सादर अभिवादन
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है
(शीर्षक और भुमिका आदरणीय शास्त्री सर जी की रचना से)
विश्व कविता दिवस "कविता को अब तुम्हीं बाँधना"
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
प्रेम सुधा सरसाने वाली,
”हाथ बढ़ाओ…अपना अपना हाथ बढ़ाओ …हाथ…!”
सत्तासीन दोनों हाथ झुकाए, नीचे खड़े व्यक्तियों के हाथ थामता और उन्हें खींचकर शिखर पर मौजूद कुर्सी पर बैठा देता।शिखर पर अच्छी व्यवस्था है।रहने, खाने-पीने घूमने-फिरने की मानो सभी के लिए शिखर को पाना ही जीवन का सार हो। प्रत्येक व्यक्ति के लिए वही सुख का द्वार हो चूका है परंतु यह क्या? सत्तासीन ने अपनी दोनों आँखें सर पर रखीं हैं! जैसे बालों पर फ़ैशन के लिए एनक रखा जाता है। बुधिया यह दृश्य देख विचलित हो जाता है।
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कवि जुलाहा
धीर जुलाहा बन रे कवि तू
बुनदे कविता जग में न्यारी ।
ताने बाने गूँथ रखे जो
धागा-धागा सूत किनारी।
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नयन टिके हैं सूने पथ पर
किसकी राह तके जाता मन,
खोल द्वार दरवाजे बैठा
किसकी आस किये जाता मन !
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गौरैया अब मत जानाविरह अग्नि में मीरा करती
विष का पान
तप्त धरा पर घूम करें वो
कान्हा गान
कुंज गली में राधा ढूँढे
मुरली तान
कण कण से संगीत पियें वो
रस को छान
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पहली कविताजिसको मैंने रोज संवारा, जिसको मैंने रोज निखारा, जिसे रचाई मैं वर्षों तक, जिसे सजाई मैं अर्सों तक, वह मेरी पहली कविता है।--------------------आज का सफर यही तक,अब आज्ञा दें आप का दिन मंगलमय हो कामिनी सिन्हा
सुप्रभात !
जवाब देंहटाएंविविध रचनाओं से सज्जित सार्थक पोस्ट ।
सभी रचनाकारों को बधाई ।
बेहतरीन संकलन
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार
उपयोगी और पठनीय लिंकों के साथ बढ़िया चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका बहुत-बहुत धन्यवाद कामिनी सिन्हा जी।
कविता दिवस पर शुभकामनाएँ, सुंदर पठनीय रचनाओं की खबर देता मंच, आभार!
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा।
जवाब देंहटाएंअनोखा और सारगर्भित चर्चा ।
जवाब देंहटाएंअद्भुत स्तुति माँ सरस्वती की ।
हर कवि के मन की प्रार्थना ।
और कविता के विभिन्न आयाम ।
आज की चर्चा में क्या नहीं कवि के लिए ।
सादर अभिवादन और अभिनन्दन, कामिनी जी ।
इन सबके बीच जगह देने के लिए परम आभार ।
सभी रचनाकारों का भी सविनय अभिनंदन ।
कविता दिवस के इर्द गिर्द घूमती प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुंदर पठनीय लिंक ,सभी कविताऐं सामायिक विषय आधारित।
सभी रचनाकारों को बधाई।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय से आभार आपका कामिनी जी।
सस्नेह।
बहुत ही सुंदर संकलन।
जवाब देंहटाएंबुधिया को स्थान देने हेतु हृदय से आभार।
सादर
वाह बहुत खूबसूरत चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअरे वाह! आज तो मेरा दिवस है। बहुत अच्छी लगी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआप ने सही कहा कविता जी, आज तो आप ही का दिन है, आप सभी स्नेहीजनों को हृदयतल से धन्यवाद एवं सादर नमस्कार
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