सादर अभिवादन !
शनिवार की प्रस्तुति में आपका स्वागत है ।
शीर्षक व काव्यांश आ.भारती दास जी की रचना 'निराशा -हताश मन की व्यथा'से -
अपनी क्षमताओं का सही आकलन करने के लिए सबसे पहले मन को मजबूत बनाना होगा. सकारात्मक सोच के द्वारा अवसाद को मन से दूर भगाना होगा. चिंतन-मनन व अध्यात्मिक अध्ययन के द्वारा विचार शैली को बदलना होगा. स्वाध्याय से सुन्दर विचारों का पोषण मस्तिष्क को मिलेगा.
उपासना को नियमित दिनचर्या में शामिल करने से शंकाओं का नाश तथा खुद पे विश्वास बढ़ता है. भगवान के सानिध्य का एहसास होता है. हताशा-निराशा स्वतः नाश होती है. नियमित योग द्वारा भी मनःस्थिति शांत व प्रसन्न होती है. उगते हुए सूरज को नमस्कार करने से मन स्वस्थ व सक्रिय होते हैं.
आइए अब पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
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जीवन प्रहसन के सभी, इस दुनिया में पात्र।
सबका जीवन है यहाँ, चार दिनों का मात्र।।
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चाहे जीवन में रहें, झंझट और बवाल।
जीना सब ही चाहते, हो कैसा भी हाल।।
पौने दो साल की सारा तो पहली बार हमारे घर आई हैं. सारा का बर्थ डे बेबी को बधाई देने का तरीक़ा उसे पुच्ची देने का होता है लेकिन इसके लिए वो सुपात्र के सामने खुद अपना गाल आगे कर देती हैं.
सच में, बच्चों का साथ मिल जाए तो हम खुद को कभी बूढ़ा महसूस नहीं करते.
वैसे भी 71 साल की उम्र में कोई बूढ़ा थोड़ी हो जाता है. कहावत – ‘साठे पर पाठा’ होने की है तो इस हिसाब से मुझे पाठा हुए कुल जमा 11 साल ही हुए हैं. सही ढंग से मेरी मूंछे उगना तो अभी-अभी शुरू हुई हैं.
नकारात्मक विचारों व भावनाओं के साये से घिरे रहनेवाले लोग ही ज्यादातर निराश दिखाई पड़ते है. आज की पीढ़ी के अधिकतर लोग हताशा भरी परिस्थिति का सामना करते हैं क्योंकि वे व्यवहार कुशल नहीं होते हैं .सामान्य जिन्दगी में भी अपने आपको असहाय महसूस करते हैं .मनोबल कमजोर होता है .अजीब सी उदासी से घिरा जीवन होता है .
15 से 40 वर्ष के लोग इसी उहापोह में जीवन व्यतीत करते हैं की हमारा अब कुछ नहीं होगा .वे सिर्फ अपने –आप में ही कमी ढूंढते दिखाई देते हैं. हर कामयाब आदमी से डर लगता है. लम्बे समय तक चलने वाली जद्दोजहद की वजह से मनःस्थिति हताशा में डूब जाती है. किसी भी कार्य को करने के लिए उत्साहित होने के बजाय निराशाजनक भाव होता है. सही निर्णय लने की क्षमता नहीं रह जाती है. सकारात्मक सोच से दूर होने लगता है. मन हमेशा उदास ही रहता है.
15 से 40 वर्ष के लोग इसी उहापोह में जीवन व्यतीत करते हैं की हमारा अब कुछ नहीं होगा .वे सिर्फ अपने –आप में ही कमी ढूंढते दिखाई देते हैं. हर कामयाब आदमी से डर लगता है. लम्बे समय तक चलने वाली जद्दोजहद की वजह से मनःस्थिति हताशा में डूब जाती है. किसी भी कार्य को करने के लिए उत्साहित होने के बजाय निराशाजनक भाव होता है. सही निर्णय लने की क्षमता नहीं रह जाती है. सकारात्मक सोच से दूर होने लगता है. मन हमेशा उदास ही रहता है.
तृप्त होने की इच्छा
और हम दोनों के
ह्रदय में केवल बची होगी
निस्वार्थ प्रेम की भावना
क्या ऐसी भेंट का
इंतजार तुम भी करोगे
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फ़ास्ट फ़ूड सेवन करे, ताहि मुटापा होय।
शरीर का पौरुष घटे, रोग अस्थमा सोय।।
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ज़िक्र सिर्फ और सिर्फ तेरा ही आया बार बार I
मेरे हर गुनाह में तेरा ही नाम आया हर बार II
तितलियाँ जो उड़ाई थी तूने रंगीन फ़सनों की I
आगाज़ वो कभी बनी नहीं इनके अरमानों की II
जब चल ही पङे हैं,
तो पहुँच ही जाएंगे ।
जहाँ पहुँचना चाहते थे वहाँ ,
या रास्ता जहाँ ले चले वहाँ ।
बेशरम से हो गए मेरे अधर भी
हैं लबों का मोल भी क्या
होंठ भी कुछ बुदबुदाते थरथराते
आस की पीड़ा में नीले पड़ से जाते
दर्द में डूबी हुई अनमोल रातें ।।
दिसम्बर की सर्द हवा थी
जहर उगलती रात थी
सायनाइड की सांसें थी
झीलों की नगरी थी
मौत का शामियाना था
हांफते पड़ते कदम थे
फेफड़ों में समाता विष था
जिंदगी की ओर
भागते लोग थे
कितनी कितनी देर,
आँखें मूंदे देखते हैं।
एक ही छवि,
कितने ही भावों से,
कितनी बातें करते हैं
खामोशी से।
आँखें मूंदे देखते हैं।
एक ही छवि,
कितने ही भावों से,
कितनी बातें करते हैं
खामोशी से।
फटी एड़ियों को बहुत तेजी से ठीक करने के लिए और एड़ियां आगे ना फटे इसके लिए जानिए एक घरेलू नुस्ख़ा...जीसे आजमाकर आप अपनी फटी एड़ियों को बहुत आसानी से ठीक कर सकते हैं।
सुखी हवा, अनियमित खानपान, विटामिन ई की कमी, कैल्शियम और आयरन की पर्याप्त मात्रा न मिल पाने की वजह से अक्सर पैरों की एड़ियां फट जाती हैं। यदि इनकी देखभाल न की जाए तो ये ज्यादा फट जाती हैं और इनसे खून आने लगता है, ये बहुत दर्द करती हैं। आम बोलचाल में इसे ‘बिवाई’ भी कहा जाता है।
फटी एड़िया या बिवाई का इलाज करने के लिए हम एक क्रीम बनाएंगे जिसे लगाकर आप सिर्फ दो दिन में ही अपनी फ़टी एड़ियों से निजात पा सकते है।
आज का सफ़र यहीं तक
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
चर्चा मंच में सभी प्रविष्टियां बहुत ही सराहनीय।
जवाब देंहटाएंआभार सहित।
बहुत सुंदर और व्यवस्थित चर्चा प्रस्तुति|
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीया अनीता सैनी दीप्ति जी!
हार्दिक धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंसभी अंक सरहानीय है!
सादर..
🙏🙏
मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, अनिता दी।
जवाब देंहटाएंमेरी क्षणिका को मंच पर स्थान देने के लिए आभारी हूं
जवाब देंहटाएंबहुत अंदर सराहनीय और उपयोगी सृजन से युक्त सूत्रों का संकलन किया है आपने, इन सबके मध्य मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार ।सादर शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंवाह लाजबाव चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमन चंगा तो कठौती मैं गंगा !
जवाब देंहटाएंअनीता जी, बधाई ! विषय के लगभग अनुरूप दिलचस्प रचनाएँ ! इस चर्चा में सम्मिलित होकर अच्छा लगा बहुत । बहुत-बहुत धन्यवाद ।