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बुधवार, दिसंबर 01, 2021

"दम है तो चर्चा करा के देखो" (चर्चा अंक-4265)

 मित्रों! 

बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।

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अब चलते हैं कुछ अद्यतन लिंकों की ओर।

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सरस्वती वंदना

माँ शारदा शरण में थारी
भाव-भक्ति माळा लाई।
फूल-पता बिछाया आँगणा 
मूर्त मन आळा बिठाई।। 

गूँगी गुड़िया 

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गीत "सजी माँग सिन्दूरी होगी" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

महक रहा है मन का आँगन,
दबी हुई कस्तूरी होगी।
दिल की बात नहीं कह पाये,
कुछ तो बात जरूरी होगी।।

उच्चारण 

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एक शजर उग आया है उस मिटटी में ... कह दूंगा जब लौटूंगा इस छुट्टी में. कितना कुछ लिख पाया ना जो चिठ्ठी में. बुन लें एक नए ख़्वाबों की हम दुनिया, राज़ छुपे हैं इतने मन की गुत्थी में. स्वप्न मेरे 

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प्रकृति भली जग की जननी है 

 प्रकृति भली जग की जननी है ।

सब प्राणी को देती जीवन 

यह रचती नदिया-पर्वत-वन,

भाँति - भाँति के अन्न-फूल-फल 

न्योछावर करती है हर पल,

  

सोच दया करती कितनी है,

 प्रकृति भली जग की जननी है । 

शाश्वत शिल्प 

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काश कुछ पंख होते 

मेरे भी पंख होते 
और हम खुद उड़ रहे होते

मैं उड़ती दूर अंबर पे
 कोई न राह में आता,
कोई बन के मेरी बाधा
परों को न कतर पाता ।
ये बातें स्वप्न में आती 
मुझे जब देखतीं सोते ।। 

जिज्ञासा की जिज्ञासा 

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जनता स्टोर- नवीन चौधरी 

हँसते रहो  

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हिमालय की गोद में... (कुमाऊँ में रोमांचक भ्रमण) 

Reflection of thoughts . . . 

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दोहे 

चिंगारी अफवाह की,झूठ पसारे पाँव।
उठता रहता है धुँआ,सत्य माँगता ठाँव।।

जले ज्योति संकल्प की, सतत मनोबल साध।
खड़ी सफलता द्वार पर, लेकर हर्ष अगाध।। 

काव्य कूची 

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जीवन की सांझ में एक विचार 

(जन्मदिन की पूर्व संध्या,(25/10/2021) पर नर्मदा किनारे रिसोर्ट के फोटो)मैने जाते सूरज को देख आवाज लगाई
ये कहते कि कल जब आना नया सबेरा लाना
सुख के साथ तरबतर,लिपटा कर 
मेरे मन की 

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एक ग़ज़ल- 

हमारे दौर की दुनिया 

हमारे दौर की दुनिया है कारोबार में शामिल 
प्रथाएँ, रीतियाँ,रस्में सभी बाज़ार में शामिल
 
कहाँ अब हीर,राँझा और कहाँ फ़रहाद, शीरीं हैं 
लहू के खत कहाँ अब जिस्म केवल प्यार में शामिल 

छान्दसिक अनुगायन 

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कान्हां संग नेह लगाया 

कान्हां संग नेह लगाया वह कान्हां सी हो गई ना मीरा बनी न जोगन ना ही सिद्ध हस्ती हुई...Akanksha -asha.blog spot.com 

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एक झोंका 

हौले से, तन को जरा छू कर,

बह चला, एक झौंका, न जाने किधर!

रह गया वो, बस इक, एहसास बनकर,
या, बना सहचर, साँस बनकर,
या, चल रहा संग, वो हर कदम पर,
एक झौंका, न जाने किधर! 

कविता "जीवन कलश" 

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इश्क़ में आज की शाइरी ‎- ‏इश्क़ ‎के ‎हर ‎मंज़र.. 

आवाज सुख़न ए अदब 

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महावर, नाखुर गीत (अवधी लोकगीत) 

रगरि रगरि धोवे गोड़ कहारिन,
अरे नाउन आई बोलाइ, रमन जी कै आजु है नाखुर ।।

दूर देस सखि रंग मंगायंव, 
मेहंदी मंगायंव मारवाड़, रमन जी कै आजु है नाखुर ।।

जिज्ञासा के गीत 

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पी एफ सी वैली ऑफ़ वर्ड्स बुक अवार्ड्स 2021 के विजेताओं की हुई घोषणा 

अलग अलग श्रेणी में  पी एफ सी वैली ऑफ़ वर्ड्स बुक अवार्ड्स 2021 (PFC - VOW- Book Awards 2021) के विजेताओं की सूची निम्न है: एक बुक जर्नल 

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परियों की रानी की डोली ( व्यंग्य-कथा ) चार कहार अपने कांधों पर उठाए सजी हुई पालकी में घूंघट ओढ़े बैठी दुल्हन को राजमहल की तरफ बढ़े जा रहे थे। सत्ता के कदम डगमगाते झूमते जश्न मनाते मौज मस्ती में राजधानी की मुख्य सड़क पर बढ़ते चले जा रहे थे। आगे पीछे दाएं बाएं चारों तरफ सुरक्षा का घेरा कायम था सत्तासुंदरी मदिरा का सरूर हल्का हल्का पूरी राजसी बरात पर असर दिखला रहा था। डोली मयकदे से परियों की रानी को लेकर चली चलती जा रही थी।Expressions by Dr Lok Setia 

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नदी का मौन, आदमियत की मृत्यु है 

आओ
नदी के किनारों तक
टहल आते हैं
अरसा हो गया
सुने हुए
नदी और किनारों के बीच
बातचीत को।
आओ पूछ आते हैं
किनारों से नदी की तासीर 

पुरवाई 

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चाहे तो 

कभी कुछ भी नहीं बिगड़ता इतना

कि सुधारा ही न जा सके 

एक किरण आने की 

गुंजाइश तो सदा ही रहती है

मन पाए विश्राम जहाँ 

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पुराना किस्सा

“आज एक पुराना किस्सा याद आ गया,” मुकन्दी लाल जी आज फिर बीते दिनों में पहुँच गये थे. “एक वकील के साथ मेरा पहली बार वास्ता पड़ा था. सुनेंगे?”

“अरे, आप सुनाये बिना रह पायेंगे क्या?” मैंने हंसते हुए कहा.

“हमारे एक कर्मचारी ने ट्रिब्यूनल में केस कर दिया कि बिना ट्रेड टेस्ट पास किये उसे प्रमोशन दी जाए. हम ने कहा कि नियमों के अनुसार ऐसा नहीं हो सकता. जो लोग ट्रेड टेस्ट पास करेंगे उन्हें ही प्रमोशन के लिए विचार किया जा सकता है. पर वह माना नहीं और उसने ट्रिब्यूनल में केस कर दिया.

आपका ब्लॉग 

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कार्टून :- वि‍पक्षि‍यों, दम है तो चर्चा करा के देखो 

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून 

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आज के लिए बस इतना ही...!

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11 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय मैंम नमस्कार ,
    उत्तम प्रस्तुति ! आभार आपके मंच का ।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत आभार आपका आदरणीय...। मेरी रचना को शामिल करने के लिए साधुवाद..।

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह! बहुत ही शानदार शानदार प्रस्तुति!
    सभी अंक को देखकर तो लग रहा है कि पढ़ते में बहुत मजा आने वाला है!
    इतने बेहतरीन बेहतरीन अंक को शामिल करने के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद🙏

    जवाब देंहटाएं
  4. सुप्रभात
    उम्दा लिंक्स आज के अंक की |
    आज यहाँ मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद सर |

    जवाब देंहटाएं
  5. आदरणीय शास्त्री जी, प्रणाम !
    विविधता से परिपूर्ण बहुत ही शानदार और लाजवाब अंक सजाया है आपने । देखकर ही आनंद आ गया । इस संकलन में मेरी रचनाओं को शामिल करने के लिए आपको मेरा सादर नमन । आपके श्रमसाध्य कार्य को मेरा नमन और वंदन ।
    आपके लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाएं हैं..सादर.. जिज्ञासा सिंह 🙏🙏💐💐

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत विस्तृत चर्चा ...
    बहुत से नए लिंक मिले हैं आज ... बहुत आभार मेरी गज़ल को जगह देने के लिए ...

    जवाब देंहटाएं
  7. सराहनीय प्रस्तुति आदरणीय सर।
    सभी को हार्दिक बधाई।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  8. मेरे सृजन को स्थान देने हेतु हार्दिक आभार।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  9. आदरणीय मैंम नमस्कार ,
    उत्तम प्रस्तुति ! आभार आपके मंच का ।

    Reply

    जवाब देंहटाएं
  10. सराहनीय प्रस्तुति आदरणीय सर।
    सभी को हार्दिक बधाई।
    सादर

    जवाब देंहटाएं

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