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मंगलवार, दिसंबर 21, 2021

"जनता का तन्त्र कहाँ है"(चर्चा अंक 4285)

 सादर अभिवादन

मंगलवार की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है

(शीर्षक आदरणीय शास्त्री सर जी की रचना से)

बिना किसी भूमिका के.. 

आज की कुछ खास रचनाओं का आनंद उठाए...

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गीत "जनता का तन्त्र कहाँ है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

सुख का सूरज नहीं गगन में।
कुहरा पसरा है कानन में।।

पाला पड़ता, शीत बरसता,
सर्दी में है बदन ठिठुरता,
तन ढकने को वस्त्र न पूरे,
निर्धनता में जीवन मरता,
पौधे मुरझाये गुलशन में।
कुहरा पसरा है कानन में।।
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अंतहीन यात्रा - -

क़दमों के निशां, दौड़ते हुए से लगते
हैं पेड़ पौधे, खेत खलियान, नदी
पहाड़, फूलों से लदी वादियां,
कुहासे में डूबी हुई अंध
घाटियां, ज़िन्दगी
अपने अंदर
तब होती
है एक

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फूल गुलाब का

बाग़ में  डाल पर 

सोचता रहा 

उसके जीवन की 

 क्या कहती कहानी 

कभी कली रही थी 

पत्तों में छुपी 

पत्तियों  के कक्ष से 

झांकती कली 

खिली पंखुड़ी सारी 

फूल खिला है 

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लेडीज़ फ़र्स्ट

यह सही है कि स्त्री-दमन और स्त्री-शोषणविश्व-इतिहास काख़ास कर भारतीय इतिहास कासबसे कलुषित अध्याय है लेकिन इसके खिलाफ़ हम पूरी तरह से उल्टी गंगा बहा कर एक स्त्री-प्रधान समाज को स्थापित कर न तो स्त्रियों को समाज में यथोचित अधिकार दिला सकेंगे और न ही उन्हें निर्बाध उन्नति करने का अवसर प्रदान करा पाएंगे.

****** 

शोर अभी बाक़ी है 


शाम की लहर-लहर

मन्द सी डगर-डगर

कुछ अनछुए अहसास हैं

जो ख़ास हैं, वही पास है

साल इक सिमट गया

याद बन लिपट गया

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इंद्रधनुष





रंग चुरा लूँ धूप से, संग नीर की बूँद।

इंद्रधनुष हो द्वार पर, देखूँ आँखे मूँद।।


तम के बादल छट रहे, दुख की बीती रात।

इंद्रधनुष के रंग ले, सुख की हो बरसात।।


रंगों के इस मेल में, छुपा सुखद संदेश।

इंद्रधनुष बन एक हों, उत्तम फिर परिवेश।।

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निशाना



आज के राम का काम ज़रा मुश्किल है, 

अब दस सिर वाला एक रावण नहीं,

अलग-अलग सिर वाले हज़ारों रावण हैं,

अब रावणों को मारना है,

तो तीर कई होने चाहिए 

और निशाना होना चाहिए अचूक. 


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वो जोर से हँसने लगी अब देखकर चहरा मेरा

वो जोर से हँसने लगी अब देखकर चहरा मेरा,
हैरान था मैं सोचकर कि क्या यही रुतबा मेरा ।

तोड़ा है उसने इस तरह लिख कर मुझे इक बेवफा,
क्या दिल में लेके आया था अब अक्स क्या उभरा मेरा ।

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आज का सफर यही तक, अब आज्ञा देआप का दिन मंगलमय होकामिनी सिन्हा




6 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    धन्यवाद कामिनी जी मेरी रचना को यहाँ चर्चा मंच पटल पर स्थान देने के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात 🙏
    बेहतरीन प्रस्तुति..
    आभार 🙏

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सार्थक चर्चा प्रस्तुति।
    आपका आभार कामिनी सि्हा जी।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत खूबसूरत चर्चा संकलन

    जवाब देंहटाएं

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