फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, मार्च 23, 2022

"कवि कुछ ऐसा करिये गान" (चर्चा-अंक 4378)

 मित्रों!

बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।

आज की चर्चा में देखिए कुछ अद्यतन लिंक!

--

जल प्रबंधन 

प्यासी मौतें डेरा डाले
पीड़ा नीर प्रबंधन की

सूरज छत पर चढ़ कर नाचे
जनजीवन कुढ़ कुढ़ मरता
ताप चढ़ा कर तरुवर सोचे
किस की करनी को भरता
ताल नदी का वक्ष सूखता
आशा पय संवर्धन की।। 

काव्य कूची 

--

दोहे, जल दिवस "मानव अब तो चेत" 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

--
सीमित है संसार में, पानी का भण्डार।
व्यर्थ न नीर बहाइए, जल जीवन आधार।१।
--
किया किसी ने भी अगर, पानी को बेकार।
हो जाओगे एक दिन, पानी को लाचार।२। 

--पानी रे पानी!!!!!! विश्व जल दिवस पर 

विश्व जल दिवस पर कुछ दोहे 
          ---ओंकार सिंह विवेक
🌷
जल है जीवन   के  लिए, एक बड़ा  वरदान,
व्यर्थ न  इसकी बूँद हो, रखना है यह ध्यान।
🌷
घटते जल को देखकर,चिंतित हों  सब लोग,
अब  इसका यों  हो नहीं, मनमाना उपयोग। 

मेरा सृजन --गूँगी गुड़िया : टोह 

स्मृति पन्नों पर बिखेर गुलाल

  हृदय से उन्हें लगाऊँ।

जोगन बन खो जाऊँ प्रीत में 

रूठें तो फिर-फिर मनाऊँ।

--

नल का पानी खारा क्यों है ? (विश्व जल दिवस) 

नल का पानी खारा क्यूँ है ?
अपनी दरिया अपने सागर
अपनी ताल तलैया गागर
कुआँ इनारा सब अपने हैं,
जल दूषित फिर कारा क्यूँ है ? 

जिज्ञासा की जिज्ञासा 

--

कविता 

मन के भाव

जब पिरोए जाते

एक माला में

 सजाए जाते वाक्यों में |

दिलसे सुनाए जाते

लयबद्ध किये जाते

 दिखाई देते

दिल में छुपी

छवियों के रूप में

यही है कविता का

 असली रूप |

Akanksha -asha.blog spot.com

--

भूमिका 

“गुरुओं से सम्वाद-भावनाओं की सम्वेदना” 

साहित्यकार/समीक्षक 

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’ 

उच्चारण --कुछ गुलाब कुछ काँटे 

जाने क्यूं जलते लोग,बुलंदियों के आ जाने पर

बदल जाते क्यूं रिश्तें, गुरबत के आ जाने पर

हटे नकाब अनदिखे, उजले चमके चेहरों से

खुल गई सभी बनावटें, तूफां के आ जाने पर

palash "पलाश" --पटना यात्रा अनुभव भाग - 1 

इस तरह रात 10 बजे पटना पहुंच गये. वहां पटना का काम सीधा सादा लगा. हवाई जहाज से उतरे तो पैदल ही आगमन द्वार पर पहुंच गये. बस वगैरह का कोई झंझट ही नहीं. कई वर्षों बाद यह अनुभव पटना में ही मिला जो कि सुखद लगा, वर्ना हवाईजहाज से उतरो फ़िर अपने आपको बस में डालो.... यह सब बहुत बोरिंग और ऊबाऊ लगता है. 
लगेज बेल्ट से अपना सामान ले ही रहे थे तभी मधु जी का फ़ोन आ गया कि पहुंच गये? हमने कहां हां... अपने आपको हवाईजहाज में डाल लिया था सो पहुंचना तो था ही. उन्होने कहा - ड्राईवर आपका इंतजार कर रहा है बाहर..... तभी ड्राईवर साहब का फ़ोन आ गया और इस तरह हम होटल पहुंच गये जहां सभी ने मजमा लगा रखा था. रात को 2 बजे तक गोष्ठी चलती रही और फ़िर सो गये. 

ताऊ डाट इन --जब फागुन रंग झमकते थे 

बचपन की मधुर स्मृतियों में एक बहुमूल्य स्मृति है अपने गाँव औरन्ध (जिला मैनपुरी) की होली के हुड़दंग की। जहाँ पूरा गाँव सिर्फ चौहान राजपूतों का ही होने के कारण सभी परस्पर रिश्तों में ही बँधे थे इसी कारण एकता और सौहार्द्र की मिसाल था हमारा गाँव । 

--भावी पीढ़ियों के लिए बचाइए  नदियों और तालाबों को आज विश्व जल दिवस है। कल विश्व वानिकी दिवस था। जल और वन मिलकर ही न सिर्फ़ जीवन का निर्माण करते हैं ,बल्कि उसकी रक्षा भी करते हैं। विश्व जल दिवस के मौके पर आज थोड़ा समय निकाल कर हमें तमाम जल स्रोतों के संरक्षण और उनकी शुद्धता के बारे में सोचना चाहिए। स्थानीय तालाबों और नदी --नालों की हालत पर विचार करना चाहिए। 

     कई नदियाँ ,कई बरसाती नाले और कई तालाब प्रदूषण के कारण मरणासन्न होते जा रहे हैं। भूमिगत जल स्तर के लगातार घटते चले जाने का भी यह एक मुख्य कारण है। नलकूपों और हैंडपम्पों के इस आधुनिक  युग में  कुओं को तो हम लगभग भूल ही चुके हैं ,जबकि भू -जल स्तर को बनाए और बचाए रखने में कुओं का भी बड़ा योगदान रहता था।  

मेरे दिल की बात --हे श्रेष्ठ युग सम्राट सृजन के --

हे श्रेष्ठ युग सम्राट सृजन के

नमन अनेकों विराट कलम के....

लेखों के सुन्दर मधुवन में

सीखों के अनुपम उपवन में

मधुर विवेचन संचित बन के

नमन अनेकों विराट कलम के.. 

BHARTI DAS --

विश्व गौरैया दिवस "प्यारी गौरैया" 

(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’) 

--

कटते जंगल : उजड़ती दुनिया 


ऐसे लुभावने दृश्य अब कहीं -कहीं पर ही बाकी रह गए हैं। सड़कों के चौड़ीकरण और नई सड़कों के निर्माण के लिए उनके दोनों किनारों के प्राकृतिक पेड़ों की कटाई करनी पड़ती है। इस वजह से बड़ी संख्या में  पलाश जैसे कई उपयोगी वृक्ष कट जाते हैं। उनके स्थान पर उन्हीं सड़कों के किनारे नये पेड़ लगाने के लिए सुरक्षित तरीके से सघन पौध रोपण किया जाना चाहिए। वरना पलाश जैसे कई  ख़ूबसूरत वृक्षों की प्रजातियाँ विलुप्त हो जाएंगी। यह दृश्य छत्तीसगढ़ के महासमुन्द जिले के अंतर्गत महासमुन्द -बागबाहरा मार्ग का है।

मेरे दिल की बात 

--

ख़ामोशी से आना और चले जाना होली का 

होली का आना ख़ामोशी के साथ हुआ और उसी ख़ामोशी से उसका चले जाना भी हो गया. यदि कहें कि होली घर के भीतर आई नहीं बल्कि बाहर से ही मिलकर लौट गई तो यह भी गलत नहीं होगा. न हंगामा, न बच्चों का हुडदंग, न शोर-शराबा, न मस्ती-धमाल, बस जरा-जरा से होंठ फैलाते हुए होली की शुभकामनाओं का आदान-प्रदान और बस चुटकी भर गुलाल से ही माथे पर टीका लगा दिया. यदि आपस में बहुत ज्यादा घनिष्टता दिखी तो माथे पर लगाये जाने के बाद शेष बचे उसी चुटकी भर गुलाल को गालों पर भी छू सा दिया. बस, हो गई होली. ये होली किसी बड़े-बुजुर्ग की नहीं, किसी उम्रदराज की नहीं बल्कि युवाओं की, बच्चों की भी होली कुछ इसी तरह से निकल रही है....  रायटोक्रेट कुमारेन्द्र 

--

सच बड़ा तन्हा उपेक्षित राह एकाकी चला 

True
टेरती शक्की निगाहें, मन में निज संशय पला । 

झूठ से लड़ता अभी तक, खुद को साबित कर रहा, 
खुद ही दो हिस्से बँटा अब, मन से अपने लड़ रहा। 

Nayisoch 

--

अनुष्टुप्छन्दः/अनुष्टुप छन्द (संस्कृत-हिन्दी में एक साथ) 

संस्कृत में लक्षण:-
श्लोके षष्ठं गुरु ज्ञेयं सर्वत्र लघु पंचमम्।
द्विचतुष्पादयोर्ह्रस्वं सप्तमं दीर्घमन्ययोः॥
हिन्दी में लक्षण :-
हो अनुष्टुप बत्तीसा,चरण आठ वर्ण से।
हो पाँचवाँ सदा छोटा, विषम-सम मार से।।
 लक्षणों की व्याख्या:-
अनुष्टुप छन्द बत्तीस वर्णों के वर्णवृत्त छन्द है।इसके चारों चरणों में आठ-आठ वर्ण होते हैं।सभी चरणों का पाँचवां वर्ण हमेशा लघु ही रहता है।विषम चरण अर्थात पहले और तीसरे चरण मगण/मातारा/गुरू गुरू गुरू/SSS से समाप्त होतें हैं।
सम चरण अर्थात दूसरे और चौथे चरण रगण/राजभा/गुरू लघु गुरू/SIS से समाप्त होते हैं।अन्य वर्ण नियम की बाध्यता में नहीं होते। 

स्व रचना 

--

ले गुलाबी दुआ, जा तुझे इश्क़ हो  (ग़ज़ल) होली हास्य में डूबी हुई एक ग़ज़ल 👇 आज उसने कहा,जा तुझे इश्क़ हो हाल दिल का सुना,जा तुझे इश्क़ हो दिलरुबा कोई तुझको मिले प्यार से तू भी हो बावरा, जा तुझे इश्क़ हो हिज्र का ग़म तुझे भी सताये कभी तू करे रतजगा, जा तुझे इश्क़ हो क्यों दहलता है तू प्यार के नाम से इश्क़ में डूब जा, जा तुझे इश्क़ हो कौन देता किसी को हसीं ये दुआ ले गुलाबी दुआ, जा तुझे इश्क़ हो डॉ. रजनी मल्होत्रा नैय्यर बोकारो थर्मल, झारखंड  चाँदनी रात ( लक्ष्य ) 

--

चन्द माहिए 

:1:

जब प्यार भरे बादल,
सावन में बरसें,
भीगे तन-मन-आँचल।

 :2:

प्यासी आँखें तरसी,

बदली तो उमड़ी,

जाने न कहाँ बरसी ?

आपका ब्लॉग 

--

कम तेल में बनाये भिंडी की कुरकुरी सब्जी (crispy bhindi in less oil) 

आपकी सहेली ज्योति देहलीवाल 

--

कविता 

मुरली की तान में,  

मृग की कस्तूरी में,  

फूलों के पराग में,  

माँ की लोरी में,  

वीरों के लहू में,  

मनुष्य के हृदय में  

जो तरल होकर  

बहता है,  

उसे कहते हैं हम 

कविता ।

नमस्ते namaste 

--

अभी अभी तो मेरे घर में चाँद उतरा है यूँ   उसके  हुस्न  पे   छाया  शबाब   धोका  है । तेरी    नज़र   ने   जिसे  बार   बार    देखा   है ।।1 वफ़ा-जफ़ा  की  कहानी  से  ये  हुआ  हासिल। था जिसपे नाज़ वो  सिक्का  हूज़ूर  खोटा  है ।2। 

तीखी कलम से 

--

साहित्यकार भरत चंद्र शर्मा को मिला गुजरात हिंदी साहित्य अकादमी का श्रेष्ठ कृति सम्मान  

--आज से शुरू हो रहा है 'बिहार दिवस पुस्तक मेला' 
एक बुक जर्नल 

--

अब जबकि "दी कश्मीर फाइल्स " एक जनांदोलन बन चुकी है , स्वत ; स्फूर्त जय श्री राम उद्घोष के साथ इसका प्रदर्शन हो रहा है , आप इसे नहीं देखना चाहेंगे

अब जबकि "दी कश्मीर फाइल्स " एक जनांदोलन बन चुकी है ,स्वत ; स्फूर्त जय श्री राम उद्घोष के साथ इसका प्रदर्शन हो रहा है ,आप इसे नहीं देखना चाहेंगे ? देर आयद सुरुस्त आयद और हम इस देरी का तहे दिल से स्वागत करते हैं शुक्रगुज़ार हैं नामचीन सीलिब्रिटीज़ आगे आये हैं इसकी अनुशंषा कर रहें हैं मुझसे आप से हम सबसे से के हम इस फिल्म को देखने अपने घरों से बाहर आएं क्या आप इस आग्रह की उपेक्षा कर पायेंगें। 


 

--

आख़िर कब यह युद्ध थमेगा रूस और यूक्रेन के मध्य हो रहे युद्ध का आज सत्ताईसवां दिन है। विनाश की इस लीला को सारा विश्व देख रहा है पर कोई भी कुछ कर नहीं पा रहा है। इसे रोकना तो दूर समझौते की बात भी कहीं चल नहीं रही है। इससे बड़ी मानवीय त्रासदी भला क्या होगी ? दूसरे विश्वयुद्ध के बाद सरकारों को यह समझ में आया था कि युद्ध कितने भयावह हो सकते हैं, इतने वर्षों तक सभी देशों ने संयम से काम लिया किंतु आज कुछ देशों की विस्तारवाद,साम्राज्यवाद और प्रभुत्व वाद की नीतियों के कारण भय, आशंका और संदेह के बादल सब ओर घिर गए हैं। अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ भी मूक दर्शक की तरह देख रही हैं डायरी के पन्नों से 

--

कवि कुछ ऐसा करिये गान 

अशर्फी लाल मिश्र 
कवि कुछ ऐसा करिये गान, होये  मानवता   का   मान। दानवता   सिर   उठा   रही, मानवता  है   सिसक   रही।।

काव्य दर्पण 

--

आज के लिए बस इतना ही...!

--

16 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    आभार सहित धन्यवाद मेरी रचना को आज के अंक में स्थान देने के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  2. रोचक लिंक्स से सुसज्जित चर्चा। मेरी प्रविष्टि को स्थान देने के लिए आभार।

    जवाब देंहटाएं
  3. उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्रीं जी।

    जवाब देंहटाएं
  4. आदरणीय शास्त्री जी, प्रणाम !
    वैविध्य पूर्ण रचनाओं का सुंदर और रोचक संकलन ।
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार ।
    बहुत बहुत शुभकामनाएँ ।

    जवाब देंहटाएं
  5. सुप्रभात! जल दिवस पर सुंदर रचनाओं तथा विविध विषयों पर अनेक रचनाओं के सूत्र देता सुंदर अंक! बहुत बहुत आभार मुझे भी इस मंच पर स्थान देने हेतु।

    जवाब देंहटाएं
  6. ओह...!
    गलती हो गयी जो इतने सारे लिंक लगा दिये।
    हाँ एक फायदा जरूर हुआ-
    "निष्क्रिय और अभिमानी लोगों की पहचान तो हुई।"

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत ही सुंदर संकलन।
    टोह को स्थान देने हेतु हृदय से आभार सर।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  8. शास्त्रीजी, आज की चर्चा सम्पूर्ण पत्रिका है. समाचार, लेख, कविता, व्यंजन विधि, ग़ज़ल,संस्मरण, हास्य....सबका समावेश है. इस अद्भुत संकलन में 'कविता' को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार. उम्मीद है, पढने वालों ने सुना भी होगा कविता को, ऑडियो लिंक के ज़रिये,जो चित्र के ठीक नीचे उपलब्ध है ब्लॉग पर. आपकी प्रतिक्रिया जान कर प्रसन्नता होगी. मार्गदर्शन मिलेगा. नमस्ते.

    जवाब देंहटाएं
  9. उम्दा लिंको से सजी लाजवाब चर्चा प्रस्तुति
    मेरी रचना को स्थान देने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आ. शास्त्री जी !

    जवाब देंहटाएं
  10. बेहद भावपूर्ण चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत ही सुन्दर और श्रमसाध्य प्रस्तुति आदरणीय शास्त्री सर, सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई

    जवाब देंहटाएं

  12. सुप्रभात,
    शास्त्री जी, जल-दिवस पर तथा अन्य विषयों पर भी लेख, कविता, संस्मरण, हास्य,व्यन्जन -विधि, ग़ज़ल , आलेख सभी का बहुत सुन्दर संकलन आपने प्रस्तुत किया है . कुछ रचना पढ़ ली हैं बाकी भी पढ़ रही हूँ देरी के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ , कल अस्वस्थ होने के कारण उपस्थित नहीं हो सकी. इतने सुन्दर संकलन में मेरी रचना को भी स्थान देने का बहुत शुक्रिया.

    जवाब देंहटाएं
  13. उम्दा रचनाओं के लिंक । सभज की शानदार प्रस्तुति ।मेरी भी ग़ज़ल को शामिल करने के लिए धन्यवाद आदरणीय🙏

    जवाब देंहटाएं
  14. आज सभी रचना पढ़ लीं . यथासंभव प्रतिक्रिया भी दी .विविध रंगों से रंगी सुन्दर प्रस्तुति.

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।