"चर्चा मंच" अंक-58 चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" आइए अपने पुराने रंग-ढंग के साथ आज के "चर्चा मंच" को सजाते हैं। सबसे पहले देखिए शीर्ष-ब्लॉगर्स की कुछ पोस्ट और उसके बाद दिल्ली हिन्दी ब्लॉगर मिलन की कुछ पोस्टों के साथ कुछ अन्य पोस्टों को- उड़न तश्तरी .... अन्तर्राष्ट्रीय पत्रिका “हिन्दी चेतना” , हिन्दी प्रचारणी सभा कनाडा की त्रेमासिक पत्रिका है. साहित्य जगत में अग्रणी स्थान रखने वाली इस पत्रिका के संरक्षक एवं प्रमुख सम्पादक श्री श्याम त्रिपाठी, कनाडा एवं सम्पादक डॉ सुधा ओम ढींगरा, अमेरीका हैं. हाल ही में इसका जनवरी, २०१० अंक प्रकाशित हुआ जिसकी पी डी एफ कॉपी आप हिन्दी चेतना के ब्लॉग एवं विभोम एन्टरप्राइज की वेब साईट से डाउन लोड कर सकते हैं. इस अंक में मेरी व्यंग्य रचना ’बिजली रानी, बड़ी सयानी’ प्रकाशित हुई है. ……… | रवि मन मेरे लिए : रावेंद्रकुमार रवि - मेरे लिए -- "मैं तुम्हारे हृदय में झंकार भर दूँगा प्रणय की!" यदि नहीं विश्वास होता है तुम्हें इस बात पर, खोलकर देखो ज़रा तुम, द्वार अपने हृदय का ... | मुसाफिर हूँ यारों जम्मू से कटरा - उस दिन जम्मू मेल करीब एक घण्टे देरी से जम्मू पहुँची। यह गाडी आगे ऊधमपुर भी जाती है। मैने प्रस्ताव रखा कि ऊधमपुर ही चलते हैं, वहाँ से कटरा चले जायेंगे। लेकि.. | नीरज गुलाबों से मुहब्बत है जिसे - मजे की बात है जिनका, हमेशा ध्यान रखते हैं वोही अपने निशाने पर, हमारी जान रखते हैं मुहब्बत, फूल, खुशियाँ,पोटली भर के दुआओं की सदा हम साथ में अपने, यही साम.. | हिन्दी साहित्य मंच पंथ पर चलना तुझे तो मुस्कुराकर चल मुसाफिर--------[महाकवि गोपालदास नीरज] - * * *उपनाम-*नीरज*जन्म स्थान-*पुरावली, इटावा, उत्तर प्रदेश, भारत*कुछ प्रमुख- कृतियाँ-*दर्द दिया है, प्राण गीत, आसावरी, गीत जो गाए नहीं, बादर बरस .. | भारतीय नागरिक - Indian Citizen गीतों को डाउनलोड करने के लिये साफ्टवेयर सुझायें. - कुछ गीत जो कि डिवशेयर पर उपलब्ध हैं तथा कुछ हिन्द-युग्म आवाज
( http://podcast.
hindyugm.
com/ )
पर उपलब्ध हैं, को आफलाइन सुनने के उद्देश्य से डाउनलोड करना चाह... | उच्चारण “घर-आँगन बसन्ती हो गये!” - * गुनगुनी सी धूप में, मौसम गुलाबी हो गया! प्रकृति के नवरूप का, जीवन शराबी हो गया!! इश्क की दीवानगी पर, रंग होली का चढ़ा! घा... | मसि-कागद प्यार के अविस्मरणीय पलों की चाशनी में पगे साहित्य की मिठास, एक नवीन आरंभ के साथ
१- जब सी.डी.आर.आई. अस्तित्व में आया...
२- उसके १० साल बाद...
३- कुछ साल और...
४- दसेक साल और बाद...(यानी वर्तमान)
५- अब ये हैं भविष्य के हालात- (भाई जैसे जैसे सफल संस्थान या विकसित देश होने के दिन करीब आते जा रहे हैं.. मंजिल असंभव सी लगने लगी है... दीपक 'मशाल' | Posted by हरिओम तिवारी | हिंदी लेखन में अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग...कितना उचित??सबसे पहले मैं यह स्पष्ट कर दूँ कि मैंने विषय के रूप में हिंदी बस इंटर तक ही पढ़ी है और मेरा सारा हिंदी ज्ञान ,पत्र पत्रिकाओं या हिंदी साहित्यिक पुस्तकों से ही अर्जित किया हुआ है,इसलिए अगर हिंदी में 'एम.ए.' या 'पी.एच.डी.' वालों को मेरी बात अच्छी ना लगे तो
अपनी, उनकी, सबकी बातें
आज की चर्चा में
बस इतना ही! कल फिर
आपकी सेवा में
उपस्थित हो जाऊँगा! | |
गागर में सागर
जवाब देंहटाएंसदा की तरह गागर में सागर.
जवाब देंहटाएंवाह जी बहुत ही विस्तार से चर्चा की है हमेशा की तरह , बहुत सुंदर जी बहुत बढिया
जवाब देंहटाएंअजय कुमार झा
वाह..मजा आया विस्तार देख कर...खूब लिंक मिल गये. सब पर हो आये. एक तस्ल्ली मिली.
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया चर्चा !!
जवाब देंहटाएंजैसे जैसे दिन बीतते जा रहे हैं, चर्चा में तो निखार आ ही रहा है, चर्चा के सिंगार में भी सतत बढ़ोत्तरी हो रही है, यह देख कर ख़ुशी हुई
जवाब देंहटाएंये चर्चा बड़ी है मस्त-मस्त
जवाब देंहटाएंHamesha ki tarah ye charcha bhi bahut khu rahi .... :)
जवाब देंहटाएंhttp://kavyamanjusha.blogspot.com/
सुन्दर और संतुलित चर्चा
जवाब देंहटाएंWah.. itihaas apne aap ko dohrata hua(is charcha ka) aur punah badhai dene layak charcha... aaphi ka blog hai sir jo post jaise chahen uthaiye, jahan chahe lagaiye... :)
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत चर्चा । आभार ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर चर्चा ।
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार चर्चा, आभार.
जवाब देंहटाएंरामराम.
bahut hi vistrit charcha ki hai........aabhar.
जवाब देंहटाएंलाजवाब चर्चा शास्त्री जी!!!
जवाब देंहटाएंआभार्!
बसंत में बासंती चर्चा।
जवाब देंहटाएंआभार।