सादर अभिवादन।
शनिवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है
शीर्षक व काव्यांश आ.मीना भारद्वाज जी के सृजन 'त्रिवेणी' से-
विचारों के निर्वात की स्थिति में शून्य में डूबा मन
चंचल बच्चे सा अनुशासनहीनता की चादर ओढ़
भरी दोपहरी में नंगे पाँवों तपती रेत में घूमता है ।
आइए अब पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
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एक जैसी प्रकृति होती हैं
खरपतवार और स्मृतियों की
जितना हटाओ उतनी ही बढ़ती जाती हैं ।
कुछ हक़ीकत कुछ फ़साना है ग़ज़ल
धूप में इक शामियाना है ग़ज़ल
प्यास होठों की इबादत इश्क की
दिल के लफ़्ज़ों का खज़ाना है ग़ज़ल
अस्वस्थ तन गमगीन पल
करती बेचैन हरपल ये मन
अंतस में भर आता है तम
उदास बहुत होता चिंतन
मुझे लगता था,
मैं जैसे कोई राजा हूँ,
सिंहासन पर बैठा हूँ
और बाक़ी सब मेरी प्रजा हैं.
गुरु का हाथ सदा है सिर पर
ज्ञान प्रकाश मार्ग दिखलाता,
सदैव चमकता चन्द्रमा सा
मुख दर्पण में उर दिख जाता !
नहीं देखना चाहती तुमको
रूह भी तड़पी है
तेरी बेवफ़ाई पर
माफ़ कर दिया तुमको
हाँ! इश्क़ किया है तुमसे !
हमारे शालेय जीवन में हमारे शिक्षक शायद इसी कथन/उक्ति को सार्थक करते हुए, विद्यार्थियों के मन में भय का ऐसा बीज बोते थे कि उस बीज से विद्यार्थियों के जीवन में अनुशासन की, सदाचार की और गुरुजनों के प्रति सम्मानमिश्रित प्रेम की फसल लहलहाती थी ।
आज का सफ़र यहीं तक
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
बहुत सुन्दर पुष्प गुच्छ सी चर्चा प्रस्तुति अनीता जी ।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ । सुन्दर रचनाओं के सूत्र साझा करने के लिए आपका हृदय से आभार ।
बहुत बेहतरीन चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार @अनीता सैनी 'दीप्ति' जी!
सुन्दर प्रस्तुति.आभार.
जवाब देंहटाएंसुंदर सारगर्भित चर्चा प्रस्तुति, शुभकामनाएँ अनीता जो ।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति। मेरी रचना को शामिल करने हेतु सस्नेह आभार प्रिय अनिता।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका।सुंदर ब्लॉग संकलन।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ब्लॉग्स का संकलन ,सभी प्रस्तुतियां बहुत मोहक सुंदर।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदय से आभार।
सादर सस्नेह।
बहुत खूबसूरत चर्चा संकलन
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