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बुधवार, मार्च 16, 2022

"होली का दस्तूर निराला" (चर्चा अंक-4371)

चर्च मंच के सभी पाठकों को अभिवादन। 

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आज की चर्चा में देखिए 

मेरी पसन्द के कुछ अद्यतन लिंक...!

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होलीगीत "खूब थिरकती है रंगोली" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’) 


तन में होली, मन में होली।
बुरा न मानो आयी होली।।

कोई गोरा-कोई काला,
होली का दस्तूर निराला,
खूब थिरकती है रंगोली।।
बुरा न मानो आयी होली।।

उच्चारण 

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अवदत् अनीता : मैं हूँ 

 ”ईमेल चैक करते रहना,एहसास करवाता रहूँगा; मैं हूँ।”

इस बार प्रदीप के शब्दों में जोश नहीं, प्रेम था। प्रेम जो सांसों में बह रहा  और कह रहा हो "बस आख़िरी मिशन... फिर रिज़ाइन लिख दूँगा, अब बस और नहीं।"

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कुदरत की होली 

झांको कभी निज नयनों में 

और थोड़ा सा मुस्कुराओ,

रंग भरने हैं अंतर में मोहक यदि  

हाथ कुदरत से अपना मिलाओ !

मन पाए विश्राम जहाँ 

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होली हो ले, उसके पहले सोचना तो बनता है होली अपने समय पर फिर आ पहुंची है ! गांवों-कस्बों में तो भले ही कुछ जिंदादिली बची भी हो पर शहरों में तो सिर्फ औपचारिकता ही शेष रह गई है ! अब ना ही पहले जैसा उत्साह है, ना ही उमंग है, ना हीं कोई चाव ! ना ढफली ना चंग ना हीं ढोलक ! ना हीं फाग ना हीं संगीत ना हीं मस्ती ! ना घर में बने पकवान, ना ठंडाई, ना बेफिक्री का आलम ! सब तिरोहित होता चला गया समय के साथ-साथ ! उस पर सदा से किसी षड्यंत्र के तहत, तथाकथित बुद्धिजीवी, छद्म इतिहासकार, परजीवी सोशल मीडिया, मौकापरस्त वार्ताकार, अपनी आस्था, संस्कृति, परंपरा, उत्सवों में मीनमेख निकालने वालों की, ऐन मौके पर पानी बचाने की नसीहतें ढहती दिवार पर धक्के का काम करती रहीं !   कुछ अलग सा 

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एक ग़ज़ल होली में 

करें जो गोपियों की चूड़ियाँ झंकार होली में ,

बिरज में खूब देतीं है मज़ा लठमार होली में ।

अबीरों के उड़ें बादल कहीं है फ़ाग की मस्ती

कहीं गोरी रचाती सोलहो शृंगार होली में।  

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नसीब अपना अपना 

किसी की नजर न लगे
मेरे भाग्य पर ग्रहण न लग जाए
बिना मांगे मुझे वह सब मिला है
जिसकी न थी कभी कल्पना मुझे |

Akanksha -asha.blog spot.com 

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टेसू और फागुन 

कटे हुए टेसू का हालचाल
पूंछने 
सालभर में एक बार आता है फागुन
टेसू फागुन से मिलते ही
टपकाने लगता है
विकास के पांव तले कुचले
खून से सने 
अपने फूलों के रंग 

उम्मीद तो हरी है .... 

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शब्द संजीवनी 

बहुत दिनों बाद
लौटी एक किताब..
पुस्तकालय ।

शेल्फ़ में रखी गई 
जैसे ही, हर्ष सहित 
हुआ स्वागत । 

नमस्ते namaste 

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नीर-क्षीर-विवेके हंस आत्मज्ञानी बुरे से बुरे व्यक्ति में भी कोई न कोई अच्छाई ढूँढ लेता है, क्योंकि उसका ध्यान सदा सकारात्मकता की ओर ही होता है, वह हंस की तरह शांत रहता है और ज्ञान के मोती चुनता है।मन से की गयी भक्ति और श्रद्धा डोलती रहती है, विपत्ति आने पर वह मंदिरों के चक्कर लगाता है पर सुख के समय सब भूल जाता है। आत्मा सहज प्रेम स्वरूप है, उसमें टिकना ही भक्ति है। मन द्वंद्व का दूसरा नाम है, जहाँ दो हैं, वहाँ चुनाव भी होगा और संघर्ष भी, इसलिए भौतिकतावादी लोग जीवन को एक संघर्ष मानते हैं। आत्मा में एक ही है, वहाँ अद्वैत है, इसलिए आत्मज्ञानी जीवन को उत्सव कहते हैं।  डायरी के पन्नों से 

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एक हंगामाखेज़ वसीयत 

इस बंगले का इस वसीयत में कोई ज़िक्र नहीं है. वो इसलिए कि इसकी रजिस्ट्री पहले ही सुखवंती देवी और रूपचंद के नाम हो चुकी है.
इस वसीयत को पढ़े जाने के एक महीने के अन्दर ही सुखवंती देवी का और रूपचंद का, इस पर क़ब्ज़ा हो जाएगा.’
चतुरसेन के वसीयत पढ़े जाने के बाद क्या-क्या हुआ, इसका विस्तृत वर्णन कोतवाली की फ़ाइल में दर्ज है.
लाला फूलचंद के जानने वाले यह हिसाब नहीं लगा पा रहे हैं कि इस वसीयत से जुड़े कितने लोग फ़ौजदारी करने के आरोप में थाने में बंद हैं और कितने लोग घायल हो कर अस्पताल भर्ती हैं.

तिरछी नज़र 

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The Kashmir Files : वीपी की सरकार, बीजेपी का समर्थन, जगमोहन राज्यपाल... कश्मीर फाइल्स में कांग्रेस ने जोड़ा 1990 का पन्ना 

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युद्ध युद्ध के ऐलान पर  किया जा रहा था शहरों को खाली लादा जा रहा था बारूद 

तब एक औरत दाल चावल और आटे को नमक के बिना* बोरियों में बाँध रही थी  

कावेरी 

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गरीबी में डॉक्टरी 

नोट-  यह कहानी संग्रह मेरे द्वारा शब्द.इन मंच के 'पेड पुस्तक लेखन प्रतियोगिता (फरवरी-मार्च 2022)' के प्रतिभागी के रूप में प्रस्तुत किया गया है; जिसका परिणाम 31 मार्च 2022 को घोषित किया जाएगा। विजेता की पुस्तक का उनके द्वारा 'पेपरबैक प्रकाशन शब्द.इन के स्टैंडर्ड  पब्लिशिंग पैकेज ' के तहत किया जायेगा। मेरी यह 10 कहानियाँ कहाँ तक उड़ान भरेंगी, यह मेरे पाठकों पर निर्भर करेगा, जिसका सुखद परिणाम देखने के लिए मैं बहुत उत्साहित हूँ।

मैं तो गरीबी में डॉक्टरी लेकर तैयार बैठी हूँ, लेकिन मुझे मेरे ब्लॉगर साथियों और पाठकों का विजेता बनाने में साथ देने की प्रतीक्षा है। 

-कविता रावत  

KAVITA RAWAT 

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अधमरा आदमी 

जी नहीं सकता,
पर अधमरा
पूरा मर भी सकता है
और पूरा जी भी सकता है.

 कविताएँ 

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रहस्य के कमजोर तत्वों के चलते एक तेज रफ्तार पर औसत कॉमिक बन रह गई है 'लम्बू-मोटू और पत्थर की लाश' 

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जन्मकालीन समय से गुजरनेवाले ग्रह 

N Chandrashekhar tata

n chandrasekar tata

Gatyatmak Jyotish 

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आज की चर्चा में केवल इतना ही...!

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10 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुन्दर चर्चा बढ़िया संकलन धन्यवाद सर मेरी रचना को स्थान देने के लिए

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतरीन संकलन हेतु आपका हर्दिक आभार सर।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. लघुकथा मैं हूँ को स्थान देने हेतु हृदय से आभार।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर चर्चा.मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर सराहनीय और रोचक अंक ।
    आपके श्रमसाध्य कार्य को नमन ।
    सादर शुभकामनाएँ ।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट सम्मिलित करने हेतु बहुत-बहुत आभार!

    जवाब देंहटाएं
  7. देर से आने के लिए खेद है, सभी रचनाकारों व चर्चा मंच के संयोजकों को होली की शुभकामनायें ! आभार !

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत शानदार श्रमसाध्य संकलन।
    सभी रचनाकारों को बधाई,सभी रचनाएं बहुत आकर्षक सुंदर, उपयोगी।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुन्दर सराहनीय प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सुंदर लिंक संयोजन
    मुझे सम्मलित करने आभार

    जवाब देंहटाएं

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