सादर अभिवादन।
सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
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"मेरी पौत्री प्राची का 17वाँ जन्मदिन"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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पाँच मुक्तक "गीत और प्रीत का राग है ज़िन्द़गी"
आग को आग समझो, जलाती है ये
अपनी औकात सबको बताती है ये
दिल के ज़ज़्बात से खेलना मत कभी,
अच्छे-अच्छों के दिल को सताती है ये
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नारी मांगे अधिकार
भारतीय कानून व् संविधान महिलाओं की समाज में बेहतर स्थिति के लिए प्रयासरत हैं और इसका उदाहरण दामिनी गैंगरेप कांड के बाद इस तरह के मामलों में उठाये गए कानूनी कदम हैं .ऐसे ही विशाखा बनाम स्टेट ऑफ़ राजस्थान के मामले से भी सुप्रीम कोर्ट ने कामकाजी महिलाओं की स्थिति बहुत सुदृढ़ की है जिसके कारण तरुण तेजपाल जैसे सलाखों के पीछे हैं और रिटायर्ड जस्टिस अशोक गांगुली जैसी हस्ती पर कानून की तलवार लटकी।
पर जैसी कि रोज की घटनाएं सामने आ रही हैं उन्हें देखते हुए कानून में अभी बहुत बदलावों की ज़रुरत है इसके साथ ही महिलाओं की आर्थिक सुदृढ़ता की कोशिश भी इस दिशा में एक मजबूत कदम कही जा सकती है क्योंकि आर्थिक सुदृढ़ता ही वह सम्बल है जिसके दम पर पुरुष आज तक महिलाओं पर राज करते आ रहे हैं समाज में स्वयं देख लीजिये जो महिलाएं इस क्षेत्र में पुरुषों की बराबरी कर रही हैं उनके आगे पुरुष दयनीय स्थिति में ही नज़र आते हैं .और जैसे कि पंचायतों में महिलाओं के लिए स्थान आरक्षित किये गए हैं ऐसे ही अब संसद व् विधान सभाओं में भी ३३% आरक्षण हो जाना चाहिए साथ ही सरकारी नौकरियों में भी उनके लिए स्थानों का आरक्षण बढ़ाये जाने की ज़रुरत है .*****
पर जैसी कि रोज की घटनाएं सामने आ रही हैं उन्हें देखते हुए कानून में अभी बहुत बदलावों की ज़रुरत है इसके साथ ही महिलाओं की आर्थिक सुदृढ़ता की कोशिश भी इस दिशा में एक मजबूत कदम कही जा सकती है क्योंकि आर्थिक सुदृढ़ता ही वह सम्बल है जिसके दम पर पुरुष आज तक महिलाओं पर राज करते आ रहे हैं समाज में स्वयं देख लीजिये जो महिलाएं इस क्षेत्र में पुरुषों की बराबरी कर रही हैं उनके आगे पुरुष दयनीय स्थिति में ही नज़र आते हैं .और जैसे कि पंचायतों में महिलाओं के लिए स्थान आरक्षित किये गए हैं ऐसे ही अब संसद व् विधान सभाओं में भी ३३% आरक्षण हो जाना चाहिए साथ ही सरकारी नौकरियों में भी उनके लिए स्थानों का आरक्षण बढ़ाये जाने की ज़रुरत है .*****
सपेरे,
तुम्हें लगता है
तुम साँप को नचा रहे हो,
पर ध्यान से देखो,
तुम उसे नहीं,
वह तुम्हें नचा रहा है.
पगुराना वो सीख गईं
दूध की नदियाँ सूख गईं
लिए कमंडल खड़े हुए हम
लेरुआ की मिट भूख गई
थैला बोतल बिके धकाधक
पड़रू दूध विहीन।।
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फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
बहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंइतनी सुन्दर चर्चा सजाने के लिए,
आपका आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी।
बहुत आभार सहित धन्यवाद रवीन्द्र जी मेरी रचना को आज के अंक में स्थान देने के लिए |
जवाब देंहटाएंHello sir my name is dharmendra I read your blog, I loved it. I have bookmarked your website. Because I hope you will continue to give us such good and good information in future also. Sir, can you help us, we have also created a website to help people. Whose name is DelhiCapitalIndia.com - Delhi Sultanate दिल्ली सल्तनत से संबन्धित प्रश्न you can see our website on Google. And if possible, please give a backlink to our website. We will be very grateful to you. If you like the information given by us. So you will definitely help us. Thank you.
जवाब देंहटाएंOther Posts
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बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशुभकामनाओं और सस्नेहाशीष के संग हार्दिक आभार आपका
जवाब देंहटाएंश्रमसाध्य प्रस्तुतिकरण हेतु साधुवाद
बहुत सुन्दर.मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंबढ़िया संकलन
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं
उम्दा चर्चा।
जवाब देंहटाएंबेहद सुंदर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर और पठनीय संकलन ।
जवाब देंहटाएंसारे सूत्र पर गई और पढ़ा, बहुत सुंदर,सराहनीय अंक ।
श्रमसाध्य कार्य हेतु साधुवाद ।
सभी रचनाकारों को शुभकामनाएं और बधाई।
बहुत ही सुंदर और पठनीय संकलन ।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को शुभकामनाएं और बधाई
Bahut hi khoob surat
जवाब देंहटाएंAgar aapko shayri padna pasand hai to ek baar jarur visit kare mere site par