सादर अभिवादन।
सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
सर्दी का प्रकोप
आहिस्ता-आहिस्ता
बढ़ने लगा है
साथ-साथ
ओमीक्रॉन का ग्राफ
चढ़ने लगा है।
-रवीन्द्र सिंह यादव
आइए अब आपको कुछ पसंदीदा रचनाओं से परिचय कराएँ-
गीत "कम्बल-लोई और कोट से, कोमल बदन छिपाया है" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
भीनी-भीनी पड़ी फुहारें,
झीना-झीना उजियारा।
आग सेंकता सरजू दादा,
दिन में छाया अँधियारा।
कॉफी और चाय का प्याला,
सबसे ज्यादा भाया है।
हाय भयानक इस सर्दी ने,
सबका हाड़ कँपाया है।।
*****
फिर तुम्हें मुश्किल होगी,
फिर मैं खुलूँगा नहीं,
आसानी से टूटूंगा भी नहीं।
*****
बांध पाऊं, तो उसे, शब्दों में बांध लूं,
लफ़्ज़ों में, उसको पिरो लूं,
प्रकल्प, साकार लूं,
उस क्षितिज पर बिखरता, रंग वो,
उसी तस्वीर का, मैं प्रशंसक,
कह भी दूं, मैं कैसे!
*****
संस्मरण कैसे लिखें ? : संजय कौशिक 'विज्ञात'संस्मरण:- संस्मरण साहित्यिक विधा की परिभाषा इतनी ही समझें कि इस विधा में में कल्पना अथवा अनुभूति का कोई स्थान नहीं होता। कल्पना का समावेश होते ही संस्मरण साहित्यिक विधा अपने मूल केंद्र से भटक कर नष्ट हो जाती है। अतः इस विधा के मूल केंद्र बिंदु का सौंदर्य और आकर्षण भूतकाल की यथार्थ स्मृति पर ही निखरता है। इसमें भूतकाल की उन्हीं घटनाओं की चर्चा होती है जो जीवन में घट चुकी हैं, यथार्थ हैं तथा प्रामाणिक हैं।*****एक ग़ज़ल-अच्छी चीजें सबको अच्छी लगती हैं
सबको शक था कौन है उसके कमरे में
तुलसी,ग़ालिब,मीर पढ़ो या खुसरो को
बाल्मीकि ही छन्दों का उद्गाता है
*****
कहा
जाता है कि लक्ष्मण द्वारा फेंके गए शबरी के वे जूठे बेर ही जाकर द्रोण पर्वत पर गिरकर संजीवनी बूटी के रूप में जन्म लिया और लब मेघनाद के अत्यंत तेजोमय बाण के प्रहार से लक्ष्मण जी मुर्छित हुए तो सुषेण वैद्य द्वारा बताई गई उसी संजीवनी बूटी से लक्ष्मण की चिर मुर्छा भंग हुई थी। इसलिए कहते हैं कि श्रद्धा से भगवान की भक्ति करने से भगवान की कृपा शक्ति भी भक्तों
में आ जाती हैं।उसी भक्ति के प्रभाव से माता शबरी के झूठे बेर भी अमृत बन गये।
*****
शून्य सारी भावनाएँ
कल्पना कुसुमित हुई जब,
जागती बस कामनाएँ।
रिक्त जीवन शेष बाकी,
भोगते हो यातनाएँ।
*****
*****
आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे आगामी सोमवार।
रवीन्द्र सिंह यादव
बहुत सुंदर और उपयोगी चर्चा प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी!
बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति सभी अंक बहुत ही सराहनीय है पर 'शून्य सारी भावनाएं' बहुत ही अधिक प्रेरणादायक और बेहतरीन रचना है जिसकी जितनी तारीफ की जाए कम है!
जवाब देंहटाएंआभार🙏
सुंदर चर्चा.आभार
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका।अच्छे और पठनीय लिंक्स।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी को बधाई।
सादर
बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं,मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीय,सादर
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति आदरणीय 💐💐💐
जवाब देंहटाएं