फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, अक्तूबर 08, 2011

"बदले बदले से लगते हैं" {चर्चा मंच - 661}

मित्रों आज शनिवार है!
इन दिनों काम का बोझ मुझपर इतना बढ़ गया है कि ठीक से 5-6 घंटे की आराम की नींद भी नहीं मयस्सर हो रही है। लेकिन हमेशा संकल्प जीता है और काम हारा है।
लीजिए प्रस्तुत है आज की चर्चा-
बदले बदले से लगते हैं उत्सव के मौसम। जब साथी भी व्यस्त हों और अचानक दिनचर्चा बदल जाए तो कितना तन्हा हो जाता है आदमी? ऐसे में तो गांधी जी के सफाई अभियान और अकाल कोष का सहारा लेना ही श्रेयस्कर होता है। परन्तु लोग आलोचनात्मक टिप्पणियों को पचा नहीं पाते हैं। खैर कभी न कभी तो जिंदगी के कुछ अच्छे पल मिल ही जाते हैं। जिसमें कुछ पन्ने.. और हरे निशान .....सुकून दे ही जाते हैं। इस्लामिक आतंकवाद को कैसे नेस्तनाबूद किया जाए?
लोकशाही की ह्त्या : राम बोलो भाई रामहम सोचा हमउ भ्रष्टाचारी रावण मार आउं, मगर आज तो "विजय त्यौहार" मनाना भी सिर्फ औपचारिकता ही रह गई है। शिव धनुष और विश्वामित्र कुल गाथाएं मानों गाथाएँ बनकर ही आज की सभ्यता को झकझोरने में नाकाम सिद्ध हो गई हैं।
आइए- ऐसे में चलते हैं-मेरे गुरु की नगरी ~ हुजुर साहेब को शायद वहाँ ही मन को शान्ति मिल जाए! बस यूँ हीं, कुछ कही अनकही भावनायें.....जाग्रत हो गई और चर्चा भी लगभग हो ही गई। मगर पलकों के सपने में मन की मैना तो अभी चहचहा ही रही है, इसलिए थोड़ा आगे बढ़ता हूँ- 
किस मजहब में है, मनाही,तस्लीम माँ को करना। एक जननी, एक जन्मभूमि, दो वालिदा है। हमारी, तुम इनको याद रख्नना। दोनों पर फर्ज हमारा, है, दोनों का कर्ज हम पर
 दिल की बातेंइसे मैं क्या कहूँ ?........ क्योंकि बेचारे ड्राइवर रहते हैं चौबीस घंटे बस में - ऐसे में बच्चों का कोना पर देख लेते हैं कि होशियार चूहा गजानन को सैर कराता है तो चेहरे पर मुखौटा .... लगा कर मैं भी चर्चा मंच की सैर करा दूँ
मगर अहले खुदा की राह में , नफ़रत न घोलिये ! एहसास-ए-रंज -ओ-गम , न तराजू से तोलिये !!
अन्त में देखिए यह दुखद समाचार-
स्टीव जॉब(१९५५-२०११) स्टीव जॉब का निधन हो गया, एक युग का सहसा अन्त हो गया। 
मैकपुरुष का प्रयाण! चर्चा मंच परिवार का मैकपुरुष को प्रणाम!!

22 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर चर्चा . अच्छे लिंक. मैक पुरुष को प्रणाम. मन की मैना अच्छी लगी साथ में अकाल कोष से प्रेरणा भी ले रहा हूं. आपका कमिटमेंट प्रेरणा का श्रोत है मेरे लिए.

    जवाब देंहटाएं
  2. अच्छी लिंकमयी वार्तालाप इस मंच से।

    जवाब देंहटाएं
  3. बड़े ही स्तरीय सूत्र पढ़ने को मिलते हैं इस मंच पर।

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहतरीन चर्चा ||

    बहुत बहुत बधाई |

    जवाब देंहटाएं
  5. चर्चा मंच सबसे तेज सबसे न्यारा .

    जवाब देंहटाएं
  6. उपयुक्त लीन्को से सजा चर्चा मंच ..सभी लिंक पढने लायक और दिलचस्प भी तहे दिल से सुक्रिया सर सही कहा है अन्वर जी ने चर्चा मंच सबसे तेज

    जवाब देंहटाएं
  7. चर्चा प्रस्तुति का ढंग बहुत रोचक लगा..सुन्दर लिंक्स..आभार

    जवाब देंहटाएं
  8. सृजन ,भाव -प्रवाह की स्वीकार्यता सर्वोच्च ,व आधार विश्लेषित है , सुन्दर हमराह सृजन आकर्षक है ,बहुत -२ बधाईयाँ /

    जवाब देंहटाएं
  9. ----वह टिप्पणी वाली पोस्ट सबसे अच्छी रही.....


    "केवल संयत, शालीन और विवादरहित टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी!"----और संयत शालीन व विवाद रहित क्या होता है ???....सिर्फ वह जो आपके मन का हो...हो गयी आलोचना .....

    जवाब देंहटाएं
  10. सबसे पहले तो शास्त्री जी आपको प्रणाम और फिर उत्साह बढ़ाने के लिए धन्यवाद।
    चर्चा मंच में हमें हमेशा आपका सहयोग मिलता रहा है आशा है आगे भी आपाक आशीर्वाद ऐसे ही बना रहेगा।
    आजकल हम इसलिए टिप्पणी नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि जब भी हम कहीं भी टिप्पणी करने की कोशिश करते हैं तो जबाब आता है कि आपको ये इजाजात नहीं है।
    लेकिन आज ऐसा नहीं हुआ इसलिए हम लिख रहें हैं।
    कारण क्या है हम नहीं जानते।
    चर्चा मंच चर्चा को यूँ ही आगे बढ़ाता रहे यही हमारी कामना है।

    जवाब देंहटाएं
  11. मयंक जी आपका आभार मेरी कविता किस मजहब में है मनाही तस्लीम मां को करना को चर्चा मे स्थान देने के लिये मुझे इस मन्च आकर बड़ी खुशी हुई। जयहिन्द्।

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत ही बढि़या लिंक्‍स दिये हैं आपने ...साथ ही मेरी रचना को शामिल करने के लिये आभार ।

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।