फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, मई 03, 2011

नए चेहरे …मेरी नज़र में … साप्ताहिक काव्य मंच – 44 , चर्चा मंच –504 .

नमस्कार , लीजिए फिर आ गया मंगलवार ….और हाज़िर हूँ आपके सामने सप्ताह भर की काव्य रचनाओं को ले कर …इस बार लायी हूँ कुछ नए चेहरे …नए ब्लॉगर्स तो नहीं कहूँगी ..पर मेरे लिए नए हैं …क्यों कि शायद पहली बार जाना हुआ है उनके ब्लॉग्स पर ….सभी पाठकों से उम्मीद करती हूँ कि आप उन्हें ज़रूर प्रोत्साहित करेंगे … मई का महीना प्रारम्भ हो चुका है ..और  १ मई को श्रमिक दिवस मनाया जाता है …आज हम चर्चा का प्रारम्भ कर रहे हैं श्रमिकों को समर्पित  कविता से ….
 मेरा फोटो मनोज कुमार,- जन्म 1962, ग्राम – रेवाड़ी, ज़िला – समस्तीपुर, बिहार शिक्षा – स्नातकोत्तर जन्तुविज्ञान (एमएससी जूऑलजी) पत्र पत्रिकाओं में लेखन, कादम्बिनी, मिलाप, राजस्थान पत्रिका, जनसत्ता, वागर्थ आदि में लेख, कहानी, आकाशवाणी हैदराबाद पर कविताएं प्रसारित। पेशे से भारत सरकार, रक्षा मंत्रालय, में निदेशक पद पर कार्यरत। सचिव, कोलकाता नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति 
विचार पर मनोज कुमार जी की रचना --[clip_image0014.gif]

दिन जीते जैसे सम्राट, चैन चाहिए कंगालों की।
रहते मगन रंग महलों में, ख़बर नहीं भूचालों की।
मेरा परिचय डा० रूपचन्द्र शास्त्री जी ..एम.ए.(हिन्दी-संस्कृत)। सदस्य - अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग,उत्तराखंड सरकार, सन् 2005 से 2008 तक। सन् 1996 से 2004 तक लगातार उच्चारण पत्रिका का सम्पादन। जनवरी, 2011 में "सुख का सूरज" और "नन्हें सुमन" के नाम से मेरी दो पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। "सम्मान" पाने का तो सौभाग्य ही नहीं मिला। क्योंकि अब तक दूसरों को ही सम्मानित करने में संलग्न हूँ। मेरे बारे में अधिक जानकारी इस लिंक पर भी उपलब्ध है- http://taau.taau.in/2009/06/blog-post_04.html प्रति वर्ष 4 फरवरी को मेरा जन्म-दिन आता है। मेरा प्रोफाइल देखने के लिए मेरे चित्र पर क्लिक कीजिए न!..
कुंडलियों का मज़ा लीजिए और आई ०  पी० एल ० में चलने वाली आंधी पर दृष्टिपात भी कीजिये
..

"कुण्डलियाँ-चीयर्स बालाएँ"

मेरा फोटो अजय झा ---दुनिया की भीड़ के बीच अपना वजूद तलाशता और तराशता एक आम आदमी जिसकी इंसान बनने की कोशिश जारी है..जिन्दगी के बहुत सारे उतार चढावों को देखते हुए कब बचपना छूटा और वयस्कता की देहलीज़ पर कदम रखा पता ही नहीं चला, अंगरेजी साहित्य में प्रतिष्ठा के बाद पत्रकारिता में डिप्लोमा..फिर विधि की
शिक्षा...न्यायमंदिर ..तीस हजारी में फिलहाल कार्यरत...सफ़र जारी है...लिखना , पढ़ना शौक था..कब आदत बनी पता नहीं चला..अब हालात जूनून की हद तक पहुँचते जा रहे हैं....मुझे लगता है इतना काफ़ी है न..जान पहचान के लिये..फ़िर भी यदि आपको लगता है कि बात करनी जरूरी है तो फ़ोन नं भी है न...09871205767
मजदूर दिवस पर विशेष प्रस्तुति
---
पहले बनाते हैं ...बाद में चलाते हैं
मेरा फोटो वंदना गुप्ता ---मैं एक गृहिणी हूँ। मुझे पढ़ने-लिखने का शौक है तथा झूठ से मुझे सख्त नफरत है। मैं जो भी महसूस करती हूँ, निर्भयता से उसे लिखती हूँ। अपनी प्रशंसा करना मुझे आता नही इसलिए मुझे अपने बारे में सभी मित्रों की टिप्पणियों पर कोई एतराज भी नही होता है। मेरा ब्लॉग पढ़कर आप नि:संकोच मेरी त्रुटियों को अवश्य बताएँ। मैं विश्वास दिलाती हूँ कि हरेक ब्लॉगर मित्र के अच्छे स्रजन की अवश्य सराहना करूँगी। ज़ाल-जगतरूपी महासागर की मैं तो मात्र एक अकिंचन बून्द हूँ। आपके आशीर्वाद की आकांक्षिणी- "श्रीमती वन्दना गुप्ता"--
पढ़िए ज़िंदगी के फलसफे को
--
ज़िंदगी पन्ने पलटती  रही
My Photo वंदना सिंह --संगत कवियों की मिल गयी मुझे... मानो झूठ की इस जागीर में.. सच्चाई के नजराने मिल गए.. मेरी गुमनाम राहों को सफ़र सुहाने मिल गए.. खुद को कवि कहूं ,इतनी तो ओकात नहीं मेरी.. बस खुद से बतियाने के मुझे अब बहाने मिल गए...:)
एक खूबसूरत
----गज़ल
मेरा फोटो शारदा अरोरा ---एक चार्टर्ड एकाउंटेंट बैंक एक्जीक्यूटिव की पत्नी , इंजिनियर बेटी, इकोनोमिक्स छात्रा बेटी व चार्टेड एकाउंटेंट छात्र बेटे की माँ , एक होम मेकर हूँ | कॉलेज की पढ़ाई के लिए बच्चों के घर छोड़ते ही , एकाकी होते हुए मन ने कलम उठा ली | उद्देश्य सामने रख कर जीना आसान हो जाता है | इश्क के बिना शायद एक कदम भी नहीं चला जा सकता ; इश्क वस्तु , स्थान , भाव, मनुष्य, मनुष्यता और रब से हो सकता है और अगर हम कर्म से इश्क कर लें ?मानवीय मूल्यों की रक्षा ,मानसिक अवसाद से बचाव व उग्रवादी ताकतों का हृदय परिवर्तन यही मेरी कलम का लक्ष्य है ,जीवन के सफर का सजदा है.
पढ़िए इनकी एक खूबसूरत रचना --

और युगों सा बीत गये
मेरा फोटो डा० नूतन गैरोला …जीती रही जन्म जन्म... पुनश्च मरती रही.... मर मर जीती रही पुनः..... चलता रहा सृष्टिक्रम... अंतविहीन पुनरावृत्ति क्रमशः~~~~... पेशे से डॉक्टर / स्त्री रोग विशेषज्ञ... बहुत दुखी देखे है |... जिंदगी और मौत की गुत्थमगुत्था -.. छटपटाता जीवन- घुटने टेकता मिटते देखा है |.. जिंदगी की जंग जीती जाए.. अमृतरस की आस है |..
पढ़िए एक गहन रचना
     --- वो स्त्री और चित्रकार
My Photo सुरेन्द्र सिंह “ झंझट “ज़िन्दगी हिचकोले खाती चल रही है तो कभी झटके | लोग दुनिया की झंझटों से बच कर निकल जाने की फिराक में रहते हैं मगर झंझट से बच पाना मुमकिन कहाँ |अपने बारे में क्या कहूं ? कुछ ख़ास नहीं है कहने को ! पढाई - लिखाई सिविल इंजीनियरिंग के साथ साथ हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर, सेवा दूर संचार राज भाषा में | बचपन से ही कविताई ,पत्रकारिता एवं स्वतंत्र लेखन |जनपद से प्रदेश एवं देश के कई कवि सम्मेलनों में भागीदारी | टीवी-रेडियो पर कविताओं का प्रसारण एवं पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन | एक बाल कविता संग्रह," बिल्ली का संन्यास " प्रकाशित एवं तीन संग्रह प्रकाशन की प्रतीक्षा में |सम्मान के योग्य नहीं मानता मगर साहित्यिक संस्थाओ द्वारा तथा कई कविमंचो पर सम्मानित कर ही दिया गया | मेरी मंजिल -- " मैं जहाँ तक पहुँच जाऊं बस वहीँ गंतव्य मेरा || " रचना धर्म-- "शब्दों का हरिश्चन्द हूँ ,जयचंद नहीं हूँ || बेबाक कलमकार हूँ ,अनुबंध नहीं हूँ || "
एक बेहतरीन रचना ---
हम अपना सूरज लाये हैं
श्रीमती ज्ञानवती सक्सेना \
श्रीमती ज्ञानवती सक्सैना ‘किरण’ : जीवन परिचय   ( साधना जी की नज़र से )माँ का जन्म 14 अगस्त 1917 को उदयपुर के सम्मानित कायस्थ परिवार में हुआ |मात्र 6 वर्ष की अल्पायु में ही क्रूर नियति ने माँ के सिर से नानाजी का ममता भरा संरक्षण छीन लिया और यहीं से संघर्षों का जो सिलसिला आरम्भ हुआ वह आजीवन अनवरत रूप से चलता ही रहा !माँ का जन्म जिस युग और परिवेश में हुआ उस युग में महिलाओं को सख्त नियंत्रण और पर्दे में रहना पड़ता था | ईश्वर का धन्यवाद कि उन्होंने माँ के अन्दर छिपी प्रतिभा को पहचाना ! ससुराल के रूढ़िवादी वातावरण से पिताजी ने उन्हें बाहर निकाला और अपनी प्रतिभा को निखारने के लिये उन्हें समुचित अवसर प्रदान किये ! माँ ने गृहणी के दायित्वों को कुशलता से निभाते हुए अपनी शिक्षा के प्रति भी जागरूकता का परिचय दिया ! उन्होंने विदुषी, साहित्यलंकार, साहित्यरत्न तथा फिर बी. ए., एम. ए. तथा एल. एल. बी. की उपाधियाँ प्राप्त कीं ! पढ़ने का शौक इतना कि होमियोपैथिक चिकित्सा में भी डॉक्टर की उपाधि प्राप्त कर ली !इलाहाबाद में अल्पावधि के लिये प्रयाग महिला विद्यापीठ में अध्ययन के दौरान श्रीमती महादेवी वर्मा तथा श्री हरिवंश राय बच्चन व अन्य मूर्धन्य साहित्यकारों के सान्निध्य में प्रोत्साहन पा साहित्य सृजन का यह अंकुर और पुष्पित पल्लवित हो गया --- अधिक जानकारी के लिए ---यहाँ  देखें …
किरण जी की रचना पढ़ें --
तुमने तो भारत देखा है ..
   
My Photo आनंद द्विवेदी ----मैं आनंद हूँ ,..ये तो सभी जानते हैं......... पर मैं वो आनंद बिलकुल नहीं हूँ जो अंग्रेजी का joy होता है. बल्कि मैं वो आनंद जिसे आज तक इस शब्द के मायने ही तलाश रहा है. वैसे अपना मूल्याँकन अगर मैं बिलकुल वैसा ही करूं जैसा कि दूसरों का लोग करते हैं ....तो एक बात एकदम साफ़ है मेरी जिंदगी में ऐसा कुछ भी नहीं है जो यहाँ लिखा जा सके ..... मुझे अपने ऊपर बिलकुल भी गर्व नहीं है मैं अपने आप से बिलकुल भी संतुष्ट नहीं हूँ बावजूद इसके ..... ... मुझे अपने आप से प्यार है! ... न जाने क्यूँ मैं आज भी अपनी इज्ज़त करता हूँ ....इसका ,मतलब ये नहीं कि मैं आत्मा-मुग्ध व्यक्ति हूँ. बिलकुल भी नहीं पर शायद मैंने अपने जीवन में अपने से भी जायदा बुरे लोगों को देखा हो !!!.......
पढ़िए इनकी गज़ल
---मेरा यार
मेरा फोटो सदा जी ---मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....एक खूबसूरत चिंतन मनन --
प्यार में
मेरा फोटो  विवेक मिश्र ---क्या कहूँ अपने बारे में,  /जाने कितने बादल आये,गरजे बरसे चले गए।  /मै भी एक छोटा सा बादल,बिन बरसे ही मै भटक रहा..। /हिन्दू वर्गीकरण परिपाटी से :-  / मै जन्म से ब्रह्मण हूँ,  / मन से क्षत्रिय, / रोजगार से वैश्य हूँ / और स्वाभाव (सेवा भाव) से सूद्र हूँ। / ज्योतिष की बात करें तो:- / लग्न से वृश्चिक / राशी से वृष / वर्ण से वैश्य  / वर्ग से मृग / योनी से सर्प / गण से मनुष्य हूँ।
पढ़िए इनकी रचना --   तलब
My Photoस्वप्नदर्शी  --डा. सुषमा नैथानी रोज़मर्रा की जद्दोजहद और अपने माईक्रोस्कोपिक जीवन के बाहर एक खिड़की खुलती है, कभी ब्लॉग मे, कभी डायरी मे, कभी किसी किताब के भीतर, कभी स्मृति मे और कभी सचमुच की वादियों मे...... खुली आँखों के सपने देखती हूँ। अलग-अलग अनुपात मे इन्ही को मिलाकर रोज़-ब-रोज़ दुनिया की आड़ी -तिरछी तस्वीर बनाने मे मशरूफ़. लिखना इसी तस्वीर को बनाने और तोड़ने की निहायत व्यक्तिगत क़वायद है.
एक खूबसूरत रचना
--बसंत २०११
clip_image001[4]
My Photo अलका सैनी  --जन्म : १८ फरवरी १९७१ को चंडीगढ़ में . शिक्षा : लोक -प्रशासन में पंजाब यूनिवर्सिटी से स्नातकोत्तर उपाधि (१९९३ ), भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता में डिप्लोमा। चंडीगढ़ की सुंदर घाटियों जन्मी अलका सैनी को प्रकृति प्रेम और कला के प्रति बचपन से अनुराग रहा। कॉलेज जमाने से साहित्य और संस्कृति के प्रति रूझान बढ़ा। पत्रकारिता जीवन का पहला लगाव था जो आजतक साथ है। खाली समय में जलरंगों, रंगमंच, संगीत और स्वाध्याय से दोस्ती, कार्यक्षेत्र : न मैं कोई लेखिका हूँ ,न मैं कोई कवयित्री , न मेरी ऐसी कोई खवाहिश है , बस ! ऐसे ही मन में एक उमंग उठी, कि साहित्य -सृजन करूँ जो नारी-दिल की व्यथा को प्रकट करें---
उनकी एक मार्मिक रचना पढ़िए
--गरीब की झोंपड़ी
My Photo फौज़ीया  रियाज़ -- I am a Radio Jockey and in love with my work but there was something missing so i started this blog to pen down my views...and now everything seems perfect.--
एक यथार्थ परक रचना पढ़ें
मौत के बाद
Rajneesh Tiwari  रजनीश ---खुद को जानने और जीने की कोशिश में लगा एक साधारण सा दिल..  पढ़िए इनकी कुछ क्षणिकाएं ---कुछ बातें
मेरा फोटोshahid ansari  --What can i say...I am A half baked soul,A time traveller in transition or anything similar to that/.. these lines will describe a little about me.. मेरी रफ़्तार अभी तुम क्या जानो; कुछ भी जानो मगर मुझ को तुम जुदा जानो... अभी तो और भी होंगे यहाँ चर्चे मेरे; जो भी हुआ है अभी तक वो इब्तदा जानो...
पेश है इनकी एक
गज़ल
बोलने के लिए कुछ बात बाक़ी है
दिन गुज़र गए हैं मगर रात बाकी है
My Photo  देवी नागरानी --- इनके नाम से परिचित होते हुए भी पहली बार ब्लॉग पर जाना हुआ …अपने बारे में लिखती हैं ---समय के साहिल पर खड़ी रेत के घरोंदे को ढहते हुए देखती हूँ तो लगता है मैं ख़ुद भी बार‍बार मिट्टी से खेलती रही हूँ..!!
यथार्थ को अभिव्यक्त करती एक रचना पढ़िए
---हकीकत
ज्ञानेन्द्रपति  --ज्ञानेन्द्रपति हिन्दी के एक विलक्षण कवि-व्यक्तित्व हैं, यह तथ्य अब निर्विवाद है। कवि-कर्म को ही जीवन-चर्या बनाने वाले ज्ञानेन्द्रपति की प्रतिष्ठा का आधार संस्थानों तथा महाजनों की सनदें और पुरस्कारों की संख्या नहीं, बल्कि कविता-प्रेमियों की प्रीति है, जिसे उनकी कविता ने जीवन-संघर्ष के मोर्चों पर मौजूद रहकर और ‘अभिव्यक्ति के ख़तरे’ उठाकर अर्जित किया है।
इनकी रचना को पढ़ा और सुना भी जा सकता है

नदी और साबुन
  कवि परिचय --   मदन मोहन बाहेती 'घोटू'   ( Bsc मेकनिकल इंजीनियरिंग BHU)
प्रकाशित पुस्तकें:  १ - साडी और दाढ़ी   / २ – बुढापा   /नोएडा में स्वयं का उद्योग
मोबाईल नंबर: 09350805355
पढ़िए संस्कृति का अन्तर  ---    बिठोडा
मेरा फोटो Vilas Pandit  - i run an NGO. Sahjeevan Ashadeep Foundation.[SAF]. i work for people who need financial and economical help, i try to make the dreams of children to study come true, moreover i like to write and compose ghazals and geets. if you like my creations please contact at vilaspandit@gmail.com or my cell no +91 99260 99019  .
प्रस्तुत है एक गज़ल
--   शहर में इनदिनों आख़िर बहोत माहौल बदला है
 MARKAND DAVE
Skills
EDUCATIONALIST, poetry ; prose writer ; Music composer - Director ; Electric Guitar Player
Interests - Alp-Gyan:
SHABDA,SWAR,SANGEET AARADHANA, poetry ; prose writer ; Music composer - Director ; Electric Guitar Player..

इनकी एक संवेदनशील रचना पढ़िए कफ़न
मेरा फोटो   Hemant Kumar  ---I am a writer and media person.My aim of life is to see smiles on evry children's face of universe.I am writing for children and adults both from last 30 years.Working continuasly in print and electronic media.Near about 40 books of rhymes,stories,poetries,short plays including one children’s encyclopedia & illustrated dictionary are published in hindi.I am also wtiting in different programmes of radio.At present I am working Educational Television,Lucknow,(India).As part of my job I had written near about 300 scripts for E.T.V.and produced more than 200 programmes also.
पढ़िए एक संवेदनशील रचना
----नागफनियों के बीच
My Photo निशांत ---miles to go..... मैं बिहार से आया हूँ पटना में मैं रहता हूँ गौरवशाली ये भूमि है बस दिल की बातें कहता हूँ ये है महावीर की भूमि बुध ने यहाँ अवतार लिया सत्य समर्पण सबको सिखलाया अहिंसा का सार दिया आर्यभट ने मान बढाया जीरो का था ज्ञान दिया चाणक्य ने इतिहास को बदला अर्थशाश्त्र का ज्ञान दिया … आगे भी है ..
एक सकारातमक सोच को पढ़िए
---
एक कच्चे धागे पर निरंतर वो  चलता है
मेरा फोटो डा० सुभाष भदौरिया ---ग़ज़ल पर शोध प्रबंध 1990 अप्रकाशित. काव्य एवं व्यंग्य पर वर्षों कॉलेज में अध्ययन अध्यापन.हाल में सरकारी आर्टस कॉलेज शहेरा में प्रिंसीपल पद पर कार्यरत एन.सी.सी. ऑफीसर केप्टन रेन्क अखिल भारतीय केम्प हेमकुंड पर्वत 2बार ,गिरनार पर्वत पर केडेटस के साथ परिभ्रमण.अरुणाचल मियाऊँ ट्रेक ऑलइंडिया केडेटस साथ. ऑल इंडिया केडेटस एन.आई.सी.केम्प तिरुपति,रांची,बीकानेर इत्यादि.
एक बेहतरीन गज़ल --
होटों का वो शीरींपन आँखों के वो पैमाने.
मेरा फोटो अनुराग अनंत --  फैला दो आग ऐसे की जले जंगल ये चुप्पी का , जी भर गया है मुर्दों की दुनियाँ में रह-रह कर , फरकता क्यों नहीं तुम्हारा लहू,शायद ये पानी है , इन्सां जानवर हो जाता है, जुल्म सह-सह कर,—अनंत 
अपने मन की पीड़ा को कुछ यूँ बयाँ कर रहे हैं --

खाई है सूखी रोटी

माँ दी छाँ {Blessing of Mother} एम ० सिंह अपनी माँ के साथ …. पढ़ाई में पिछड़े छात्रों की श्रेणी में शुमार था। लेकिन लिखना अच्छा लगता है, इसलिए अब भी लिखता हूं। जो सही लगे उसके पक्ष में और जो गलत हो उसके एंटी खड़े रहने की आदत है। हमेशा न्याय की बात ही भाती है। प्रिंट मीडिया में 5 साल गुजारे हैं। आजकल बेव मीडिया का हिस्सा हूं। इसलिए गंभीर मसलों पर अपनी राय रख ही देता हूं। कलम रूपी दुनाली थामे वैचारिक आतंक फैला रहा हूं। समझता हूं कि आज हमारे समाज में किसी भी अन्य आतंक की बजाय विचारों का आतंक फैले।
एक सकारात्मक सोच ले कर आए हैं

..चलने की ख्वाहिश
मेरा फोटो  डा० रमेश कुमार निर्मेश जी -- I am not a god fearing but god lovig perosn and obey onlytrue people in my view our talent are the gift that give us by God and what we make of our talents are our gift back to God.-
उनकी रचना का आनन्द लीजिए---
यही कम नहीं है
My Photo चक्रेश सिंह -- अपने बारे क्या लिखूँ ? मैं खुद में रह कर भी खुद से दूर हूँ कभी, और खुद में रह कर दूसरों से दूर कभी| किस प्रकार जोडूं मैं खुद को सबसे इस सोच में जब डूब जाता हूँ, तब कहीं से कोई कविता मन के तारों को खींच कर कोरे कागज की छाती तक ले आती है | इतना ज़रूर जानता हूँ के इन कविताओं तक मैं सीमित नहीं मेरा विस्तार अभी मुझसे भी छिपा ही है…  पढ़िए उनकी रचना --मेरी कविताओं
My Photo पी० के० शर्मा ---मैं वो सब कुछ लिख देता हूँ यहाँ जो मेरा दिल कहता है ..मेरी सोच, मेरी दबी आवाज़,मेरे रूह की हलचल ,मेरे मन मैं उठे सवाल ज़बाब, मेरी अनकही दास्ताँ ...सारी अँधेरे की बातों को रौशनी देता हूँ इस ब्लॉग के ज़रिए .......... उम्मीद है की आप मेरे खयालात पढ़ कर...मुझे अपनी राय देंगे इसी बहाने मैं भी कुछ सीख सकूँ ....
खूबसूरत रचना
---कहना मैंने याद किया है ...
My PhotoRewa  ---me a very simple and emotional person having all weakness and demands which all every other person have....
पढ़िए इनके
---स्वप्न
मेरा फोटो  Ashok Maurya     ----मैं एक पत्रकार हूं....जो हमेशा बदलाव की तलाश में लगा रहता हूं....बदलाव से मेरा मतलब परिवर्तन से जो इस संसार का एक सबसे बड़ा कड़वा सच है....जिससे कोई .....अनदेखा नहीं कर सकता है.....यानि मेरा हर एक कदम बस बदलाव को ही स्वीकार करते हुए चलता है............
मत पूछो मुझसे की कब याद आते हो
आशा है यह चर्चा आपकी उम्मीदों पर खरी उतरी होगी …. आपकी प्रतिक्रिया और सुझावों का हमेशा इंतज़ार रहता है … आज बस इतना ही ….फिर मिलते हैं …अगले मंगलवार को नयी चर्चा के साथ …नमस्कार ….  संगीता स्वरुप

34 टिप्‍पणियां:

  1. sangeeta ji bahut achchhi tarah se aapne charcha manch ko unchaiyan pradan kee hain.manoj ji se lekar aur kuchh naye blogar ko sath lekar jo aapne santulan bloggars ke beech baithaya hai vah kabile tareef hai.badhai.

    जवाब देंहटाएं
  2. हम तो नये चेहरों में अपना नाम खोजते ही रह गये. :)


    बहुत अच्छा लगा सबसे मिल जान कर.

    जवाब देंहटाएं
  3. shukriyaa sangeeta aunty .......charcha me ek tarah ka nayapan tha is baar sabke intro k saath :) accha manch sajaya :)

    जवाब देंहटाएं
  4. परिचय के साथ अच्छी चर्चा ...कई तो काफी जाने -माने भी हैं!

    जवाब देंहटाएं
  5. अच्छा लगा सब से मिलना और उनके बारे में जानना| धन्यवाद|

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ही सुंदर संकलन है संगीता जी , एक साथ इतने सारे लिंक्स सहेज कर पढने के लिए उपलब्ध करा दिए आपने । शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  7. एक साथ इतने सारे नये चेहरे ... कैसे ढूंढ पाती हैं आप?
    :)

    जवाब देंहटाएं
  8. आप कविता प्रेमी है। कई कवियों को पढ़ा। अच्छा लगा।

    जवाब देंहटाएं
  9. सुँदर लिंक्स से सजी बेहतरीन चर्चा .बहुत सारे बेहतरीन रचनाओ को पढने का मौका मिला . आभार .

    जवाब देंहटाएं
  10. इतने प्रतिभाशाली ब्लॉगरों के बारे में जानकर अछ्छा लगा।

    जवाब देंहटाएं
  11. आदरणीय बहन सुश्रीसंगीताजी,

    आपका बहुत शुक्रिया एवं अनेकोनेक धन्यवाद ।

    मैं हररोज़ चर्चा मंच की अद्भुत चर्चा का आनंद उठाता हूँ।

    कई विद्वान साथी ब्लॉगर्स के बारे में जानकर बहुत अच्छा लग रहा है।

    मार्कण्ड दवे।

    जवाब देंहटाएं
  12. चर्चा मंच पर मुझे खड़ा करके मुझे आपने बहुत इज्ज़त दी है. आपका आभारी रहूँगा.
    ये संकलन बहुत सुन्दर है. सही नए और पुराने चेहरों को बहुत बहुत बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत अच्छा लगा चर्चा मंच का यह अंक----कफ़ी नये लोगों से परिचय हुआ---उम्मीद है आगे भी यह चर्चा जारी रहेगी। मेरी शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  14. हम कब से पुराने हो गए ?अजी हमारा नाम नही है ?

    जवाब देंहटाएं
  15. सभी रचनाएं अच्छी लगी
    मजदूर दिवस पर लिखी गयी रचनाएँ विशेषकर ...
    सभी नवागंतुकों को बधाई है ...
    मुझे प्रोत्साहन देने के लिए और
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए ह्रदय से आभार ....

    संगीता जी ने बहुत अच्छी रचनाओं का संकलन किया
    जो ज्वलंत विषयों पर लिखे गए थे...

    जवाब देंहटाएं
  16. सदा की तरह बहुत सुन्दर, सुगठित और सुचयनित सदाबहार चर्चा संगीता जी ! मंगलवार के साप्ताहिक काव्य मंच का इंतज़ार रहता है ! कई बेहतरीन रचनाएं पढ़ चुकी हूँ ! जो शेष रह गयी हैं उन्हें दिन में पढूँगी ! आपके सुरुचिपूर्ण चयन को नमन !

    जवाब देंहटाएं
  17. संगीता जी, आपका बहुत-बहुत आभार आपने 'सदा' को चर्चा मंच में शामिल किया ... बहुत ही अच्‍छे लिंक्‍स हैं आपके संयोजन में सभी से मिलकर, उनके बारे में जानकर अच्‍छा लगा ... शुभकामनाओ के साथ ... ।

    जवाब देंहटाएं
  18. संगीताजी
    आपने चर्चा मंच पर हमारी ग़ज़ल का जो लिंक दिया.साथ ही हमारी तस्वीर के साथ ब्ल़ाग जगत को जो हमारा तअरुफ़ कराया उसके लिए हम आपके शुक्रगुज़ार हैं.

    जवाब देंहटाएं
  19. आदरणीया संगीता जी ,
    प्रणाम स्वीकारें
    आज का साप्ताहिक काव्यमंच आप द्वारा बहुत ही मन से , बड़ी सुन्दरता के साथ सजा-सँवारकर प्रस्तुत किया गया है जो बरबस ही मन को बाँध लेने में समर्थ है | सभी रचनाकारों के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए उनकी रचनाओं की लिंक दी गयी है |
    आपने मुझे स्थान दिया , ह्रदय से आभारी हूँ | सभी रचनाकारों एवं उनकी रचनाओं के बारे में इतनी सार्थक चर्चा सराहनीय है |

    जवाब देंहटाएं
  20. Sangeeta ji , aaj ki charcha to parichy ke sath saji hai ...aapne hame shamil kiya , shukriya ....

    जवाब देंहटाएं
  21. आज तो पूरा दिन व्यस्त कर दिया आपने.नए चेहरे वाकई नए लगे .
    सुन्दर सार्थक चर्चा.

    जवाब देंहटाएं
  22. बहुत सुन्दर लगा चर्चा का यह नया रूप..आभार

    जवाब देंहटाएं
  23. Adarniya Sangeeta ji,
    Mujhe khusi hai ke main is manch par apni upasthiti darz kara saka...meri kavitaon ko padhne, sarahne aur pracharit karne ke liye bahot bahot dhanyavaad.

    aabhar,
    Chakresh.

    जवाब देंहटाएं
  24. बहुत ही सुंदर और विस्तृत चर्चा....बहुत से लिंक्सों के साथ ही नये चेहरों से रंगी ये चर्चा लाजवाब लगी।

    जवाब देंहटाएं
  25. बहुत ही सुन्दर और सार्थक चर्चा की है …………काफ़ी नये लिंक्स मिले……………आभार्।

    जवाब देंहटाएं
  26. बहुत अच्छा लगा नए चेहरों से मिलकर ......
    धन्यवाद संगीता जी

    जवाब देंहटाएं
  27. चर्चामंच में जाने माने ब्लोग्गर्स के बीच नए ब्लोग्गर्स का परिचय और लिंक्स के साथ चर्चा बहुत सार्थक लगी...आपकी यह चर्चा बहुत अच्छी लगी.. आभार

    जवाब देंहटाएं
  28. आज की चर्चा देखकर तो मन प्रसन्न हो गया!
    नये-पुराने ब्लॉगरों को एक मंच पर देखकर
    सुख की अनुभूति हुई!
    --
    आपसे मिलने की इच्छा तो अधूरी ही रह गई!
    काश् आप एक फोन ही कर देतीं मुझे।
    दिल्ली जाना सफल हो जाता!
    --
    सम्मान/पुरस्कार पाने की आपको बहुत-बहुत बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  29. बहुत अच्छी थी आज की चर्चा । आपने नए चेहरों में मुझे भी शामिल किया , आभारी हूँ । धन्यवाद एवं शुभकामनाएँ ।

    जवाब देंहटाएं
  30. बहुत सुंदर लिंक के साथ मेहनत से तैयार की गई उत्तम चर्चा।

    जवाब देंहटाएं
  31. दीदी...लेटलतीफ का प्रणाम स्वीकार करें....मगर इसका यह मतलब नही कि मैं कल आया ही नही...कल आया, चर्चा मंच पर भी पहुंचा और फिर लिंक्स के साथ लिंक्स...जुड़ते गए और..वापस आता था एक नया लिंक्स क्लिक करके फिर वापस....आज ध्यान आया कि नातो दीदी को थैंक्स बोला और शायद नही वहां कुछ लिखा मैंने !
    कान पकड़ के उठा बैठी करके सारी दीदी.......और थैंक्स भी ..इस बार अंदाज और स्थान दोनों बदला हुआ था !

    जवाब देंहटाएं
  32. सभी पाठकों का आभार ...

    @@ समीर जी ,
    आप नए चेहरों में अपना खोजेंगे तो ...हम तो अभी ज़मीं से भी नहीं उगे हैं ...वैसे हमेशा ही आपका चेहरा नया तरोताजा लगता है :):)

    @@ दर्शन कौर जी ,

    अरे आप तो स्थापित ब्लॉगर हो गयी हैं ...बिल्कुल पुराने चावलों की तरह ...अलग ही खुशबू आती है :):)

    @@ अनामिका जी ,

    चिन्ता न करें ..पुराने चेहरे तो अपने आप ही चमकते रहते हैं ....उनको धुंधला करने वाली मैं कौन ...चर्चा मंच पर यदि उन्ही लोगों का परिचय कराया जाता रहे जिनसे काफी लोग परिचित हो गए हैं तो हमारे नए ब्लॉगर्स साथियों का क्या होगा ? सोचने वाली बात है न ....

    जवाब देंहटाएं
  33. संगीता जी ... आपका बहुत बहुत धन्यवाद ..मेरी पोस्ट को चर्चा में जगह मिली... और आपकी चर्चा हर बार की तरह उत्कृष्ट ... परिस्थितयों की वजह से मैं नेट में आने में समर्थ नहीं हो पा रही हूँ अतः इस विलम्ब के लिए क्षमा करेंगी... कैसें है आप.. :) और आपको बधाई आप पुरुस्कृत हुवीं

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।