सादर अभिवादन
रविवार की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है
(शीर्षक आदरणीय शास्त्री सर की रचना से)
"रूप रंग भले ढल जाए
प्यार और साथ हमेशा बना रहें"
आदरणीय शास्त्री सर को विवाह की "48वीं वर्षगाँठ की
हार्दिक शुभकामनाएँ एवं नमन
परमात्मा आप की जोड़ी बनाएं रखें
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गीत "48वीं वैवाहिक वर्षगाँठ-5 दिसम्बर, 2021" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
संशय जब-जब बने धारणा
गहरी नींव हिला देता
अच्छे विद्व जनों की देखी
बुद्धि सुमति भी हर लेता
बात समय रहते न संभली
शंका ने झकझोड़ दिया।।
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समय पे सोना औ' जागना
बात-बात पर दुखी न होना,
थोड़ा सा ही पौष्टिक भोजन
आसन, प्राणायाम साधना !
दर्द कभी हो कहीं देह में
यह तन की पुकार है सुनना,
उलझे से हों ग़र विचार तो
यह मन का विकार है गुनना !
******राम बारात आगमनरूप रंग स्वभाव तुम्हारा
जलवा तुम जैसा
है ही ऐसा
हो तुम सब से जुदा |
तुम्हारा मन किसी से
मेल नहीं खाता
देख कर किसी को भी
अंतरमुखी हो जाता |
सब चाहते तुमसे
मिलना जुलना बातें करना
पर तुम्हें है पसंद
गुमसुम रहना |
भूले से यदि मुस्कुराईं
मन को भी भय होता
यह बदलाव कैसा
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ReplyDeleteकामिनी जी,नमस्कार !
ReplyDeleteबहुत सुंदर,सराहनीय एवम पठनीय अंक ।कई सूत्रों पर गई। आपके श्रमसाध्य कार्य को मेरा नमन ।सादर शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह 💐🙏
सुप्रभात
ReplyDeleteआभार सहित धन्यवाद कामिनी जी मेरी रचना को आज के अंक में स्थान देने के लिए |
सुप्रभात! पठनीय रचनाओं से सजा सुंदर अंक, आभार!
ReplyDeleteबहुत ही सराहनीय प्रस्तुति
ReplyDeleteसभी अंक पठनीय हैं
इतनी बेहतरीन प्रस्तुति के लिए
आपका बहुत-बहुत आभार🙏🙏🙏
शुभकामनाएं आदरणीय शास्त्री जी को विवाह वर्षगांठ पर |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और पठनीय लिंक मिले आज की चर्चा में।
ReplyDeleteआदरणीया कामिनी सिन्हा जी आपका आभार।
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हमारी 48वीं वैवाहिक वर्षगाँठ पर शुभकामनाएँ व्यक्त करने वाले
समस्त मित्रों का धन्यवाद।
सराहनीय प्रस्तुति
ReplyDeleteमेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार
सराहनीय प्रस्तुतीकरण।
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