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शनिवार, अगस्त 27, 2022

"सभ्यता पर ज़ुल्म ढाती है सुरा" (चर्चा अंक-4534)

 चर्चा मंच के सभी पाठकों को स्नेहिल अभिवादन!

मित्रों! देखिए शनिवार की चर्चा में कुछ अद्यतन लिंक।

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गीत "सभ्यता पर ज़ुल्म ढाती है सुरा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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ज़िन्दगी को आज खाती है सुरा।
मौत का पैगाम लाती है सुरा।।
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उदर में जब पड़ गई दो घूँट हाला,
प्रेयसी लगनी लगी हर एक बाला,
जानवर जैसा बनाती है सुरा।
मौत का पैगाम लाती है सुरा।। 

उच्चारण 

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हाँ वो सच्चे वीर थे 

वो रक्षक रणवीर थे ! 
हाँ वो सच्चे वीर थे 
हाँ वो सच्चे वीर थे ! 

Sudhinama 

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मैं #रचनाओं को अपनी ! 

इमेज गूगल साभार

 मैं #रचनाओं को अपनी, एक #तमाशा बनाता हूं । मचलती हुई मीडिया की, दरों दीवार पर चिपकाता हूं। 

मेरी अभिVयक्ति 

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सुगम गीता (द्वितीय अध्याय 'प्रथम भाग') 

मृत या मरणासन्न पर, आह नहीं पण्डित भरे।
शोक-योग्य दोनों नहीं, बात ज्ञानियों सी करे।।१।।
उल्लाला 

तुम मैं या ये भूप सब, वर्तमान हर काल में। 
रहने वाले ये सदा, आगे भी हर हाल में।।२।। 
उल्लाला 

तीन अवस्था देह को, जैसे होती प्राप्त। 
देही को तन त्यों मिले, मोह हृदय क्यों व्याप्त।।३।। 

Nayekavi वासुदेव अग्रवाल नमन

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नियति के हवाले 

राग दरबारी के सुर में सुर मिलाते हुए, रंगीन प्यालों में भर कर
असत्य का विष पी रहे हैं सभी ।

अग्निशिखा 

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क्या लिखूं क्या नहीं 

बारम्बार  लिखना लिखाना 

फिर खोजना क्या नवीन लिखा 

पर निराशा में डूब जाना 

कुछ  नया न लगा नए लेखन में | 

Akanksha -asha.blog spot.com 

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जीवन उत्सव 

क्यो तकते राह उत्सवों की
क्यो साल भर बैठ 
इंतजार करते जन्मदिन का
क्यो नहीं मनाते हम हर एक दिन को
क्यो नहीं सुबह मनाते
क्यो शामें उदास सी गुजार देते 

मेरे मन का एक कोना 

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पाकिस्तान के संकट का क्या हमें फायदा उठाना चाहिए? 

भारत और पाकिस्तान ने इस साल एक साथ स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे किए हैं। पर दोनों के तौर-तरीकों में अंतर है। भारत प्रगति की सीढ़ियाँ चढ़ता जा रहा है, और पाकिस्तान दुर्दशा के गहरे गड्ढे में गिरता जा रहा है। जुलाई के अंतिम सप्ताह में पाकिस्तान सरकार ने देश चलाने के लिए विदेशियों को संपत्ति बेचने का फैसला किया है।  जिज्ञासा 

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जीवन का सुख सारा बचपन प्यारा-न्यारा-दुलारा बचपन
नहीं था चिंता कोई फिकर-गम
अल्हड़पन में डूबा निडर मन
मां की ममता पिता का डर
जिद्दी बन हठ करता मगर
दादी मां की कहानी सुनकर
दौड़ते गलियों में सब दिनभर 
BHARTI DAS 

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बकरी पाती खात है ताकी काढ़ी खाल। जे नर बकरी खात हैं, ताको कौन हवाल।। #कबीर 

Moral of the story 
जब बेगुनाह की खाल उतार ली जाती है तो 
गुनाहगार का क्या हश्र होगा!!!!

नया सवेरा 

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टीस.... 

फिर सिमट गये ख्वाब सारे, 
उम्र की दराज़ मे।  

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एक यादगार यात्रा 

दौड़ने दो खुले मैदानों में,

इन नन्हें कदमों को जनाब

जिंदगी बहुत तेज भगाती है,

बचपन गुजर जाने के बाद

बचपन की वो यादें अब भी आती हैं

रोते में अब भी वो हँसा जाती हैं|  अज्ञात... 

यह पंक्तियां न जाने किसकी लिखी हैं पर इन पंक्तियों के भाव जैसा मन कई बार बचपने और उन यादों जगह पर ले जाता है जहां पैदा हुई और कुछ बचपन बीता। 

कुछ मेरी कलम से  kuch meri kalam se ** 

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कठोपनिषद में बालक नचिकेता ये देखकर हैरान हो जाता है ,क्यों उसके पिता विश्वजीत यज्ञ में ऐसी गायें दान में दे रहें हैं जो अपने हिस्से का चारा खा चुकीं हैं ,दूध दे चुकी हैं पानी पी चुकीं हैं और जिन्हें दान में देने से मेरे पिता को अपयश ही मिलेगा। आज

कठोपनिषद में बालक नचिकेता ये देखकर हैरान हो जाता है ,क्यों उसके पिता विश्वजीत यज्ञ में ऐसी गायें दान में दे रहें हैं जो अपने हिस्से का चारा खा चुकीं हैं ,दूध दे चुकी हैं पानी पी चुकीं हैं और जिन्हें दान में देने से मेरे पिता को अपयश ही मिलेगा। आज दूध दही का खाना हरा भरा हरियाणा का नारा देने वाला हरियाणा गौ वंश की दुर्दशा को असहाय निहार रहा है जब के दूध देने में असमर्थ बे -सहारा गौ- वंश शहर की सड़कों पर डेरा डाले हुए अहर्निस नागर सुरक्षा के लिए ट्रेफिक के लिए ख़तरा बन रहा है।  



कबीरा खडा़ बाज़ार में 

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How to describe people in English? हर व्यक्ति अपने आप में अलग होता है। हर एक की अपनी-अपनी विशेषताएं होती हैं। अंग्रेज़ी में तरह-तरह की खूबियो वाले व्यक्तियों के लिए अलग-अलग शब्दों का प्रयोग होता है। कुछ की लिस्ट यहाँ दी जा रही है। कुछ और शब्दों की लिस्ट बाद में। आप अपनी प्रतिक्रिया देकर बता सकते हैं कि आपको हमारा यह प्रयास कैसा लगा। किसी और टॉपिक कुछ जानकारी चाहते हैं तो उसके बारे में भी बता सकते हैं। 

वोकल बाबा 

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ग़म का कारोबार नहीं करते ( आधी अधूरी कहानी ) डॉ लोक सेतिया 25 साल की उम्र में ज़िंदगी से सामना हुआ तो कुछ महीनों में दोस्ती रिश्ते अपनापन की वास्तविकता समझ आ गई थी , हर कोई मुझे इस्तेमाल करना चाहता था और कोई कीमत नहीं समझ कर खरीदार बन कर मुझे पाना चाहता था बदले में देना कुछ भी नहीं चाहता था । 

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कहानी- पूर्वाग्रह 

घर के सामने बीएमडब्ल्यू के रुकने की आवाज सुनकर छोटे भाई शरद ने आश्चर्यचकित होकर मुझे आवाज लगाई,"शिल्पा दी, देखो तो अपने यहां बीएमडब्ल्यू से कौन आ रहा है?"  
"अपने यहां और बीएमडब्ल्यू से? सपना तो नहीं देख रहा है तू?" 

आपकी सहेली ज्योति देहलीवाल 

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आज के लिए बस इतना ही...!

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4 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय मयंक सर ,
    मेरी इस प्रविष्टि् "#मैं रचनाओं को अपनी ! " की चर्चा आज के अंक "सभ्यता पर ज़ुल्म ढाती है सुरा" (चर्चा अंक-4534) पर शामिल करने के लिए बहुत धन्यवाद और आभार ।
    इस अंक में सम्मिलित और संकलित सभी रचनाएं बहुत उम्दा है , सभी आदरणीय को बहुत बधाइयां ।
    सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर और सार्थक चर्चा। उम्दा लिकों से सजी इस प्रस्तुति के परमआदरणीय रूपचंद्र शास्त्री 'मयंक' सर को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ। साथ ही सभी रचनाकारों को बधाई। चर्चा में मुझे भी स्थान देने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार सर।

    जवाब देंहटाएं
  3. उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।

    जवाब देंहटाएं
  4. शानदार चर्चाएं..... इन सबके बीच मुझे भी शामिल करने का शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं

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