"चर्चा मंच" अंक-69 चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" आइए आज का "चर्चा मंच" अपने पुराने ढंग से सजाते हैं- सबसे पहले देखिए ये पोस्ट और इस पर आई एक महत्वपूर्ण टिप्पणी- संवाद सम्मान 2009 - श्रेणी: नारी चेतना। एक लम्बी लड़ाई को जारी रखने की जद्दोजहद। एक पुरानी कहावत है- विद्वान लोग दूसरे के अनुभवों से सीखते हैं और समझदार लोग अपने अनुभवों से। लेकिन बेवकूफ कभी नहीं सीखते। सो, अपने आप को समझदार की श्रेणी में खड़ा करने के प्रयत्न में बीते दिनों से शिक्षा लेते हुए यह फैसला किया गया है कि अब आगे से 'संवाद सम्मान' के लिए नामित ब्लॉग के नामों का खुलासा नहीं किया जाएगा। सिर्फ उन्हीं ब्लॉग का जिक्र किया जाएगा, जिन्हें सम्मानित किया जा रहा है।……. रावेंद्रकुमार रवि said... -- आप इससे क्या साबित करना चाहते हैं? जितने अधिक विस्तार से बता सकते हैं, बताइए! |
सरस पायस परीक्षा सिर पर आई : रावेंद्रकुमार रवि का एक बालगीत - परीक्षा सिर पर आई** खेल-कूद अब छोड़ें कुछ दिन, आओ, जमकर करें पढ़ाई! परीक्षा सिर पर आई!! टीवी-सीडी ख़ूब देख ली, ख़ूब किया है सैर-सपाटा! अब तो केवल देखें पुस्... | ताऊ डॉट इन ताऊ पहेली - 62 - प्रिय बहणों और भाईयों, भतिजो और भतीजियों सबको शनीवार सबेरे की घणी राम राम. ताऊ पहेली *अंक 62 *में मैं ताऊ रामपुरिया, सह आयोजक सु. अल्पना वर्मा के साथ आपका .. |
काव्य तरंगहिन्दी काव्य संग्रह ......ना आ ए विरह की रैन - दो नयना मिल दो से चार हुए, ना सूझे कोई और जो तुम सुध आकर लो मेरी, मैं यह दुनिया दू छोड़ धरती मचले प्यास से, बादल का ना कोई निशान चंचल मन हुआ बावरा, तुम ... | JHAROKHA वक्त की डोर - *कहते हैं जो रात गयी* *सो बात गयी ऐसा भी*** *कभी ही होता है*** *पर बात जो दिल में जाये उतर*** *क्या वो लाख भुलाये*** *भी भूलता है।*** * * *ये तो एक .. |
अंतर्मंथन अब आप ही बताइये की ये विश्वास है या अंध विश्वास ! - आज खुशदीप सहगल की पोस्ट पढ़कर मुझसे रहा नहीं गया और आज पोस्ट न लिखने का दिन होते हुए भी ये पोस्ट डाल रहा हूँ। हमारा देश एक धार्मिक देश है जहाँ विभिन्न धर्.. | नन्हें सुमन “भगवान एक है!" - *मन्दिर, मस्जिद और गुरूद्वारे।* *भक्तों को लगते हैं प्यारे।।** * *हिन्दू मन्दिर में हैं जाते।* *देवताओं को शीश नवाते।।* *ईसाई गिरजाघर जाते।* *दीन-दलित को... |
मसि-कागद प्रेम तुम------------------>>>>>.दीपक 'मशाल' - प्रेम तुम शब्द नहीं शब्दकोष हो प्रेम तुम अंत नहीं अनंत हो व्याप्त हो तुम उष्णता में रवि किरणों की चांदनी में निशिराज की और हर क्षेत्र में तमस के.. क्योंकि त.. | SADA ऐसा क्यों होता है .....? - (1) घनी पलकों की छाव में सुन्दरता बढ़ जाती नयनों की इन पलकों की छांव का एक बाल टूटकर जब डूब जाता नयनों के प्याले में कितनी चुभ... |
कुछ मेरी कलम से kuch meri kalam se ** लेडिज कूपे (पुस्तक समीक्षा ) - पिछले बीते दिन कुछ स्वस्थ ठीक नहीं था ,पर दिल शुक्रिया करता है इस तरह बीमार पड़ने का भी ..इसका भी एक अलग ही सुख है जब डाक्टर बेड रेस्ट के लिए कह दे और आपके .. | मेरी भावनायें... खाकर देखो तो - गोल-गोल रोटियों पर आज एक नज़्म लिखा है दाल में ख़्वाबों का तड़का लगा सब्जी में ख्वाहिशों का नमक मिलाया है खाकर देखो तो ज़िन्दगी क्या कहती है |
GULDASTE - E - SHAYARI - ज़ख्म इतने गहरे हैं इज़हार क्या करें, ख़ुद निशाना बन गए वार क्या करें, जान चली गयी पर खुली रह गयी आँखें, इससे ज़्यादा हम उनका इंतज़ार क्या करें ! | आदित्य (Aaditya) 1411 - अगली बार शायद पिजरें में भी न दिखे!! - मुझे भी चिंतित होना ही चाहिए न.. कहते है की भारत में अब केवल १४११ बाघ बचे है.. केवल १४११.. बस इतने से.. पापा पिछले वर्ष जिम कोर्बेट गए.. शायद एक बाघ मिल जा.. |
नारी की पोस्ट अखबार मेसाभारनारी रचना | आस्था तो अच्छी चीज है ... पर ये कैसे कैसे अंधविश्वास ( दूसरा भाग) ??कल से ही मैं अपने देश में बेवजह फैले अंधविश्वास पर हमारे ब्लोगरों की निगाह की चर्चा कर रही हूं , इसी की दूसरी कडी आज प्रस्तुत है .......ऋषिकेश खोङके "रुह" जी को सुनने में अजीब सा लग रहा है कि किसी के शरीर में देवी आ गयीगत्यात्मक चिंतन संगीता पुरी |
वीर बहुटी कविता पँखनुचा - कविता--- पंखनुचा उसके अहं में छिपा विष उसकी मैं में, तू की अवहेलना, शोषण की बुभुक्शा, कामुक्ता कि लिप्सा, अभिमान की पिपासा, कर देती है आहत तर्पिणी का अनुराग.. | शिल्पकार के मुख से गज़ब कहर बरपा है महुए के मद का भाई........ जोगीरा सर र र र र र र हो..... जोगी जी (ललित शर्मा) - *फ़ा*गुन का मौसम है बस अब मन के रंग-अबीर-गुलाल उड़ रहे हैं, दिलों पर भी मस्ती छाई और हम भी मस्ती मे हैं, होली आने को जो है, अब उड़े रे रंग गुलाल। अभी से म.. | हिन्दी साहित्य मंच उर्मिला की विरह वेदना--------[गीत]--------वंदना गुप्ता - १) प्रियतम हे प्राणप्यारे विदाई की अन्तिम बेला में दरस को नैना तरस रहे हैं ज्यों चंदा को चकोर तरसे है आरती का थाल सजा है प्रेम का दीपक यूँ जला है ज्यों दीपक .. |
भारतीय नागरिक - Indian Citizen बद अच्छा, बदनाम बुरा - पूर्वोत्तर में ईसा मसीह के एक विवादित चित्र को लेकर देश भर में बवाल प्रारम्भ हो गया. कल मजीठा में उपद्रव हुआ. उपद्रवियों ने जमकर तोड़-फोड़ की और कई वाहनों को.. | chavanni chap (चवन्नी चैप) फिल्म समीक्षा : तो बात पक्की - उलझी हुई सीधी कहानी -अजय ब्रह्मात्मज केदार शिंदे ने मध्यवर्गीय मानसिकता की एक कहानी चुनी है और उसे हल्के-फुल्के अंदाज में पेश करने की कोशिश की है। उन्ह.. | KNKAYASTHA INSIDE-OUT संभला नहीं लेकिन... - मैं जब कहता हूँसोया नहीं कई रातों से,तुम्हें होता नहीं यकीन। मैं जब सोचता हूँघर से बाहर जाऊँ कैसे,कदम तले नहीं जमीन। मैं जब चाहता हूँभावों को पिरो दूँ कागज.. |
गीत-ग़ज़ल लफ्ज़ सीते हैं - ** *न गम किया , न गुमान किया यही तरीका है जीने का , जिसने आराम दिया चाहा कि गम से दूरी बरकरार रहे ये वो शय है हर कदम , जिसका दीदार किया हम खलिश को भी रखते.. | नुक्कड़ हमारे देश में भ्रष्टाचार का प्रतिशत क्या है? - *हमारे देश में भ्रष्टाचार का प्रतिशत क्या है? भ्रष्ट अधिकारियों का प्रतिशत ज़्यादा है या भ्रष्ट राज—नेताओं का? आँकड़ों की आवश्यक्ता है। कृपया मदद करें। * | एक आलसी का चिठ्ठा स्कूल चले हम - [image: school01] [image: school3] दोनों जा रहे स्कूल . . . लाल कोट स्कूल गेट से अन्दर जाएगी। *सफेद ड्रेस* स्कूल गेट से वापस आएगी । |
तीसरा खंबा हाबड-तोब़ड़ का क्या लाभ? - आज कल किसी भी विचारण न्यायालय में यह दृश्य देखने को मिल सकता है। एक ओर अदालत का रीडर किसी मुकदमे में वकीलों से आवेदन या उन के जवाब रिकार्ड पर ले रहा है। दू.. | खताएं भुला दे!तन्हाई में ग़ुम मैं तेरा आदी हो गया हूँ,कम से कम अब मेरी खताएं भुला दे, ख़याल-ए-वस्ल(१) की हाफिजा(२) कुछ और जी लूं, नींद और हो गहरी साया-ए-ज़ुल्फ़ फैला दे,…. | कुछ मैं कहूं मुझसे ...........कंकड़ उछालना प्रकृति है उनकी मैं देती हूं उससे अपनी नींवों को मजबूती ! इसी डगर पड़ सकता है कभी लौट आना चलते हुये भी कांटे हटाते जाना ! अजाने ही सांप को दूध पिलाते हैं फिर भी संभले वही सयाने है! शब्दों से तो कम ही काम लेना मन ही में गिनकर गांठ बांध लेना !भोर की पहली किरण किरण राजपुरोहित नितिला |
कार्टून : गडकरी का बिजनेस फंडाबामुलाहिजा >> Cartoon by Kirtish Bhatt | Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून कार्टून:- सच बताना, यह बस आपने भी देखी है न !आज के लिए बस इतना ही- कल फिर भेंट होगी! |
हमेशा की तरह आपने विस्तारित रूप से बहुत ही बढ़िया चर्चा किया है! बहुत से लिंक भी मिलें! मेरी शायरी चर्चा पर लाने के लिए धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा ..........हमेशा की तरह.
जवाब देंहटाएंबहुत गजब की चर्चा की आपने, बहुत शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
शास्त्री जी, कमाल की चर्चा है,
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर-आभार
सुन्दर प्रस्तुति शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंबढिया !!
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह बहुत बढिया रही चर्चा!!!
जवाब देंहटाएंआभार्!
सुन्दर चर्चा ..........हमेशा की तरह.
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह महत्त्वपूर्ण और गंभीर चर्चा!
जवाब देंहटाएं--
कह रहीं बालियाँ गेहूँ की - "वसंत फिर आता है - मेरे लिए,
नवसुर में कोयल गाता है - मीठा-मीठा-मीठा! "
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संपादक : सरस पायस
आदरणीय शास्त्री जी,
जवाब देंहटाएंआपने मेरी टिप्पणी को चर्चा में शामिल किया है,
इसलिए एक रहस्य और उजागर करना पड़ रहा है - "संवाद सम्मान" एक "स्वांत: सुखाय" आयोजन है!
ज़किर अली रजनीश जी ने
"बच्चों का ब्लॉग" श्रेणी के अंतर्गत
"शून्य" वोट पानेवाले जिस ब्लॉग को
सर्वश्रेष्ठ ब्लॉग की जो स्वत:कथित संज्ञा दी है,
वह एक तरह से उन्हीं का ब्लॉग है,
क्योंकि वे उसके सलाहकार संपादक हैं!
सादर अभिवादन! सदा की तरह आज का भी अंक बहुत अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंAaj ki charcha bhi bahut acchi rahi...Aapko bahut bahut dhanywaad!
जवाब देंहटाएंSaadar
धीर गंभीर व विस्तृत चर्चा के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा . अच्छी पोस्टो का जिक्र किया है ...
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