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सोमवार, अगस्त 08, 2022

'इतना सितम अच्छा नहीं अपने सरूर पे'( चर्चा अंक 4515)

सादर अभिवादन। 

सोमवारीय प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। 

शीर्षक व काव्यांश आ. डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी की गजल 'यूँ अपनी इबादत का दिखावा न कीजिएसे -

इतना सितम अच्छा नहीं अपने सरूर पे
तुम खुद ही पुरज़माल हो अपने शऊर पे
--
इंसानियत को दरकिनार कर दिया तुमने
इतना नशे में चूर हो अपने गुरूर पे
--

आइए अब पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-   

--

उच्चारण: ग़ज़ल "यूँ अपनी इबादत का दिखावा न कीजिए" 

इतना सितम अच्छा नहीं अपने सरूर पे
तुम खुद ही पुरज़माल हो अपने शऊर पे
--
इंसानियत को दरकिनार कर दिया तुमने
इतना नशे में चूर हो अपने गुरूर पे
--
ऐ दोस्त
अबके जब आना न
तो ले आना हाथों में
थोड़ा सा बचपन
घर के पीछे बग़ीचे में खोद के
बो देंगे मिल कर
फिर निकल पड़ेंगे हम
हाथों में हाथ लिए
--

निकालकर फेक चुका हूँ तुम्हें
ख्यालों के पन्नों से ,
ख़्वाबों के धागों से ।
हम लापता ज़रूर हैं लेकिन विलुप्त नहीं,
प्रवासी पक्षियों के साथ एक दिन
लौट आएंगे, हमारा इंतज़ार
करना,
पर रेत को थमाते हुए 
सागर की बाहों में 
उसने सदा से 
अपने जख्मों को 
छुपाकर रखा 
वीणा के तारों में मुखरित
सपनों का संसार नया
जाग उठा आनंद अलौकिक 
जीवन होता निरामया।
सबसे क़रीबी दोस्त वह होता है, 
जिससे इंसान अपने महबूब के बारे में बात करता है, 
अपने ख़्वाबों के बारे में बात करता है. 

दुनिया का हर रिश्ता खुदा ने बड़ी मोहब्बत से है बनाया 
हर रिश्ते में एहसास ,प्यार जज़्बात सब उसने कूट -कूट कर है सँजोया 
पर हम जन्मते ही एक प्यारा खूबसूरत रिश्ता खुद बना बैठते हैं 
अपने दोस्त हम खुद बा-खुद  बचपन में ही बना बैठते हैं 
ना होता कोई खून का रिश्ता उनसे ,
अभी एक बाल पत्रिका के सम्पादकीय में एक प्रसंग है कि किसी स्कूल में आजादी के अमृतमहोत्सव में अध्यक्ष बच्चों को बताते हैं कि हमारे देश को आज़ाद हुए 75 वर्ष हो चुके हैं लेकिन असली आजादी मिलनी अभी बाकी है . इस तरह के रटे रटाए भाषण मंचों पर अक्सर सुनने मिल जाते हैं . मैं चकित हूँ ..और कितनी आजादी चाहिये .
समय समय पर पुरुष याद दिलाते रहते है कि घर का काम करने से महिलाएं स्वास्थ रहती है या आजकल महिलाए इसलिए मोटी होती जा रही है क्योंकि उन्होने घर से सील लोढ़ा , चकरी आदि हटा कर मीक्सी ला दिया है । इससे वो अपनी सेहत भी खो रही है और खाने का स्वाद भी खराब हो रहा है । ऐसी ही एक टिप्पणी किसी ना की कि
यही नहीं, वर्तमान सत्ताधारी दल भाजपा से भी अधिवक्ता समुदाय का एक बड़ा धड़ा आज भी जुड़ा हुआ है और देश सेवा में संलग्न है. वित्त मंत्री रहे अरुण जेटली एक प्रतिष्ठित एडवोकेट थे. स्व सुषमा स्वराज एक प्रख्यात एडवोकेट थी, पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पहले जयप्रकाश नारायण के आन्दोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। आपातकाल का पुरजोर विरोध करने के बाद वे सक्रिय राजनीति से जुड़ गयीं। 
-- 
आज का सफ़र यहीं तक 
@अनीता सैनी 'दीप्ति'  

14 टिप्‍पणियां:

  1. धन्यवाद आदरणीय सुन्दर संकलन

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
    आपका आभार @अनीता सैनी 'दीप्ति' जी।
    यदि तबियत सही रही तो शनिवार की चर्चा लगाऊँगा।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुन्दर सार्थक प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को चयनित करने के लिए सहृदय आभार सखी सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. सार्थक प्रस्‍तुति... सभी लिंक बहुत सुंदर हैं अनीता जी, आपकी मेहनत को नमन

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत खूबसूरत चर्चा संकलन

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत खूबसूरत चर्चा संकलन

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर सराहनीय अंक अनीता जी । सादर शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुंदर प्रस्तुति, अधिवक्ताओं को अपनी चर्चा में स्थान दे सम्मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद अनीता जी 🙏🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  9. गजल -यूँ अपनी इबादत का…
    कविता-तुम दिखती हो
    कविता- जी उठेंगे इक दिन
    कविता-नदी
    कविता- सब कुछ लगता नया-नया
    दोस्त कौन होता है
    आलेख-ओर कितनी आजादी
    आलेख- सिल ,लोढ़ा, चकरी
    आलेख-अधिवक्ता एक बार फिर…
    सभी रचनाओं का चयन वैविध्यपूर्ण व सुरुचिपूर्ण है । आपको व रचनाकारों को बधाई। कोशिश की कि सब पर कमेन्ट कर सकूँ पर कुछ पर नहीं हो सका । मेरी रचना के चयन के लिए आभार और देर से आने के लिए क्षमा🙏😊

    जवाब देंहटाएं
  10. सभी रचनाएं पढ़ी । इस बार चयन सामान्य से बहुत ऊपर है अनीता जी . मेरी रचना को शामिल करने का आभार

    जवाब देंहटाएं
  11. मेरी रचना का चयन करने के लिए शुक्रिया…आपके द्वारा दी गई सूचना स्पैम में चली गई थी। अभी देखा😊

    जवाब देंहटाएं

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