सादर अभिवादन
आज आदरणीय रविन्द्र सर थोड़े व्यस्त है तो
उनकी प्रस्तुति लेकर हाजिर हूं मैं
कामिनी सिन्हा
( शीर्षक आदरणीय शास्त्री सर जी की रचना से)
चलते हैं आज की कुछ ख़ास रचनाओं की ओर....
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गीत "तुमसे ही मेरा घर-घर है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
पाती पढ़ये पाहुन कुर्जा
गेहूँ खुड से झाँक रह्या।
कूँचा फूलड़ा दाँत निपोर
तारा दिनड़ो हाँक रह्या।।
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नियति
नियति सब कुछ तो निश्चित किए बैठी है और हम न जाने क्यों इतराते रहते हैं खुद की कल्पनाओं, समझदारी, योजनाओं,और साधनों पर।
क्या कभी कोई पत्ता भी हिलता है हमारे चाहने भर से।
समय दिखता नहीं पर निशब्द अट्टहास करता है हमारे पास खड़ा ,हम समय के भीतर से गुजरते रहते हैं अनेकों अहसास लिए और समय वहीं रूका रहता हैं निर्लिप्त निरंकार।
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मजे की बात यह कि इस ज्यादा खतरनाक और तेज नए अवतार से पीड़ित व्यक्ति दो ही दिन में ठीक हो बैडमिंटन भी खेलने लगता है ! अब जो धुंधली तस्वीर बनती है, उसे कोई भी साफ करने की जहमत नहीं उठाता ! सिर्फ डराने पर जोर दिया जाता है
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कितना अच्छा मौसम यार पुराना था
घर- घर में सिलोन रेडियो गाना था
खुशबू के ख़त होठों के हस्ताक्षर थे
प्रेम की आँखों में गोकुल,बरसाना था
कौन अकेला घर में बैठा रोता था
सुख-दुःख में हर घर में आना-जाना था
एक कमी उम्र भर मुझी में रही,
ज़िन्दगी कही भी रही उसी की रही,
तुम इतना हक़ मुझपर जाहिर ना करो,
मैं अब भी उसी का हूँ जो मेरी कभी नही रही,
ज़िन्दगी इक सवाल
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एक ज़रूरी कहानी | 2 | झींगुर और वह | डॉ (सुश्री) शरद सिंह
चर्चा की बहुत सुंदर प्रस्तुति|
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीया कामिनी सिन्हा जी!
बहुत शानदार दमदार प्रस्तुति ।आपका हृदय से आभार ।आपका दिन और ब्लॉग चर्चा मंच के सभी संपादकों,लेखकों और सहृदय पाठकों का दिन शुभ हो।
जवाब देंहटाएंआभार आपका कामिनी जी...। साधुवाद
जवाब देंहटाएंसुप्रभात।
जवाब देंहटाएंभिन्न भिन्न रंगों से सजी चर्चा का ये अंक पड़कर अच्छा लगा।
सब स्वस्थ रहे और यू ही शब्दों की कलियों को जोड़ते रहे।
तुमसे ही मेरा घर-घर है,
सपनों का आबाद नगर है,
सुख-दुख में हो साथ निभाती,
तुलसी हो मेरे आँगन की।
शास्त्री जी के ये शब्द कितने सार्थक है।
आभार
वाह
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार प्रस्तुति
मुझे सम्मिलित कर मान देने हेतु हार्दिक धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सराहनीय संकलन कामिनी दी।
जवाब देंहटाएंमुझे स्थान देने हेतु हार्दिक आभार।
सभी को बधाई।
बहुत शानदार प्रस्तुति सभी रचनाकारों को बधाई।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएं बहुत आकर्षक सुंदर।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय से आभार।
सादर सस्नेह।
मेरी कविता " ज़िन्दगी इक सवाल " को " चर्चा अंक 4270 "पर स्थान देने के लिए आपका सादर धन्यवाद कामिनी सिन्हा जी ! 🙏 😊
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