"चर्चा मंच" अंक-49 चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" आइए आज के "चर्चा मंच" को सजाते हैं- आज फिर आपने पुराने रंग में आकर ढेर सारे चिट्ठों को आप तक पहुँचा रहा हूँ- Rhythm of words... विजेता ! - थोडा सा तू यकीं रख थोडा सा एतबार कर तुझे जिंदगी से हो न हो मगर तू खुद से प्यार कर ॥ वक़्त ने चाहे कितने भी हो अँधेरे किये उम्मीद दिल में जलाये है रोशनी के क.. | नन्हा मन ‘‘मेरा कुत्ता बड़ा निराला’’ - ल*म्बे-लम्बे **कानों वाला।* मेरा कुत्ता बड़ा निराला।। * * घर की रखवाली करता है। नही किसी से यह डरता है।। * * प्यारा सा है इसका नाम। सब कहते हैं इसको टाम।। | एक प्रयास मैं तेरी हो जाऊँ - कान्हा प्रेम तेरा वासंतिक हो जाये ह्रदय- सुमन मेरा खिल जाये प्रेम पुष्पित पल्लवित हो जाये भक्ति की सरसों मन में लहराए पीत रंग हर अंग समाये जीव ब्रह्म धानी हो.. | KNKAYASTHA INSIDE-OUT यकीन कर लो - यह ग़ज़ल मैंने "तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो" की तर्ज़ पर लिखा था और पहले भी प्रकाशित कर चूका हूँ. आज पुन: प्रस्तुत कर रहा हूँ... आशा है पसंद आएगी ... धन्यव.. | अंधड़ ! हे कृष्ण ! अब तुम्हारा क्या लक्ष्य है ? - *आज यहाँ खुद ही, सवालों में घिरा यक्ष है, अपने ही घर से बेघर, हो गया निष्पक्ष है ! ईमान का बेटा दीन, दर-दर भटक रहा है, शठ का बेटा कपट, भ्रष्टता में हुआ दक्ष.. | "नमस्कार लिख्खाड़ानन्द जी!""नमस्काऽऽर! आइये आइये टिप्पण्यानन्द जी!""लिख्खाड़ानन्द जी, हम तो आपके लेखन के कायल हैं! लाज़वाब लिखते हैं आप! लोग आपको उस्ताद जी कहते और मानते हैं। क्या बात है आपकी! आज हम जानना चाहते हैं कि आखिर इतना अच्छा लिख कैसे लेते हैं जिसे……. | पिछ्ले दिनों दो पोस्टों ने काफ़ी हलचल मचाई! मानसिक तौर पर!! एक श्री ज्ञानदत्त पाण्डे जी की और दूसरे श्री समीर जी की। तो मुझ पर भी समाज के बीच रह रही पगली से मिलने का पागलपन सवार हो गया। इस क्रम में मुझे समाज के कई ऐसे लोगों से वास्ता पड़ा जो ज़िन्दगी के…….. मनोज | हर पल हर घड़ी रहे , तांकती आँखें ।आँखों से ही दिलो में , झांकती आँखें ।।अनगिनत रंग-रंगीले, इनमे सपने बसे है ।बिन बोले बाते हो जाने की , ये ही वजह है ।।सागर से भी ज्यादा है, गहराई इनमे ।ना जाने कितनी छुपी हुई, तनहाई इनमे ।।दुःख गहरा हो मन में, तो भर आती……. Kavymanjusha | मन जब उदास होता है ख़याल के पास होता हैजब दिल में दर्द उठता हैलब पे उच्छ्वास होता हैपहुंचेंगे शिखर पर वो जिन्हें विश्वास होता है सच्चा प्रेम मिल जाए फिर मधुमास होता हैसुधि सा जो साथी होजीवन ख़ास होता है कलह प्रेमी मनुज का तोबस विनाश होता हैकुटिलता………. काव्य मंजूषा | (वाह ….क्या समानता है? दोनों के ब्लॉगों में अन्तर इतना ही है कि रानी विशाल का काव्य-मञ्जुषा अंगरेजी में है और अदा जी का काव्य-मंजूषा स्वप्न-मंजूषा के नाम से हिन्दी में है!) Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून | राज कुमार सोनी के बिगुल पर प्रकाशित ''घुंगरू टूट गए'' को पढ़ते ही मुझे अपनी पंद्रह बरस पुरानी एक सम्पादक द्वारा सखेद वापस रचना याद आ गई सोनी जी के प्रति आभार एवं उस आत्मा की शान्ति के लिए रचना सादर प्रेषित है चीथड़े में लिपटी बूढ़ी माँ मर गई कोई न…. न मिसफिट
आज के लिए बस इतना ही..... | |
शास्त्री जी-सुंदर चर्चा के लिए आभार
जवाब देंहटाएंकाफी सुन्दर-सुन्दर बटोर के लाये है आप, सुन्दर चर्चा के लिए शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंjai ho..........
जवाब देंहटाएंbahut sundar aur rochak charcha
dhnyavaad 1
सुंदर चर्चा ...
जवाब देंहटाएंनिश्चित ही एक दिन ब्लॉगवाणी का विकल्प यह चर्चा मंच ही बनेगा।
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया चर्चा.
जवाब देंहटाएंरामराम.
ज़िंदाबाद-ज़िंदाबाद-चर्चा-मंच ज़िंदाबाद!
जवाब देंहटाएं--
नवसुर में कोयल गाता है -"मीठा-मीठा-मीठा! "
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संपादक : सरस पायस
सुन्दर चर्चा के लिए शुक्रिया ..... शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंcharchamanch per mujhe shamil karne ke liye aabhar..aur hamesha mera utsahvardhan ke liye bhi hardik aabhar
जवाब देंहटाएंbahut acchi charcha shastri ji..mujhe is yogy samjha..
जवाब देंहटाएंaabhaari hun..
सादर अभिवादन! सदा की तरह आज का भी अंक बहुत अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह बिल्कुल लाजवाब रही चर्चा!
जवाब देंहटाएंआभार्!
बहुत अच्छी चर्चा।
जवाब देंहटाएंअच्छी अच्छी पोस्ट खोजने का काम तो एक दम आसान कर दिय है आपने ...बस यहाँ आना भी काफी है !लाजवाब चर्चा
जवाब देंहटाएंमुझे स्थान देने के लिए ह्रदय से आभार !!
Wah rochak charcha..
जवाब देंहटाएंJai Hind...
bahut hi badhiya chittha charcha.
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