मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
आज की चर्चा में देखिए कुछ अद्यतन लिंक!
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दोहे, जल दिवस "मानव अब तो चेत"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
--पानी रे पानी!!!!!! विश्व जल दिवस पर
मेरा सृजन --गूँगी गुड़िया : टोह
स्मृति पन्नों पर बिखेर गुलाल
हृदय से उन्हें लगाऊँ।
जोगन बन खो जाऊँ प्रीत में
रूठें तो फिर-फिर मनाऊँ।
नल का पानी खारा क्यों है ? (विश्व जल दिवस)
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मन के भाव
जब पिरोए जाते
एक माला में
सजाए जाते वाक्यों में |
दिलसे सुनाए जाते
लयबद्ध किये जाते
दिखाई देते
दिल में छुपी
छवियों के रूप में
यही है कविता का
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भूमिका
“गुरुओं से सम्वाद-भावनाओं की सम्वेदना”
साहित्यकार/समीक्षक
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
जाने क्यूं जलते लोग,बुलंदियों के आ जाने पर
बदल जाते क्यूं रिश्तें, गुरबत के आ जाने पर
हटे नकाब अनदिखे, उजले चमके चेहरों से
खुल गई सभी बनावटें, तूफां के आ जाने पर
palash "पलाश" --पटना यात्रा अनुभव भाग - 1
ताऊ डाट इन --जब फागुन रंग झमकते थे
--भावी पीढ़ियों के लिए बचाइए नदियों और तालाबों को आज विश्व जल दिवस है। कल विश्व वानिकी दिवस था। जल और वन मिलकर ही न सिर्फ़ जीवन का निर्माण करते हैं ,बल्कि उसकी रक्षा भी करते हैं। विश्व जल दिवस के मौके पर आज थोड़ा समय निकाल कर हमें तमाम जल स्रोतों के संरक्षण और उनकी शुद्धता के बारे में सोचना चाहिए। स्थानीय तालाबों और नदी --नालों की हालत पर विचार करना चाहिए।
मेरे दिल की बात --हे श्रेष्ठ युग सम्राट सृजन के --
हे श्रेष्ठ युग सम्राट सृजन के
नमन अनेकों विराट कलम के....
लेखों के सुन्दर मधुवन में
सीखों के अनुपम उपवन में
मधुर विवेचन संचित बन के
नमन अनेकों विराट कलम के..
विश्व गौरैया दिवस "प्यारी गौरैया"
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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ख़ामोशी से आना और चले जाना होली का
होली का आना ख़ामोशी के साथ हुआ और उसी ख़ामोशी से उसका चले जाना भी हो गया. यदि कहें कि होली घर के भीतर आई नहीं बल्कि बाहर से ही मिलकर लौट गई तो यह भी गलत नहीं होगा. न हंगामा, न बच्चों का हुडदंग, न शोर-शराबा, न मस्ती-धमाल, बस जरा-जरा से होंठ फैलाते हुए होली की शुभकामनाओं का आदान-प्रदान और बस चुटकी भर गुलाल से ही माथे पर टीका लगा दिया. यदि आपस में बहुत ज्यादा घनिष्टता दिखी तो माथे पर लगाये जाने के बाद शेष बचे उसी चुटकी भर गुलाल को गालों पर भी छू सा दिया. बस, हो गई होली. ये होली किसी बड़े-बुजुर्ग की नहीं, किसी उम्रदराज की नहीं बल्कि युवाओं की, बच्चों की भी होली कुछ इसी तरह से निकल रही है.... रायटोक्रेट कुमारेन्द्र--
सच बड़ा तन्हा उपेक्षित राह एकाकी चला
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अनुष्टुप्छन्दः/अनुष्टुप छन्द (संस्कृत-हिन्दी में एक साथ)
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ले गुलाबी दुआ, जा तुझे इश्क़ हो (ग़ज़ल) होली हास्य में डूबी हुई एक ग़ज़ल 👇 आज उसने कहा,जा तुझे इश्क़ हो हाल दिल का सुना,जा तुझे इश्क़ हो दिलरुबा कोई तुझको मिले प्यार से तू भी हो बावरा, जा तुझे इश्क़ हो हिज्र का ग़म तुझे भी सताये कभी तू करे रतजगा, जा तुझे इश्क़ हो क्यों दहलता है तू प्यार के नाम से इश्क़ में डूब जा, जा तुझे इश्क़ हो कौन देता किसी को हसीं ये दुआ ले गुलाबी दुआ, जा तुझे इश्क़ हो डॉ. रजनी मल्होत्रा नैय्यर बोकारो थर्मल, झारखंड चाँदनी रात ( लक्ष्य )
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:1:
जब प्यार भरे बादल,
सावन में बरसें,
भीगे तन-मन-आँचल।
:2:
प्यासी आँखें तरसी,
बदली तो उमड़ी,
जाने न कहाँ बरसी ?
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कम तेल में बनाये भिंडी की कुरकुरी सब्जी (crispy bhindi in less oil)
आपकी सहेली ज्योति देहलीवाल--
मुरली की तान में,
मृग की कस्तूरी में,
फूलों के पराग में,
माँ की लोरी में,
वीरों के लहू में,
मनुष्य के हृदय में
जो तरल होकर
बहता है,
उसे कहते हैं हम
कविता ।
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अभी अभी तो मेरे घर में चाँद उतरा है यूँ उसके हुस्न पे छाया शबाब धोका है । तेरी नज़र ने जिसे बार बार देखा है ।।1 वफ़ा-जफ़ा की कहानी से ये हुआ हासिल। था जिसपे नाज़ वो सिक्का हूज़ूर खोटा है ।2।
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साहित्यकार भरत चंद्र शर्मा को मिला गुजरात हिंदी साहित्य अकादमी का श्रेष्ठ कृति सम्मान
--आज से शुरू हो रहा है 'बिहार दिवस पुस्तक मेला' एक बुक जर्नल--
अब जबकि "दी कश्मीर फाइल्स " एक जनांदोलन बन चुकी है , स्वत ; स्फूर्त जय श्री राम उद्घोष के साथ इसका प्रदर्शन हो रहा है , आप इसे नहीं देखना चाहेंगे
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आख़िर कब यह युद्ध थमेगा रूस और यूक्रेन के मध्य हो रहे युद्ध का आज सत्ताईसवां दिन है। विनाश की इस लीला को सारा विश्व देख रहा है पर कोई भी कुछ कर नहीं पा रहा है। इसे रोकना तो दूर समझौते की बात भी कहीं चल नहीं रही है। इससे बड़ी मानवीय त्रासदी भला क्या होगी ? दूसरे विश्वयुद्ध के बाद सरकारों को यह समझ में आया था कि युद्ध कितने भयावह हो सकते हैं, इतने वर्षों तक सभी देशों ने संयम से काम लिया किंतु आज कुछ देशों की विस्तारवाद,साम्राज्यवाद और प्रभुत्व वाद की नीतियों के कारण भय, आशंका और संदेह के बादल सब ओर घिर गए हैं। अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ भी मूक दर्शक की तरह देख रही हैं डायरी के पन्नों से
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आज के लिए बस इतना ही...!
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सुप्रभात
जवाब देंहटाएंआभार सहित धन्यवाद मेरी रचना को आज के अंक में स्थान देने के लिए |
रोचक लिंक्स से सुसज्जित चर्चा। मेरी प्रविष्टि को स्थान देने के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्रीं जी।
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी, प्रणाम !
जवाब देंहटाएंवैविध्य पूर्ण रचनाओं का सुंदर और रोचक संकलन ।
मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार ।
बहुत बहुत शुभकामनाएँ ।
सुप्रभात! जल दिवस पर सुंदर रचनाओं तथा विविध विषयों पर अनेक रचनाओं के सूत्र देता सुंदर अंक! बहुत बहुत आभार मुझे भी इस मंच पर स्थान देने हेतु।
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा।
जवाब देंहटाएंओह...!
जवाब देंहटाएंगलती हो गयी जो इतने सारे लिंक लगा दिये।
हाँ एक फायदा जरूर हुआ-
"निष्क्रिय और अभिमानी लोगों की पहचान तो हुई।"
बहुत ही सुंदर संकलन।
जवाब देंहटाएंटोह को स्थान देने हेतु हृदय से आभार सर।
सादर
शास्त्रीजी, आज की चर्चा सम्पूर्ण पत्रिका है. समाचार, लेख, कविता, व्यंजन विधि, ग़ज़ल,संस्मरण, हास्य....सबका समावेश है. इस अद्भुत संकलन में 'कविता' को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार. उम्मीद है, पढने वालों ने सुना भी होगा कविता को, ऑडियो लिंक के ज़रिये,जो चित्र के ठीक नीचे उपलब्ध है ब्लॉग पर. आपकी प्रतिक्रिया जान कर प्रसन्नता होगी. मार्गदर्शन मिलेगा. नमस्ते.
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंको से सजी लाजवाब चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आ. शास्त्री जी !
बेहद भावपूर्ण चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और श्रमसाध्य प्रस्तुति आदरणीय शास्त्री सर, सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई
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जवाब देंहटाएंसुप्रभात,
शास्त्री जी, जल-दिवस पर तथा अन्य विषयों पर भी लेख, कविता, संस्मरण, हास्य,व्यन्जन -विधि, ग़ज़ल , आलेख सभी का बहुत सुन्दर संकलन आपने प्रस्तुत किया है . कुछ रचना पढ़ ली हैं बाकी भी पढ़ रही हूँ देरी के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ , कल अस्वस्थ होने के कारण उपस्थित नहीं हो सकी. इतने सुन्दर संकलन में मेरी रचना को भी स्थान देने का बहुत शुक्रिया.
Very nice collection.
जवाब देंहटाएंउम्दा रचनाओं के लिंक । सभज की शानदार प्रस्तुति ।मेरी भी ग़ज़ल को शामिल करने के लिए धन्यवाद आदरणीय🙏
जवाब देंहटाएंआज सभी रचना पढ़ लीं . यथासंभव प्रतिक्रिया भी दी .विविध रंगों से रंगी सुन्दर प्रस्तुति.
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