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सोमवार, फ़रवरी 08, 2010

“बिजली रानी, बड़ी सयानी” (चर्चा मंच)

"चर्चा मंच" अंक-58
चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"


आइए अपने पुराने रंग-ढंग के साथ आज के
"चर्चा मंच" को सजाते हैं।


सबसे पहले देखिए शीर्ष-ब्लॉगर्स की कुछ पोस्ट और उसके बाद
दिल्ली हिन्दी ब्लॉगर मिलन की कुछ पोस्टों के साथ
कुछ अन्य पोस्टों को-
उड़न तश्तरी ....
बिजली रानी, बड़ी सयानी

अन्तर्राष्ट्रीय पत्रिका “हिन्दी चेतना” , हिन्दी प्रचारणी सभा कनाडा की त्रेमासिक पत्रिका है. साहित्य जगत में अग्रणी स्थान रखने वाली इस पत्रिका के संरक्षक एवं प्रमुख सम्पादक श्री श्याम त्रिपाठी, कनाडा एवं सम्पादक डॉ सुधा ओम ढींगरा, अमेरीका हैं. हाल ही में इसका जनवरी, २०१० अंक प्रकाशित हुआ जिसकी पी डी एफ कॉपी आप हिन्दी चेतना के ब्लॉग एवं विभोम एन्टरप्राइज की वेब साईट से डाउन लोड कर सकते हैं. इस अंक में मेरी व्यंग्य रचना ’बिजली रानी, बड़ी सयानी’ प्रकाशित हुई है.

electheft………

ताऊ डॉट इन

ताऊ पहेली - 60 : विजेता : श्री उडनतश्तरी - प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली - 60 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही उत्तर हैगोलघर, ..


Golghar in 1888

रवि मन

मेरे लिए : रावेंद्रकुमार रवि - मेरे लिए -- "मैं तुम्हारे हृदय में झंकार भर दूँगा प्रणय की!" यदि नहीं विश्वास होता है तुम्हें इस बात पर, खोलकर देखो ज़रा तुम, द्वार अपने हृदय का ...

बगीची

दिल्‍ली हिन्‍दी ब्‍लॉगर मिलन : यह हाथ किसका है ? (अविनाश वाचस्‍पति) - दिल्‍ली हिन्‍दी ब्‍लॉगर मिलन में जो भी आये थे इस हाथ से अपना हाथ जरूर मिलाये थे। बतलाइये पहचानिये और बतलाइये यह हाथ किसका है ? डॉ. टी एस दराल जी से पूछना ..

पिताजी

दिल्‍ली हिन्‍दी ब्‍लॉगर मिलन : चित्रों का करिश्‍मा : पहने रहिये चश्‍मा (अविनाश वाचस्‍पति) - विनोद कुमार पांडेय ने तो लिख ही दी कविता चाय में भी लग रहा है उन्‍हें शायद तीखा हमें संभल संभल कर चलना है अपनी राह को खुद ही चुनना है मैं तो भूल ही गया तब ...

तेताला

सोलह दूनी आठ करेंगे : अशोक चक्रधर जी का जन्‍म दिन (अविनाश वाचस्‍पति) - प्रिय और आदरणीय मेरी दो पुस्तकों 'कुछ कर न चम्पू' और 'चम्पू कोई बयान नहीं देगा' का लोकार्पण श्री कपिल सिब्बल और श्रीमती शीला दीक्षित कर रहे हैं. आठ फरवरी ..

Hindi Tech Blog

एक बढ़िया मीडिया प्लेयर - एक मुफ्त मीडिया प्लेयर आपके कंप्यूटर के लिए इसमें आप MKV, DivX, Xvid, Flash, QuickTime, DVD, MP3, FLAC जैसी फाइल्स भी चला पायेंगे बिना किसी ..

नया ठौर

घर में ही पराजित होती हिंदी - हिंदी को राष्ट्रभाषा मानने वालों का मुगालता पिछले दिनों टूट गया। गुजरात हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान हिंदी की संवैधानिक स्थिति भी स्पष्ट की। ची..

Science Bloggers' Association

....'विज्ञान प्रगति' ने भी ब्लॉगिंग को किया सलाम। - जी हाँ, भले ही तमाम ब्लॉगर आज भी विषय के अभाव में सिर्फ दूसरों पर कीचड़ उछाल रहे हों, पर इसमें कोई दो राय नहीं कि दिनों दिन 'ब्लॉगिंग' की महत्ता बढ़ती जा रही..

मुसाफिर हूँ यारों

जम्मू से कटरा - उस दिन जम्मू मेल करीब एक घण्टे देरी से जम्मू पहुँची। यह गाडी आगे ऊधमपुर भी जाती है। मैने प्रस्ताव रखा कि ऊधमपुर ही चलते हैं, वहाँ से कटरा चले जायेंगे। लेकि..

नीरज

गुलाबों से मुहब्बत है जिसे - मजे की बात है जिनका, हमेशा ध्यान रखते हैं वोही अपने निशाने पर, हमारी जान रखते हैं मुहब्बत, फूल, खुशियाँ,पोटली भर के दुआओं की सदा हम साथ में अपने, यही साम..

Albelakhatri.com

एक मोमबत्ती जब तक तुम चाहोगे, जलती रहेगी............ - यह कहना कि तुम एक व्यक्ति को आजीवन प्रेम करते रहोगे, यह कहने के समान है कि एक मोमबत्ती जब तक तुम चाहोगे, जलती रहेगी............ -ताल्स्ताय ...

झा जी कहिन

आप देखिए और पहचानिए कौन शामिल हुए दिल्ली ब्लोग्गर्स बैठक में - दिल्ली ब्लोग्गर्स बैठक में शामिल हुए सभी मित्र ब्लोग्गर्स को जितनी खुशी हुई और उसके बाद आई रिपोर्टों पर हिंदी ब्लोगजगत के तमाम साथियों ने जिस तरह से बधाई ..

Dr. Smt. ajit gupta

साहित्‍यकार माता-पिता का स्‍मरण कौन करता है? - खुशबू हूँ मैं फूल नहीं जो मुरझा जाऊँगा जब भी मुझको याद करोगे मैं आ जाऊँगा। ये पंक्तियां रात को टीवी पर सुनी थी, मन से निकल नहीं रही। ऐसे लग रहा है ..

आओ सीखें हिंदी

सलमान ख़ान की राय - हम विदेश में रहते हुए भी अधिक से अधिक बच्चों को मनोरंजक ढंग से हिन्दी सिखाने में जुटे हुए हैं पर पिछले दिनों टी. वी. के एक कार्यक्रम को देख मन बड़ा ...

अंधड़ !

थोडा खाओं और सुखी रहो ! - *न्याय की राह मत तजो, अन्याय को भी मत सहो ! लालच बुरी बला है दोस्तों , थोडा खाओ और सुखी रहो !! एक दिन यहाँ सब का सब रह जाएगा धरा का धरा, आजतक कम खाकर भी शाय...

हिन्दी साहित्य मंच

पंथ पर चलना तुझे तो मुस्कुराकर चल मुसाफिर--------[महाकवि गोपालदास नीरज] - * * *उपनाम-*नीरज*जन्म स्थान-*पुरावली, इटावा, उत्तर प्रदेश, भारत*कुछ प्रमुख- कृतियाँ-*दर्द दिया है, प्राण गीत, आसावरी, गीत जो गाए नहीं, बादर बरस ..

भारतीय नागरिक - Indian Citizen

गीतों को डाउनलोड करने के लिये साफ्टवेयर सुझायें. -

कुछ गीत जो कि डिवशेयर पर उपलब्ध हैं तथा कुछ हिन्द-युग्म आवाज


( http://podcast.


hindyugm.


com/ )


पर उपलब्ध हैं,

को आफलाइन सुनने के उद्देश्य से डाउनलोड करना चाह...

उच्चारण

“घर-आँगन बसन्ती हो गये!” - * गुनगुनी सी धूप में, मौसम गुलाबी हो गया! प्रकृति के नवरूप का, जीवन शराबी हो गया!! इश्क की दीवानगी पर, रंग होली का चढ़ा! घा...

गत्‍यात्‍मक चिंतन

क्‍या प्रकृति में लेने और देने का परस्‍पर संबंध होता है ?? - जीवन में बहुत सारे लोग , खासकर आध्‍यात्मिक ज्ञान और रूचि वाले लोग इस बात को मानते हैं कि प्रकृति में लेने और देने का परस्‍पर संबंध है। एक बार पिता पुत्र की...

KNKAYASTHA INSIDE-OUT

मेरी कविता के बिखरे टुकड़े... - 1.पतंग डोर मेरे हाथ मेंसरसर उड़ती पतंग,जैसे ईश्वर और इंसान का संग। 2.पंखा पंखा घूमें कमरे मेंहवा में फैले तरंग,जैसे कर्म भाग्य का संग। 3.शराबतन में उतर कर ..

Alag sa

ताश के बादशाह, बेगम तथा गुलाम सब का अपना-अपना चरित्र होता है. - ताश, अच्छी है या बुरी यह बहस का विषय हो सकता है। पर सैंकड़ों वर्षों से यह आदमी का मनोरंजन करती आ रही है इसमें दो राय नहीं है। इसके आज के स्वरुप के चार वर्गो...

जज़्बात

दिल्ली ब्लोगर सम्मेलन : चित्रों की जुबानी - दिल्ली ब्लोगर सम्मेलन में पहुँचने वाला मैं अंतिम सिरे से सबसे पहला था. वार्तालापों से चूका पर चित्रो की जुबानी तो कुछ कह ही सकता हूँ.

शब्दों का दंगल

“ समीर लाल का स्वर सुन लिया!” - “लाइव-संस्मरण” “…… ….. की आवाज पतली है?” *दिनांकः 07-02-2010 समयः 9-47 PM अचानक मेरा चैट बॉक्स खुला- * * *Udan: शास्त्री जी प...

मुक्ताकाश....

यदि जीवन दुबारा जीने को मिले... 'मुक्त' - [समापन किस्त] उस समय के जो लोग मेरी तरह आज भी जीवित हैं, उन्हें तो उस ज़माने की वे दृश्यावलियाँ कभी भूल ही नहीं सकतीं। बाद की पीढ़ी के लोगों ने भी उस ज़माने क..

आदित्य (Aaditya)

चन्दा मामा... - मैं अब बोलना सीख गया हूं... छोटे छोटे शब्दों के बाद अब मैं छोटे छोटे वाक्य बोलना सीख रहा हूं... मेरी आवाज में सुनिए चन्दा मामा... ये ड्युट है... दूसरी आवा..

सुबीर संवाद सेवा

उतर गया है बुखार सारा पड़े वो जूते तेरी गली में, उतारो जूतों से आरती सब सनम हैं आए गली हमारी । होली के स्‍पेशल तरही मुशायरे के लिये ये हैं दो मिसरे । - लो साहब देखते ही देखते होली का त्‍यौहार आ गया । अभी तो आप देखिये कि क्‍या क्‍या होता है । लेकिन फिलहाल आज तो केवल तरही के मिसरे के बारे में कुछ बातें । ..

शिल्पकार के मुख से

ब्लाग जगत है तैयार-बह रही फ़ागुनी बयार (बिरहा फ़ाग) - बसंत ऋतू आ गई है, वातावरण में रौनक छा गई है-आभासी ब्लाग जगत भी इससे अछूता नहीं है. कहीं ढोल-नंगाड़े बज रहे हैं. कही आचारज जी काला मोबिल आईल लेकर तैयार हैं ...

Gyanvani

अब जीना है मुझे भयमुक्त जीवन - जीने दो मुझे मत डराओ कि अब मैं डरने वाली नहीं हूँ अब बस जीना चाहती हूँ भयमुक्त जीवन मरने से पहले ............ भर लू बाँहों में खुला आसमान फुद्फुदाती तितलिय...

अंतर्मंथन

आखिर मिलने की चाह हमें खींच कर ले ही गई --- - कहते हैं , चाहने वाले उड़कर, दौड़कर , चलकर , तैरकर पहुँच ही जाते हैं। ऐसा हमने स्कूल की बायोलोजी की किताब में पढ़ा था , पोलिनेशन एंड फ़र्तिलाइज़ेशनके चैप्टर में...

Rhythm of words...

घर ! - वो जब कहता था कुछ,मैं सोच में पड़ जाता था अपने सवाल से वो,मेरे ख्यालों को उमर देता था ! मन के किसी कोने में,जब मैं रहता था चुपचाप वो मेरी तन्हाई को अपने ख़्वा...

MUMBAI TIGER मुम्बई टाईगर

मूल्य-परम्परा-संस्कार-प्रतिष्टा-कुल परम्परा - मैंने इंशानी जीवन के कई पहलुओ को एक ही घटना मे तोलने का प्रयास किया. करीब से एक बाप बेटे के कई उलझनों को मैने समाज परिवार ओर व्यक्ति के वैज्ञानिक तथ्यों ..

मसि-कागद

प्यार के अविस्मरणीय पलों की चाशनी में पगे साहित्य की मिठास, एक नवीन आरंभ के साथ

लो कुछ कार्टून मेरे भी झेलो अब ...----->>>>>>दीपक 'मशाल'

१- जब सी.डी.आर.आई. अस्तित्व में आया...




२- उसके १० साल बाद...




३- कुछ साल और...




४- दसेक साल और बाद...(यानी वर्तमान)




५- अब ये हैं भविष्य के हालात- (भाई जैसे जैसे सफल संस्थान या विकसित देश होने के दिन करीब आते जा रहे हैं.. मंजिल असंभव सी लगने लगी है...

दीपक 'मशाल'

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून
कार्टून :- ओ अभिमन्यु यह कैसी नियति है तुम्हारी...

आईएस अधिकारी के घर छापा......करोड़ों बरामद......एक कार्टून

प्रस्तुतकर्ता DOOBE JI

कार्टून : इन्होंने भी खान -पान बदल लिया है !

Posted by हरिओम तिवारी

हिंदी लेखन में अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग...कितना उचित??

सबसे पहले मैं यह स्पष्ट कर दूँ कि मैंने विषय के रूप में हिंदी बस इंटर तक ही पढ़ी है और मेरा सारा हिंदी ज्ञान ,पत्र पत्रिकाओं या हिंदी साहित्यिक पुस्तकों से ही अर्जित किया हुआ है,इसलिए अगर हिंदी में 'एम.ए.' या 'पी.एच.डी.' वालों को मेरी बात अच्छी ना लगे तो

अपनी, उनकी, सबकी बातें



आज की चर्चा में


बस इतना ही!


कल फिर


आपकी सेवा में


उपस्थित हो जाऊँगा!

16 टिप्‍पणियां:

  1. वाह जी बहुत ही विस्तार से चर्चा की है हमेशा की तरह , बहुत सुंदर जी बहुत बढिया
    अजय कुमार झा

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह..मजा आया विस्तार देख कर...खूब लिंक मिल गये. सब पर हो आये. एक तस्ल्ली मिली.

    जवाब देंहटाएं
  3. जैसे जैसे दिन बीतते जा रहे हैं, चर्चा में तो निखार आ ही रहा है, चर्चा के सिंगार में भी सतत बढ़ोत्तरी हो रही है, यह देख कर ख़ुशी हुई

    जवाब देंहटाएं
  4. Hamesha ki tarah ye charcha bhi bahut khu rahi .... :)
    http://kavyamanjusha.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर और संतुलित चर्चा

    जवाब देंहटाएं
  6. Wah.. itihaas apne aap ko dohrata hua(is charcha ka) aur punah badhai dene layak charcha... aaphi ka blog hai sir jo post jaise chahen uthaiye, jahan chahe lagaiye... :)

    जवाब देंहटाएं
  7. बेहद खूबसूरत चर्चा । आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  8. लाजवाब चर्चा शास्त्री जी!!!
    आभार्!

    जवाब देंहटाएं

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