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शुक्रवार, अक्तूबर 22, 2010

खिचड़ी चर्चा (चर्चा मंच-315)

दोस्तो,
पता नहीं क्या कर रही हूँ............मगर कर रही हूँ..........बस झेल लेना........अब शुरू कर रही हूँ चर्चा कुछ समझ नहीं आ रहा कैसे करूँ..........तो बस देखते जाइए आज क्या होता है?



पलछिन अब कैसे समेटें जी जो हाथ से फिसल जाते हैं .........हम तो समेटते समेटते थक चुके हैं जी लेकिन लगता है हम भी आज कोशिश कर ही लें इन आँखों ,जुबां और कानों पर पड़े तालों को खोलने की....एक गुजारिश. मगर कौन सुनता है कोई आज .........सभी बंद किये बैठे हैं जी और करना भी क्या है कौन सा खज़ाना मिल जायेगा संमदरनामा सब तो समंदर की गहराइयों में छुपा  पड़ा है अब स्मृतियों के कैनवस पर से उड़ते रंग को कोई कैसे समेटेगा जो रंग उड़ जाते हैं वो कब वापस आये हैं और फिर वो जो पहलू से मेरे.........मुझे ही चुरा ले गए हों कोई किन पहलुओं में खुद को तलाशे वैसे भी चारों तरफ हर कोई  “कंकड़ पचाने में लगे हैं।” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)ऐसे में कोई कैसे तेरे ख़याल की खिड़की में झांके और खुद को निहारे ,खुद पर इठलाये अपने पे भरोसा है तो...खुशदीपफिर भी लगता है इतना भरोसा तो करना ही पड़ेगा तभी दुल्हनिया...! का साथ मिलेगा ना वरना तो अंतहीन सफ़र अकेले ही तय करना पड़ेगा और फिर बार बार यही कहेंगे  जी करता है अब जी तो बहुत कुछ करता है मगर सब सोचा कब होता है  तभी तो  ब्लॉग चटा-चट ... गुरु-चेला ! लगे हैं दोनों किसी नयी उलटबांसी ....के फेर में ताकि एक बार तो  पेप्सी-कोला का मज़ा ले ही लिया जाए फिर उसके बाद चाहे सस्ते पैनो से भी लिखी जा सकती है अच्छी कविता.......सस्ते पैन ही क्यूँ ना आजमाने पड़ें  फिर चाहे उसके लिए संवाद: गंगा और यमुना का क्यूँ ना सुनना पड़े सुन लेंगे जी आखिर हमारी  धरती  का सवाल जो है आखिर कब तक इन्द्रिय निग्रहण --- इर्ष्या एक घातक मानसिक विकार --- Jealousy-A malignant cancer ! को पालते रहेंगे कभी तो वक्त देगा ापनी बात कहने का मौका फिर चाहे उसके लिए  दो लघुकथाएँ क्यूँ ना लिखनी पड़ें आखिर कब तक चुप रहेगा बेचारा बेजुबान बकरा ! कभी तो कहेगा ही भावों की धरती... अब भी उर्वरा है! और फिर अब किधर चले ?  अब ना बार बार कहो उन यादों में खो जायें आखिर कभी तो उनसे बाहर निकलना पड़ेगा नहीं तो  जिन्दगी से परेशानियों को मिटाने वाला पौधा लाना पड़ेगा प्यार का फूल भी खिलाना पड़ेगा फिर देखना काफ़ी मगों से बनी मर्लिन मुनरो की तस्वीर  और साथ में पाखी की इक और ड्राइंग... तब जान पाओगे कुरूपता मापी : नवीन टेक्नोलॉज़ी के नवीन खतरे  और देखोगे कैसे आज भी ग़ुलाम प्रथा : दुनिया की हाट में बिकते इंसान हैं और उनकी सौदेबाज़ी होती है.........इसीलिए  “सभ्यता से लोग अब लड़ने लगे!” और अपने मान की करने लगे हैं तभी तो कहते हैं  इसी का नाम प्यार है मगर प्यार इसके अलावा  एक दुआ है  ये नही जानते फिर भी सबके पास   प्राईम टाइम - हँसने और मुस्कुराने के लिए .... तो है ही ना ..........

लो जी आज की खिचड़ी चर्चा का आनंद लिया होगा ..........ना भी लिया हो तो भी चलेगा क्या करेंगे जानकर कितनी दाल थी या कितने चावल या कितना घी .............बस खा लीजिये ना ..........वैसे भी बता चुकी हूँ दिमाग हड़ताल पर है बस दिल से खा लेना.

42 टिप्‍पणियां:

  1. खिचड़ी जब मन से बनाई जाए तो होगी तो स्वादिष्ट ही |यदि बेमन से भी बनाएँ तब वर्षों का तजुर्वा उसे बिगड़ने नहीं देगा | अच्छी चर्चा के लिए बधाई |आपने दोपहर के खाने का बहुत अच्छा प्रबंध करदिया है |मेरी ओर से आभार
    आशा

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  2. सुबह-सुबह पढने के लिए खुराक मिल गई!
    --
    बढ़िया रही आज की चर्चा!

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  3. शरद पूर्णिमा के दिन सुबह -सुबह खिचड़ी ....वो भी अचार , पापड़ , चटनी , घी , बुरा सबके साथ ...हमारे व्रत उपवास का खयाल तो रखा होता ..:)
    आभार ...!

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  4. इन्द्रिय निग्रहण -ईर्ष्या एक घातक मानसिक विकार(Jealousy-A Malignant cancer),डॉ.दिव्या जी का आलेख, एक ऐसी निधि है जो संजोकर और संभालकर रखने लायक है.यह आलेख ही नहीं बल्कि ईर्ष्या ग्रस्त व्यक्तियों के लिया अचूक एक दवा है,रामबाण कहना शायद जियादा उचित होगा. यह लेख पढ़कर और पढ़ाकर एक स्वस्थ समाज की परिकल्पना की जा सकती है.
    जनोपयोगी इस आलेख के लिए डॉ.दिव्या जी बधाई की पात्र हैं.वंदना जी ने चर्चामंच पर लगाकर सामाजिक योगदान की दृष्टि से श्रेष्ठ कार्य किया है,उन्हें भी बहुत बहुत धन्यवाद.

    कुँवर कुसुमेश

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  5. .

    वंदना जी ,

    बहुत अच्छे लिंक्स मिले--७५ % पढ़े , शेष दूसरी बैठक मैं अवश्य पढूंगी॥ मेरे लेख को यहाँ स्थान देने के लिए आपकी विनम्रता को नमन। कुसुमेश जी, आपका भी आभार।

    खिचड़ी एक सबसे ज्यादा सुपाच्य एवं पौष्टिक आहार है। मुझे उरद की दाल की खिचड़ी ढेर सारे घी और दही के साथ बहुत पसंद है।

    इस सुन्दर चर्चा के लिए आभार।

    .

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  6. खिचडी कमाल की है जी एकदम स्वादिष्ट और पौष्टिक

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  7. इसे पढकर मज़ा आया। भारतीय एकता के लक्ष्य का साधन हिंदी भाषा का प्रचार है!
    पक्षियों का प्रवास-१

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  8. ... एक तो मैं किसी को कहता नहीं कि मेरे ब्लाग-पोस्ट की चर्चा करें और न ही आशा रखता कि ब्लागजगत में कोई चर्चाकार (जो खुद के ब्लाग को रेंकिंग में ऊपर चढाने में मदमस्त हैं) मेरे ब्लाग-पोस्ट की चर्चा भी करेगा ... लेकिन विगत समय से देख रहा हूं कि कुछेक चर्चाकार जान-बूझ कर फ़र्जी लिंक लगाकर चर्चा करते हैं ... फ़र्जी लिंक लगाने से मेरा तात्पर्य ऎसी चर्चा से है जो रेंकिग में सुधार(बढोतरी) न करे ... यहां भी बिल्कुल फ़र्जी लिंक दिया गया है ... खैर कोई बात नहीं, हो जाता है ... मैं जानता हूं कि वन्दना जी ने यह जान-बूझकर नहीं किया होगा, संभव है अन्य चर्चाकारों की तरह अन्जाने में हुआ हो ... अब ये मत पूछने कोई बैठ जाये कि फ़र्जी लिंक क्या है ? ... चर्चा के लिये आभार ... सुन्दर चर्चा, बधाई !!!

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  9. ... अफ़सोसजनक सिर्फ़ इतना है कि सिर्फ़ मेरे ब्लाग-पोस्ट का लिंक फ़र्जी है !!!

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  10. blogjagat kee tabiyat bhee dheelee-dhaalee hee chal rahee hai . Khichdee kaa sevan bhee aawashyk thaa :)

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  11. khichadi bahut swadisht hai....badhiya charcha ..kafi links mile aur padhe...bahut din baad kuchh blogs par jana hua ..:)

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  12. अच्छी चर्चा बधाई , मैं सोचता हूं कि अब चर्चा कारों को कुछ नया प्रयोग करना चाहिये, सिर्फ़ लिन्क की जानकारी के अलावा चुने गये मटेरियलस पर बेबाक टिप्पणी भी उनकी हो तो चर्चा मंच और सार्थक होगा अन्यथा ऐसा लगता है इसमें इक ठहराव आते जा रहा है।

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  13. अच्‍छे अच्‍छे लिंक्‍सों के साथ बढिया स्‍टाइल से की गयी चर्चा !!

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  14. शुक्रिया...एक ही जगह विभिन्न विषयों पर अच्छी पोस्ट पढ़ने को मिलीं...

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  15. जोरदार खिचड़ी चर्चा रही ... मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए शुक्रिया ....

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  16. swadisht khichdi parosne ke liye, aapke abhaar,,

    asha he bhavishye me bhi isi tarha aap parosti raehngi

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  17. कहीं और की गुस्सा हम पर क्यों उतार रही हो वंदना मैम ! हम तो खिचड़ी ही खा लेंगे मगर शांत हो जाओ !
    शुभकामनायें !

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  18. Vandana! Sabse pahle tumhara shukriya!
    Itna kuchh parosa gaya hai...ab din bhar padhte rahenge! Maza aa jayega!Yahan pe sab links mil jate hai ye is charch manch ka bada fayda hai.

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  19. 1.5/10

    बहुत बेतरतीब एवं उलझाऊ पोस्ट चर्चा
    ऐसी बेसऊरी वाली चिटठा चर्चा का औचित्य ???
    इससे कहीं बेहतर होता कि आपने क्रमबद्ध लिंक दे दिए होते.

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  20. वाह ! लाजवाब चर्चा, पेश करने का अनोखा ढंग और भी चार चाँद लगा रहा है !

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  21. khichdi swad hai. " प्यार एक दुआ है " bahut hi paak ahsas.

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  22. चर्चा का यह नया अंदाज़ बढ़िया लगा !

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  23. वंदना जी,
    धन्यवाद !
    मेरी पोस्ट को चर्चा मंच में शामिल करके आपने जो सम्मान दिया है और उत्साहवर्द्धन किया है, उस के लिए मैं आपकी और इस मंच पर उपस्थित सभी गुणीजनों की बेहद आभारी हूं.
    इतने सारे बढ़िया लिंक्स देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
    सादर,
    डोरोथी.

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  24. वन्दना जी,
    ज़रा गिनियेगा की इन टिप्पणीकारों में चर्चामंच पर लगाई गई पोस्टों पर कितने लोगों ने अपने विचार रक्खे है.मुझे तो पोस्ट पर टिप्पणी कम और खिचड़ी पर ज़ियादा दिखीं.क्या आपको लगता है कि इन खिचड़ी वालों ने पोस्टें पढ़ी होंगी ? अगर आप इस तरह की टिप्पणियों से संतुष्ट हैं तो मुझे कुछ नहीं कहना है.

    कुँवर कुसुमेश

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  25. जब दिमाग हड़ताल पर है तब इतने सुन्दर ढंग से चर्चा ( मेरी पोस्ट शामिल है, इसलिए नहीं कह रही :) )...फिर तो दिमाग हड़ताल पर ही रहें हमेशा..:)
    चर्चा पसंद आई...शुक्रिया

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  26. वंदना जी, मेरी कविता को आज की चर्चा में शामिल करने के लिए शुक्रिया. आप सबकी कविताओं से सीखने को मिलता है. आपका चर्चा का अनूठा अंदाज़ भी अच्छा लगा. सादर!

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  27. विविध सामग्रियों से बने स्वादिष्ट खिचडी.. मेरी दुआ को शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद!

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  28. Vandnaa Ji...kihchadi mein aapne kitnee hee daaley (links) dalin ... jaykaa umdaa lajeej khichdi... Dhanyvaad is khichdi kaa rasaswadan karvane ke liye...

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  29. मिली जुली चर्चा , कुछ अच्छी पोस्ट , इसमें ऐसी पोस्ट भी है जिसमे बार बार एक बात को दुहराया जा रहा है और आत्ममुग्धता भी है . लगता है उस्ताद जी कि नजर उधर नहीं पड़ी .

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  30. बहुत सुन्दर लिंक दिए आपने...
    खूब भाई आपकी यह खिचडी..
    आभार !!!

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  31. कभी कभी खिचड़ी भी अच्छी लगती है ...स्वादिष्ट चर्चा.

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  32. nayaa tareeka mazedaar laga,neri rachnaa shaamil karne ke liye dhanyawaad

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  33. इतनी स्वादिष्ट खिचडी कि जिसे रोज खाने को जी चाहे

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  34. आज चर्चामंच की साज सज्जा कुछ हट के है और उस पर ये खिचड़ी...भाई वाह सही समय पर पेश की खिचड़ी, अगर किसी को इस साज सज्जा से कुपच हो गया हो तो खिचड़ी से सुपच हो जाये. :):):)

    बढ़िया प्रयास.

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  35. वन्दना जी !

    बहुत साधुवाद आपको जो आपने इतने अच्छे लिंक्स दिये हैं हमें…… करीब करीब सभी लिंक्स पर गया… कई पोस्ट्स बहुत पसं आये… पर इन दो पोस्ट्स कि विशेष प्रशंसा करना चाहूँगा…

    "इन्द्रिय निग्रहण --- इर्ष्या एक घातक मानसिक विकार ---Jealousy-A malignant cancer !" एवम " आँखों ,जुबां और कानों पर पड़े तालों को खोलने की....एक गुजारिश"

    सार्थक और समजिक सरोकारों से जुडे लेखन के लिये सभी ब्लॉगर साधुवाद के पात्र हैं…। मेरी पोस्ट को यहाँ शामिल करने के लिये बहुत धन्यवाद !

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  36. चर्चा मंच को आज भी आपने बहुत मेहनत और मनोयोग से सजाया है. बधाई . मुझे स्थान देने के लिए आभार .

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  37. पसंद आई खिचड़ी भी...स्वाद में फेर बदल जरुरी है. बहुत आभार!!

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  38. Vandana ji........

    meri ghazal-- Vo jo pahlu se mere ho ke gujar jata hai--- ko charcha manch par sthan dene ke liye.......aapka dil se aabhar..shukriya.


    rakesh jajvalya.

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  39. वंदना जी,
    धन्यवाद !
    मेरी पोस्ट को चर्चा मंच में शामिल करके आपने जो सम्मान दिया है और उत्साहवर्द्धन किया है, उस के लिए मैं आपकी और इस मंच पर उपस्थित सभी गुणीजनों की बेहद आभारी हूं...बहुत साधुवाद आपको जो आपने इतने अच्छे लिंक्स दिये हैं हमें…… "इन्द्रिय निग्रहण --- इर्ष्या एक घातक मानसिक विकार ---Jealousy-A malignant cancer !" एवम " आँखों ,जुबां और कानों पर पड़े तालों को खोलने की....एक गुजारिश" ..सार्थक और समजिक सरोकारों से जुडे लेखन के लिये सभी ब्लॉगर साधुवाद के पात्र हैं…। बहुत बहुत धन्यवाद.

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