शीर्षक पंक्ति:आदरणीय रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
रविवारीय प्रस्तुति में
आपका स्वागत है।
आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
ग़ज़ल "देश की अंजुमन बेच देंगे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
लिबासों में मीनों के मोटे मगर हैं,
समन्दर की ये मौज-ए-जन बेच देंगे
सफीना टिका आब-ए-दरिया पे जिसकी
ये दरिया-ए गंग-औ-जमुन बेच देंगे
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तुम आ गए मीता (कहानी) #मारे गए गुलफाम
"महुआ घटवारिन को सौदागर ने खरीद लिया है, गुरु जी!"
कितनी बेबसी है, इस वक्तव्य में। बाजार सजा है, खरीददार जिगर भी खरीद रहे है और जिगर के अंदर की भावनाओं को भी इंजन से भाप के साथ निकलती सीटी की तरह उड़ा दे रहे हैं। किसका क्या चिथड़े - चिथड़े बिखर रहा है, किसकी चिन्दियाँ कहां उड़ रही हैं, किसके तीर किसके जिगर के पार हो रहे हैं, किसका वार किसको लहुलुहान कर रहा है, इससे उसे क्या मतलब?
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भ्रष्ट चलकर झूठ के पथ
नित नई सीढ़ी चढ़े।
धर्म आहत सा पड़ा अब
पाप पर्वत सा बढ़े।
सत्य लड़ने को पुकारे
घटती हुई छीड़ को।
काँपते हैं देख....
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व्यवस्था में कुछ इस प्रकार सुधार की आवश्यकता महसूस होती है कि अधिकतम आबादी जो वोट देने की अर्हता रखती है आवश्यक रूप से मतदान करे ताकि जनप्रतिनिधियों की सही लोकप्रियता का अनुमान हो सके ।इसके लिए मतदाताओं की वोट डालने की कोई वैधानिक बाध्यता भी निर्धारित की जानी चाहिए ताकि लोकतंत्र में इस चुनाव पद्धति का न्यायसंगत मूल्यांकन हो सके और इसकी प्रासंगिकता बनी रहे।
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गिरगिट वाला रंग
बहो फगुआ की तान
अंधे, बहरे, लूले, लंगड़े
बन लो सिद्ध सुजान
दिखे बड़ा आदर्श
ओढ़ लो दीन धरम ।।
सब देवन सुनथिन मृदंग और वीणा,
हमर शिवजी हथिनी डमरू वाला।
फिर भी हथिनी इ................
सब देवन के हाथी-घोड़ा सवारी,
हमर शिवजी हथिनी बैल वाला
फिर भी हथिनी इ............
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दर- ब
- दर ठोकरें मिली सबसे,
मुफ़लिसी को
भुला नहीं सकता।
बाद मरने के दफ़्न हूँगा यही,
मुल्क़ को छोड़ जा
नहीं सकता।
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आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
सार्थक लिंकों के साथ पठनीय चर्चा प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी|
सुप्रभात !
जवाब देंहटाएंवैविध्यपूर्ण रचनाओं से सज्जित पठनीय अंक ।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत आभार।
आपके श्रमसाध्य कार्य को मेरा नमन और वंदन ।
मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी💐💐
बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदर.💐💐
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति।मेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंइस अंक की सारी रचनाएँ बहुत अच्छी थी। रवींद्र जी को एक अच्छी साहित्यिक चर्चा आयोजित करने के लिए साधुवाद!--ब्रजेंद्रनाथ
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