सादर अभिवादन
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है
(शीर्षक आदरणीय शास्त्री सर जी की रचना से)
पड़ने वाले पड़ने नये साल के हैं कदम!
स्वागतम्! स्वागतम्!! स्वागतम्!!!
बस दो चार दिन और....
ये साल भी गुजर जायेगा....
और यह जाएगी सिर्फ अच्छी बुरी यादें....
और बन्ध जायेंगी नये साल से ढ़ेर सारी उम्मीदें..
अब आने वाला साल कैसा रहेगा ये तो वक्त ही बताएगा....
हम तो बस दुआ कर सकते हैं कि
आने वाला साल बहुत सी खुशियां लेकर आए
इन्हीं दुआओं के साथ, चलते हैं आज की कुछ खास रचनाओं की ओर...
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गीत, "मेहमान कुछ दिन का अब साल है"
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
कोई खुशहाल है. कोई बेहाल है,
अब तो मेहमान कुछ दिन का ये साल है,
ले के आयेगा नव-वर्ष चैनो-अमन!
स्वागतम्! स्वागतम्!! स्वागतम्!!!
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पहली बार
मौन का अनावरण-
“हमारे खेत के हैं
अब की बार खूब लगे हैं”
-”मेरे साथ चलोगी”
व्यवहारिकता की व्यस्तता में
उसने मुझे कब छोड़ा
और मैंने उसे कब
याद नहीं…
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जब न पलकें लगें , न जगा जा सके ,
कोई मेरी गजल गुनगुना लीजिये |
कई जन्मों के पाप धुल जायेंगे ,
आंसुओं में किसी के नहा लीजिये |
मारीचों का युग है बचेंगे नहीं ,
खुद को कितना राघव बना लीजिये
*******सहनशील चेतना हो जिसकी
बेहतरीन प्रस्तुति, सभी रचनाएं बहुत आकर्षक और सुंदर।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई।
मेरी रचना को चर्चा में स्थान देने के लिए हृदय से आभार कामिनी जी ।
बहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट की पंक्ति को चर्चा का शीर्षक बनाने के लिए
आपका आभार कामिनी सिन्हा जी।
नए वर्ष के लिए सभी पाठकों और रचनाकारों को अग्रिम शुभकामनाएँ, सुंदर चर्चा!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सराहनीय लगाया है आपने कामिनी जी, मेरी हार्दिक शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन व सार्थक प्रस्तुति, सभी रचनाएं बहुत आकर्षक और सुंदर।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आदरनीय कामिनी जी।
एक से बढ़ कर एक रचना
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार