योग्य अभिवादन के साथ
प्रस्तुत है बुधवार की चर्चा
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दोहे "मानव है हैरान" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
कटुक वचन मत बोलना, इतनी है फरियाद।
माँ के कोमल हृदय को, मत देना अवसाद।१।
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माता से बढ़कर नहीं, जग में कोई मीत।
माँ करती संसार में, सच्ची ममता-प्रीत।२।
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भारत ने झटका, चीनी ‘दोस्ती’ का हाथ
दो साल की तल्ख़ियों, टकरावों और हिंसक घटनाओं के बाद चीन ने भारत की ओर फिर से ‘दोस्ती का हाथ’ बढ़ाया है। ‘दोस्ती’ मतलब फिर से उच्च स्तर पर द्विपक्षीय संवाद का सिलसिला। इसकी पहली झलक 25 मार्च को चीनी विदेशमंत्री वांग यी की अघोषित दिल्ली-यात्रा में देखने को मिली। दिल्ली में उन्हें वैसी गर्मजोशी नहीं मिली, जिसकी उम्मीद लेकर शायद वे आए थे। भारत ने उनसे साफ कहा कि पहले लद्दाख के गतिरोध को दूर करें। इतना ही नहीं वे चाहते थे कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से उनकी मुलाकात हो, जिसे शालीनता से ठुकरा दिया गया। इन दोनों कड़वी बातों से चीन ने क्या निष्कर्ष निकाला, पता नहीं, पर भारत का रुख स्पष्ट हो गया है। जिज्ञासा--
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100 प्रतिशत वीवीपैट पर्चियों की गणना मतपत्रों की गणना जैसा ही
यदि जनता के दिमाग में गड़बड़ी के किसी संदेह को दूर करना है तो, अभी भी, भारत के चुनाव आयोग को सभी मतदान केन्द्रों की सभी ई.वी.एम. से निकली वीवीपैट पर्चियों की गिनती कर यह जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए। वर्तमान में यह प्रावधान है कि हरेक विधान सभा के पांच मतदान केन्द्रों की ही वीवीपैट से निकली पर्चियों की गिनती होती है और उसका मिलान ई.वी.एम. से निकले परिणाम से किया जाता है। लेकिन कभी भी अखबार में इस मिलान की कोई खबर पढ़ने को नहीं मिलती। चुनाव आयोग को इस प्रक्रिया में और पारदर्शिता लाने की जरूरत है और 100 प्रतिशत पर्चियों की गिनती करनी चाहिए। इससे वे लोग भी संतुष्ट होंगे जो मतपत्रों पर वापस लौटने की मांग कर रहे हैं क्योंकि 100 प्रतिशत वीवीपैट पर्चियों की गणना मतपत्रों की गणना जैसा ही हो जाएगा। संदीप पांडेय क्रांति स्वर--
1.
2.
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किसने हक़ दिया
इस हृदयहीन मानव को
इतने पंछियों की ह्त्या का ?
इतने सुन्दर प्रदेशों को
इस तरह से नष्ट करने का ?
इतने सुरम्य स्थानों के
पर्यावरण को यूँ प्रदूषित करने का ?
लम्हों की इस खता की सज़ा
कौन जाने आने वाली कितनी पीढ़ियाँ
कितनी सदियों तक भोगती रहेंगी !
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मन्दिरों को पितृ स्थान से बचाएं योगी आदित्यनाथ जी
आज उत्तर प्रदेश में धर्म का राज है .ऐसे में सरकार द्वारा मंदिरों को पुनरुद्धार के लिए अनुदान दिया जा रहा है .फलस्वरूप मंदिरों को लेकर राजनीति और छीना-झपटी का समय चल रहा है .जैसे भी हो ,मंदिरों में कब्जे के लिए हिंदुओं का एक विशेष वर्ग काफी हाथ-पैर मार रहा है .साथ ही एक और षड्यंत्र उस विशेष वर्ग ने किया है और वह है मंदिरों में अपने पूर्वजों के स्थान स्थापित कर मंदिरों पर अपने कब्जे दिखाने की ओर , उस पर तुर्रा ये कि इस तरह मंदिरों में भक्तों का आवागमन बढ़ेगा , मतलब ये कि अब भगवान् के दर्शन के लिए भी भक्तों को बहाने चाहिए और इसके लिए वे अपने घर के कुंवारे मृत पूर्वजों की अस्थियों की राख को मंदिर की जमीन में दबायेंगे ,
All India Bloggers' Association ऑल इंडिया ब्लॉगर्स एसोसियेशन
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संगिनी हूं संग चलूँगी जब सींचोगे पलूं बढूंगी खुश हूंगी मैं तभी खिलूंगी बांटूंगी अधरों मुस्कान मै तेरी पहचान बनकर **... प्रतापगढ़ साहित्य प्रेमी मंच - BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN
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दस पुरानी हल करीं, सौ और पैदा हो गईं.’
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आत्मा में अनेक शक्तियाँ होते हुए भी मानव स्वयं को दुर्बल मानता है, वह जड़ को तो बहुत महत्व देता है पर स्वयं की महिमा से अनभिज्ञ रहता है। जहाँ भी जीवन है वहाँ आत्मा विद्यमान है। परमात्मा की तरह जीव अनादि और अनंत है। डायरी के पन्नों से-अनीता--
यह तो उसे न खोज पाने का
एक बहाना हो गया
अतिव्यस्त हूँ
कहने को हो गया|
ख्याल तक नहीं
आया उसका
जिससे मिले
ज़माना हो गया |
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आज के लिए बस इतना ही...!
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सुन्दर लिंक्स पढने के लिए |उम्दा प्रस्तुति |मेरी दो रचनाओं को आज के अंक में स्थान देने के लिए आभार सहित धन्यवाद शास्त्री जी |
जवाब देंहटाएंउम्दा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात ! पढ़ने के लिए पर्याप्त सामग्री संजोयी है आज के अंक में चर्चा मंच ने, आभार मुझे भी इसमें शामिल करने हेतु!
जवाब देंहटाएंउत्तम लिंको से सुसज्जित चर्चा। आभार आभार आपका शास्त्री जी🙏
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक्स संयोजन , पठनीय अंक सभी रचनाकारों को बधाई।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय से आभार।
वृहद सामग्री, समय के साथ पढूंगी।
सादर।
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंउत्तम लिंको से सुसज्जित चर्चा। मेरी पंक्तियों को स्थान देने के लिए आभार आदरणीय
बहुत सुंदर प्रस्तुति, मेरे आलेख को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक धन्यवाद, कृपया मेरे आलेख को ध्यान से पढ़ें और ट्रस्ट की पुण्य भावना को माननीय श्री योगी आदित्यनाथ जी तक पहुंचाने में ट्रस्ट का सहयोग करें 🙏🙏
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित आज की चर्चा ! मेरी रचना को इसमें स्थान दिया आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंरोचक लिंक्स से सुसज्जित चर्चा... मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और श्रमसाध्य प्रस्तुति आदरणीय शास्त्री सर, मेरी रचना को भी मंच पर स्थान देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद एवं सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर संकलन , मेहनत भरा कार्य, आदरणीय शास्त्री जी प्रणाम, सभी लेखकों को हार्दिक बधाई और नवरात्रि की ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना संगिनी हूं संग चलूंगी को भी आप ने यहां स्थान दिया खुशी हुई, आभार। जय श्री राधे।