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सोमवार, मार्च 28, 2022

'नहीं रूकती है चेहरे पर सुबह की नरम धूप, ' (चर्चा अंक 4383)

शीर्षक पंक्ति: आदरणीय शांतनु सान्याल जी की रचना से। 

सादर अभिवादन।

सोमवारीय प्रस्तुति लेकर हाज़िर हूँ।

आइए अब पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-

गीत "मजबूरी है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

जीवन के कवि सम्मेलन मेंगाना तो मजबूरी है।
आये हैं तो कुछ कह-सुनकरजाना बहुत जरूरी है।।
जितना आगे कदम बढ़ाया,

मंजिल उतनी दूर हो गयीं।
समरसता की कल्पनाएँ सब,
थककर चकनाचूर हो गयीं।
घिसी-पिटी सी रीत निभानाजन-जन की मजबूरी है।
आये हैं तो कुछ कह-सुनकरजाना बहुत जरूरी है।।
*****

मोहब्बत किससे 

सबसे सरलबसे सहज

अपनी ओर झुकाव

लगने लगा मुझे

फिर सोचा शायद यह

खुदगरजी तो नहीं। 

*****

स्वर सुर सरगम

मन में सरगम जब बजे, मुख पर लाली लाज।

पाँवों में थिरकन मचे, रोम बजे हैं साज।।

राग नहीं सरगम बिना, लगे अधूरी जीत।

मधुर रागिनी जब बजे, कोमल मुखरित गीत ।।

*****

मेरी तन्हाई | ग़ज़ल | डॉ शरद सिंह | नवभारत

रंग बहुत है इंद्रधनुष में, पर बेरंग हालात हुए

कोई भी तस्वीर आंख को अब तो नहीं लुभाती है।

 किसके ख़ातिर जीना है अब, किसके ख़ातिर मरना है

एक यही तो बात समझ में, मुझे नहीं अब आती है।

 *****

" रिश्तों पर कविता "

रिश्तों का मोल क्या जब-तक समझ में आएगा
बड़ी देर हो चुकी होगी हाथ मलमल पछताएगा

होता काँच से भी नाज़ुक सम्बंधों का महाजाल
ग़र संभाल कर रखें इसे हो जाये जीवन निहाल ।
*****

छत विहीन प्रासाद - -


नरम धूप, उसे तो हर हाल
में है ढल जानाछत
विहीन स्तंभ रह
जाते हैं अपनी
जगह ओढ़े
हुए दूर
तक वीरानगी के चादर

*****

कहते हैं न रब जोड़ियां बना कर ज़मीन पर भेजता है. इब्राहिम और इमराना की जोड़ी भी ऐसी ही एक मिसाल है. दोनों का कद भी एक जितना. उम्र भी एक जितनी. यूपी के मेरठ शहर के कंकरखेड़ा में रहने वाली इमराना के घर हापुड़ के रहने वाले इब्राहिम निकाह के लिए 26 मार्च को बारात लेकर पहुंचे.
*****

कितनी ही दफा चाहा मैंने 
फिर मिलेंगे। 
रवीन्द्र सिंह यादव 

10 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर और सार्थक चर्चा प्रस्तुति!
    आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी!

    जवाब देंहटाएं
  2. आभार सहित धन्यवाद रवीन्द्र जी |आज का सजा चर्चामंच बहुत सुन्दर |

    जवाब देंहटाएं
  3. बढ़िया संकलन धन्यवाद सर मेरी रचना को स्थान देने के लिए

    जवाब देंहटाएं
  4. कुछ चित्र खुल नहीं रहे थे।
    मैंने दोबारा से अपडेट कर दिये हैं।

    जवाब देंहटाएं
  5. सुप्रभात! सराहनीय रचनाओं से सजा है आज का चर्चा मंच

    जवाब देंहटाएं
  6. वेहतरीन चर्चा , सुन्दर संकलन सभी सृजनकर्ताओं को साधुवाद नमन

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत बहुत सुन्दर चर्चा। सराहनीय रचनाएं

    जवाब देंहटाएं
  8. सभी कृतियां व प्रस्तुति असाधारण सौंदर्य समेटे हुए हैं मुझे शामिल करने हेतु तहे दिल से शुक्रिया ।

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत शानदार प्रस्तुति, सभी लिंक विविधता लिए पठनीय आकर्षक।
    सभी रचनाकारों को हृदय से बधाई, इस शानदार प्रस्तुति में मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय से आभार।
    सादर सस्नेह।

    जवाब देंहटाएं

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