृप्त परिवार के प्रति गहरी संवेदनाएँ। ईश्वर माताजी की आत्मा को शांति प्रदान करे।

      हटाएं
    2. माता जी नहीं,
      मामा जी का देहान्त हुआ है।

      हटाएं
    3. सरसरी निगाह से पढ़ते वक़्त भूल हुई। क्षमा! आदरणीया अनीता जी की माताजी शतायु हों। उनके सदैव स्वस्थ रहने की कामना।
      अनीता जी के मामा जी को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और शोक संतृप्त परिवार को दुःख सहन करने की शक्ति दे।

      हटाएं



  2. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार।

    सखी अनीता जी को ईश्वर इस वेदना की घड़ी में संबल प्रदान करें।

    जवाब देंहटाएं
  3. आदरणीय सर,मेरी रचना की पंक्ति को शीर्षक में सजाने के लिए मैं आपका जितना आभार करूं, कम है । आपका तहेदिल से शुक्रिया । आपको और चर्चा मंच को हार्दिक शुभकामनाएं, सभी रचनाकारों को मेरी हार्दिक बधाई 🙏🙏💐💐

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