मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आप सबका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ अद्यतन लिंक...।
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ॐ नम: शिवाय शिव नीले आकाश की तरह विस्तीर्ण हैं, वे चाँद-तारों को अपने भीतर समाए हुए हैं। वे आशुतोष हैं अर्थात् बहुत शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं। उन्हें भोले बाबा भी कहा जाता है और औघड़ दानी भी क्योंकि वे असुरों को भी वरदान दे देते हैं, जबकि बार-बार वे उनके वरदान का दुरुपयोग करते हैं। आत्मा रूप से वे हरेक के भीतर हैं, जब हम मन, बुद्धि और अहंकार को शांत करके भीतर ठहर जाते हैं तो शिव तत्व में ही स्थित होते हैं। वह सर्व व्यपक हैं, सदा सजग हैं, अमर, अविनाशी चेतन तत्व हैं। वह मुक्त हैं। वे संसार की रक्षा के लिए विश को अपने कंठ में धारण करते हैं। उन्हें पशुपति और भूतनाथ भी कहते हैं, अर्थात् पशु जगत और भूत-पिशाच आदि भी उनकी कृपा से वंचित नहीं हैं। उमा को समझाते हुए वे कहते हैं, यह जगत स्वप्न वत है। केवल शुद्ध चैतन्य ही सत्य है। वे निराकार हैं, ओंकार स्वरूप हैं, सबके मूल हैं और ज्ञान स्वरूप हैं। वे इंद्रियों से अतीत हैं। उन्हें महाकाल भी कहा जाता है क्योंकि वे काल से भी परे हैं। वे सत, रज और तम तीनों गुणों के भी स्वामी हैं। शिव की आराधना और उपासना करने पर भक्त भी अपने वास्तविक स्वरूप का अनुभव कर लेते हैं।
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गौरा जी से ब्याह रचाने
आज चले हैं शिव भोला।
भूत प्रेत सब बने बराती
गले सर्प विषधर डोला।
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आलेख "शिवमन्दिर श्री वनखण्डी महादेव, चकरपुर" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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महाशिवरात्रि, ध्यान और मानसिक स्वास्थ्य
आज महाशिवरात्रि है और साथ ही है Self-Injury Awareness Day (आत्म-चोट जागरूकता दिवस, SIAD ) तथा Zero Discrimination Day (शून्य भेदभाव दिवस) भी।
शिव बड़े अद्भुत और प्रेरक व्यक्तित्व हैं। तमाम दुरूह और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद स्वंय को शांत रख विश्व कल्याण की उनकी भावना अतुलनीय है। विश्व के कल्याण के लिए वह विषपान कर लेते हैं तो व्यक्तिगत पीड़ा से विश्व पर संभावित आपदा को ध्यान में रखते उसे अपने अंदर जज्ब भी कर लेते हैं। हर परिस्थिति में मानसिक शांति की उनकी क्षमता अप्रतिम है।
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आनंद कंद कहलाते शंकर
उर में चेतना देते भर-भर
रहते ऐसे क्यों मौन अनंत
जैसे निशा का हो ना अंत
हे महेश्वर हे सुखधाम
तीनों लोकों में फैला नाम
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कई दिन के सन्नाटे के बाद किसी दिन भौंपूँ बजा लेने में क्या जाता है
बहुत अच्छा
लिखने की सोच में
बस सोचता रह जाता है
कुकुरमुत्तों की भीड़ में
खुल के उगना
इतना आसान नहीं हो पाता है
महीने भर का कूड़ा
कूड़ेदान में ही
छोड़ना पड़ जाता है
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प्रेस किये कपड़े पतिदेव की पोस्टिंग राजपुर में थी। घर के कुछ जरूरी सामान साथ लाये थे क्योंकि तब उस छोटे से कस्बे में इतना बड़ा घर मिलना ही मुश्किल था कि सभी सामान समा जाये। इन सामानों में कपड़े प्रेस करने वाली इस्त्री भी थी दरअसल हमारे पापाजी बहुत बढ़िया कपड़े प्रेस करते थे और उन्हें देखकर हमने सीखा। शादी के पहले पतिदेव खुद कपड़े प्रेस करते थे और बाद में धीरे धीरे यह काम हमने ले लिया।
कासे कहूँ? कविता वर्मा
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बिना चाशनी बनाये राजगिरा आटा बर्फ़ी (rajgira barfi)
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कष्टभंजन देव हनुमान जी सालंगपुर,गुजरात
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"मैंने सभी प्रकार के मुख्य शल्य क्रिया का शुल्क एक कर देने का निर्णय लिया है। इससे समाज में यह सन्देश जायेगा कि हमारे अस्पताल में प्रसव से धन उगाही के उद्देश्य से शल्य क्रिया नहीं की जाती। मेरे इस निर्णय से आपलोग भी सहमत होंगे, ऐसी उम्मीद करता हूँ।" अस्पताल के प्रबंधक ने अपनी मंडली के सम्मुख कहा। "सोच का सृजन"
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‘इंडो-चायना’ कहाँ हैं? इंडो-चायना या हिन्द-चीन प्रायद्वीप दक्षिण पूर्व एशिया का एक उप क्षेत्र है। यह इलाक़ा चीन के दक्षिण-पश्चिम और भारत के पूर्व में पड़ता है। इसके अंतर्गत कम्बोडिया, लाओस और वियतनाम को रखा जाता है, पर वृहत् अर्थ में म्यांमार, थाईलैंड, मलय प्रायद्वीप और सिंगापुर को भी इसमें शामिल किया जा सकता है। यह नाम जहाँ भौगोलिक उपस्थिति को बताता है, वहीं इस इलाके की सांस्कृतिक संरचना को भी दर्शाता है। अतीत में इस नाम का ज्यादातर इस्तेमाल इस इलाके के फ्रांसीसी उपनिवेश इंडो-चाइना (वियतनाम, कम्बोडिया और लाओस) के लिए हुआ। भारत और चीन की संस्कृतियों के प्रभाव के कारण इस इलाके का नाम हिन्द-चीन है। इस नाम का श्रेय डेनिश-फ्रेंच भूगोलवेत्ता कोनराड माल्ट-ब्रन को दिया जाता है, जिन्होंने सन 1804 में इस इलाके को इंडो-चिनॉय कहा। उनके बाद 1808 में स्कॉटिश भाषा विज्ञानी जॉन लेडेन ने इस इलाके को इंडो-चायनीस कहा।जिज्ञासा
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आज के लिए बस इतना ही...!
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सादर प्रणाम
जवाब देंहटाएंशिवमय उम्दा प्रस्तुति
साधुवाद के संग हार्दिक आभार आपका
सुप्रभात! शिवरात्रि के उत्सव पर शिव शंकर के प्रति भक्ति और प्रेम से रची गयी रचनाओं से सजा चर्चा मंच का सराहनीय अंक, आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर संकलन।
जवाब देंहटाएंसादर
उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहूत बहुत धन्यवाद,आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति। मेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सराहनीय प्रस्तुति आदरणीय । सभी को हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई 👏💐
जवाब देंहटाएंआभार आदरअणीय।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत चर्चा संकलन
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
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