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मंगलवार, फ़रवरी 23, 2010

"मेहरबां फ़रमाईये किस पर लिखूं?" (चर्चा मंच)

"चर्चा मंच" अंक-72
चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
आइए आज का
"चर्चा मंच" सजाते हैं- 
देखिए दिनभर की कुछ हलचल--
 
निवेदन यह  है कि यदि आप
पल-पल! हर पल!! http://palpalhalchal.feedcluster.com/

में अपना ब्लॉग शमिल कर लेंगे तो
मुझे चर्चा मंच में आपका लिंक उठाने में सरलता होगी।

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जिसकी खटिया के नीचे आग लगाई वही ऊठकर भाग गया : संतू गधा
Tuesday, February 23, 2010 at 4:44 AM Posted by ताऊ रामपुरिया
आजकल के माहोल से त्रस्त होकर हमने एक पोस्ट "मेहरबां फ़रमाईये किस पर लिखूं?" लिखी थी. क्योंकि सच मे समझ नही आता कि क्या लिखें और क्या ना लिखें. लोगबाग चीरफ़ाड करने को उधार ही रहते हैं. असल मे वस्तु या कथ्य तो एक ही होता है परंतु हर आदमी उसका अवलोकन अपने नजरिये से ही करता है. जैसे हाथी को देखकर कोई कहेगा यह बहुत विशालकाय है..कोई कहेगा ..ये तो काला है...यानि हर किसी की अपनी नजर होती है.
और खासकर ब्लागजगत में तो ताऊ के लिखे को देखकर लोग यही कयास लगाते हैं कि आज ताऊ ने ये किसके बारे में लिखा? कुछ लोग पूछते भी हैं और सलाह भी देते हैं कि ताऊ लौट आवो पुरानी गलियों मे. यहां सब तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं...अब ये ताऊ ना हुआ..कश्मीर का आतंकी होगया जो बहक कर फ़ैसलाबाद चला गया और एक रियायती पैकेज ताऊ को मुख्य धारा में लौटाने के लिये सरकार ने दिया हो?
…………..
"मुर्गी तो जान से गई और खाने वाले को मजा नही आया"…….
बस आप यूं समझ लें कि ताऊ एक गोल और चिकना सा पत्थर है. उस चिकने पत्थर पर आप प्रेम से हाथ फ़िरायेंगे तो आपको स्निग्धता और प्रेम का आभास होगा….
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ताऊजी डॉट कॉम

खुल्ला खेल फ़र्रुखाबादी (195) : आयोजक उडनतश्तरी - बहनों और भाईयों, मैं उडनतश्तरी इस फ़र्रुखाबादी खेल में आप सबका आयोजक के बतौर हार्दिक स्वागत करता हूं. जैसा कि आप जानते हैं कि अब खुल्ला खेल फ़र्रुखाबादी क...

अंधड़ !
होली पर एक धमकी भरी गजल ! - *हिम्मत बा तोहरा में त अबकी तू, गुजर कर देख हमरा गली से, नाम हमरा मुंती ना गर, मरवा न देत तोहरा के कौनो नक्सली से! डराय करत रहनी जो कबो तोरा से, समझिएगा न ह...

मेरी भावनायें...

.....! - मैं अकेली कहाँ और कब? नज्में मेरे पास सांसें लेती हैं

Dr. Smt. ajit gupta
ग्‍वालियर किला जो कैदखाने में बदल दिया गया - दिनांक 20 फरवरी को हमारी गाड़ी ग्वालियर की सड़कों से होती हुई एक पहाड़ी पर चढ़ने लगी। एक सुदृढ़ किले की दीवारे दिखायी देने लगी और उन दीवारों पर बनी हुई जैन तीर...

चिट्ठाद्योग सेवा संस्थान-----:-)
| पं.डी.के.शर्मा"वत्स" | कुछ इधर की, कुछ उधर की
   जैसा कि आप सब लोग जानते हैं कि हिन्दी ब्लागर्स को आ रही समस्यायों को देखते हुए पिछले दिनों हमने आप लोगों की सहायतार्थ "चिट्ठाद्योग सेवा संस्थान" नाम से एक कुटीर उद्योग का शुभारंभ किया था। जिसके पीछे हमारा एकमात्र यही उदेश्य रहा है कि इस ...
काव्य तरंग

हिन्दी काव्य संग्रह .......
तुम प्रेम का आधार हो - प्रिय तुम प्रेम प्रतीक हो तुम प्रेम का आधार हो तुम ही तो हो पथ प्रेम का तुम ही प्रेम का द्वार हो सर्द सुलगती रातों में शीतल मृदु अहसास त...
सावधान, रिमोट के द्वारा डाला जा रहा है आपकी जेब पर डाका।
ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ | Science Bloggers' Association
विज्ञान और तकनीक के द्वारा वैज्ञानिक गण जहाँ मनुष्यता की सेवा के लिए नित नए आविष्कार करते रहते हैं, वहीं छुटभैये आविष्कार इनका दुरूपयोग कर लोगों की जेबें साफ करने के रास्ते निकालते रहते हैं। ऐसा ही एक मामला इलाहाबद में पकड़ में आया है, ...
फोटो प्रिंट करने के लिए एक औजार
नवीन प्रकाश |  Hindi Tech Blog
अगर आप अपने फोटो को अपने कलर प्रिंटर या फोटो प्रिंटर से छापते हैं तो ये टूल आपके लिए उपयोगी रहेगा ।
‘‘मोबाइल फोन’’
  नन्हें सुमन
पापा ने दिलवाया मुझको, सेल-फोन इक प्यारा सा। मन-भावन रंगों वाला, यह एक खिलौना न्यारा सा।।
नुक्कड़

होली की वजह से.......... - *हास्य* * -डॉ० डंडा लखनवी* * * *कुछ का हृदय उदार है होली की वजह से। कुछ की नज़र कटार है होली की वजह से।। कल तक वो किसी तरह से पसीजता न था, अब दे रहा उध...
Albelakhatri.com

रुचिप्रिया भारतीय आपके स्नेह और आशीर्वाद की पात्र है - प्यारे मित्रो ! 28 अप्रेल 2009 को मैंने अपना पहला ब्लॉग बनाया और धीरे धीरे कब मेरे ब्लोग्स की संख्या २२ हो गई पता ही नहीं चला । सभी ब्लोग्स पर अलग-अलग ...
chavanni chap (चवन्नी चैप)

हिंदी टाकीज द्वितीय : फिल्‍में देखने का दायरा बढ़ा है और सलीका भी - मनीषा पांडे - लंबे अंतराल के बाद हिंदी टाकीज की नई कड़ी। आखिर मनीषा पांडे ने लिख दिया और चवन्‍नी उये यहां अविकल प्रस्‍तुत कर रहा है।मनीषा में एक बेचैनी और क्रिएटिव कंफ्...
आरंभ Aarambha

पंडवानी की पुरखिन दाई श्रीमती लक्ष्मी बाई - छत्तीसगढ़ की मंचीय कला के विविध रूपों से आज हम सब खूब परिचित है। भरथरी की विख्यात गायिका सुरूजबाई खांडे, पंथी के अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के कलाकार देवदास ब...



  • हृदय गवाक्ष
     काकः काकः, पिकः पिकः - ये आवाज़ अक्सर परीक्षा के समय कूजती थी। जब सारी दुनिया से ध्यान हटा कर एक लक्ष्य परीक्षा होती दिन रात के परिश्रम में जब इसकी आवाज़ कान में पड़ती तो मन कुछ ...






  • कस्‍बा qasba
    ट्विटर ऑन फायर, कार्लटन टावर का ट्विट प्रसारण - किसी घटना को देखते हुए दर्शक किस तरह से प्रतिक्रिया व्यक्त करता है अब इसे उसी वक्त समझा जा सकता है। ट्विटर जैसी सोशल साइट्स की मदद से। बंगलोर के कार्लटन इम..






  • Darvaar दरवार
    आज मिला मैं दो हाई प्रोफाइल ब्लोगरों से -आपको भी मिलवाता हूँ - आज का दिन याद रहेगा दो हाई प्रोफाइल ब्लोगरो से मुलाक़ात हुई . मेरे शहर में आज दो ब्लोगर आये थे दोनों ब्लॉग क्यों लिखते है किस लिए लिखते है पता नहीं लेकिन व...






  • कबाड़खाना
     लीलाधर जगूड़ी से बतकही - 1 - यह इन्टरव्यू उस्ताद कबाड़ी अनिल यादव ने कल लिया था लखनऊ में. अनिल का इन्टरनैट ठीक से काम नहीं कर रहा सो इसे पोस्ट करने यह ज़िम्मा मुझे मिला. आओ पास बैठो, सोने .






  • नारी
    साहस और चतुराई को बनाया हथियार................ - आज आये दिन लगभग सभी दैनिक समाचार पत्रों में शहरी क्षेत्रों में होने वाली लूट-खसोट और चोरी की घटनाओं का उल्लेख मिलता है, जिसमें सबसे अधिक घटनाएँ महिलाओं क..






  • उच्चारण
    “लगता है बसन्त आया है” *हर्षित होकर राग भ्रमर ने गाया है! * *लगता है बसन्त आया है!! * * * *नयनों में सज उठे सिन्दूरी सपने से, * *कानों में बज उठे साज कुछ अपने से, * *पुलकित होकर...






  • लहरें
    मेरी कोई सजा हो - कहीं से कोई आसमां टूटे, कहर बरपा होतुम बिन जी रही हूँ मेरी कोई सजा हो आतिशें शाम को सुलगाएं, सूरज जलता रहेघर जाने के रास्ते में रुकता, थमता जलजला हो भूल जाऊं..






  • देसी पंडितजी
    An Attempt to Understand Raagas in Carnatic Music -

    (This blog post is written by Vidhyashankar, MBA student at W.P. Carey School of Business in Arizona State University. With no formal training in carnatic






  • मानसिक हलचल
    मोबाइल आर्धारित टिकट व्यवस्था - कल एक सज्जन (श्री अभिषेक) ने मेरी पोस्ट से असंबद्ध एक टिप्पणी की - ज्ञानदत्त जी आप रेलवे के सबसे बड़े अफसर हैं जिनको मैं किसी भी तरह से जानता हूँ ..






  • लिखो यहाँ वहां
     भाड़े का विज्ञान और विशेषज्ञ - यूं तो सम्पूर्ण ऊर्जा के दोहन को लेकर अनेक योजनाएं बनायी जा रही है पर उत्तराखण्ड के पहाड़ों में विशेष रूप से 400 से ज्यादा छोटी-बड़ी जल-विद्युत परियोजनाओं प...






  • अनुनाद
    कुमार विकल की कुछ कविताएँ - *चम्बा की धूप --------* ठहरो भाई, धूप अभी आएगी इतने आतुर क्यों हो आखिर यह चम्बा की धूप है- एक पहाड़ी गाय- आराम से आएगी. यहीं कहीं चौगान में घास चरेगी गद्दी ...






  • अमृता प्रीतम की याद में.....
    मेरा दीन भी तू ,ईमान भी तू - राँझा -राँझा कहन्दी नि मैं आपे रांझा होई से आगे ... पैरों की कंकड़ी निकालती ,झाड़ियों का सहारा लेती जब मैं पहाड़ की चोटी के करीब पहुँच गयी तो ऊपर से आती चिर...






  • सच्चा शरणम्
    पिया संग खेलब होरी... - सखि ऊ दिन अब कब अइहैं, पिया संग खेलब होरी । बिसरत नाहिं सखी मन बसिया केसर घोरि कमोरी । हेरि हिये मारी पिचकारी मली कपोलन रोरी । पीत मुख अरुन भयो री - पिया स...








  • अमीर धरती गरीब लोग
     उन्नत प्रदेशों और शहरों की खूबसुरती को पिछ्ड़े प्रदेश छत्तीसगढ की उन्नति की चुनौती - छत्तीसगढ अभी दस साल की ही हुआ है और उसने सारे देश मे अपना परचम फ़हराना शुरू कर दिया है।खेल और आवाज़ की दुनिया मे अपनी पहचान बनाने मे सफ़ल हो रहे पिछड़े कहे जान..






  • तीसरा खंबा
     विधि व्यवसाय का नियमन : भारत में विधि का इतिहास-49 - लॉर्ड कार्नवलिस ने 1793 के सातवें विनियम के माध्यम से विधि व्यवसाय का नियमन किया। योग्य और चरित्रवान अधिवक्ताओं को लायसेंस प्रदान किए जाने की व्यवस्था की ग...






  • देशनामा
    अमीर बनना है, इसे पढ़िए...खुशदीप - अमीर बनने का नुस्खा आपको बताऊंगा...ऐसा नुस्खा जिसमें आपकी धन-दौलत छिनने का कभी डर ही नहीं रहेगा, लेकिन पहले ज़िंदगी... *जिंदगी कैसी है पहेली हाय, कभी ये रु...






  • ज्ञान दर्पण
    स्कूल मेनेजमेंट सोफ्टवेयर आपकी स्कूल के लिए - यदि आप अपने स्कूल मेनेजमेंट का कंप्यूटर रिकॉर्ड रखने के लिए किसी सोफ्टवेयर की तलाश में है तो हेडमास्टर सोफ्ट .कॉम का महज २०००रु. का सोफ्टवेयर आपके ...






  • मेरी छोटी सी दुनिया
    दिमाग का एक और फितूर - मन में ठान लिया था कि अब नहीं सोचूंगा, बहुत सोच लिये और सोच-सोच कर दुखी भी हो लिये.. अब खुश रहना चाहता हूं.. वैसे भी जीवन ने यही पाठ पढ़ाया है कि जिसके लिय...






  • संवेदना संसार
    बहुत याद आये !!! - *मादक मंद समीर बसंती, छूकर तन, मन को सिहराए, इस मोहक बेला में साथी, आये, बहुत याद तुम आये !!! नींद पखेरू,पलकों को तज, स्मृति गगन में चित भटकाए, इस नीरव बेला..



  • मोहल्ला
     अनंत अंत - अनंत अंत को तलाश करते हुए एक ऐसे पथ पर चल रहा हूँ जहाँ दूर दूर तक फैला अन्धकार है मुझे लगा ये मेरा वहम है लेकिन इस अंधकार से बाहर निकलने का कोई रास्ता मुझे...



  • बना रहे बनारस
    बोल-चाल की हिन्दी में कविता - *महावीर प्रसाद द्विवेदी* (1864-1938) कुछ लोगों का खयाल है कि बोल-चाल की हिन्दी में कविता का जन्म हुए अभी बीस ही पच्चीस वर्ष हुए। पर खोज से इस भाषा की कवित.





  • सच कहा गया है कि "गुरू(भाग्येश) डूबते हुए को उबार लेता हैं"
    पं.डी.के.शर्मा"वत्स"  ज्योतिष की सार्थकता
    वेद,पुराण,शास्त्र,उपनिषद इत्यादि सभी गुरू की महिमा का बखान करते नहीं थकते। न सिर्फ आध्यात्म अपितु ज्योतिष में भी यही कहा गया है कि आत्मिक उन्नति के लिए गुरू की सहायता परमावश्यक है। इसके बिना मनुष्य के आत्म कल्याण का द्वार नहीं खुल सकता।
    क्या होलिका किसी षडयंत्र का शिकार थी. होली पर विशेष.
    Feb 23, 2010 | Author: Gagan Sharma, Kuchh Alag sa | Source: Alag sa
    वर्षों से यह धारणा चली आ रही है कि, होलिका ने अपने भतीजे प्रह्लाद को मारने की नाकाम चेष्टा की थी। ऐसा उसने क्यूं किया? क्या मजबूरी थी जो एक निर्दोष बालक के अहित में उसने साथ दिया? क्या वह किसी षड़यंत्र की शिकार थी ?
    “रविवासरीय साप्ताहिक पहेली-21 का उत्तर” (अमर भारती)
    अमर भारती
    रविवासरीय साप्ताहिक पहेली-21 का सही उत्तर है- दूध वाला कुँआ, गुरुद्वारा, नानकमत्ता साहिब, उत्तराखण्ड.
    कार्टून : फिर हमले होने वाले हैं .... सावधान !!!

    बामुलाहिजा >> Cartoon by Kirtish Bhatt
    कवि सम्मेलनीय बातों में से बात और बात बात में बात ...........
    Hasya Kavi Albela Khatr i
    हास्यकवि अलबेला खत्री इन लातूर       
    'उत्‍पादकता' से 'प्रकृति' महत्‍वपूर्ण, ये बात गांठ बांध लो सभी !!
    Author: संगीता पुरी |  गत्‍यात्‍मक चिंतन
    डायरी के एक पन्‍ने में मुझे यह कविता दिखाई पडी। पढने पर मुझे याद आया कि पर्यावरण दिवस पर आयोजित किसी कार्यक्रम में बोलने के लिए बेटे को कविता लिखना सिखलाते हुए मैने यह तुकबंदी की थी । यह पन्‍ना इधर उधर खो न जाए , इस ख्‍याल से इस यादगार ...


     आज केवल इतना ही...!

    7 टिप्‍पणियां:

    1. aapka kaam dekh kar bar bas hi shraddha umad aati hai hriday me.....

      jai ho aapki shaastri ji !

      जवाब देंहटाएं
    2. सुन्दर व विस्तृत चर्चा के लिए आभार !
      सादर

      जवाब देंहटाएं
    3. शास्त्री जी! आपके द्वारा निस्वार्थ भाव से किए जा रहे इस अति श्रमसाध्य चर्चा कार्य हेतु आप वाकई साधुवाद के पात्र हैं। हैरानी होती है कि आप इतनी मेहनत कर कैसे लेते हैं..हमारे बस की तो कभी नहीं।
      पुन: धन्यवाद्!

      जवाब देंहटाएं
    4. शाश्त्रीजी, इस सतत और वृहद चर्चा के लिये आपको बहुत धन्यवाद. आपने तो चर्चा के मायने ही बदल दिये हैं. शुभकामनाएं.

      रामराम.

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    5. bahut hi mehnat ki hai aur kafi link bhi mil gaye .........shukriya.

      जवाब देंहटाएं
    6. दिलचस्प चर्चा...अगली चर्चा का इंतजार.

      जवाब देंहटाएं

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