मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
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विभावरी
चाँद-सितारा जड़ी ओढ़णी
पुरवाई दामण भागे।
बादळ माही हँसे चाँदणी
घूँघट में गोरी लागे।।
गूँगी गुड़िया
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फीकी ऋतुआँ
आला लीला साँझ सकारा
कोर हिय के प्रीत जागे
पाहुनो घर आय रह्यो है
फागुनी सो रंग सागे।।
मन की वीणा - कुसुम कोठारी।
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हिरन
155 शाहाबाद विधानसभा उत्तर प्रदेश के
एक गाँव में भ्रमण के दौरान
मुझे खेतों में टहलता हुआ हिरन दिखा
तो मैं स्वयं को रोक नहीं पाया
और वैन में बैठे ही बैठे
मोबाइल से कुछ तस्वींरें खींच लीं।
मेरी दुनिया
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सीता जी की अग्नि परीक्षा
सुनो लखन देनी पड़ेगी,अग्नि परीक्षा सिय को।
तब चलेगी साथ मेरे ,प्राण प्रिय फिर अवध को।
सुन लखन व्याकुल हुए,बोल कड़वे क्यों कहे?
मात सिया सती सत्य है,नयनों से अश्रु बहे।
सैलाब शब्दों का
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क्षणिका (खर्राटा)
1.
खर्राटा वो फड़फड़ाती प्रेम कविता है जिसको सुनाते हुए प्रेमी सुख का गोता लगता है जिसको सुनते हुए माशूका दर्द में होती है जिंदगी की राहें --
मन्नत
बस तू ही तू हो
इस दिल में !
बंद आँखों का ख्वाब,
खुली आँखों का मंज़र
जो भी हो
होता रहे बस उसमें
तेरा ही दीदार !
Sudhinama
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बाहर तो निकलो ....!
जो देख लिया है जी भरके ,
और समा गए हो आंखों से उतर के,
जो भर गया मन बातें करके ,
तो समझाकर मन को थोड़ा जतन से,
बाहर तो निकलो इस दीवानेपन से ।
मेरी अभिVयक्ति
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कुछ तो गड़बड़ है धड़कता सा क्यूँ है ? आज मेरा दिल । क्या परेशानी है ?
सुबह सुबह मैं हैरान सी क्यूँ हैं ? कुछ तो गड़बड़ है, वीणा स्नानघर में कपड़े धोते हुए पास लगे शीशे में खुद को निहारती है, चेहरे पे भी असमंजस की स्थिति स्पष्ट झलक रही है ।
अरे हाँ..अब समझ आया... आज चिड़ियाँ गायब हैं । कहाँ गईं ? उनकी चूं चूं चां चां चाँ चाँ चीं चीं सब गायब है.. क्यूँ वो आज इतनी शांत हैं ? क्या बात हो गई ?
गागर में सागर
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बिखरे हर्फ
महज, कवि की कल्पना तो नहीं वो!
वो, संवेदनाओं में पिरोए शब्द,
नयन के, बहते नीर में भिगोए ताम्र-पत्र,
उलझे, गेसुओं से बिखरे हर्फ,
बयां करते हैं, दर्द!
कविता "जीवन कलश"
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ख़ूबसूरती को भी नाज़, वो है हरनाज़
21 साल बाद फिर भारत की लड़की ने मिस यूनिवर्स का खिताब जीता, भारत की मॉडल हरनाज कौर संधू बनी मिस यूनिवर्स, जवाब देने का तरीका
और लहज़ा देखकर विनर चुना गया
देशनामा
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घर से निकल पड़े हैं तीर-ओ-कमान लेकर
समाज में या हमारे आस-पास जो कुछ घटित हो रहा होता है
यों तो उसे सभी देखते हैं परंतु एक साहित्यकार हर घटना या
दृश्य को एक ख़ास नज़रिए से देखता है।यही ख़ास नज़रिया
उसकी सृजनशीलता को उड़ान देता है।एक रचनाकार की
नज़र में हर आम बात या घटना भी कुछ ख़ास होती है।अपने
आस-पास से प्रेरणा लेकर मन में मंथन हुआ और फिर एक
नई ग़ज़ल हो गई जो आपकी अदालत में पेश है--
ग़ज़ल--ओंकार सिंह विवेक
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घर से निकल पड़े हैं तीर-ओ-कमान लेकर,
मानेंगे पंछियों की वे अब उड़ान लेकर।
वहशत अगर नहीं है तो बोलिए ये क्या है,
ख़ुश हो रहा है इंसां, इंसां की जान लेकर।
मेरा सृजन
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"अदृश्य डोर"
गुलेरी जी की तरह-
"उसने भी कहा था"
यूं ही रहना ,
एक अदृश्य डोर में बंधे
अच्छे लगते हो ।
डोर के हिलते ही ,
प्राणों का स्पदंन
यूं झलकता है ..,
जैसे ठहरे पानी के ताल में
कंकड़ी फेंकने से ,
लहरें उठीं हों ।
मंथन
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प्रोफेसर विश्वनाथ प्रसाद तिवारी को मिलेगा उपराष्ट्रपति के हाथों से मूर्ति देवी पुरस्कार
एक बुक जर्नल
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हाइकु (मौसम सर्दी का)
झांक कर देखा था
आदित्य को ही
दूर से आई
आवाज किधर से
चहके पक्षी
Akanksha -asha.blog spot.com
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कितने मोर्चे- वन्दना यादव अनन्य प्रकाशन से प्रकाशित इस उम्दा उपन्यास के लिए लेखिका तथा प्रकाशक को अनेकों अनेक शुभकामनाएं हँसते रहो
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अकविता "न कोई धर्म है न ही ईमान है" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
रोटी है,बेटी है,
बँगला है,
खेती है,
घपलों में
घपले हैं,
दिल काले हैं
कपड़े उजले हैं,
उच्चारण
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आज के लिए बस इतना ही...!
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विविधतापूर्ण रचनाओं से सुसज्जित सुंदर सूत्रों की श्रमसाध्य और सार्थक प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं
आज की चर्चा में मेरे सृजन को सम्मिलित करने हेतु सादर आभार सर ।
आदरणीय शास्त्री जी, प्रणाम !
जवाब देंहटाएंविविधता लिए सुंदर, सराहनीय अंक । कई लिंक्स पर गई ,एक से बढ़कर एक रोचक और पठनीय रचनाएँ ।बहुत बहुत शुभकामनाएं आपको । आपके श्रमसाध्य कार्य को नमन ।मेरी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार 🙏💐
Thanks for the post
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! मेरी रचना को भी आपने सम्मिलित किया आपका हृदय से बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सराहनीय संकलन आदरणीय।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना का शीर्षक देख अपार हर्ष हुआ।
बहुत बहुत शुक्रिया।
सभी को बधाई।
बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति। मेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा प्रस्तुति। मेरी पोस्ट को मंच पर स्थान देने के लिए हार्दिक आभार।
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति, सुंदर शीर्षक।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई, विविधता समेटे सुंदर लिंक्स का पुष्प गुच्छ।
मेरी रचना को चर्चा में स्थान देने के लिए हृदय से आभार।
सादर।