"चर्चा मंच" अंक-71
चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
आइए आज का "चर्चा मंच" सजाते हैं-
देखिए आज के कुछ लिंक्स-
नन्हा मन
बाघ बचाओ अभियान - नन्ही बच्ची आशी के विचार - नमस्कार बच्चो , आपको तो पता ही है कि आजकल बाघ बचाओ अभियान पूरे भारत-वर्ष में बडे जोर-शोर से चलाया जा रहा है ताकि हम इस जाति को समाप्त होने से बचा सकें । हम.. | अंधड़ !
नजारा ! - *छवि गूगल से साभार **कभी-कभी, घर की ऊपरी मंजिल की खिडकी से, परदा हटाकर बाहर झांकना भी, मन को मिश्रित अनुभूति देता है। दो ही विकल्प सामने होते है, या तो चक्छ... |
नवगीत की पाठशाला
८- कुछ तो कहीं हुआ है - कुछ तो कहीं हुआ है भाई, कुछ तो कहीं हुआ है झमझम बारिश है बसंत में सावन में पछुआ है कुछ तो कहीं हुआ है हुई कूक कोयल की गायब बौर लदी अमराई गायब सरसों फू... | नीरज
भलाई किये जा इबादत समझ कर - गुरुदेव *पंकज सुबीर *जी के ब्लॉग पर तरही मुशायरा हुआ था जो बहुत चर्चित और लोकप्रिय रहा. उसी तरही में मैंने भी अपनी एक ग़ज़ल भेजी थी जिसे वहां पाठकों ने पढ.. |
नन्हें सुमन
‘‘मेरी गैया’’ - *मेरी गैया बड़ी निराली,* *सीधी-सादी, भोली-भाली।* * * *सुबह हुई काली रम्भाई,* *मेरा दूध निकालो भाई।** * *हरी घास खाने को लाना,* *उसमें भूसा नही मिलाना।* ... | उच्चारण
“चलो होली खेलेंगे” - * आई बसन्त-बहार, चलो होली खेलेंगे!! रंगों का है त्यौहार, चलो होली खेलेंगे!! बागों में कुहु-कुहु बोले कोयलिया, धरती ने धारी है, धानी चुनरिया, पहने हैं .. |
कर्मनाशा
जोगीड़ा सारा रारा ... - *लीं साहेब 'सुरु' हो गयल फ़गुआ ...* *गाईं , बजाईं चाहे खाली सुनीं आ राग ताल पर माथा धूनीं ॥* *फगुआ त ह..* यह होली गीत या फगुआ भोजपुरी इलाके में कई रूपों मे.. | ईश्वर की पहचान
ऐसे थे …विश्व नायक - *विश्व नायक मुहम्मद सल्ल0* ने कभी किसी खाने में ऐब नहीं लगाया, इच्छा होती तो खाते वरना छोड़ देते। *विश्व नायक मुहम्मद सल्ल0* मिलने वाले को सब से पहले सलाम क... | ताऊ डॉट इन
ताऊ पहेली - 62 : विजेता : श्री ललित शर्मा - प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली -62 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही उत्तर है थिकसे ... |
साहित्य योग
सकरी गली - उठक पठक से भरी जिंदगी सकरी गली में उल्झी जिंदगी रोटी कपडा तक सिमटी जिंदगी छोटे में बड़ा पाने की जिंदगी एक तरफ कूड़े का कचरा तो दूसरी तरफ कटता बकरा थो... | An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय
उठ दीवार बन - नरक के रस्ते से काफी बचना चाहा लेकिन फिर भी कुछ कहे बिना रहा न गया. स्वप्न-जगत से एक छोटा से ब्रेक ले रहा हूँ. तब तक गिरिजेश राव के "नरक के रस्ते" से प्रेरित... | Rhythm of words...
शायद - तेरे लिये रात गुजारने को खाली करके पलकों के कोने रखता ॥ गर मालूम होता तुम आओगे मैं ख्वाबों के बिछोने रखता ॥ रह जाता चाहे खुद भूखा देता तुम्हे जरुर रुखा-सूख... |
| एक तकनिकी सूचना उनके लिए जो लोग अपनी वेबसाइट बनवा रहे हैं , या अपना ब्लॉग , निज कि साईट पर शिफ्ट कर रहे हैं और किसी साईट बनाने और होस्ट करने वाली कंपनी से सहायता या सर्विस ले रहे हैंवो ध्यान दे कि आप उस कम्पनी से अपनी वेबसाइट का पासवर्ड अवश्य ले ले और
नारी रचना
लो क सं घ र्ष !: मरगे आशिक पर फ़रिश्ता मौत का बदनाम था
देश-विदेश में भौतिक विकास तो हुआ, लोग शिक्षित भी हुए, सुख-सुविधायें बढ़ी परन्तु मानवता न जाने कहाँ सो गई, इधर तबड़तोड़ कई हृदय-विदारक घटनायें घट गई, डेढ़ सौ वर्ष पूर्व की गालिब की यह पंक्ति अब भी फरयाद कर रही है:- आदमी को भी मयस्सर नहीं इनसां होना ?अब घटनाओं
लोक वेब मीडिया
Suman
|
shekhar
|
बामुलाहिजा > > cartoon by Kirtish bhatt |
रात चुप है मगर चाँद ख़ामोश नहीं, कैसे कहूँ आज मुझे फिर होश नहीं, ऐसे डूबे हैं हम उनकी यादों में, रात गुज़र गयी हमें एहसास तक नहीं !
अब आज की चर्चा को देता हूँ विराम! सबको राम-राम!! |
बढिया चर्चा.
जवाब देंहटाएंबढिया चर्चा.
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा शास्त्री जी, काजल जी का मजेदार कार्टून देखने से छूट गया था यहाँ देख लिया, शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह सुन्दर चर्चा...आभार!
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह बेहतरीन और विशद चर्चा.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सुन्दर चर्चा...आभार!
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा....
जवाब देंहटाएंbahut khoob !
जवाब देंहटाएंsundar aur vistrit charcha ke liye abhinandan !
बढिया चर्चा.
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह सुन्दर चर्चा...आभार!
जवाब देंहटाएंलाजवाब चर्चा!!
जवाब देंहटाएंबढिया चर्चा शास्त्री जी,
जवाब देंहटाएंआभार
आपकी मेहनत साफ़ दिखती है ...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चिटठा चर्चा ...!!
सुंदर संकलन. आभार.
जवाब देंहटाएं