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| - ख़ामोश आंखें हर बात कह जाती है, मोहब्बत की नहीं जाती हो ही जाती है, इंतज़ार के लम्हें अब ख़त्म हो गए हैं, आज के दिन हम एक दूजे के हो गए हैं ! | वसंत फिर आता है : रावेंद्रकुमार रवि - वसंत फिर आता है वसंत आता है – जब घर में जन्म लेती है बिटिया! वसंत झिलमिलाता है – जब उसके नयनों में सरसता है अपनापन! वसंत मुस्कराता है – जब म.. |
| फ़र्रुखाबादी विजेता (192) : श्री यशवन्त मेहता "सन्नी" - नमस्कार बहनों और भाईयो. रामप्यारी पहेली कमेटी की तरफ़ से मैं समीरलाल "समीर" यानि कि "उडनतश्तरी" फ़र्रुखाबादी सवाल का जवाब देने के लिये आचार्यश्री यानि कि ह... | प्यार का खुशनुमा दिन - ****प्यार के इस खुशनुमा दिन को अहसास करें और अपने चारों तरफ प्यार बरसायें*** * |
| कबीर हँसणाँ दूरि करि, करि रोवण सौ चित्त । बिन रोयां क्यूं पाइये, प्रेम पियारा मित्व ॥ - प्रेम दिवस पर जन्मी भारतीय सिनेमा जगत की अद्वितीय अभिनेत्री मधुबाला जीवन भर प्यार के लिए तरसती रही. उन्हें जब सच्चा प्यार किशोर कुमार के रूप में तब मिला त... | सनराइज कन्याकुमारी में... - 17 जनवरी को हम त्रिवेंद्रम होते हुए नागरकोविल पहुचे.. नागरकोविल कन्याकुमारी से २० किमी दूर है.. और कन्यामुमारी जिले का जिला मुख्यालय है.. हमें यहीं रुकना थ... |
| चारा - *चारा* * * *नवविवाहिता श्रीमती खद्योत ने वैलेंटाइन डे पर पति द्वारा तोहफ़ा न दिये जाने से दुखी होकर श्रीमती खंजन से प्रश्न किया, **“**शादी के पहले **हर ... | वैलेंटाइन डे पर : इसी काया में मोक्ष - *इसी काया में मोक्ष* *बहुत दिनों से मैं* *किसी ऐसे आदमी से मिलना चाहता हूँ* *जिसे देखते ही लगे* *इसी से तो मिलना था* *पिछले कई जन्मों से* .. |
| वे्लेंन्टाईन डे पर प्रिय को पत्र-एक अरसे बाद (ललित शर्मा) - *प्रिय*, *दमयंती*, आशा है तुम ठीक ही होगी. *ए*क अरसे के बाद तुम्हे पत्र लिख रहा हूँ. आज तुम्हारी बहुत याद आ रही है, क्या तुम्हे पता है? आज लोग *वेलेन्टाईन... | तुम कितनी सुंदर हो - -डॉ. अशोक प्रियरंजन जब भी होता हूं उदास आसपास फैली होती हैं जिंदगी की अनगिनत परेशानियां तब जेहन में चमकती है तुम्हारी मुस्कराहट गालों पर रोशन दीये दिल में .. |
| मेरठ की माटी से महका साहित्य - -डॉ. अशोक प्रियरंजन हिंदी के चर्चित हस्ताक्षर गिरिराज किशोर के साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित उपन्यास 'ढाई घर'की शुरुआत कुछ इस तरह होती है-'मेरा नाम भा... | ऐ डॉ. लव! ऐ लव गुरु!! तुम क्या समझोगे, क्या समझाओगे प्यार को..------->>>>दीपक 'मशाल' - आज प्रेम चतुर्दशी की पूर्व संध्या पर एक कविता, जो कि वास्तव में एक ताना है कुछ रेडियो चैनल वालों के लिए आपके सामने रख रहा हूँ... इसमें मैंने रेडियो पर प्रे.. |
| "will you be my valentine" - कृप्या तस्वीर पर क्लिक करें! आप सभी को प्रेम दिवस की शुभकामनाएं! आपका, सुरेन्द्र "मुल्हिद" | प्रेम दिवस पर प्रेम एक की ग़ज़ल....... - डूबना तेरे ख्यालों में भला लगता है तेरी यादों से बिछड़ना भी सजा लगता है क्यों क़दम मेरे तेरी और खिंचे आते हैं तेरे घर का कोई दरवाज़ा खुला लगता है जब तेरा ख्... |
| “ हम नये उपहार की बातें करें।” *सादगी के साथ हम, शृंगार की बातें करें। प्यार का दिन है सुहाना, प्यार की बातें करें।। सोचने को उम्र सारी ही पड़ी है सामने, जीत के माहौल... | भारतीय नागरिक - Indian Citizen पुणे में बम विस्फोट में दस की मौत-चलो फिर मोमबत्ती जलायें - पिछले एक लेख में मैंने लिखा था "रोज चेतावनी दी जा रही है देश की जनता को. सब अपना अपना कर्तव्य बखूबी निभा रहे हैं. मन्त्री अपना और प्रधानमन्त्री अपना. अफसर .. | नयनों की भाषा ~~ - [image: image] यह रचना 1980 में लिखी थी जो मुक्ता पत्रिका (दिल्ली प्रेस) में प्रकाशित हुई थी. उस समय मैं सुनीत 'अंकुर' नाम से लिखता था. |
| हिन्दी ब्लॉगिंग में दुख के संदर्भ (अविनाश वाचस्पति) - यह एक व्यंग्यकार की गंभीर पोस्ट है इसे बतौर मजाक न लें हिन्दी ब्लॉगिंग ने अकेलेपन के दुख को नष्ट किया है। कुछ ब्लॉगरों के लिए अकेलापन दुख भी हो ... | पहला प्यार (वेलेंटाइन दिवस पर) - पहली बार इन आँखों ने महसूस किया हसरत भरी निगाहों को ऐसा लगा जैसे किसी ने देखा हो इस नाजुक दिल को प्यार भरी आँखों से न जाने कितनी कोमल और अनकही भावनायें उम... | प्रेम (वेलेंटाइन डे पर विशेष) - प्रेम एक भावना है समर्पण है, त्याग है प्रेम एक संयोग है तो वियोग भी है किसने जाना प्रेम का मर्म दूषित कर दिया लोगों ने प्रेम की पवित्र भावना को कभी उसे वासना.. |
| हाँ मुझे मोहब्बत है - मोहब्बत - प्रेम के उल्लास का मौसम कहें, वसंतोत्सव कहें या वैलेंटाइन डे. यह माहौल प्रेम विषय पर एक पुनर्दृष्टि डालने को प्रेरित करता ही है। मैंने भी कई बार सोचा कि मे... | "रविवासरीय साप्ताहिक पहेली-20" (अमर भारती) - *रविवासरीय साप्ताहिक पहेली-20 में * * **आप सबका स्वागत है।* आपको पहचान कर निम्न चित्र का नाम और स्थान बताना है। [image: paheli-20] ** ** *उत्तर देने का समय.. | गज़ल - *इस गज़ल को भी आदरणीय प्राण भाई साहिब ने संवारा है। उन का बहुत बहुत धन्यवाद । * *गज़ल * ज़ख़्मी हैं चाहतें, खार सी ज़िन्दगी क्यों लगे मुझको दुश्वार सी ज़िन्दगी.. |
| प्रीत की पहली निशानी याद है - चलिए आज VALENTINE DAY पर कुछ पुरानी यादें ताज़ा करते हुए निम्न दो रचनाएँ प्रस्तुत कर रहा हूँ . हालाँकि VALENTINE DAY का चलन कुछ ही वर्ष पूर्व शुरू हुआ .. | वलेंटाइन पर विदाई - विदाई के दृश्य बड़े ही कारुणिक होते हैं, चाहे घर में लडकी की विदाई हो या स्कूल में बच्चों की. दोनों में ''बला अगले के मत्थे टली'' वाली भावना की समानता ... | सच और सियासत! - कुछ लफ़्ज़ मेरे इतने असरदार हो गय्रे, चेहरे तमाम लोगो के अखबार हो गये. मक्कारी का ज़माने में कुछ ऐसा चलन हुया, चमचे तमाम शहर की सरकार हो गये. यूं ’कडवे स.. |
| विज़ुअल चर्चा (no comments)– काजल कुमार - [image: image] [image: image] [image: image] [image: image] [image: image] [image: image][image: image] ट्व्विट्टर बहुत ज़रूरी है | आज डॉ अनुराग की वैवाहिक वर्षगांठ है - आज, 14 फरवरी को दिल की बात वाले डॉ अनुराग की वैवाहिक वर्षगांठ है। इनका ईमेल पता anuragarya@yahoo.com है। बधाई व शुभकामनाएँ वैसे आज अंशुमन आशु का जनमदिन . | दिनेश दधीचि - बर्फ़ के ख़िलाफ़ गृहिणी - आज वैलेंटाइन डे है, सो यह प्रेम कविता गृहिणी के लिए, जिस के बारे में कवि अक्सर कुछ नहीं कहते. वह केवल हास्य-कविताओं में स्थान पाती है . जादू की तरह मौजूद र.. |
| जीवन बना जन्नत - *____ जीवन बना जन्नत ____ **वेलेन्टाईन डे पर अपनों से बिछड़ों से संवाद करो रुठ गये जो साथी उनसे अपनत्व का इजहार करो ना रखो मन में कोई विकार …. | वेलेंटाइन ऐसा होता है। - पहली बार बचपन में सर के ऊपर से गुजर गयी "उसने कहा था" को पढा और देखा था तो ना कुछ महसूस हुआ था नाहीं होना था। फिर बहुत बार इसे पढने का मौका मिला तब जाकर सम.. | “प्रथम सूचि- आपके अवलोकनार्थ केवल 7 दिनों के लिए!” (ब्लॉगर्स डायरेक्ट्री) - S.NO. NAME MAIL I.D. WEB SITES ADDRESS CONTECT NO. 001 Dr.Roop Chandra Shastri "Mayank" डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक” roopchandrashastri @gmail.com amou... |
| दिल्ली मे पलटू महाराज के दर्शन हुये.... - आज जब दिल्ली पहुचां तो मै सीधा दोस्त के घर पर चला गया, वहां दोपहर का खाना खाया, ओर खुब डट कर खाया, होटलो का खाना खा खा कर दिल भर गया था, लेकिन फ़िर भी थोडी.. | दर्द बताना नहीं अच्छा - हर बार अपना दर्द बताना नहीं अच्छा और जख्म हैं ऐसे कि छुपाना नहीं अच्छा तुमसे मिलूँ तो सौंप दूँ अपना सरापा दिल लफ्जों में हरएक बात बताना नहीं अच्छा वो चुप र... | - लंबे गैप के बाद तब्बू तो बात पक्की में दिखेंगी। केदार शिंदे निर्देशित इस फिल्म में उनके साथ शरमन जोशी और वत्सल सेठ भी हैं। बातचीत तब्बू से..। *लंबे गैप क.. |
प्रेम की परिधिमुझेरेखांकित कियाजब तुमनेअपने प्रेम कीपरिधि मेंबाँधा जब तुमनेअपने मूक प्रेमकी डोर से तुमनेमेरे भटकतेअर्धव्यास कोस्वयं के व्यास सेजोड़कर संपूर्णघेरा बना लियाजब तुमनेतब उसी परिधि मेंअपनी धुरी परघूमते- घूमतेकब मैंतेरा ही रूप हो गयीपता ही ना चलाआओ अब इसपरिधि….. | काव्यशास्त्र : नाट्यशास्त्र प्रणेता भरतमुनिनाट्यशास्त्र प्रणेता भरतमुनि- परशुराम रायभारतीय साहित्यशास्त्र पर उपलब्ध ग्रंथों के साक्ष्यों पर दृष्टि डालने पर यह निर्विवाद सत्य है कि इस परम्परा के आदि आचार्य भरतमुनि ही हैं और इनका एकमात्र ग्रंथ ‘नाट्यशास्त्र’ ही मिलता है। वैसे नाम से यह केवल नाट्य….. |
भारत-पाक के बीच फिर बस चलेगी?? | Posted by shyam jagota |
| चर्चा को देता हूँ विराम! प्रेम-दिवस को राम-राम!! |





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इतनी सुंदर चर्चा के लिए आभार जी.
जवाब देंहटाएंबहुत जोरदार चर्चा
जवाब देंहटाएं.....प्रेम चतुर्थी की शुभकामनाये
sundar..
जवाब देंहटाएंraam raam aapko bhi
प्रेम-दिवस पर सब कुछ जाना,
जवाब देंहटाएंतभी तुम्हें अब अपना माना!
जिस मन में हम ही हम रहते,
वहीं प्रेम का छुपा खजाना!
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कह रहीं बालियाँ गेहूँ की - "वसंत फिर आता है - मेरे लिए,
नवसुर में कोयल गाता है - मीठा-मीठा-मीठा! "
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संपादक : सरस पायस
शास्त्री जी ,
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर और विस्तृत चर्चा के लिए आभार
अजय कुमार झा
शास्त्री जी बढिया रही चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा!
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा.
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा!
जवाब देंहटाएंEk baar punah behatreen charcha ke liye aapka abhar..
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन चर्चा
जवाब देंहटाएंचर्चा सुन्दर रही । आभार ।
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा..बैठे-बैठे सभी के दर्शन हो गए.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा.
जवाब देंहटाएंरामराम.
prem diwas par bahut hi sundar aur vistrit charcha ki...........aabhar.
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