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सोमवार, मार्च 14, 2022

'सपेरे, तुम्हें लगता है तुम साँप को नचा रहे हो' (चर्चा अंक 4369)

सादर अभिवादन। 

सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है। 

आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-

--

"मेरी पौत्री प्राची का 17वाँ जन्मदिन"  

आज तुम्हारी वर्षगाँठ को,
मिल कर सभी मनायेंगे।
जन्मदिवस पर प्यारी बिटिया को,
हम बहुत सजाएँगे।।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

--

पाँच मुक्तक "गीत और प्रीत का राग है ज़िन्द़गी" 

आग को आग समझो, जलाती है ये
अपनी औकात सबको बताती है ये
दिल के ज़ज़्बात से खेलना मत कभी,
अच्छे-अच्छों के दिल को सताती है ये
*****

दायरा ख्यालों  का

 इतना विस्तृत 

 नहीं है

जिससे हम दौनों में 

दरार पड़ जाए

 मुझे तुम से अलग 

कर पाए |

*****
नारी मांगे अधिकार

Indian Village Women Royalty Free Stock Photo

भारतीय कानून व् संविधान महिलाओं की समाज में बेहतर स्थिति के लिए प्रयासरत हैं और इसका उदाहरण दामिनी गैंगरेप कांड के बाद इस तरह के मामलों में उठाये गए कानूनी  कदम हैं .ऐसे ही विशाखा बनाम स्टेट ऑफ़ राजस्थान के मामले से भी सुप्रीम कोर्ट ने कामकाजी महिलाओं की स्थिति बहुत सुदृढ़ की है जिसके कारण तरुण तेजपाल जैसे सलाखों के पीछे हैं और रिटायर्ड जस्टिस अशोक गांगुली जैसी हस्ती पर कानून की तलवार लटकी।
        पर जैसी कि रोज की घटनाएं सामने आ रही हैं उन्हें देखते हुए कानून में अभी बहुत बदलावों की ज़रुरत है इसके साथ ही महिलाओं की आर्थिक सुदृढ़ता की कोशिश भी इस दिशा में एक मजबूत कदम कही जा सकती है क्योंकि आर्थिक सुदृढ़ता ही वह सम्बल है जिसके दम पर पुरुष आज तक महिलाओं पर राज करते आ रहे हैं समाज में स्वयं देख लीजिये जो महिलाएं इस क्षेत्र में पुरुषों की बराबरी कर रही हैं उनके आगे पुरुष दयनीय स्थिति में ही नज़र आते हैं .और जैसे कि पंचायतों में महिलाओं के लिए स्थान आरक्षित किये गए हैं ऐसे ही अब संसद व् विधान सभाओं में भी ३३% आरक्षण हो जाना चाहिए साथ ही सरकारी नौकरियों में भी उनके लिए स्थानों का आरक्षण बढ़ाये जाने की ज़रुरत है .
*****

६३६सपेरे से

सपेरे,

तुम्हें लगता है

तुम साँप को नचा रहे हो,

पर ध्यान से देखो,

तुम उसे नहीं,

वह तुम्हें नचा रहा है.

भैंसें कब सुनती हैं बीन

पगुराना वो सीख गईं

दूध की नदियाँ सूख गईं

लिए कमंडल खड़े हुए हम

लेरुआ की मिट भूख गई

थैला बोतल बिके धकाधक

पड़रू दूध विहीन।।

*****

फिर मिलेंगे। 

रवीन्द्र सिंह यादव 

12 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा प्रस्तुति।
    इतनी सुन्दर चर्चा सजाने के लिए,
    आपका आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत आभार सहित धन्यवाद रवीन्द्र जी मेरी रचना को आज के अंक में स्थान देने के लिए |

    जवाब देंहटाएं
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    जवाब देंहटाएं
  4. शुभकामनाओं और सस्नेहाशीष के संग हार्दिक आभार आपका
    श्रमसाध्य प्रस्तुतिकरण हेतु साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर.मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  6. बढ़िया संकलन
    शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  7. बेहद सुंदर चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत ही सुंदर और पठनीय संकलन ।
    सारे सूत्र पर गई और पढ़ा, बहुत सुंदर,सराहनीय अंक ।
    श्रमसाध्य कार्य हेतु साधुवाद ।
    सभी रचनाकारों को शुभकामनाएं और बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत ही सुंदर और पठनीय संकलन ।
    सभी रचनाकारों को शुभकामनाएं और बधाई

    जवाब देंहटाएं
  10. Bahut hi khoob surat
    Agar aapko shayri padna pasand hai to ek baar jarur visit kare mere site par

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