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सोमवार, मार्च 07, 2022

'गांव भागते शहर चुरा कर' (चर्चा अंक 4362)

शीर्षक पंक्ति: आदरणीया डॉ.(सुश्री) शरद सिंह जी की रचना से। 

सादर अभिवादन। चर्चा अंक 4362 

सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है। 

आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-

ग़ज़ल "कोई भूला हुए मंजर, मुझे फिर याद आता है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

गुज़रता हूँ अचानक जब, कभी इन रास्तों से मैं
कोई भूला हुए मंजर, मुझे फिर याद आता है

नहीं होगा मिलन धरती-गगन का, जानते हैं सब
खुली आँखों का सपना, नित नयी चाहत जगाता है
*****
सफलता तक पहुंची

जागती आँखों से जो देखा उसने

 स्वप्न में न  देखा था कभी जिसे 

वह  उड़ चली व्योम में ऊंचाई तक

पर न पहुँच पाई आदित्य तक। 

*****

बेलौस वाई गुणसूत्र

एक आह के साथ उसने विरोध का स्वर मुखर करना चाहा लेकिन पंजा में दबा..। दबी-दबी सी फफक रही थी पर पतीश्वर को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। विरोध ज्यादा देर तक नहीं चल पाया क्योंकि बिलकुल साथ वाला कमरा सास-ससुर का था । पतीश्वर के करवट बदलते वह आँगन में आकर बैठ गयी। थोड़ी देर में उसके सामने एक लिफाफा लहराने लगा। 

"तुम ध्यान से पुनः पढ़ लेना.." झटके से पलट कर देखी तो उसकी सास ने कहा।

वह पढ़ने लगी :- सरकार : अनुज्ञा पत्र

*****

उषा काल

खोल झरोखा पूरब में

तेजोमय ये वीर कौन

अगन पालकी में चढ़कर

अगवाना ये धीर कौन

अंग पावक तेज दहके

बाँटता है जग उजारा।।

*****

ग़ज़ल | हम बस्ते में बंधे रह गए | डाॅ. (सुश्री) शरद सिंह

गांव भागते शहर चुरा कर, चौर्यवृत्ति इस क़दर बढ़ी
अधुनातन होने का लालच, सद्गुण-माला छोड़ गया।

दो कानों  की  बात हमेशा, पड़ी मिली  चौराहे पर
जिसका भी दिल आया, उस पर, मिर्च-मसाला छोड़ गया।
*****
दुनिया चुकाएगी युद्ध की भारी कीमत
रूस यदि यूरोप में अपने प्रभाव को कायम करने में कामयाब रहातो अमेरिका का यूरोप से रिश्ता टूटेगा। अमेरिका की ताकत के पीछे यूरोप के साथ उसका जुड़ाव भी शामिल है। यूरोप में फ्रांस और जर्मनी स्वतंत्र नीतियों पर चलते हैंपर ब्रिटेन का जुड़ाव अमेरिका के साथ है। इस लड़ाई में चीन की सीधी भूमिका नजर नहीं आ रही हैपर रूस के पीछे उसका हाथ है। सवाल है कि रूस क्या सफल होगा?  दोनों के आर्थिक-रिश्ते यूरोप के साथ हैं। पर सवाल है कि दोनों का साझा दीर्घकालीन चलेगा या नहींपुतिन ने इस बात का जिक्र नहीं कियापर पाठकों को याद दिलाना जरूरी है कि 7 मई 1999 को अमेरिकी लड़ाकू विमानों ने बेलग्रेड में चीनी दूतावास के ऊपर बमबारी की थीजिसमें तीन पत्रकार मारे गए थे,  और 20 अन्य लोग घायल हुए थे। रूस और चीन दोनों ने अपमान सहन किया है। अब दोनों हिसाब बराबर करना चाहते हैं। क्या वे कर पाएंगे? इसका जवाब समय देगा।*****आज का मंथनरक्षण के पक्ष में चीख-चीख कर कुतर्क करने वाले ये दुर्बुद्धिजीवी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से लेकर कलेक्ट्रेट के चपरासी तक हर धर्म और जाति के लोगों को प्रतिनिधित्व देना लोकतंत्र की अनिवार्य शर्त मानते हैं । ऐसे लोग इन्हीं शर्तों के साथ भारतीय समाज को धर्म और जातिविहीन बनाने की वैचारिकी (आइडियोलॉज़ी) के साथ विश्वविद्यालयों से लेकर यू-ट्यूब और टीवी चैनल्स पर प्रस्तुत होते रहते हैं । मैं इसे कुतर्कवाद कहता हूँ ।

*****कुछ पंक्तियाँ

कर्मों की कश्ती 

 जाने किस दरख्त 

को काट कर बनाई जाती है 

एक खासियत बड़ी अच्छी है 

इसमें, कि एक दिन 

हमारे पास वापस लौट कर 

ज़रूर आती है

*****

आँखें चुराना (मुहावरे पर आधारित) 

आँखें बिछाए बैठी थी, राहों में मैं तेरी,
अब तुम आये तो यहांँ,बदल कर डगर चले।

आँखें चुराना गैर से लगता है कभी भला,
आँखें चुरा तू मुझसे ,मुझे क्यूं गैर कर चले।

*****

Watch: ये भारत की शेरनियां हैं, यहां PAK के लिए मौका नहीं

वर्ल्ड कप 2022 में मिताली राज की कप्तानी में भारतीय टीम 6 मार्च को पाकिस्तान के खिलाफ मैच में टॉस जीतकर पहले बैटिंग करने के लिए मैदान में उतरी तो एक वक्त में 114 रन पर छह विकेट खो दिए जिससे उसकी हालत खराब नज़र आने लगी. लेकिन सातवें विकेट के लिए पूजा वस्त्रकर और स्नेह राणा ने 122 रन की साझेदारी से स्थिति संभाल ली. भारत ने निर्धारित पचास ओवर में 7 विकेट पर 244 रन बनाए, इस तरह पाकिस्तान के सामने जीत के लिए 245 रन का टारगेट रखा. पूजा वस्त्रकर ने 8 चौक्कों की मदद से 67 रन बनाए. उन्हें प्लेयर आफ द मैच घोषित किया गया. वहीं स्नेह राणा 53 रन बनाकर नॉट आउट रहीं. पारी की शुरुआत में ओपनर स्मृति मांधाना ने एक छक्के और 3 चौकों की मदद से 52 रन बनाए. दूसरे विकेट की साझेदारी में दीप्ति शर्मा ने 40 रन बनाकर स्मृति का अच्छा साथ दिया. लेकिन फिर कप्तान मिताली राज 9 रन, हरमनप्रीत कौर 5 रन और ऋचा घोष एक रन के जल्दी जल्दी आउट होने से टीम इंडिया की हालत खस्ता हो गई. लेकिन सातवें विकेट के लिए पूजा वस्त्रकर और स्नेह राणा ने शानदार पारियां खेल कर भारत को मज़बूत स्थिति में पहुंचा दिया.

*****
आज बस यहीं तक 
फिर मिलेंगे। 
रवीन्द्र सिंह यादव 


7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत उपयोगी और सार्थक लिंक|
    श्रम साध्य चर्चा प्रस्तुति के लिए आपका आभार...
    आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी|

    जवाब देंहटाएं
  2. असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
    श्रमसाध्य प्रस्तुति हेतु साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर संकलन.तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीय सर मेरी रचना को स्थान देने पर. शुभकामनाएं🙏

    जवाब देंहटाएं
  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  5. सुप्रभात
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार सहित धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  6. शानदार प्रस्तुति!
    शीर्षस्थ पंक्तियां मोहक सुंदर।
    शानदार लिंक्स संयोजन।
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
    मेरी रचना को चर्चा में स्थान देने के लिए हृदय से आभार।
    सादर सस्नेह।

    जवाब देंहटाएं

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