- Kunnu said...
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Bachche bhagvan ki sabse sundar rachna hain. In dono vijetaon ko BADHAYI.
Aasha hai ispe koi vivad nahee hoga.
14/02/2010 23:22
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राजकुमार जैन 'राजन' said...
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दोनों विजेताओं को हार्दिक बधाईयाँ।
14/02/2010 23:26
- अनूप शुक्ल said...
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मुबारक!
14/02/2010 23:27
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रंजना [रंजू भाटिया] said...
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वाह बहुत बहुत बधाई
14/02/2010 23:44
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अविनाश वाचस्पति said...
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बच्चे मन के सच्चे
ब्लॉगजगत की आंख के तारे
ये वो नन्हे फूल हैं जो
हम सभी को लगते हैं प्यारे
दुलारे।
14/02/2010 23:46
- रंजन said...
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आभार
15/02/2010 00:04
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रचना said...
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zakir
i think we should give prizes to all the nominated blogs in this category
congrats to all nominies they are WINNERS ALL THE WAY
15/02/2010 00:18
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ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ said...
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रचना जी, आपकी बात सही है। पर यहाँ पर इस बात को भी ध्यान में रखना होगा कि अधिकतर ब्लॉग लोगों ने स्वयं ही नॉमिनेट किये हैं, ऐसे में हर नॉमिनेट ब्लॉग को सम्मानित करना उचित नहीं है। हाँ जिन श्रेणियों में कई अच्छे ब्लॉग नामित हुए हैं, वहाँ नामित श्रेणी के अन्तर्गत एक से अधिक ब्लॉग को भी सम्मानित किया जाएगा।
15/02/2010 00:24
- Anonymous said...
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Dono Vijetaon ko Badhayi. Lekin jakir bhai, Cash rashi to bachayi.
15/02/2010 00:48
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सलीम ख़ान said...
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badhaaee!!!
15/02/2010 00:58
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रचना said...
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thanks zakir but my suggestion holds good for only this category
15/02/2010 01:00
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ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ said...
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लेकिन रचना जी, सम्मानों के लिए कुछ तो चयन रख्नना ही चाहिए। इससे अन्य लोग भी प्रेरित होंगे। ऐसा मेरा विचार है।
15/02/2010 01:08
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सीमा सचदेव said...
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नमस्कार जाकिर जी ,
आज मुझे खुशी भी हो रही है और उससे ज्यादा दुख । खुशी इस बात की कि बाल-उद्यान को आपने प्रथम श्रेणी में रखकर उसे उचित सम्मान दिया जिसके लिए कोई नामिनेशन नहीं हुआ लेकिन आदित्य को आपने किस आधार पर दूसरे स्थान पर रखा , यह समझ से बाहर है । आप जैसा बाल-साहित्यकार अगर आदित्य को बाल-साहित्य की श्रेणी में रखता है तो खेद के साथ कहुंगी कि बाल-साहित्य के प्रति किया गया हमारा हर सार्थ्क प्रयास असफ़ल है और बाल-साहित्य का भविष्य अंधकारमय है । केवल इस आधार पर कि एक ब्लाग को दो वोट मिले आप बाकी सब के साथ अन्याय कैसे कर सकते हैं । मर्जी आपकी है , आप जिसे चाहें उत्तम श्रेणी में रखें और जिसे चाहें अनदेखा करदें । आपने यह फ़ैसला लिया किस आधार पर है --क्या वोटिंग के आधार पर ? तो बाल-उद्यान के लिए एक भी वोट नहीं हुआ । या फ़िर बाल-साहित्य को सम्मुख रखते हुए ? तो फ़िर आदित्य को किसी भी हालत में बाल-साहित्य की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता , यह आपका स्वयं का मानना है । मुझे आपकी इस नामिनेशन प्रक्रिया का पता भी नहीं था , इस लिए मुझे अपना ब्लाग नन्हामन यहां पर देखने की कोई उम्मीद भी नहीं थी लेकिन अगर आपने वोटिंग को ही आधार बनाना था तो एक तुच्छ सी बाल-साहित्यकार होने के नाते मैं आप जैसे महान लेखक को कुछ भी कहने की सामर्थ्य तो नहीं रखती लेकिन आपका एक गलत फ़ैसला इतिहास में आपको जवाब देह बनाएगा । धन्यवाद.... सीमा सचदेव
15/02/2010 01:11
- दिगम्बर नासवा said...
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विजेताओं को हार्दिक बधाई ...
15/02/2010 01:15
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ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ said...
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सीमा जी, सबसे पहले तो आप यह जान लें कि यह सम्मान 'बाल साहित्य' के लिए नहीं था, सिर्फ बच्चों के ब्लॉग के लिए था।
दूसरी बात यह है कि 'संवाद सम्मान' सकारात्मक ब्लॉगिंग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रदान किये जा रहे हैं। चूंकि 'बाल उद्यान' का इस सम्बंध में अतुलनीय योगदान है, इसलिए हम सिर्फ इस वजह से उसे निग्लेक्ट नहीं कर सकते थे कि उसका नामांकन नहीं हुआ है। बाल उद्यान ने न सिर्फ ब्लॉग जगत में बल्कि ब्लॉग जगत के बाहर भी इसके लोकप्रियकरण के अथक प्रयास किये हैं, यह आप भी जानती हैं। इसीलिए उसका नाम न होने के बावजूद उसे इसमें शामिल किया गया है।
जहाँ तक 'आदित्य के ब्लॉग' की बात है, उसके संचालक रंजन जी ब्लॉग जगत के एक सक्रिय व्यक्ति हैं और लगभग सभी जगहों पर जा कर टिप्पणियों द्वारा ब्लॉगिंग को प्रोत्साहित करते रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने यह भी दिखाया है कि बच्चों की गतिविधियों को आधार बनाकर भी एक अच्छा सकारात्मक ब्लॉग चलाया जा सकता है। उनकी निरंतरता, उनकी सक्रियता किसी भी ब्लॉगर के लिए ईर्ष्या का विषय हो सकती है।
तीसरी बात यह है कि 'संवाद सम्मान' के संदर्भ में आपके ब्लॉग के बारे में भी सोचा गया था, लेकिन पिछले काफी समय से वह नियमित नहीं है। न तो उसपर ज्यादा विजिटर आते हैं और न ही ज्यादा टिप्पणियां। ये इस बात की गवाही हैं कि ब्लॉग का प्रबंध समुचित ढंग से नहीं हो पा रहा है। इसीलिए उसे इस योग्य नहीं माना गया कि उसे सम्मान से नवाजा जाए।
चौथी बात यह भी जान लें कि उक्त सम्मान की प्रक्रिया पिछले दो माह से चल रही थी और इस सम्बंध में कई पोस्टें लगातार लिखी जा रही थीं। इसके अतिरिक्त मेरे अपने ब्लॉग 'बालमन', 'हमराही', 'तस्लीम' एवं 'साइंस ब्लॉगस असोसिएशन' पर भी इसकी सूचना लगातार लगी रही है। यदि आप पिछले दो महीने के दौरान अगर थोडा सा भी सक्रिय होतीं, तो आपको इस प्रक्रिया के बारे में जानकारी अवश्य मिल जाती।
पांचवी बात के रूप में आप भी यह जान लें कि आपके ब्लॉग के सक्रिय सदस्य रावेन्द्र जी को इस प्रक्रिया की जानकारी थी और उन्होंने अपने ब्लॉग को इस प्रक्रिया में शामिल भी किया था। मेरी समझ से आपको उनसे से भी सूचना मिल जानी चाहिए थी।
15/02/2010 01:54
- मोहम्मद कासिम said...
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कासिम का ब्लॉग - 1 वोट
thank u
sim786.blogspot.com
15/02/2010 02:10
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सीमा सचदेव said...
-
जाकिर जी मुझे बाल-उद्यान के लिए अति प्रसन्नता है और मेरा वहां पर कितना योगदान है यह मुझे कहने की आवश्यक्ता नहीं है ।
दूसरी बात यह कि मैने बाल-साहित्य और बाल-साहित्यकारों को एक मंच पर लाने का प्रयास किया है न कि टिप्पणियां बटोरने का । मुझे किसी के साथ कोई बैर-भाव नहीं , आदित्य निश्चय ही अच्छा ब्लाग है उसमें कोई दो राय नहीं लेकिन बाल-साहित्य नहीं है यह आप स्वयं मानते हैं ।
तीसरी बात मैने अपने ब्लाग का नाम कभी नहीं लिया और न ही कभी लूंगी ।
चौथी बात कि अपनी तरफ़ से अच्छा करना हमारी जिम्मेदारी है वो हम निभाते हैं , उसे कोई पढता है अथवा नहीं , यह किसी की इच्छा पर निर्भर है , हम पर नहीं ।
पांचवीं बात जहां तक टिप्पणियों का स्वाल है तो जाकर टिप्पणी करो और टिप्पणी बटोर लो यही होता है ब्लाग जगत में , हम ऐसा नहीं करते ।
छ्टी बात कि पिछले कुछ समय से उस पर कोई सक्रिय नहीं है तो यह मेरी कोई व्यक्तिगत समस्या भी हो सकती है ।
सातवीं बात बच्चों के ब्लाग का सीधा सा मतलब बाल-साहित्य होता है इतना तो कोई भी समझ सकता है ।
और आखिरी बात कि कहीं जाकर टिप्पणी करने वाले ब्लागर को अगर आप सार्थक प्रयास रत कहते हैं तो आपकी सोच को सलाम ।
15/02/2010 02:26
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ali said...
-
दोनों ब्लाग्स को शुभकामनायें !
15/02/2010 02:44
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रावेंद्रकुमार रवि said...
-
मुझे लगता है -
कुछ भूल हुई है!
कृपया देखिए -
आज से "सरस पायस" पूरी तरह से बच्चों का
15/02/2010 03:29
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ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ said...
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रावेन्द्र जी, अगर ऐसा है, तो अवश्य ही मुझसे 'सरस पायस' को लेकर भूल हुई है। लेकिन इस भूल का कारण आपके ब्लॉग पर लगा विषयगत इंडेक्स है, जिसमें नवगीत, गजल तथा लघुकथा का भी आप्शन है। इसके साथ ही साथ सरस पायस बाल दिवस से बच्चों का ब्लॉग हुआ है जबकि संवाद सम्मान पूरे वर्ष की गतिविधियों को ध्यान में रखकर दिये गये हैं।
15/02/2010 03:50
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक said...
-
@जाकिर अली रजनीश जी!
मैं तो केवल संक्षेप में ही अपनी बात लिखूँगा-
1- "नन्हा मन" के सदस्य के रूप में रावेन्द्रकुमार रवि के साथ-साथ आप भी तो थे। क्या आपकी यह जिम्मेदारी नही बनती थी कि आप सीमा जी को सूचित करते! यह बात अलग है कि रवि जी अब नन्हा मन के सदस्य नही हैं, जबकि आप अब भी है!
2- बाल-दिवस 14 नवम्बर,2009 से "सरस पायस" पूरी तरह बच्चों को समर्पित हो गया है। इस समय सरस पायस पर लगीं सारी पोस्टें बच्चों से ही सम्बन्धित हैं! तभी मैंने सरस पायस को वोट किया था!
3- आदित्य एक बच्चे का ब्लॉग है और सक्रिय है! उसे पुरस्कृत कर आपने अच्छा काम किया है!
4- आपके अनुसार यदि सरस पायस और आदित्य को समान वोट मिले हैं तो पुरस्कार से सरस पायस को वंचित क्यों रखा गया है?
5- यदि सरस पायस पूर्णतया बच्चों का ब्लॉग नही होता तो मुझ जैसा व्यक्ति इसे वोट करने की मूर्खता क्यों करता?
खैर निर्णय आपका है क्योंकि सम्मानदाता भी तो आप ही हैं।
एक बात सीमा जी से भी कहना चाहता हूँ कि
आप यहाँ लम्बी-लम्बी टिप्पणी करने कैसे आ गयी?
मैं तो यह समझता था कि आप नन्हा मन के अतिरिक्त कहीं टिप्पणी करने जाती ही नही हैं।
15/02/2010 04:15
-
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक said...
-
@जाकिर अली रजनीश जी!
आपकी बात मेरी समझ मे नही आ रही है-
क्या नवगीत, गजल तथा लघुकथा बच्चों के लिए
नही हो सकती है?
15/02/2010 04:19
-
Arvind Mishra said...
-
अब जाकिर चूंकि खुद एक जाने माने बाल साहित्यकार है अपने बिरादरी से निपट लें -मैं जिन्हें भी पुरस्कार मिलेगा बधाई दूंगा मगर एक बात मेरे भी समझ मेंनहीं आ रही है की जिसके लिए कोई नामांकन नहीं हुआ हो उसे किस आधार पर पुरस्कार मिला -क्या आपने ये निर्णय खुद लिया ? आप ले सकते हैं -आप उस क्षेत्र में विशेषज्ञता रखते है-मुझे विश्वास है की विज्ञान ब्लागों का निर्णय मुझे बिना बताये नहीं करेगें -क्योंकि कुछ लोग मुझे भी विज्ञान लेखन का एक्सपर्ट मानते हैं -पक्का ?
15/02/2010 04:34
-
ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ said...
-
शास्त्री जी, मेरी रावेन्द्र जी से अक्सर फोन पर बात होती रहती है, यह तो आप भी जानते होंगे। पिछले कुछ महीनों मं जब भी उनसे बात हुई, चाहे वे कैम्प में बिजी रहे हों, चाहे पोस्ट डिलीट हो जाने के कारण परेशान रहे हों, सरस पायस बिलकुल अनियमित रहा है। यह बात मेरे मस्तिष्क में बैठी हुई थी।
दूसरी बात जैसा कि पहले भी कह चुका हूं कि चूंकि सरस पायस बाल दिवस से ही पूरी तरह से बच्चों का ब्लॉग घोषित हुआ है, इसलिए यदि मुझे पता होता कि सरस पायस पूरी तरह का बच्चों का ब्लॉग है, तो भी मैं इसपर विचार न करता।
तीसरी बात अभी 05 फरवरी को जो लघुकथा 'मानसिकता' प्रकाशित हुई है, वह भी चुगली करती है कि यह ब्लॉग अभी भी पूरी तरह से बच्चों का नहीं बन पाया है। इसलिए मेरी समझ से इस विषय को आगे बढाना उचित नहीं होगा।
15/02/2010 04:34
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक said...
-
पुनश्च्
@जाकिर अली रजनीश जी!
आपकी बात मेरी समझ मे नही आ रही है-
क्या नवगीत, गजल तथा लघुकथा बच्चों के लिए
नही हो सकती है?
यदि आप सक्षम हों तो इस प्रश्न का उत्तर भी देने की कृपा करें।
सरस पायस पर प्रकाशित संगीता स्वरूप की लघुकथा
"मानसिकता" क्या बालिकाओं को यह प्रेरणा नही देगी कि वे बड़ी होकर उच्च पदों को सुशोभित करें?
15/02/2010 04:42
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ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ said...
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शास्त्री जी, कृपया इसे बहस का मुद्दा न बनाएं। वैसे मैंने आजतक कोई 'बाल नवगीत' नहीं पढ़ा है। जहाँ तक गजल विधा का सम्बंध है, तो उस पैटर्न पर बहुत से लोगों ने बच्चों के लिए लिखा है, लेकिन उसे भी बाल कविता ही कहा जाता है। मैंने इस संदर्भ में किसी भी साहित्यिक लेख आदि में भी बाल गजल नामक वर्गीकरण नहीं पढा है। और रही बात लघुकथाओं की, इस तरह के कई प्रयास अवश्य हुए हैं, लेकिन ऐसा बहुत कम देखने में आता है। ज्यादातर मामलों में 'लघुकथा' के चक्कर में रचना 'बाल कहानी' के खांचे से उतर जाती है, जैसा कि 'मानसिकता' के संदर्भ में हुआ है।
15/02/2010 04:49
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Udan Tashtari said...
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वाह!! बबुआ जीत गया...वो तो है ही बेस्ट...
आदि के जीत की खुशी में जश्न होगा..बहुत बधाई!!!
यूँ तो सभी बच्चे बेस्ट ही होते हैं और हैं भी....
15/02/2010 05:20
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सुशीला पुरी said...
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meri hadik badhai..........
15/02/2010 05:50
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डॉ. मनोज मिश्र said...
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बहुत बधाई..
15/02/2010 06:58
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अजय कुमार झा said...
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ज़ाकिर भाई हर श्रेणी के साथ यूं विवाद का उठना बहुत अखर रहा है और भविष्य में ऐसे प्रयासों के लिए चिंता भी बढा रही है , मुझे लगता है कि श्रेणियों में कम से कम तीन पुरस्कार होते और किंचित ही नकद राशि का कोई विकल्प रखा जाता जैसे हरेक श्रेणी से संबंधित पुस्तक आदि का प्रावधान रखते तो ज्यादा बेहतर होता , और जब उन पर प्रश्नचिन्ह उठ रहे हैं तो आप विनम्रतापूर्वक उनकी बात का जवाब देने की कृपा करें आप इन पुरस्कारों के आयोजक हैं इसलिए आपकी जिम्मेदारी ज्यादा बनती है , शुभकामनाएं , और हां दोनों को ही बधाई
अजय कुमार झा
15/02/2010 08:06
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक said...
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@ जाकिर अली रजनीश जी!
रात गई बात गई!
जो मन को सही लगा लिख दिया!
हमें क्या पड़ी है!
पुरस्कार चाहे बिना नामांकन वालों को दें,
या नामांकन वालो को!
आप आयोजक है तो सोच-समझकर ही
आपने निर्णय लिये होंगे!
न कुछ करने से कुछ करना बेहतर है!
आपके प्रयास की सराहना करता हूँ!
15/02/2010 08:43
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Sanjeet Tripathi said...
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badhai dono ko.
ye sabloche khatm ho jayein to dono ko unka puraskaar de diya jaye
;)
15/02/2010 11:48
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BAL SAJAG said...
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dono vijato ke samman ke liye badahiya....afsos hua ki isme bal sajag jo ki bachcho ka blog hai bachche isame apni rachana khud likhate hai aur blog par post bhi khud hi karte hai isse vanchit rah gaye... agar aap ek bar blog apdh sake to hame achchhha lagega aur hausala bhi milega aage aur likahne ke liye........
15/02/2010 12:27
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'अदा' said...
-
BAL SAJAG blog dekh lijiye..
sahi maayne mein bacchon ka blog yahi lag raha hai..yahan bacche hi likh rahe hain...bade nahi..
AGAR SAMBHAV HO TAB (CAPITAL MEIN LIKH RAHI HUN) ho sake to ek category aur bana sakte hain...aur aise blogs ko sammilit kijiye ...jahan bacchon dwara likhi rachnaaon ka sankalan hota hai..na ki bacchon ke liye likhi gayi rachnaaon ka..AGAR IS BLOG KO PURASKAAR NAHI DE SAKTE HAIN TO KAM SE KAM RECOGNIZE ZAROOR KAREIN..BACCHON NE BAHUT ACCHA YOGDAAN KIYA HAI...
vijetaaon ko hriday se badhai..
15/02/2010 13:02
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रंजन राजन said...
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विजेताओं को बधाई। आपके ब्लाग के माध्यम से कई अद्यतन जानकारियां मिलीं। धन्यवाद।
15/02/2010 14:41
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Ratan Singh Shekhawat said...
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दोनों विजेताओं को हार्दिक बधाईयाँ।
15/02/2010 18:14
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सीमा सचदेव said...
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डा. रूपचन्द्र शास्त्री जी , आपने सही कहा कि सम्मानदाता जाकिर जी हैं , मर्जी भी उनकी है तो हमें क्या पडी कि किसको सम्मानित करें और किसको नहीं , मेरा विरोध किसी को दिए गए सम्मान से नहीं बल्कि बाल-साहित्य के लिए है और मैं अब भी वही कहना चाहुंगी कि आदित्य बाल-साहित्य नहीं है , सरस पायस पूरी तरह से बाल-साहित्य को समर्पित न सही लेकिन बच्चों के लिए उसमें एक सार्थक प्रयास तो है जो केवल एक बच्चे के लिए न होकर सभी के लिए है उसके अलावा भी और बहुत सारे बच्चों के ब्लाग हैं तो फ़िर आदित्य ही क्यों क्या बाकी बाल-साहित्यकार जो इस को बढावा देने का अनथक प्रयास कर रहे हैं क्या उसको केवल टिप्पणी के आधार पर परखा जाएगा तो मैं कहुंगी कि बच्चों के ब्लाग बच्चों के लिए होते हैं बडों के लिए नहीं । आदित्य बच्चे का ब्लाग बडों के लिए है , जिसे पढ कर मजा आता है और वहां टिप्पणियां भी होती हैं , लेकिन बच्चों के लिए जानकारी भरपूर नहीं है । खैर इस विषय पर मुझे और कोई बहस नहीं करनी है ।
आपने यह भी सही समझा कि मैं कहीं और टिप्पणी नहीं करती । लेकिन जब बाल-साहित्य को लेकर कोई बात होगी तो आप मुझे वहां उपस्थित पाएंगे और जहां गलत लगेगा वहां लम्बी-चौडी टिप्पणी करने से मुझे कोई परहेज नहीं ।
रावेन्द्र जी नन्हामन के सदस्य थे , हैं और रहेंगे ।किसी तकनीकी खराबी के कारण उनका नाम नन्हामन में शायद नहीं दिख रहा है लेकिन इसका अभिप्राय यह नहीं कि वह नन्हामन के सदस्य नहीं हैं ।
यह भी सही है कि मैं पिछले कुछ महीनों से अपनी निजी समस्या से जूझ रही थी और कहीं भी ध्यान नहीं दे पाई , तो वास्तव में मुझे नहीं पता चला कि ब्लाग जगत में क्या हो रहा है । मुझे किसी से कोई सूचना नहीं मिली , वर्ना मैं बाल-उद्यान ,सरस पायस , बाल-सजग , बाल-सभा को नामिनेट अवश्य करती ।
आखिरी बात ज़ाकिर जी से कहना चाहुंगी कि प्लीज़ आप अपने चयन में बच्चों के लिए ब्लाग हटाकर सबसे सक्रिय ब्लाग चुनिए अथवा बच्चों के ब्लाग में केवल बाल-साहित्य संबंधी ब्लाग्स पर विचार कीजिए ,मेरा अभिप्राय नन्हामन से नहीं है और भी ऐसे ब्लाग हैं जो इस दिशा में सार्थक प्रयासरत हैं । बाकी आप स्वयं बाल-साहित्यकार है , ज्यादा समझते हैं ।
सादर
सीमा सचदेव
15/02/2010 20:42
-
सलीम ख़ान said...
-
ज़ाकिर भाई का यह प्रयास अभिनंदनीय है और मुझे लगता है हम सभी को उनके इस महान कृत्य के लिए अवश्य ही बधाई देना चाहिए और उनका सहयोग करना चाहिए.
मुझे नहीं लगता कि जिस तरह का पुरस्कार आयोजन ज़ाकिर भाई ने किया है वह इससे पूर्व में इतने बड़े पैमाने पर और इतनी पारदर्शिता (ऑनलाइन वोटिंग के ज़रिये) के साथ किसी भी महान अथवा कथित महान ब्लॉगरों ने किया होगा. और वृहद कार्य में छोटी मोटी गलतियाँ होना भी संभावित होती है. इस हेतु हमें उसे नज़र अंदाज़ कर उसकी नियत, नज़रिए और मेहनत को देखना चाहिए.
घबराईये नहीं......18 श्रेणिया अभी बाक़ी हैं मेरे दोस्त !!!
आपका
सलीम ख़ान
संयोजक
लख़नऊ ब्लॉगर्स असोसिएशन
15/02/2010 21:42
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ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ said...
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सीमा जी, शास्त्री जी, आप सबके सुझाव उपयोगी हैं। इनके लिए आभार व्यक्त करता हूँ। जब कोई भी काम पहली बार किया जाता है, तो उसमें कुछ न कुछ कमियां रह ही जाती हैं। हम अनुभवों से ही सीखते हैं। आप सबके बहाने सीख ही रहे हैं। आशा है, आगे से इस तरह की दिक्कतें नहीं होंगी।
15/02/2010 21:46
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रवीन्द्र प्रभात said...
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इस श्रेणी के ब्लॉग पर सार्थक बहस में हिस्सा लेना मेरे बस की बात नहीं है, क्योंकि इस दिशा में मैं स्वयं एक बच्चा हूँ !वैसे शाष्त्री जी , सीमा जी और जाकिर भाई के परस्पर संवाद से अद्यतन कई जानकारियाँ प्राप्त हुयी है ....सम्मानित दोनों ब्लॉग को मेरी अनंत आत्मिक शुभकामनाएं !
15/02/2010 21:46
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15/02/2010 21:54
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15/02/2010 21:55
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सलीम ख़ान said...
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एक सन्देश आप सभी ब्लॉग बंधुओं के लिए; जैसा कि मैं भी कभी-कभी यह ग़लती कर बैठता हूँ कि लेख लिखते वक़्त ज़्यादातर वर्तनी पर ध्यान नहीं देता हूँ और वर्तनी में कदाचित त्रुटी कर बैठता हूँ. अतः मेरी आप सभी से यह गुज़ारिश है कि भारतीय भाषा में लिखते वक़्त वर्तनी का अवश्य ही ध्यान रखा करें. यह ज़रूरी भी है सार्थक भी...
मसलन अगर आप ग़लती लिख रहे हैं तो उसे 'गलती' न लिख 'ग़लती' लिखें......
हमारी भाषा भारतीय है न कि हिंदी, उर्दू अथवा इंग्लिश... हम निश्चित ही सम्मिलित रूप से इन सारी भाषाओँ के साथ अन्य भाषाओँ के शब्दों का भी मिश्रण कर बोलते व लिखते हैं और ज़रूरी है कि हम इसका ख़्याल रखें और सच्चे भारतीय बनें.
(यह सन्देश लखनऊ ब्लॉगर असोसिएशन द्वारा ब्लॉग हित में जारी)
15/02/2010 21:57
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seema gupta said...
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दोनों विजेताओं को हार्दिक बधाईयाँ।
regards
15/02/2010 22:00
[पेंटिंग साभार-श्री प्रकाश गोविन्द ]हाल ही में प्रेम दिवस पर श्री शरद कोकस जी की एक कविता पढ़ी-उसके इस एक अंश से न जाने कितने विचार मन में उठने लगे.बरसों बाद भीखत्म नहीं होती अपेक्षाएँशुभकामनाओं की तरह अल्पजीवी नहीं होती अपेक्षाएँपलती रहती हैंसमय की आँच
Shashtri ji, Samwaad samman ki BACHCHON KA BLOG shreni men aap shaayad isliye naraj hain ki aapne SARAS PAAYAS ko namankit kiya tha aur use samman nahi mila. Aap jaise varishth rachnakar ko itni chhoti si baat ko badhana uchit nahi lagta. SARAS PAYAS aur BAAL UDYAN ki barabri nahi ki ja sakti, ye blog jagat ka har padha likha vyakti janta hai.
जवाब देंहटाएं"बाल उद्यान" वास्तव में बच्चों का अच्छा ब्लॉग है!
जवाब देंहटाएंभला में नाराज क्यों हूँगा!
सम्मान की गूँज पूरे जालजगत पर हो यही सोचकर तो चर्चा में शामिल किया है!
"बाल उद्यान" और "आदित्य" को
बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
जो भी है ... जितनी भी धमा-चोक्डी मचे ... पर आकी चर्चा लॉर दार है आज शास्त्री जी ..... बधाई ...
जवाब देंहटाएंजरा सामने तो आ ओ.....!
जवाब देंहटाएंजज्बात की दुनिया मे तो एक भी पोस्ट नही लगी है!
क्या मात्र कीचड़ उछालने के लिए ही ब्लॉग और मेल-आईडी बना रखी है!
मैं खूब समझता हूँ कि किसने यह टिप्पणी की है!
आई.पी. मेरे पास आ जाती है!
शास्त्री जी, हमें तो सिर्फ आपकी चर्चा से मतलब है..जिसे पढने यहाँ आ जाते हैं...इन पुरूस्कार/वुरूस्कार के चक्करों से हम कोई मतलब नहीं रखते..देने वाले जाने या लेने वाला...जब पद्म श्री, पद्म विभूषण जैसे राष्ट्रीय पुरूस्कार तक आँख बन्द करके अपनों में बाँटे जा रहे हैं तो ये तो फिर भी एक मामूली सा ब्लागर सम्मान है.....
जवाब देंहटाएंबढिया चर्चा!!
nice
जवाब देंहटाएंआदरणीय,
जवाब देंहटाएंआपका विचार मंथन व्यर्थ नहीं है ...किन्तु यही कहना चाहूंगी की इतने पाठक हमें पड़ते है दिल से सराहते है और तो और अपनी प्रतिक्रिया भी जताते है यह आपने आपमें बहुत ही बड़ा पुरस्कार है !! जिसे कोई भी नकार नहीं सकता ...अच्छे विचारों का कोई मोल नहीं होता वे अनमोल है ये बात हर कोई नहीं समझ सकता !!
very nice !!!
जवाब देंहटाएंआज तो बह्त विशद चर्चा है शाश्त्री जी. आप का वरद हस्त सब पर बना रहे यही कामना है. आप तो खुद हमारे लिये एक पुरस्कार की मानिंद हैं. आपका आशिर्वाद बनाये रखिये. बहुत शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
मुझे तो लगता है जाकिर को अपनी निजी प्रतिष्ठा बचानी चाहिए संवाद सम्मानों को भाड में झोक कर !
जवाब देंहटाएं