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बुधवार, मार्च 30, 2022

"कटुक वचन मत बोलना" (चर्चा अंक-4385)

योग्य अभिवादन के साथ 

प्रस्तुत है बुधवार की चर्चा 

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दोहे "मानव है हैरान" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

कटुक वचन मत बोलनाइतनी है फरियाद।

माँ के कोमल हृदय कोमत देना अवसाद।१।

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माता से बढ़कर नहीं, जग में कोई मीत।

माँ करती संसार में, सच्ची ममता-प्रीत।२। 

उच्चारण 

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परिवर्तन 

"न री ! पाप के पैरों घुँघरु न बाँध; तेरे कलेजे पर ज़िंदा नाचेगा ज़िंदगी भर।” 
बुलिया काकी का अंतरमन उसे कचोटता है। हाथों में लहू से लथपथ कन्या को माँ के पेट पर डालती है और बाँस का टुकड़ा टटोलने लगती है। 
"अरे आँखें खोल शारदा! वे ले जाएँगे करमजली को।"

अवदत् अनीता 

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विपन्न 

भूख है सुरसा मही पर 
व्याल ज्यों परिवेश में 
दह रहा सिसकी समेटे 
जीव कैसे क्लेश में।

मन की वीणा - कुसुम कोठारी। 

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भारत ने झटका, चीनी ‘दोस्ती’ का हाथ 

दो साल की तल्ख़ियों, टकरावों और हिंसक घटनाओं के बाद चीन ने भारत की ओर फिर से दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। दोस्ती मतलब फिर से उच्च स्तर पर द्विपक्षीय संवाद का सिलसिला। इसकी पहली झलक 25 मार्च को चीनी विदेशमंत्री वांग यी की अघोषित दिल्ली-यात्रा में देखने को मिली। दिल्ली में उन्हें वैसी गर्मजोशी नहीं मिली, जिसकी उम्मीद लेकर शायद वे आए थे। भारत ने उनसे साफ कहा कि पहले लद्दाख के गतिरोध को दूर करें। इतना ही नहीं वे चाहते थे कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से उनकी मुलाकात हो, जिसे शालीनता से ठुकरा दिया गया। इन दोनों कड़वी बातों से चीन ने क्या निष्कर्ष निकाला, पता नहीं, पर भारत का रुख स्पष्ट हो गया है। जिज्ञासा 

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आजमाइश 

आजमाना न था साथी
जीवन की आजमाइश में
 जिंदगी को तौलता तराजू
सूरज बना,

तुम कंधे पर बैठ उसके
थामनें लगे दुनिया
पकड़ने लगे पीलापन 

स्पर्श 

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100 प्रतिशत वीवीपैट पर्चियों की गणना मतपत्रों की गणना जैसा ही 

यदि जनता के दिमाग में गड़बड़ी के किसी संदेह को दूर करना है तो, अभी भी, भारत के चुनाव आयोग को सभी मतदान केन्द्रों की सभी ई.वी.एम. से निकली वीवीपैट पर्चियों की गिनती कर यह जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए। वर्तमान में यह प्रावधान है कि हरेक विधान सभा के पांच मतदान केन्द्रों की ही वीवीपैट से निकली पर्चियों की गिनती होती है और उसका मिलान ई.वी.एम. से निकले परिणाम से किया जाता है। लेकिन कभी भी अखबार में इस मिलान की कोई खबर पढ़ने को नहीं मिलती। चुनाव आयोग को इस प्रक्रिया में और पारदर्शिता लाने की जरूरत है और 100 प्रतिशत पर्चियों की गिनती करनी चाहिए। इससे वे लोग भी संतुष्ट होंगे जो मतपत्रों पर वापस लौटने की मांग कर रहे हैं क्योंकि 100 प्रतिशत वीवीपैट पर्चियों की गणना मतपत्रों की गणना जैसा ही हो जाएगा। संदीप पांडेय क्रांति स्वर 

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क्षणिकाएं 

1.

तुम फुर्सत में मुझे याद करते थे
और तुम्हें याद करते-करते
मुझे और किसी काम के लिए
फुर्सत ही नहीं मिलती थी
अजीब है ना यह प्यार भी

2.

हमने तो साथ चलने के लिए
साथ मांगा था तुमने तो
साथ छोड़ने के लिए साथ मांगा
फिर भी खामोशी से
तुम्हारा साथ देकर हम निकल गए

कावेरी 

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विभीषिका 

किसने हक़ दिया

इस हृदयहीन मानव को  

इतने पंछियों की ह्त्या का ?

इतने सुन्दर प्रदेशों को

इस तरह से नष्ट करने का ?

इतने सुरम्य स्थानों के

पर्यावरण को यूँ प्रदूषित करने का ?

लम्हों की इस खता की सज़ा

कौन जाने आने वाली कितनी पीढ़ियाँ

कितनी सदियों तक भोगती रहेंगी !

Sudhinama 

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मन्दिरों को पितृ स्थान से बचाएं योगी आदित्यनाथ जी 

आज उत्तर प्रदेश में धर्म का राज है .ऐसे में सरकार द्वारा मंदिरों को पुनरुद्धार के लिए अनुदान दिया जा रहा है .फलस्वरूप मंदिरों को लेकर राजनीति और छीना-झपटी का समय चल रहा है .जैसे भी हो ,मंदिरों में कब्जे के लिए हिंदुओं का एक विशेष वर्ग काफी हाथ-पैर मार रहा है .साथ ही एक और षड्यंत्र उस विशेष वर्ग ने किया है और वह है मंदिरों में अपने पूर्वजों के स्थान स्थापित कर मंदिरों पर अपने कब्जे दिखाने की ओर , उस पर तुर्रा ये कि इस तरह मंदिरों में भक्तों का आवागमन बढ़ेगा , मतलब ये कि अब भगवान् के दर्शन के लिए भी भक्तों को बहाने चाहिए और इसके लिए वे अपने घर के कुंवारे मृत पूर्वजों की अस्थियों की राख को मंदिर की जमीन में दबायेंगे , 

All India Bloggers' Association ऑल इंडिया ब्लॉगर्स एसोसियेशन 

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संगिनी हूं संग चलूँगी  जब सींचोगे पलूं बढूंगी खुश हूंगी मैं तभी खिलूंगी बांटूंगी  अधरों मुस्कान मै तेरी पहचान बनकर **... प्रतापगढ़ साहित्य प्रेमी मंच - BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN 

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जीवन चरणपादुका 

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रक्तबीज जैसी मुश्किलें 

चचा ग़ालिब ने कहा है –
‘रंज से खूगर (अभ्यस्त) हुआ इंसां तो, मिट जाता है रंज,
मुश्किलें मुझ पर पडीं, इतनी, कि आसां हो गईं.’
इसी अंदाज़ में जोश मलिहाबादी ने
अपना पहला शेर कहा –
‘हाय, मेरी मुश्किलों, तुमने भी क्या धोखा दिया,
ऐन दिलचस्पी का आलम था, कि आसां हो गईं.’
पर आजकल के हालात को देख कर जोश साहब के इस शेर को दुरुस्त कर के
मुझको कहना पड़ रहा है -
‘हाय, मेरी मुश्किलों, तुमने भी क्या धोखा दिया,

दस पुरानी हल करीं, सौ और पैदा हो गईं.’  

तिरछी नज़र 

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मांसभक्षी प्रेत - एस सी बेदी 

चंदनपुर के स्मॉल सी यानी छोटे समुद्र नामक इलाके में प्रेतों का वास बताया जा रहा था। यह प्रेत उस इलाके में आए मानवों को मार रहे थे और फिर उनकी आधी खाई हुई लाश ही समुद्र में तैरती हुई मिलती थी। 
वहीं दूसरी और चंदनपुर में फिर से बच्चे चोरी करने वाला गिरोह सक्रिय हो गया था। इस गिरोह ने अब तक तीन  से अधिक बच्चे चोरी कर लिए थे। 
इन दोनों ही घटनाओं ने बाल सीक्रेट एजेंटों (राजन,इकबाल,सलमा, शोभा) का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया था। उन्होंने इन मामलों को सुलझाने का फैसला कर लिया था। 
आखिर क्या था स्मॉल सी के मांसभक्षी प्रेत का राज? 
आखिर कौन चुरा रहा था चंदनपुर में बच्चे? 
क्या राजन इकबाल की टीम इन मामलों को सुलझा पायी? 

एक बुक जर्नल 

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इतनी शक्ति हमें दी है दाता 

आत्मा में अनेक शक्तियाँ होते हुए भी मानव स्वयं को दुर्बल मानता है, वह जड़ को तो बहुत महत्व देता है पर स्वयं की महिमा से अनभिज्ञ रहता है। जहाँ भी जीवन है वहाँ आत्मा विद्यमान है। परमात्मा की तरह जीव अनादि और अनंत है। डायरी के पन्नों से-अनीता

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यह एक बहाना हो गया 

यह तो उसे न खोज पाने का   

एक बहाना हो गया

अतिव्यस्त हूँ 

 कहने को हो गया|

ख्याल तक नहीं 

आया उसका

जिससे मिले 

ज़माना हो गया | 

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चाह मेरी 

या हो लाल रक्त सी 
दिल का कागज़ कोरा न रहेगा 
कुछ तो लिखा ही जाएगा | 

Akanksha -asha.blog spot.com 

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"माँ या बेटी..." 

"अरे 11 बज गए" माँ को फोन करना था इंतज़ार कर रही होगी" नीरा अपने आप में ही बड़बड़ाई। किसको कॉल करना है...कितनी बार याद दिलाऊँ माँ, नानी चली गई....इतनी दूर जहाँ से कोई कॉन्टेक्ट नहीं हो सकता....मनु ने नीरा को पीछे से पकड़ते हुए कहा। अरे हाँ,मैं तो भूल ही जा रही हूँ -कहते हुए नीरा ने मुँह फेर लिया शायद, मनु से अपनी आँसुओं को छुपाना चाहती थी। 

मेरी नज़र से 

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आज के लिए बस इतना ही...!

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13 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर लिंक्स पढने के लिए |उम्दा प्रस्तुति |मेरी दो रचनाओं को आज के अंक में स्थान देने के लिए आभार सहित धन्यवाद शास्त्री जी |

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात ! पढ़ने के लिए पर्याप्त सामग्री संजोयी है आज के अंक में चर्चा मंच ने, आभार मुझे भी इसमें शामिल करने हेतु!

    जवाब देंहटाएं
  3. उत्तम लिंको से सुसज्जित चर्चा। आभार आभार आपका शास्त्री जी🙏

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर लिंक्स संयोजन , पठनीय अंक सभी रचनाकारों को बधाई।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय से आभार।
    वृहद सामग्री, समय के साथ पढूंगी।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं

  5. उत्तम लिंको से सुसज्जित चर्चा। मेरी पंक्तियों को स्थान देने के लिए आभार आदरणीय

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर प्रस्तुति, मेरे आलेख को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक धन्यवाद, कृपया मेरे आलेख को ध्यान से पढ़ें और ट्रस्ट की पुण्य भावना को माननीय श्री योगी आदित्यनाथ जी तक पहुंचाने में ट्रस्ट का सहयोग करें 🙏🙏

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  7. बहुत ही सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित आज की चर्चा ! मेरी रचना को इसमें स्थान दिया आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !

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  8. रोचक लिंक्स से सुसज्जित चर्चा... मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार...

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  9. बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति

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  10. बहुत ही सुन्दर और श्रमसाध्य प्रस्तुति आदरणीय शास्त्री सर, मेरी रचना को भी मंच पर स्थान देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद एवं सादर नमस्कार

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  11. बहुत सुन्दर संकलन , मेहनत भरा कार्य, आदरणीय शास्त्री जी प्रणाम, सभी लेखकों को हार्दिक बधाई और नवरात्रि की ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।
    मेरी रचना संगिनी हूं संग चलूंगी को भी आप ने यहां स्थान दिया खुशी हुई, आभार। जय श्री राधे।

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