---- रविकर
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कविता तो १२ जुलाई को लिखी गयी थी. .
पर समय के अभाव और उसके प्रस्तुतिकरण ने थोडा वक़्त ले लिया. .
(1)
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डॉक्टर अमर कुमार - एक श्रद्धांजलि!!
तुम्हारी कब्र पर मैं
फ़ातेहा पढ़ने नही आया,
मुझे मालूम था, तुम मर नही सकते
तुम्हारी मौत की सच्ची खबर
जिसने उड़ाई थी, वो झूठा था,
वो तुम कब थे?
कोई सूखा हुआ पत्ता, हवा मे गिर के टूटा था ।
अनूठी श्रद्धांजलि
डॉ.अमर कुमार एक बहुविध अध्ययनशील ,प्रखर मेधा के धनी ब्लॉगर थे -
साथ ही जिजीविषा ऐसी की अपनी बीमारी के बाद भी
बिना इसका अहसास लोगों को दिलाये वे लगातार
लोगों के चिट्ठों को ध्यान से पढ़ते और सारगर्भित टिप्पणियाँ करते ...
योग्य उत्तराधिकारी की तलाश .संसद की प्रासंगिकता क्या है ?अन्ना जी का जीवन देश की नैतिक शक्ति का जीवन है जिसे हर हाल बचाना ज़रूरी है .सरकार का क्या है एक जायेगी दूसरी आ जायेगी लेकिन दूसरे "अन्ना जी कहाँ से लाइयेगा "? और फिर ऐसी संसद की प्रासंगिकता ही क्या है जिसने गत ६४ सालों में एक "प्रति -समाज" की स्थापना की है समाज को खंड खंड विखंडित करके , टुकडा टुकडा तोड़कर ।जिसमें औरत की अस्मत के लूटेरे हैं , समाज को बाँट कर लड़ाने वाले धूर्त हैं . मनमोहन जी गोल मोल भाषा न बोलें? |
(4) अष्टावक्र अन्ना के आंदोलन पर नुक्कड़ बहस
सुबह सुबह नुक्कड़ पर यूरिया वाली चाय पीते समय हमनें कहा --
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(5) मेरे सपनों का संसार मेरे सपनों का संसार जहाँ जीवन का हर रंग बहे, ऐसा मुझे उपहार चाहिए सद्भावों का जहाँ फूल खिले, ऐसा मुझे संसार चाहिए । |
फोटो ब्लॉगअशोक बजाज पारागांव में नशामुक्ति के लिए चौपाल महिलायें मुख्यमंत्री के विश्वास में खरा उतरें |
BHRAMAR KA JHAROKHA-DARD-E-दिल(8)भ्रष्टाचारी भारत में -रह लो ?? नहीं -कहेंगे-भारत छोडो …
भ्रष्टाचारी भारत में -रह लो ??
नहीं -कहेंगे-भारत छोडो … गोरे होते तो कह देते “काले” हो तुम-भाई -मेरे शर्म हमें -ये “नारा’ देते ———————- ये आन्दोलन बहुत बड़ा है खून –पसीना- सभी लगा है ! बहने -भाई -बाप तुम्हारा बेटा देखो साथ खड़ा है !! |
(9) स्वप्नरंजिता आशा जोगळेकर परिचय आम हिन्दुस्तानी औरत, कभी कामकाजी हुआ करती थी दिल्ली में। १९९९ तक। अब तो बेटों की वजह से साल में ६ महीने अमेरीका में वास । कविताओं का शौक परिवार की देन है।कविता मुझ जैसे आलसीयों के लिये ही है। कम से कम शब्दों में अपनी बात कहने का आसान तरीका। इस ब्लॉग को सजाने का श्रेय मेरे पती श्री सुरेश जोगळेकर को जाता है । विचार और स्वास्थ्य सुझाव संकलित हैं। श्रीमद् भागवतव्यंजनम यह महाकवि ढुंढिराज शास्त्री काले द्वारा रचित मूल संस्क़ृत ग्रंथ श्रीमद् भागवतव्यंजनम का हिंदी पद्यानुवाद है । यह उन्ही के प्रपौत्र (स्व.)श्री अनिल काले द्वारा रचित है । श्री कालेने अपनी लंबी अस्वस्थता के होते हुए भी केवल इच्छाशक्ती के बल पर इसे पूरा किया और इसे प्रकाशित भी किया । उनकी इच्छा थी कि यह मौलिक संस्कृत ग्रंथ जन जन तक पहुँचे । इसीसे यह काव्य ब्लॉग पर डालने का उपक्रम मैने हाथ में लिया है इतना ही । एक लहर उठी एक लहर उठी धीरे धीरे वह फैल गई धीरे धीरे उसमें फिर और कई धारें जुडती ही गईं धीरे धीरे । |
(10)
कुँवर कुसुमेश
वाक़ई आज है तूफां के मुक़ाबिल अन्ना.
कल मगर देखना मिल जायेगी मंज़िल अन्ना.
जो लड़ाई में हैं इस दौर में शामिल अन्ना,
दौरे-मुश्किल नहीं उनके लिए मुश्किल अन्ना.
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कृष्णावतार(11)
कृष्ण !
कहा था तुमने जब जब होगी धर्म की हानि तुम आओगे धरती पर , आज मानव कर रहा है तुम्हारा इंतज़ार हे माखनचोर कब लोगे तुम अवतार ? |
(12)
कोरे सपने.......
बिना तुम्हारे बंजर होगा आसमान
उजड़ी सी होगी सारी जमीन
फिर उसी धधकते हुए सूर्य के प्रखर तले
सब ओर चिलचिलाती काली चट्टानों पर
नीलकमल वैष्णव"अनिश"
(12)
कोरे सपने.......
बिना तुम्हारे बंजर होगा आसमान
उजड़ी सी होगी सारी जमीन
फिर उसी धधकते हुए सूर्य के प्रखर तले
सब ओर चिलचिलाती काली चट्टानों पर
नीलकमल वैष्णव"अनिश"
एक बार फिर विचार करे सुप्रीम कोर्ट(13)एक बार फिर विचार करे सुप्रीम कोर्ट .कहना पड़ रहा है किन्तु क्या कहें ये ज़रूरी है कि एक बार सुप्रीम कोर्ट अपने आज अमर उजाला के पृष्ठ ११ पर प्रकाशित निर्णय पर विचार करे निर्णय का शीर्षक है ''जन्मपत्री मान्य ,पर एक कमज़ोर सबूत:सुप्रीम कोर्ट ''इस निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी शख्स की जन्मतिथि साबित करने के लिए उसकी जन्मपत्री को सबूत तौर पर स्वीकार तो किया जा सकता है लेकिन यह ज्यादा विश्वसनीय नहीं होती है |
बचपन के गलियारेजब मैं------|जब मैं छोटी थी खट्टी -मीठी इमली /सुधा भार्गवमैं जब छोटी थी मुझे इमली .बेर ,जामुन खाने का बड़ा शौक था। लेकिन उन्हें खाते ही खांसी हो जाती।गले से ऐसी आवाज निकालती मानो कुत्ता भौंक रहा हो | मुझे खांसता देख पिताजी को----- |
(15)
साक्षीभाव
सुबह आँख खुलते ही ख्याल आया कि मैं देख रही हूँ अपनेआपको कि उठने में आलस आरहा है .मन में कुछ इसतरह से विचारप्रक्रिया चली कि उठो या न उठो ,
मुझे तो कुछ फर्क नही पड़ता .मैं तो सम्पूर्ण हूँ जल्दी उठने या देर से उठने से
मुझे तो कोई फर्क पड़ने वाला है नही पर तुम्हारा ही चेहरा लटक जायेगा कि
आज भी ठीक से योगा नही कर पाई देर से उठनेकी वजह से .ठीकसे योगा करना
शरीर को तन्दरुस्त रखने के लिए जरूरी है.शरीर अस्वस्थ रहा तो रोजमर्रा के काम
ठीकसे नही हो पायेगें,तो भई मेरा काम तो देखना है ,मैं तो देख रही हूँ कि
तुम उठने में आलस कर रही हो फिर परेशानी में पड़ोगी तो वह भी देख लूँगी
और हंसी आयेगी तुमपर कि चाहती कुछ हो और करती कुछ हो.
सर्दी,गर्मी बारिश, धूप-छाँव ,रोशनी-अँधेरा इन सबका प्रभाव तुम्हारे शरीर पर पड़ता है तो
उसके लिए क्या सावधानी करनी चाहिए सब पता है.मैं तो साक्षीभाव से देख रही हूँ .
तुम्हे पूरी आजादी है सोई रहो देरतक ,मुझे क्या लेनादेना .
और फिर मैं लेटी न रह सकी उठ ही गई....
सागर(16)हे कमल नयन मुरली वाले...!!!
हे कमल नयन मुरली वाले,
इतना वरदान मुझे दीजै,
राधा का पद वापस लेकर,
रुकमिणी का नाम दिला दीजै,
तुमने आशीष दिया था जो,
मैं सदा तुम्हारी कहलाऊं,
अब पता चल गया है मुझको,
वह सब बस एक दिखावा था |
मैमुझे पढ़ने-लिखने का शौक है तथा झूठ से मुझे सख्त नफरत है।
मैं जो भी महसूस करती हूँ, निर्भयता से उसे लिखती हूँ। अ
पनी प्रशंसा करना मुझे आता नही इसलिए मुझे अपने बारे में सभी मित्रों की
टिप्पणियों पर कोई एतराज भी नही होता है। मेरा ब्लॉग पढ़कर
आप नि:संकोच मेरी त्रुटियों को अवश्य बताएँ। मैं विश्वास दिलाती हूँ कि
हरेक ब्लॉगर मित्र के अच्छे स्रजन की अवश्य सराहना करूँगी।
ज़ाल-जगतरूपी महासागर की मैं तो मात्र एक अकिंचन बून्द हूँ।
आपके आशीर्वाद की आकांक्षिणी- "श्रीमती वन्दना गुप्ता"
भारत माँ की लाज बचाओ(18)
देश प्रेम की आयी आँधी,
अलख जगाई आशा बांधी.
भ्रष्ट लुटेरों का समाज,
जनहित गया गर्त में आज.
बेचा देश , बेंच दी धरती,
माँ पर फिर, बेड़ियाँ जकड दी |
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(20)
समयचक्रजन लोकपाल : मैं तो श्री अन्ना जी के साथ हूँ ...आज श्री अन्ना जी के अनशन का दस वां दिन है और उनके स्वास्थ्य में निरंतर गिरावट आ रही है और सरकार के प्रति लगातार जनाक्रोश बढ़ रहा है . सरकार द्वारा कल जो सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी |
बहुत बढ़िया चर्चा और लिंक्स |बधाई
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत सुन्दर और सतरंगी चर्चा।
जवाब देंहटाएंलिंक भी बहुत अच्छे दिये हैं आपने पढ़ने के लिए।
--
भाई गुप्ता जी।
आप बहुत मनोयोग से चर्चा करते हैं। मेरा सुझाव है कि आप चर्चा अपग्रेड एडीटर से लगा कर उसे ड्राफ्ट करने के बाद पुराने एडीटर से उसमें आवश्यक सम्पादन करेंगे तो चर्चा मंच के व्यवस्थापक को इसमें दोबारा से परिश्रम नहीं करना पड़ेगा।
--
कृपया मेरी बात को अन्यथा न लें।
आप अच्छे से सीख जाएँ, मेरी यही कामना है
बहुत बढ़िया चर्चा और लिंक्स |बधाई
जवाब देंहटाएंरंगबिरंगी बेहतरीन चर्चा.
जवाब देंहटाएंमुझे स्थान देने के लिए आभार.
@ अपग्रेड एडीटर से लगा कर उसे ड्राफ्ट करने के बाद पुराने एडीटर से उसमें आवश्यक सम्पादन करेंगे ||
जवाब देंहटाएंकृपया मार्गदर्शन करें ||
विधि से अवगत कराने का कष्ट करें ||
बहुत-बहुत आभार ||
सीखने के लिए सदैव तत्पर ||
बहुत सुन्दर चर्चा मुझे स्थान देने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा और लिंक्स |बधाई मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार.....
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार है आज की चर्चा .आपने चुन चुन कर सराहनीय लिंक्स किये हैं .मेरी पोस्टएक बार फिर विचार करे सुप्रीम कोर्ट को यहाँ स्थान देने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सारगर्भित लिंक्स..रोचक चर्चा..
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छे लिंक्स ...बेहतरीन प्रस्तुति के लिये आभार ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर व सारगर्भित लिंक संयोजन्।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक्स से सजी उम्दा चर्चा । आपका आभार।
जवाब देंहटाएंप्रिय और आदरणीय रविकर जी अभिवादन ,
जवाब देंहटाएंमेरे प्रधान मेरे मोहन से शुरू हुयी ये आप की दमदार जोश बढाती- अन्ना की साँसे और मजबूत करती -समय चक्र पर ख़त्म जो हो रही -ये समय चक्र आज बहुत कुछ कह जा रहा की अब इस समय नहीं तो फिर कभी नहीं -रोज आंधी नहीं चलती कश्तियाँ इस समय तेज दौड़ सकती है- इन अपने अनुकूल चल रही हवाओं का भरपूर उपयोग करें सब , सभी अन्ना बनें और अपने देश को दुनिया के शिखर पर ले चलें ..अब जय जवान के चीफ आफ आर्मी स्टाफ भी साथ निभा रहे ....बहुत सुन्दर रचनाये सभी कवी मित्रों को सलाम आइये ये दौर जारी रखें और जोश देते रहें
भ्रमर५
बढ़िया चर्चा....
जवाब देंहटाएंसादरआभार...
दिनेश जी नमस्कार
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद इतने सारे ज्ञानवर्धक लिंक्स के लिए और मेरी कविता को अपने मंच में स्थान देने के लिए शुक्रिया
आप मेरे ब्लॉगों में आये आये तो और भी ज्यादा ख़ुशी होगी मुझे भीअगर आप यहाँ की सदस्यता ले तो....
MITRA-MADHUR
MADHUR VAANI
BINDAAS_BAATEN
रोचक और सारगर्भित लिंक्स ...आभार
जवाब देंहटाएंbahut hi badiya links ke saath sarthak charcha prastuti ke liye aabhar!
जवाब देंहटाएंमैं भी अन्ना तू भी अन्ना
जवाब देंहटाएंसरकार चबाए मीठा गन्ना :)
चर्चा में विभिन्न विषयों और बेहतरीन लिंक्स का चयन किया गया है।
जवाब देंहटाएंबेहतर लिंक्स देकर आपने सराहनीय चर्चा की है।
जवाब देंहटाएंचर्चामंच में स्थान देने के लिए आभार।
Nice post .
जवाब देंहटाएंApki post ke ansh 'Bloggers' meet weekly' men shamil ki ja rahe hain
Aap dekh sakte hain Monday ko .
सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंSunder charcha. Meri kawita ko is charcha me sammilit karane ke liye dhanyawad.
जवाब देंहटाएंसुन्दर सूत्र श्रंखला।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति और लिंक्स देने के लिए आभार!!
जवाब देंहटाएं