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बुधवार, दिसंबर 08, 2021

"निमित्त है तू" (चर्चा अंक 4272)

 मित्रों!

बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।

बिना किसी भूमिका के देखिए- 

कुछ ब्लॉगों के अद्यतन लिंक।

चर्चा का शीर्षक

अनीता सैनी "दीप्ति"

के ब्लॉग गूँगी गुड़िया से 

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निमित्त है तू 

थक न तू

थकान से न रख वास्ता

आकार तू निराकार तू

पृथ्वी है तू प्राणवायु तू

याद रख 

निमित्त है तू 

गूँगी गुड़िया 

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नर्क 

"क्या तुमलोगों का राजगीर यात्रा में वहाँ के गरम जल कुण्ड में स्नान हुआ ?" "बस्तर/छतीसगढ़ इलाके में चूना पत्थर से बनी कुटुमसर गुफाओं की मछलियाँ सी हम नहीं हो सके.., 

"सोच का सृजन" 

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पुतिन की यात्रा से स्थापित हुआ भारतीय विदेश-नीति का संतुलन 

भारत की संक्षिप्त-यात्रा पर आए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अफगानिस्तान की स्थिति पर चिंता व्यक्त की और आतंकवाद तथा नशे के कारोबार के खिलाफ भारत की मुहिम को अपना समर्थन भी व्यक्त किया। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच 28 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए, नौ समझौते दोनों सरकारों के बीच जबकि शेष बिजनेस टू बिजनेस समझौते हुए। दोनों देशों के बीच  सैन्य-तकनीक सहयोग समझौते का भी 2021-2031 तक के लिए नवीकरण हो गया है। जिज्ञासा 

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पार उतरना धीरे से- विवेक मिश्र 

जब भी आप कोई कहानी पढ़ते हैं तो कभी मुस्कुराते हैं, कभी खिलखिलाते हैं, कभी चौंकते हुए किसी गहन सोच में डूब जाते हैं। कई बार आप किसी कहानी को पढ़ते समय उसमें इतना खो जाते हैं कि कहानी के खत्म होने के बाद भी आप उससे..उसके असर..उसके ताप से बाहर नहीं निकल पाते और अगली कहानी तक पहुँचने से पहले आपको, अपनी दिमागी थकान और मन में उमड़ रहे झंझावातों से उबरने के लिए एक विश्राम, एक अंतराल की आवश्यकता पड़ती है। हँसते रहो 

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महान 

मन के ही विश्वास से, पत्थर में भगवान।
कण-कण को हम पूजते,संस्कृति रही महान।।

मनुज धर्म की श्रेष्ठता, करिये कार्य महान।
राजनीति से दूर हो , रखें देश का मान ।। 

काव्य कूची 

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Watch: दावा है ऐसा पूड़ी नाश्ता आपको कहीं और नहीं मिलेगा 

ज्ञान मिष्ठान भंडार, मेरठ का पूड़ी नाश्ता
(फोटो- वरुण शर्मा)
मेरठ में इस दुकान पर 
20 रुपए की पूड़ी के साथ मिलती है 
खाने की 9 आइटम्स- दम आलू, सूखे आलू, 
छोले, पनीर, कोफ्ता, सीताफल की सब्जी, 
गाजर मूली का आचार, चटनी, बूंदी का रायता 

देशनामा 

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चंचल चपल 

हो चंचल चपल

विद्युत की तरह

कभी शांत नहीं होतीं

तुमसे सब हारे |

अपने मन को

बहुत समझाया

पर वह न माना

क्या करती ? 

Akanksha -asha.blog spot.com 

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राधा तिवारी "राधेगोपाल"  दोहे, वन संपदा 

संसाधन जग में मिलेसब को एक समान।
 इन संसाधन को सदादेना तुम तो मान।।

 वन संपदा ही रहेसदा देश की शान।
 पेड़ उगा कर आप भी, लेना जीवनदान।। 

राधे का संसार 

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प्रकृति और आदमी 

पर पेड़ों ने छाँव दी,
पौधों ने फूल दिए,
फूलों ने ख़ुश्बू दी,
झरनों ने पानी दिया,
हवा ने ताज़गी दी,
सूरज ने रौशनी दी, 
चाँद ने शीतलता दी.

 कविताएँ 

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लगता है अपने आप के हम भी नहीं रहे 

ईमान, धर्म, कौल, भरोसा, यकीं रहे.
मेरे भी दिल में, तेरे भी दिल में कहीं रहे.
 
हर-सू हो पुर-सुकूनमहकती हो रह-गुज़र,
चादर हो आसमां की बिस्तर ज़मीं रहे 

स्वप्न मेरे 

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Untitled कोरोना काल में हमारा मीडिया

कोरोना काल में हमारा मीडिया

मार्च के अंतिम सप्ताह में हमारे परिवार में एक शिशु का आगमन हुआ. स्वाभाविक था कि हमें अस्पताल के कुछ चक्कर लगाने पड़े. अब यही कारण था या कुछ और हमें समझ नहीं आया लेकिन १३ अप्रैल को मेरे बेटे ( शिशु के पिता) को कोरोना हो गया. अगले तीन दिनों के अंदर घर के सभी सदस्य संक्रमित हो गये.

मुझे और मेरी पत्नी को वैक्सीन का एक इंजेक्शन लग चुका था इसलिए हम दोनों को अधिक परेशानी न हुई. चार या पाँच दिन बुखार रहा. फिर हमारी स्थिति में सुधार आने लगा.

आपका ब्लॉग 

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1164 * डॉ.जेन्नी शबनम की क्षणिकाएँ* *1.चाँद का दाग़* *ऐ चाँद! तेरे माथे पर जो दाग़ है * *क्या मैंने तुम्हें मारा था? * *अम्मा कहती है -मैं बहुत शैतान थी * *और कुछ भी कर सकती थी।सहज साहित्य 

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सशस्त्र सेना झंडा दिवस (7दिसम्बर) दोहा: 

दल सशस्त्र झंडा दिवस, खुलकर दीजै दान।

        शहीद   अपंग   परिवार, होय महा  कल्यान ।। 

काव्य दर्पण 

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मेरा सद्यः प्रकाशित गीत संग्रह- मेड़ों पर वसंत 

बाएं श्री अरुण कुमार त्रिपाठी,बीच में आदरणीय प्रोफ़ेसर गिरीश चंद्र त्रिपाठी जी पूर्व कुलपति काशी हिन्दू विश्वविद्यालय एवं अध्यक्ष उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा परिषद,लखनऊ,और मैं

सुनहरी कलम से 

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हिमालय की गोद में...  (कुमाऊँ में रोमांचक भ्रमण)३: अग्न्या और बुंगाछीना गाँव में ट्रेक 

पहाड़ में ऐसी अनगिनत पैदल जाने की पगडण्डीयाँ हैं| 

Reflection of thoughts . . . 

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ग़ज़ल "अब कैसे सुधरें हाल सुनो" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

भाषण से बहलाने वालों, वचनों के कंगाल सुनो
माल मुफ्त का खाने वालों, जंगल के शृंगाल सुनो

बिना खाद-पानी के कैसे, खेतों में बिरुए पनपें
ठेकेदारों ने उन सबका, हड़प लिया है माल सुनो 

उच्चारण 

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चलते-चलते...!

बिना घी के रोस्टेड ड्राई फ्रूट्स कैसे बनाये? (how to dry roast nuts without ghee) 

बिना घी के रोस्टेड ड्राई फ्रूट्स कैसे बनाये? (how to dry roast nuts without ghee)
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आज के लिए बस इतना ही...।

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8 टिप्‍पणियां:

  1. आज के चर्चा मंच में संग्रहित सभी शीर्षक एवं विषय वस्तु सराहनीय है। मयंक जी बहुत बहुत धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  2. अत्यंत हर्ष हुआ सर शीर्षक में स्वयं की रचना का शीर्षक देखकर। आभारी हूँ।
    सराहनीय संकलन।
    सभी को बधाई।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात
    आभार सहित धन्यवाद मेरी रचना को आज के अंक में स्थान देने के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  4. उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।

    जवाब देंहटाएं
  5. सराहनीय चर्चा। मेरी रचना को शामिल करने के लिए धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं
  6. विस्तृत चर्चा है ...
    आभार मेरी गज़ल को चर्चा में स्थान देने के लिए ...

    जवाब देंहटाएं
  7. वन्दन
    श्रमसाध्य प्रस्तुति हेतु हार्दिक आभार और साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं

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