"चर्चा मंच" अंक-59 चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" आइए आज कछ नये ढंग से "चर्चा मंच" को सजाते हैं। सबसे पहले चर्चा करते है कुछ अद्यतन ब्लॉग्स की पोस्टों की- मेरी कही सबकी सुनी अब अपनी कही राष्ट्रवादी का कहना है कि चीनी न खाने से आज तक कोई नहीं मरा. हाँ खाने में ज्यादा चीनी और नमक ज़हर के समान है. वो ये भी कहता है कि सौंदर्य प्रसाधन के सामनों के दामों में बढोत्तरी हो रही है इस पर कोई सवाल क्यों नहीं उठाता. सिर्फ़ चीनी की बात ही क्यों करते हो. राष्ट्रवादी कृषि मंत्री शरद पवार की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का मुख पत्र है. इससे पहले भी वह कई मामलों खासतौर से जब कांग्रेसी पवार की बुराई कर रहे थे,…… | मनोज राठौर आज के युग में लोगों के लिए बेटा हीसबकुछ है। बेटी उसेबोझ लगती है। अबआधुनिकता के कारण पता चल जाता हैकि गर्भ में पलने वाला भू्रण लड़का है याफिर लड़की। यदि बेटा होता है तो परिजनखुशी का ठिकाना नहीं रहता। वह मोहल्लेमें हजारों रुपए की मिठाई बांट देते हैं। मगर, हमारे देश की बिड़वना है कि बेटीहोने पर उसकी गर्भ में ही हत्या कर दीजाती है। उसके …….. | भारतीयम - shankar chandraker
- Raipur, Chhattisgarh, India
- बकअप राहुल... शाबाश.. !!!
शाबाश राहुल !!! आपने शिवसैनिकों की धमकियों के बावजूद मुंबई में एक आम मुंबईकर की तरह सड़कों और लोकल ट्रेन में सफर कर मुंबई के शेरों को उनके ही मांद में दुबकने पर मजबूर कर दिया।….
| आस्ट्रेलियाई सरकार भारतीय छात्रों की सुरक्षा को लेकर कितनी चिंतित है इसका अंदाजा तो इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारतीय छात्रों को सलाह दी है कि वे हमले से बचने के लिए गरीब दिखें. यही नहीं और भी कई प्रयास किये गए हैं उन्ही में से एक है ये अनोखा उत्पाद जो खुद ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने रीसर्च कर खास नस्लीय हमलों से भारतीयों को बाचने के लिए बनाया है. fun/Satire, madvertising, photo fun | कह दिया मेरे सुमन ने आज नाइस। तार वीणा के बजे बिन साज नाइस।। ज्ञान की गंगा बही, विज्ञान पुलकित हो गया, आकाश झंकृत हो गया, संसार हर्षित हो गया, नाम से माँ के हुआ आगाज़ नाइस। तार वीणा के बजे बिन साज नाइस।।…… | "अंतर में चलते रहता है जाने क्या-क्या,अभिव्यक्त किया है शब्दों में आ देखें है क्या" देर से ही सही समस्त भारत वासियों को गणतंत्र दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं.सफ़र के साथ कदमताल करते हुवे आज हम अपना ६१ वाँ गणतंत्र दिवस भी मना चुके. बीते ६१ वर्ष संघर्षों,परेशानियों के साथ-साथ उपलब्धियों के वर्ष भी रहे और हमारे दिलो दिमाग में ढेर सारी उम्मीदों का सृजन कर गये जिन्हें साकार करने के लिये हम निरंतर आगे बढ़ते जा रहे हैं..... | - चित्रांगदा सिंह
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मेरी पहली पोस्ट-ब्लॉग की दनिया में मेरा पहला कदमअपने शहर से दूर महानगर में हूं, कभी दिल्ली तो कभी मुंबई..तो सिर्फ अपनी रचनाशीलता की भूख मिटाने...भारतीय जनसंचार संस्थान दिल्ली से पत्रकारिता पढ़ने के बाद उसे अपनी जिंदगी में उतारने की कोशिश में थी। लेकिन मीडिया में दबंगई और इसके दोहरे चरित्र ने असहज कर दिया। तभी सिनेमा से जुड़ाव हुआ और फिर आप सबों के देने के लिए कुछ एड फिल्में भी कीं। फिलहाल, एक किताब भी लिख रही हूं..अंदर एक अनुभव संसार है, जिसे आपके सामने लाने के प्रयासरत हं, किताब में मेरे पत्रकीय जीवन, सिनेमा के मेरे अनुभव और एड वर्ल्ड के मेरे तजुरबे शामिल होंगे। उम्र ज्यादा नहीं लेकिन मैंने बहुत कुछ सीखा है। एक औरत होना दुनिया का सबसे भारी और जिम्मेदारी भरा काम है। ब्लॉग की दुनिया में अभी तक पाठक थी.. अब लेखन करने की हिमाकत कर रही हूं, जाहिर है आपके प्रोत्साहन की ज़रुरत पड़ेगी। सादर
| आकाश की आत्मकथा रचनाकार:जयप्रकाश मानस नितांत एकाकी नदी हूँ जब कोई न था, जब कुछ भी नहीं रहेगा अंत के बाद भी बहता रहूँगा वह उस दुनिया का सबसे बड़ा भ्रम ही है जिन्हें दीखता है मेरी गोद में सूर्य, चंद्र, सितारे नक्षत्र उनसे भी अलग एकदम अकेला अपने रचयिता का सुनसान के सिवाय कुछ भी नहीं हूँ मैं ………. रचनाकार परिचय:- जयप्रकाश मानस देश-विदेश में विभिन्न सम्मानों से अलंकृत एक प्रख्यात साहित्यकार हैं। कविता, कहानी व निबंध आदि विधाओं में इनकी तीस से अधिक पुस्तकें अब तक प्रकाशित हैं। स्कूल शिक्षा विभाग, छत्तीसगढ़ में कार्यरत मानस जी की अनेक रचनायें प्राय: सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। आकाशवाणी व दूरदर्शन से भी इनकी रचनायें प्रसारित हुई हैं। | चाटुकारिता के खिलाफ जंग प्रदेश में बच्चेदानी का कैंसर विकराल समस्या बनकर उभर रही है। एक अध्ययन में इस तथ्य का खुलासा हुआ है कि महिलाओं में इस बीमारी के होने एक प्रमुख कारण पुरुष भी है। पुरुषों को ग्रसित करने वाला वायरस यूमैनपेपीलोमा यौन संबंध स्थापित होने के बाद महिलाओं में पहुंच जाता है, और इस वायरस की चपेट में आकर महिलाओं के बच्चेदानी के कैंसर से ग्रसित होने की …….. | अपना दौर विभिन्न सामाजिक अनुभवों को अभिव्यक्ति देने का प्रयास दोस्तो, नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला,2010 दिनांक 30 जनवरी, 2010 से जारी है और 7 फरवरी, 2010 तक चलेगा। अनेक बोलियों, भाषाओं और लिपियों के जानकार इस मेले में आ-जा चुके होंगे और आगे भी आयेंगे। प्रगति मैदान के एक हॉल के बाहर जब से यह बोर्ड लटकाया गया है तब से अब तक हिन्दी-साहित्य के अमिताभ बच्चन कहे जाने वाले… | इन्द्रधनुष बातें हर रंग की - मनोरमा
- बंगलूरू, कर्नाटक, India
बंगलूरू में रहने वाली बयालीस साल की अमूधा की सकि्यता को देखकर कहीं से एेसा नहीं लगता कि वो पिछले नौ साल से एचआईवी पाजीटिव हैं। दस साल पहले पति के एचवाईवी पाजीटिव होने का पता चलने पर इन्होंने अपना टेस्ट कराया तो अमूधा को खुद के एचआईवी पाजीटिव होने का पता चला। पति तो साल भर बाद चल बसे लेकिन अमूधा आज अपने तीन बच्चों समेत सभी के कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। बेशक यह इतना आसान नहीं था,शुरूआती दो साल बहुत कठिन रहे, समाज में खुलकर अपने एचआईवी पाजीटिव होने का िजक्र करना बहुत मुशिकल था, पहली मुिशकल तो घर से ही शुरू हो गई जब उनकी गलती नहीं होने पर भी ससुराल वालों ने इन्हें बहिष्कृत कर दिया।…… | मन का दर्पण - nilze silvia
- Fortaleza e Recif, Ceara , now in delhi, Brazil
बाल मजदूरी एक बहुत बड़ी वैश्व्यिक समस्या है,, विश्व समुदाय प्रतिबर्ष जून में बाल मजदूरी दिवश मनाता है ,,,सैकड़ो सामाजिक संस्थाए गैर सरकारी संस्थान और समूह बाल मजदूरी के खिलाफ लाम बद्ध होते है ,,, बड़ी बड़ी बाते और प्रण किये जाते है,, और काम भी किये जाते है मगर हमें वो सफलता नहीं मिल पा रही है जो मिलनी चाहिए ,,,,अनेक क़ानून बनते है और बाल मजदूरी रोकने के भिन्न भिन्न हाथ कंडे सरकार द्वारा अपनाए जाते है ,,, फिर भी हर साल अंतराष्ट्रीय मजदूर आर्गनाईजेसन की रिपोर्ट चौकाने वाली ही होती है,,, इस संस्था के अनुसार विश्व में लगभग 246 मिलियन मजदूर बच्चो की उम्र 15 से नीचे है सबसे महत्व पूर्ण बात तो ये है की हर दस में से एक बाल मजदूर बच्चा क्रषि में कार्यरत है .....
| Apna Uttarakhand http://apnauttarakhand.com पिछ्ले भाग में हमने देखा कि किस प्रकार शहर की भागमभाग ज़िंदगी मनुष्य को तनाव से भर देती है और मनुष्य अपनी याद्दास्त भी खोने लगता है। लेकिन, क्या इस स्थिति से बचने का कोई रास्ता है? कई मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि ‘हां है।’ मिशिगन विश्विद्यालय के……. Apna Uttarakhand | मेरे दिल से - MADHU.... CHAURASIA
- MUZAFFARPUR, BIHAR, INDIA
| News, Views and Debate यह ब्लॉग छोटी-छोटी खबरों पर आधारित है… ऐसी खबरें जिन्हें छापने अथवा दिखाने में हमारे सेकुलर मीडिया (चाहे इलेक्ट्रानिक हो या प्रिंट) को शर्म आती है…। ऐसा कोई भी समाचार अथवा खबर, जिसमें भारत की छद्म-धर्मनिरपेक्षता बेनकाब होती हो, ऐसी खबर जिससे भारत की विदेश नीति शर्मसार होती हो, ऐसी कोई खबर जिसे अखबारों ने दबा रखा है… यहाँ प्रकाशित करने की कोशिश की जायेगी… | सपोर्ट शाहरुख- क्योंकि उन्होंने अमिताभ और करण जौहर की तरह मांद के मेमनो से माफी मांगने से इनकार कर दिया. क्योंकि उनके समर्थन में उन्हीं की जमात का कोई आगे नहीं आ रहा जबकि ज्यादतर इसके शिकार हो चुके हैं या हो सकते हैं. क्योंकि शाहरुख को अपनी देशभक्ति साबित करने के लिए किसी ऐरे-गैरे की जरूरत नहीं है. क्योकि ये ओछी वोट की राजनीति है क्योंकि ये खुद को देश, कानून और संविधान से ऊपर समझने की खतरनाक कोशिश है क्योंकि सचिन तेंदुलकर और मुकेश अंबानी को इसी तरह के बयानों पर न ……. | विचारों का दर्पण अक्सर मन और दिमाग में कुछ विचार चलते रहते है . इन्ही विचारो को शब्दों का रूप देने के लिए ब्लॉग की शुरुवात किया है . आप इस ब्लॉग को पढने के बाद आपने विचार ज़रूर प्रकट करें . विवाद पैदा कर रहा है फेसबुक ... देवेश प्रताप कहा से शुरूवात करें ये बात जिसकी चर्चा यहाँ करने जा रहे है , अभी थोड़ी देर पहले फेसबुक (सोसिअलनेट्वोर्किंग साईट ) को लोगिन किया ....प्रोफाइल पर एक अचम्भित चीज दिखी ....एक कम्युनिटीजिसमें मेरे प्रोफाइल के कुछ लोग सदस्यता ले रखे है । मैंने भी जब वो कम्युनिटी को खोल कर देखा तो......बहुत हार्दिक दुःख हुआ । आप भी देखिये ये क्या है नीचे तस्वीर में है । ..........आखिर आज के इस आधुनिक युग में…… | अन्तःप्रेरणा - Kr.Shiv Pratap Singh
मुकेश गोयल की वर्षगाँठ के अवसर पर ७ फरबरी २०१० सुन ऐ मुकेश बच्चे मेरे यह बात है हम सब के मन की ! तुझको न किसी की नज़र लगे आशीष मिले उस भगवन की !! यूँ तो दुनिया में सब कोई आते हैं जाने जाते हैं, कुछ अच्छा नाम कमाते कुछ बदनामी ले कर जाते हैं, तेरे पलड़े में भी दोनों पर ज्यादा अच्छाई मन की !! ….
| मस्ती ज़िन्दाबाद जहाँ की हस्ती ज़िन्दाबाद ज़िन्दादिल लोगों की बस्ती अपना अहमदाबाद | सोमवार, ८ फरवरी २०१० दिल्ली में हो रहे १९ वें विश्व पुस्तक-मेले के आख़िरी दिन मैं अपने-आप को रोक नहीं पाया और वहां अपनी उपस्थिति ऐसे दर्ज़ कराई गोया मेरे गए बिना यह मेला संपन्न ही न होता ! बहर-हाल मैं वहाँ पहुंचा तो अकेले था,…….. | आइए अब जाने-माने ब्लॉगों की ओर रुख करते हैं-
हिन्दी काव्य संग्रह .......
फिर सज गई शाम सिंदूरी मैसम ने ली अंगड़ाई मुझे याद तुम्हारी आई ...... फूलों पर गुन गुनाए भ्रमर हर कली कली शरमाई मुझे याद तुम्हारी आई ...... By Suman हिन्दू टाईगर्स के नाम खुली पाती
प्रिय आजाद बुद्धिजीवी, प्रखर राष्ट्रवाद के प्रणेता सादर प्रणाम, हिन्दू ह्रदय सम्राट बाल ठाकरे उसके परिवारीजन राज ठाकरे उद्धव ठाकरे अब आदमखोर टाईगर हो गए हैं औरउत्तर भारतीय नागरिकों का मांस खाने लगे। श्रीमान जी सच तो यह है कि यह विचारधारा ही गद्दारों कीविचारधारा है जब कोई हत्या होती है तो हत्या भारतीय संघ में न हिन्दू की होती है न मुसलमान की होती है।भारतीय नागरिक की होती है और भारतीय कानून अपनी न्यायिक प्रणाली के तहत कार्य करता है लेकिनआदमखोरों के समूह जब कंधमाल में भारतीय नागरिकों का मांस खाने लगते हैं। गुजरात में खून की होलीखेल कर मांस खाने लगते हैं तो एक आदमखोर को अपना चेहरा दागी आईने में देखने पर मति भ्रम हो जाने से सारे लोग जातियों और धर्मों में बंटे दिखाई देते हैं और उसी सड़ांध से प्रखर राष्ट्रवाद पैदा होता है। आप काएक मुख्य सवाल यह भी है कि अफगानिस्तान से हिन्दू मतावलंबी कम हो गए हैं आप जैसे लोग जरा सा अपने गिरेबान में झांक कर देखें की जिस थाली में कुत्ता खा लेगा उस थाली को आप साफ़ कर रसोई में रखलेंगे लेकिन आदमी अगर खा लेगा तो उस थाली को आप फेंक देंगे जिस धर्म का ठेका आपने ले रखा है उसी के कुंठित स्वरूप के कारण छुआ-छूत और धर्म के नाम पर शोषण व उत्पीडन प्रारम्भ होता है आप जैसे लोगो नेहमारे धर्म को बदनाम कर रखा है और उसी के कारण हजारों लाखों लोग हमारे धर्म को छोड़ कर जहाँ उनको सामाजिक सम्मान मिल रहा है वह धर्म धारण कर रहे हैं। अच्छा यह होगा कि न्याय सामाजिक समानतालिंग की समानता आदि समाप्त किया जाए...... | अगर एक भी ब्यक्ति का खून न बहाने बाले बाला साहब ठाकरे को आदमखोर कहेंगे तो फिर सिंगूर में निर्दोश किसानों,मजदूरों,महिलाओं ,बच्चों का खून बहाने बालों को क्या कहेंगे । और उन लोगों को जिन्होंने माओबाद,नक्सलबाद के नाम पर अपनी राजनिती चमकाने के लिए लाखों…… लखनऊ ब्लॉगर एसोसिएशन | एक छोटी सी पहेली आप सभी साथियों के लिए ~नेहा और स्नेहा दोनों में लड़ाई हुई और एक दूसरे को पीटने लगी उनकी मम्मी ने आकर देखा तो बहुत नाराज़ हुई | लड़ाई से थक हार कर परेशान होकर उनकी मम्मी ने दोनों को सजा देने की सोची और दोनों को एक ही न्यूज़ पेपर के एक ही… PRAKAMYA | कह रहीं बालियाँ गेहूँ की मधुर कान में काली कोयल गाए मस्त मल्हार!बाँट रहे हैं फूल सभी को ख़ुशबू का उपहार!पेड़ों ने पहनी है कोमल-नई-मनोहर वर्दी!भीनी-भीनी धूप निकलने लगी कम हुई सर्दी! लदे बौर से पेड़ आम के मस्त हवा संग झूमें!सुध-बुध छोड़ तितलियाँ सरसों पर……. सरस पायस | रविवासरीय साप्ताहिक पहेली-19 का सही उत्तर है- मानीला देवी मंदिर, अल्मोडा (उत्तराखण्ड) पहेली के विजेता हैं श्री ताऊ रामपुरिया जी रविवासरीय साप्ताहिक पहेली-19 का सही उत्तर देने वाले नं०-2 हैं- श्री समीर लाल जी Udan Tashtari रविवासरीय साप्ताहिक पहेली-19 का………. अमर भारती | बामुलाहिजा >> Cartoon by Kirtish Bhatt | मेरी भावनायें... कुछ कह दो - कुछ भी पुराना नहीं कुछ भी अनजाना नहीं कुछ भी अनकहा नहीं कुछ भी अनसुना नहीं फिर भी क्यूँ हैं हम अजनबी से क्यूँ ओढ़ ली है हमने ख़ामोशी की चादरें क्यूँ हमने.. कल चर्चा मंच पर अवकाश रहेगा! परसों फिर मिलेंगे! राम-राम! | |
खूबसूरत चर्चा । आभार ।
जवाब देंहटाएंविस्तृत और सुन्दर चर्चा शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंthanks sir ji
जवाब देंहटाएंAadarniya, yah charcha bhi khub rahi...Aabhar!!
जवाब देंहटाएंhttp://kavyamanjusha.blogspot.com/
बहुत बढिया !!
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा, अभिनंदन।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर, सुवाच्य एवम नयनाभिराम विस्तृत चर्चा.
जवाब देंहटाएंरामराम.
bahut badhiya charcha.
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा।
जवाब देंहटाएंरवि मन को भाई यह चर्चा नाइस है!
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कह रहीं बालियाँ गेहूँ की - "मेरे लिए,
नवसुर में कोयल गाता है - मीठा-मीठा-मीठा!"
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संपादक : सरस पायस