सादर अभिवादनमंगलवार की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है(शीर्षक और भुमिका आदरणीय शास्त्री सर जी की रचना से)
आँचल में प्यार लेकर,
भीनी फुहार लेकर.
आई होली, आई होली,
आई होली रे!
--
भूल के सारे रंजों-गम,सारे गीले-शिकवे...
होली के रंगों में खुद को सराबोर कीजिये...
दुखी दिलों में प्यार का रंग भरिये...
उदास मन को ख़ुशी के रंगों में सराबोर कीजिये..
माना दौर बुरा है...
कही लड़ाई,कही बीमारी,कही घरों में मातम है..
पर जिंदगी कब रूकती है..
तो आईये,सुकून के कुछ पल ढूढ़े और होली के गीत ही गुनगुना ले..
शुरू करते है शास्त्री सर जी की इस मधुर गीत से...
होलीगीत "खिलता फागुन आया" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
लहराती खेतों में फसलें,
तन-मन है लहराया.
वासन्ती परिधान पहनकर,
खिलता फागुन आया,
महकी मनुहार लेकर,
गुझिया उपहार लेकर,
आई होली, आई होली,
आई होली रे!
-------------------
प्रीतम संग खेली गई होली ही तो सबसे प्यारी और यादगार होली होती है...
एक होली ऐसी भी
तन पर हैं गुलाबी वसन
हाथ पीले हुए हैं
पैरों पर लाल आलता
नयन गीले हुए हैं
प्रीत से भीगी है चूनरिया सारी
पी की आँखें जैसे बनी हैं पिचकारी
-----
कलम भी कभी-कभी थक जाती है,आईये कुछ उसकी भी व्यथा सुन ले...
लेखनी अब ऊँघती-सी
छंद की ग्रीवा हठी-सी
माँगती अक्षर जड़ाऊ।
हाट कहता यह व्यथा फिर
काव्य क्यों रहता बिकाऊ।।
-------------------
हरा रंग ही तो हमारी धरती की खूबसूरती है,तो वो सदा सुखद ही होगा...
सुखद हरा रंग
पत्तों पर
कभी देखा है
धूप को टिकते हुए..
पत्तों का रंग
कितना सुखद हरा
होता है ।
----
ऐसी हार....पर तो जीत भी कुर्बान..
हार जाता हूँ
हरा देती है, मुझको, एक झलक तेरी,
बढ़ा जाती है, और ललक मेरी,
एक झलक वही फिर पाने को, बार-बार,
पास, चला आता हूँ मैं!
देखो ना....., खुद हार जाता हूँ मैं!
-----------
हर दिल के किसी कोने में कोई ना कोई अरमान छुपा ही होता है...
मेरा है अरमान यही
समय की कोई पावंदी नहीं होती
पर मैं उलझी उलझी रहती हूँ
कहीं भटक न जाऊं बेसुरी न हो जाऊं |
हंसी का पात्र बनने का
मुझे कोई शौक नहीं
संगीत हो सुर ताल से परिपूर्ण
शब्दों हो रंगीन यही रुचिकर मुझे |
--------------------
एक शिकायतनामा
बहुत बदनाम कर के छोड़ा उसने इस जमाने में
बहुत बदनाम कर के छोड़ा उसने इस जमाने में,
लगेंगी सदियाँ मुझको बे-वफ़ा के ग़म भुलाने में ।
ये उसकी ज़िद थी ज़ख़्मों का रहे मेरा सफ़ऱनामा,
लगाई बेसबब फिर तोहमतें उसने सताने में ।
दिखाया इश्क़ उसने आसतीं का साँप था लेकिन,
सुनाकर जुल्फों के नग्में वो आया आशियानें में ।
------------होली के अवसर पर गीत-ग़ज़ल सब हो गए
अब कुछ मीठा हो जाए...
तो लीजिये,ज्योति जी हमारा मुँह मीठा करा रही है
अंगूर की स्वादिष्ट जेली से...
अंगूर की जेली बनाने का आसान तरीका
दोस्तो, होली आ रही है...होली के लिए मैं आज आपको अंगूर से बनने वाली एक बिल्कुल नई रेसिपी बता रही हू...अंगूर की जेली...जो कम समय में और कम सामग्री में बन जाती है और सबसे बड़ी बात ये बनाना बहुत ही आसान है। बच्चों को तो अंगूर की जेली बहुत ही पसंद आयेगी। ये देख कर कोई नहीं कहेगा कि ये आपने अंगूर से बनाई है। तो आइए बनाते है अंगूर की जेली --------------------
आज का सफर यही तक, अब आज्ञा देआप का दिन मंगलमय होकामिनी सिन्हा
होली से पूर्व सुंदर लिंकों के साथ बेहतरीन चर्चा प्रस्तुति|
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को आज की चर्चा का शीर्षक बनाने के लिए आपका आभार कामिनी सिन्हा जी!
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद कामिनी जी मेरी रचना को स्थान देने के लिए आज के अंक में |
उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, कामिनी दी।
जवाब देंहटाएंदी,मैं ने तो सिर्फ मिठाई की रेसिपी भेजी है। हां, यदि आप इसे बना कर देखेगी तो जरूर परिवार का मूँह मीठा जो जाएगा।
पुनः धन्यवाद।
बढ़िया संकलन
जवाब देंहटाएंरंग भरी चर्चा की रूपहली प्रस्तुति के लिए बधाई, कामिनी जी । सभी रचनाएँ के रंग खूब फबे ।
जवाब देंहटाएंलहराती खेतों में फसलें, तन-मन है लहराया. वासन्ती परिधान पहनकर, खिलता फागुन आया, महकी मनुहार लेकर, गुझिया उपहार लेकर,
जवाब देंहटाएंआई होली, आई होली,
आई होली रे!होली का परिवेश बुनती शानदार रचना
kabirakhadabazarmein.blogspot.com
बहुत ही सुंदर और पठनीय संकलन ।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को शुभकामनाएं और बधाई।
आप सभी को हृदयतल से धन्यवाद एवं नमन
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सार्थक और पठनीय प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंदेर से आने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ । बहुत ही सुंदर लिंको का समावेश किया है आपने कामिनी जी । मेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद !!
जवाब देंहटाएंपठनीय संकलन
जवाब देंहटाएं