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बुधवार, फ़रवरी 24, 2010

“भूलकर भी संगठन नहीं बनायेंगे” (चर्चा मंच)

"चर्चा मंच" अंक-73
चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
आइए आज का
"चर्चा मंच" सजाते हैं-  
आज न कोई फोटो और न कोई टीका-टोका!

सीधे ले चलते हैं आपको दिनभर की हलचल पर!
निवेदन यह  है कि यदि आप
पल-पल! हर पल!! http://palpalhalchal.feedcluster.com/

में अपना ब्लॉग शमिल कर लेंगे तो
मुझे
चर्चा मंच में आपका लिंक उठाने में सरलता होगी।

नवगीत की पाठशाला
१०- आए कैसे बसंत - मौसम की माया है, धुंध-भरा साया है – आए कैसे बसंत? रोज़-रोज़ काट रहे हर टहनी छाँट रहे! घोंसला बनाने को कैसे वे आएँगे? सुन उनका कल-कूजन क्या अब अँखुआएँगे? नन...
बगीची
अकेले आये हैं ब्‍लॉगर, अकेले सभी चले जायेंगे : भूलकर भी संगठन नहीं बनायेंगे (अविनाश वाचस्‍पति) - संगठन में शक्ति है पर हम चाहते हैं सिर्फ इकट्ठे लड़ना न कि इकट्ठे जुटना। विरोध करने के लिए हम इकट्ठे हो जायेंगे बेदेरी पर जल्‍दी ही दूर जायेंगे फिर करना होग...
वीर बहुटी
- सच्ची साधना--- कहानी कल आपने पढा कि शिवदास अपनी जिम्मेदारियों से भाग कर साधु बन गया और 20-25 साल बाद वो साधु के वेश मे अपने गाँव लौटता है। उसका मन साधु के र...
चिट्ठाकार चर्चा
ओ छो्रे! क्या कहने तेरे-"फ़कीरा" चिट्ठाकार चर्चा मे (ललित शर्मा) - रेल चली भाई रेल चली--छुक-छुक रेल चली-देश मे विद्यार्थियों का सरोकार रेल से पड़ता है गांव से शहर पढने जाते हैं, बडे शहरों मे लोकल ट्रेन चलती है जिसमे सभी तरह...
Dr. Smt. ajit gupta
जब कोई प्‍यार में हो तब वह सही होता है - एक फिल्‍म आयी थी ‘जब वी मेट’ उसके नायिका एक संदेश देती है कि जब कोई प्‍यार में हो तो वह बिल्‍कुल सही होता है। फिल्‍म देखने के बाद यह संदेश गले नहीं उतरा, ब...
my own creation
न तू मुझको भूले! - ** *एहतराम(१) में पलकें बिछाए खड़े हैं,* *तू आये और इन सर्द आँखों को छू ले,* *एजाज़(२) की आरज़ू में शायद इन सूखे,* *दरख्तों पे पड़ जाएँ सावन के झूले,* *तहम...
ज़िन्दगी
कमरों वाला मकान - इस मकान के कमरों में बिखरा अस्तित्व घर नही कहूँगी घर में कोई अपना होता है मगर मकान में सिर्फ कमरे होते हैं और उन कमरों में खुद को खोजता अस्तित्व टूट -टूट कर ..
नन्हें सुमन
“ संगीता स्वरूप का बालगीतः रेल” - “छुक-छुक करती आई रेल!” *छुक-छुक करती आई रेल!* *आओ मिलकर खेलें खेल!! * * * *लालू-ममता जल्दी आओ! * *आकर के डिब्बा बन जाओ!! * *खूब चलेगी अपनी रेल! * *आओ मिलकर ख...
शब्द-शिखर
 फिर से महिला-आरक्षण का झुनझुना - एक बार फिर से महिला आरक्षण विधेयक को उसके मूल स्वरूप में केंद्रीय मंत्रिमंडल को भेज दिया गया है। गाहे-बगाहे हर साल देश की आधी आबादी के साथ यह ...
अंतर्मंथन
क्या आप चाय के रूप में ज़हर पी रहे हैं ? - क्या आप चाय पीते हैं ? --ज़रूर पीते होंगे । क्या आप ट्रेन में सफ़र करते हैं ? --कभी कभी तो करते ही होंगे । क्या आप ट्रेन में सफ़र करते हुए , प्लेटफार्म की चा..
गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष 
प्रवीण शाह जी को दिया गया मेरा जबाब ..... आप भी प्रयोग कर सकते हैं !! - मेरी पिछली पोस्‍ट में प्रवीण शाह जी की बहुत ही महत्‍वपूर्ण टिप्‍पणी मिली ,प्रवीण शाह ने कहा… आदरणीय संगीता जी, 'गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष' की दृष्टि से मनुष्‍...
अंधड़ !
भूली-बिसरी ! - *(छवि गुगुल से साभार) * *याद तो होगी तुम्हे वो होली, जिस पर तुमने, अपनी मुठ्ठी में भींचे रखे गुलाल को हौले से, मेरे चेहरे पर मला था, और मैं, पानी-पानी हो च...
KNKAYASTHA INSIDE-OUT
संभला नहीं लेकिन... - मैं जब कहता हूँसोया नहीं कई रातों से,तुम्हें होता नहीं यकीन। मैं जब सोचता हूँघर से बाहर जाऊँ कैसे,कदम तले नहीं जमीन। मैं जब चाहता हूँभावों को पिरो दूँ कागज...
Alag sa
क्या धोनी के मन में कुछ और था ? - जिन्हें भी क्रिकेट से लगाव होगा वह सचिन की पारी देख निहाल हो गये होंगे। विश्व किर्तीमान पर सीना चौड़ा हो गया होगा। पर इस उतेजना मे धोनी के खेल की तरफ ध्यान ...
सुबीर संवाद सेवा
होली का तरही मुशायरा:- दो दिन से जूते चल रहे हैं तो आज देखें कि कौन उतार रहा है जूतों से आरती ? हैं ये तो निर्मला कपिला दी, शार्दूला दीदी और कंचन चौहनवा रही । - ( विशेष नोट : होली के तरही मुशायरों की ग़ज़लों को पढ़ने के लिये अपने दिमाग को उसी प्रकार खूंटी पर टांग दें जिस प्रकार से आप डेविड धवन की कामेडी फिल्‍मों ...
उच्चारण
“ होली का मौसम आया है” - *होली आई, होली आई, गुजिया, मठरी, बरफी लाई* *[image: 670870_f520]** **[image: mathri_salted_crackers]** **[image: images-products-SW07.jpg]* *मीठे-मीठे ...

काव्य तरंग

हिन्दी काव्य संग्रह .......
कल रात फिर ख़्वाबो में - कल रात फिर ख़्वाबो में यू हो गया उनसे सामना बेकरार हो मचल उठे मुश्किल था दिल को थामना कोमल लबों पर ठहरे हुए से कुछ भीगे शब्द अब भी थे वही.... आँखों में आँखें...
जीवन के पदचिन्ह
 क्या कहता वो, बस रो पड़ा मेरा नाम लेकर - पूछा जो हाल-ए-दिल, साकी ने दो जाम देकर क्या कहता वो, बस रो पड़ा मेरा नाम लेकर गम-ए-हिजरा में होती हैं ऐसी भी हैं अदाएं, बतियाते हैं वो, आईने से मेरा नाम...
Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून
कार्टून:- प्रेमचंद की बेकार कहानियां...


हास्यफुहार
सवाल जवाब - * * *सवाल जवाब*** चाकू किसे कहते हैं? आरी के बच्चे को, जिसके दांत न निकले हो । चाय हानिकारक है या लाभदायक ? अगर कोई पिला दे तो लाभदायक और अ...
नन्हा मन
होलिका और प्रह्लाद की कहानी - नमस्कार बच्चो , होली का त्योहार और हम हाज़िर हैं आपके लिए विशेष जानकारी लेकर कि होली का त्योहार क्यों मनाया जाता है , इसके पीछे क्या मान्यता है और क्यों यह ...
शब्दों का सफर
चम्मच, चमचागीरी और चाटुकारिता

तबियत थोड़ी ढीली है।
इसलिए आज केवल इतना ही!
राम-राम!

13 टिप्‍पणियां:

  1. ढेर सारे लिंक एक साथ .. बहुत बढिया !!

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  2. Sundar charcha...lekin aaj vishraam hi kar lena tha!Uttam Swathya ki shubhakaamnaao ke sath bahut bahut dhanywaad!

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  3. बहुत बढिया चर्चा शास्त्री जी!!!
    आभार्!

    जवाब देंहटाएं
  4. इतने सारे लिंक के लिए धन्यवाद. यहां आकर पता चलता है कि कितने ब्लाग पढ़ने से रह गए थे. आभार.

    जवाब देंहटाएं
  5. बढिया चर्चा शास्त्री जी !शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामनाओं सहित !

    जवाब देंहटाएं
  6. धन्यवाद इस चर्चा केलिए..खूब लिंक मिल गये!

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  7. बढिया चर्चा शास्त्री जी.ढेर सारे लिंक एक साथ.

    _______________
    शब्द सृजन की ओर पर पढ़ें- "लौट रही है ईस्ट इण्डिया कंपनी".

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