सादर अभिवादन।
सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
आइए पढ़ते हैं कुछ चुनिंदा रचनाएँ-
दोहे "चमचों की महिमा" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
लोलुप नौकरशाह ही, रहे देश को लूट।।
मक्कारों की नाक में, डाले कौन नकेल।
न्यायालय में मेज के, नीचे चलता खेल।।
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यह प्रसंग मेरे जीवन की अविस्मरणीय स्मृतियों में मूल्यवान हीरे की तरह दमकता रहता है ! दिल्ली के रविवार के सैर सपाटों की लम्बी सूची है लेकिन यह प्रसंग सबसे अनूठा और सबसे अनमोल है जिसे मैं कभी नहीं भूल सकती !*****लड़कियां किस्म-किस्म की | डॉ सुश्री) शरद सिंह | कविता | नवभारत
दुःख टँगा है
देह-अलगनी पे,
मन है खाली ।
रिश्तों के मेघ झरें,
टपके सूनापन।
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फिर मिलेंगेतुम्हे पूरा यकीन था कि अच्छे लोग जब हमें छोड़ कर जाते हैं तो वो तारे बन जाते हैं और तुम्हारे उसी यकीन को तुम्हारा इशारा मानकर मैं अब भी शाम को रात होते हुए देखता हूँ। पर अब आसमान का रंग बदलते हुए नही बल्कि तुम्हे तारा बनकर जगमगाते हुए देखता हूँ। अब जब भी किन्ही दो तारों को एक साथ देखता हूँ तो लगता है कि तुम्हारी ख़ूबसूरत आँखें मुझे ऊपर से देख रही हैं और मैं अनायास ही शरमा जाता हूँ। मैं पूरी कोशिश करता हूँ कि अच्छा दिखूं वरना कहीं तुम्हे इस बात का दुःख ना हो कि तुम्हारे बिना मैंने अपना क्या हाल बना रखा है।
*****Watch: ऊंटों का ब्यूूटी कंटेस्ट
अमर वलिदानियों ने अपने देश धर्म वचन कर्तव्य संस्कार मूल्यों के रक्षार्थ अपने प्राणों की आहुति दे दी ,परंतु पथ से विचलित नहीं हुए धर्म ध्वज अटल अडोल रहा।
न झुका सके जालिम औरंगजेब का फरमान,
न ही सरहिंद का सूबेदार नवाब वजीर खान की अदालत न गद्दार गंगू पंडित की शिनाख्त ,न ही सुच्चा नन्द की गवाही व मौत की सिफारिस,न ही काजी का फतवा ,न ही सुख ऐश्वर्य,न जीवन का लोभ ही ।
गर्व है हम उनके वारिस हैं ।
रवीन्द्र सिंह यादव
सुप्रभात !
जवाब देंहटाएंआदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी, नमस्कार !
विविधतापूर्ण रचनाओं से परिपूर्ण उत्कृष्ट अंक ।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार ।
मेरी हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ।
सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार ।
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंNice presentation
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट की पंक्ति को चर्चा का शीर्षक बनाने के लिए
आपका आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी।
उम्दा चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा पठनीय रचनाओं के सूत्रों से सुसज्जित ! मेरे संस्मरण को भी स्थान मिला आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार रवीन्द्र जी ! सादर वन्दे !
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