मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
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गीत "खोज रहे हैं शीतल छाया, कंकरीट की ठाँव में" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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उसके पार न जाता कोई,
शब्दों की इक आड़ बना ली
कहाँ कभी मिल पाता कोई !
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आज दुष्यंत कुमार होते तो यही कहते
इस चुनावी माहौल में आप कहाँ हैं दुष्यंत कुमार?
1. हो गयी है भीड़,
नेताओं की,
छटनी चाहिए,
बन गए जो ख़ुद, ख़ुदा,
औक़ात, घटनी चाहिए.
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1 - उत्सव होइ चुनाव का , बजैं जाति के ढोल।
खाई जनता में बढ़े , सुन सुन कड़ुवे बोल।।
2 - जातिवाद अभिशाप है , लोकतंत्र के देश।
समाज सेवा होइ नहि ,जातिय झंडा शेष।।
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फिर बेचैनियों के दरमियां,मौसम की खबर आई
अब अर्थ खो चुका है, हर लफ्ज़ बफाओं वाला।
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एक लप्पड़ मार के तो देख! समीक्षा - कविता संग्रह - यूँ ही अचानक कुछ नहीं घटता
कविता रावत का कविता संग्रह - यूँ ही अचानक कुछ नहीं घटता - कई मामलों में विशिष्ट कही जा सकती है. संग्रह की कविताएँ वैसे तो बिना किसी भाषाई जादूगरी और उच्चकोटि की साहित्यिक कलाबाजी रहित, बेहद आसान, रोजमर्रा की बोलचाल वाली शैली में लिखी गई हैं जो ठेठ साहित्यिक दृष्टि वालों की आलोचनात्मक दृष्टि को कुछ खटक सकती हैं, मगर इनमें नित्य जीवन का सत्य-कथ्य इतना अधिक अंतर्निर्मित है कि आप बहुत सी कविताओं में अपनी स्वयं की जी हुई बातें बिंधी हुई पाते हैं, और इन कविताओं से अपने आप को अनायास ही जोड़ पाते हैं.
एक उदाहरण -
माना कि स्वतंत्र है
अपनी जिंदगी जीने के लिए
खा-पीकर,
देर-सबेर घर लौटने के लिए
…
संग्रह में हर स्वाद की कविताएँ मौजूद हैं जिससे एकरसता का आभास नहीं होता, और संग्रह कामयाब और पठनीय बन पड़ा है. जहाँ आज चहुँओर घोर अपठनीय कविताओं की भरमार है, वहाँ, कविता रावत एक दिलचस्प, पठनीय और सफल कविता संग्रह प्रस्तुत करने में सफल रही हैं.
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रोज नये गम हैं , कुछ घटा लीजिये ,
दो घड़ी साथ हंस कर बिता लीजिये |
ईर्ष्या द्वेष से कुछ न होगा कभी ,
खुद को सबसे ऊंचा उठा लीजिये | -
जिन्दगी ये महाकाव्य
हो जायेगी , कोई दर्द ह्रदय में बसा लीजिये |
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उनके हिस्से चुपड़ी रोटी,बिसलेरी का पानी है
मेरा सृजन--
Watch: ऐसी मोटरसाइकिल जिस पर बैठ सकते हैं 12 लोग
पाकिस्तान में पुलिसकर्मी ने बनाई 16 फीट की मोटरसाइकिल, कराची के अली मुहम्मद मेमन ने साढ़े 3 लाख रुपए से डेवेलप की बाइक, 370 किलोग्राम की बाइक में 300 सीसी का इंजन, दो स्टैंड, तीन ब्रेक
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लॉक उन डेज़- कामना सिंह यूँ तो यह उपन्यास मुझे उपहारस्वरूप मिला। फिर भी मैं अपने पाठकों की जानकारी के लिए बताना चाहूँगा कि इस 216 पृष्ठीय उम्दा उपन्यास के पेपरबैक संस्करण को छापा है अनन्य प्रकाशन ने और इसका मूल्य रखा गया है 250/- रुपए। आने वाले उज्ज्वल भविष्य के लिए लेखिका तथा प्रकाशक को अनेकों अनेक शुभकामनाएं।
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देहरादून में लेखिका सुरभि सिंघल के कहानी संग्रह और लेखक देवेन्द्र प्रसाद के उपन्यास का हुआ विमोचन
बहुत सुंदर संकलन, उम्दा रचनायें।
जवाब देंहटाएंमेरी अभिव्यक्ति को अपने मंच पर स्थान देने के लिये शास्त्री जी का विशेष आभार।
सुप्रभात !
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी, प्रणाम !
सुंदर सराहनीय और रोचक रचनाओं का संकलन. मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार । शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह 🙏💐
सभी संकलन अति सराहनीय।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति में आदरणीय रवि रतलामी जी द्वारा मेरे काव्य संग्रह यूं ही अचानक कुछ नहीं घटता की समीक्षा सम्मिलित करने हेतु आभार
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सराहनीय संकलन।
जवाब देंहटाएंमुझे स्थान देने हेतु हार्दिक आभार आदरणीय।
सादर प्रणाम
बहुत सुन्दर संकलन
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