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शनिवार, अप्रैल 21, 2012

"बिना माँगे सलाह ना दिया करो" ( चर्चा मंच - 856 )

मित्रों!
     शनिवार की चर्चा बिल्कुल सीधे-सादे अन्दाज़ में आपके अवलोकनार्थ प्रस्तुत कर रहा हूँ। आज पढ़िए अपनी बात - अपनी ही शैली में!
      बिना माँगे सलाह ना दिया करो.... सदा खामियां भी ना निकाला करो, बस इतना सा कह दो आवश्यकता हो तो, मुझे याद करना काम कैसे करना यह भी ना बताया करो....! उपन्यास का पद्रहवां पन्ना! कल्पनाओं के पंखों पर सवार! कविताओं में वर्णित अमावस की रात....कुछ ज्यादा ही कालिख लिए होती है....ऐसे में भूत-प्रेतों की कहानियाँ...तो मन में सिहरन पैदा कर देती हैं! बबन पाण्डेय की गंभीर कविताओं में पढ़िए- पेड़ और लड़की - जैसे-जैसे बड़ा होता है पेड़ टिकने लगती हैं निगाहें मानों ...... जवान हो रही हो एक लड़की // कोई फलों को तोड़ कर..! Check out रचनाएँ चोरी हो रही हैं —“प्यार मुझको भी हो जाये तो कुछ बात हो” ....! मगर सावधान! इस देश में आतंकवादियों क्या है तुम्हारा ...!  चले जाओ अब ये देश है हमारा । सुला देंगे हम तुम्हे नींद सुकून की तुम्हे ख़त्म करना ही है नारा हमारा......। "कुछ कुछ पति" अंदर का सबकुछ बाहर नहीं लाया जा रहा था थोड़ा कुछ छांट छांट कर दिखाया जा रहा था बीबी बच्चों के बारे में हर कोई कुछ बता रहा था अपनी ओर से कुछ कुछ समझाये जा रहा था...! "छप्पर अनोखा छा रहा" हो गया मौसम गरम, सूरज अनल बरसा रहा। गुलमोहर के पादपों का, “रूप”सबको भा रहा।। दर्द-औ-ग़म अपना छुपा, हँसते रहो हर हाल में,......! धूप भी साये की आकांक्षी हो गयी आखिर कब तक अपना ही ताप सहे कोई यूँ ही नहीं देवदार बना करते हैं यूँ ही नहीं छाया दिया करते हैं उम्र की बेहिसाब सीढियों पर अनंत --- आखिर अग्निगंधा भी तलाशती है कुछ फूल छाँव के....!आईये जाने पहले "कोंग्रेस"  शब्द की  उत्पत्ति   कहाँ से हुई ??   दो  हवशी   पुरुष और स्त्री के आपसी अवैध सम्बन्ध को कोंग्रेस कहते हैं ,  झूठ   नहीं बोल रहा यहाँ देख लीजये -कालिवूड: कोंग्रेसी धंधे का नया आयाम! रत्नगर्भा धरा के कोष में अनमोल प्राकृतिक खजाना छुपा हुआ है, जो उजागर होकर हमें चमत्कृत और अभिभूत कर देता है। इसका आकर्षण, ऐसे सभी केन्द्रों पर मानव के लिये...कोरबा ...! मत पूछो कि  किस भाँति मैंने....  निज को लुटाया है अपने ही बंद झरोखे को धीरे से खुलते पाया है मैं न जानूं कौन है वो पर चुपके से कोई तो आया है.... ! सोचने को विवश करते कुछ प्रचलित शब्द हमारे, आपके, प्रायः सबके जीवन में जाने अनजाने कुछ शब्दों के ऐसे प्रयोग होते रहते हैं जिनके शाब्दिक अर्थ कुछ और लेकिन उनके प्रचलित अर्थ कुछ और। फ़क़ीरी में भी बादशाही के मज़े दिला सकती है औरतअच्छी आदतों की मालिक नेक और पाकदामन औरत किसी फ़क़ीर के घर में भी हो तो उसे बादशाह बना देती है....! मधुमेह के लिए स्टीविया जीवन भर हम करते रहते हैं, खुशियों की तलाश। इस तलाश में हमें कभी भूलना नहीं चाहिए कि जीवन की सभी खुशियों का बस एक आधार है, वह है स्वस्थ शरीर। 

         यह सबकी प्रिय वसुन्धरा है ...सजाया जहाँ सबने बसेरा है... सुन्दर सुकुसुमित सुवासित रंगीन सजीली हरी धरा है.....!  तू रहे अच्छा,इसलिए खुद को मिटा रहा हूँ मैं इतना सबकुछ करके भी तेरा रहा कहाँ हूँ मैं ! तेरे आने की राह बुहारने को मैं आया था यहाँ तुझे नहीं पसंद तो ये ले,...  इक गज़ल....दिनेश की दिल्लगी, दिल की सगी ...  कोरबा सिंहावलोकन पढता जाऊं कोरबा, कौरव पांडू जाति । ऐतिहासिक यह क्षेत्र है, बढ़ी हमेशा ख्याति  ....!  जब भी मेरी भावनाओं को व्यक्त करने को मिल जाते है सही शब्द, सही रूप, सही आकार तब जन्म लेती है एक कविता नई और अनायास ही फिर से जीने का बहाना मिल जाता है... दूर क्षितिज के पार ...HTML mode में आप अपने टेक्स्ट के साईज व रंग को बदलने के लिए कोड कैसे लिखें ? ब्लॉग के लिए उपयोगी सलाह है यह तो...! सहारा तिनके-सा ( हाइकु )बनना तुम,सहारा तिनके-सा,धूप सर्दी की । कतरा-ए-शबनम पे छा जाये जुनूँ.......ये कैसी है मुहब्बत,है नहीं जिसका गुमां मुझको, इबादत से भी पहले वो, इबादत जान लेते हैं.....!   प्यास बुझी ना बावली, ले ले बच्ची गोद- प्यास बुझी ना बावली, किया वारुणी पान । हुआ बावला इस कदर, भूल गया पहचान ।। प्यास बुझी ना बावली, ढूंढे सलिल अथाह । गया बावला दूर अति, पकड़ समन्दर राह ।। ... आग लक्ष्य की .....!! उर से - आग लक्ष्य की .. कभी बुझी नहीं ..... इन राहों पर .. मैं .. इक पल भी .. कभी रुकी नहीं ...... पथरीले रास्तों पर चलते चलते ... रिसने लगा खून .....!  सीले से लफ्ज़ यूँ ही दरवाजे पे दी दस्तक कुछ बीते लम्हों ने खोला .....तो देखा कुछ सीले सीले से लफ्ज़ मेहमां बनकर खड़े हैं सामने मेरे समेट कर हथेली ...!  यादों का आईना जब कोई हमसे बहुत दूर चला जाता है तो उसकी याद हमारे जीने का सहारा बन जाती है | मेरे पूजनीय पिता जी को हमसे बिछुड़े लगभग २० वर्ष हो गए हैं | विचारों का चबूतरा ) में आवश्यक सूचना देखें-श्रीमती सुषमा स्वराज जी -प्रधान मंत्री पद हेतु एक योग्य उम्मीदवार - *श्रीमती सुषमा स्वराज जी -**प्रधान मंत्री पद हेतु एक योग्य उम्मीदवार* *देंखे ''भारतीय नारी '' ब्लॉग पर .!  कुछ दिलचस्प स्थितियां और परिस्थितियां -- भाषा में उच्चारण का समावेश --अक्सर बहुत गड़बड़ हो जाती है . विज्ञापन हो तो ऐसा --हींग लगे ना फिटकरी . ऐसे आइडिया इन्हीं को आ सकते हैं . लेकिन....!  पूंजीवादी अंधविश्वास और प्रौपेगैण्डा का संगम हैं निर्मल बाबा -निर्मलबाबा के टीवी विज्ञापनों और बेशुमार सालाना आमदनी की लेकर हठात मीडिया नेध्यान खींचा है। मीडिया में चल रही बहस के दो आयाम हैं, पहला, मीडिया का एक वर्ग...!  वार्तालाप हुई जब हिंदी से क) *जिज्ञासा :*हे काव्य! तुम्हारा गुरु है कौन? कुछ तो बोलो, क्यों हो तुम मौन? कहाँ से पाई सूक्ष्मतर दृष्टि यह? अतल - वितल तेरे रहता कौन? ....!  ये ख़त है ये ख़त है जो कभी तुमने लिखे थे मुझको. उसका अक्षर-अक्षर तेरा अक्श बन उभर आता है आज भी मेरे जेहन में चाहे-अनचाहे. क्योंकि इन खतों में हैं कुछ हँसते.....!  इन लव विद गुलमोहर... -गुलमोहर तुम तब भी थे न, जब जाता था मैं माँ का आँचल पकडे यूँ उन पक्की सड़कों पर अपने स्कूल की तरफ और देखता रहता था तुम्हें अपनी नन्हीं अचरज भरी आखों से...!  तेरी यादों से, तेरे ग़म से वफ़ादारी की  बस यही एक दवा थी मेरी बीमारी की, खुद हवा आई है चलकर, तो चलो बुझ जाएँ इक तमन्ना ही निकल जायेगी बेचारी की....!  बेटे और बेटियो में फर्क क्या यही मॉडर्न समाज की पहचान है......? आज हमारे देश के पुरुष प्रधान समाज में जिस तरह से लड़कियों और महिलाओं के साथ भेद भाव किया जाता है...!  शब्द जब भावनाओं में ढलता हैख़्वाहिशों संग मन पिघलता है, एक मिलन की ओर बढ़ता प्रवाह ज़िंदगी तो फकत समरसता है.....!  'बच्चों की दुनिया' को छोड़ गया आदित्य.... 'आदित्य' एक दिन 'बच्चों की दुनिया' को छोड़कर यूँ ही चला जायेगा, किसी ने भी नहीं सोचा था. आदित्य तो हमेशा उर्जावान और प्रकाशमान रहता है....!

अन्त में देखिए यह कार्टून!

24 टिप्‍पणियां:

  1. महत्वपूर्ण चिट्ठाओं का श्रमसाध्य संकलन - वाह

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  2. श्रमसाध्य सूत्रों का सुंदर संकलन अच्छा लगा ...

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  3. सुन्दर मनभावन चर्चा |
    आभार गुरूजी ||

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  4. चर्चा आज की निराली है
    बिल्कुल जैसे घरवाली है
    उल्लूक के कुछ कुछ पति
    को मंच में स्थान दिया
    आभार आपने इतना
    बड़ा सम्मान दिया
    उल्लू लगता है आपको
    बहुत ही भाते है
    इसीलिये रोज रोज लाके
    उसे यहां आप दिखाते हैं
    एक दो देखने वाले
    उल्लू के घर भी कभी
    भूले भटके आ जाते है
    हौसला अफजाई कर जाते हैं ।

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  5. शानदार प्रस्तुति...
    मेरी रचना यह सबकी प्रिय वसुन्धरा है को शामिल करने के लिए आभार!

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  6. बहुत सुन्दर चर्चा | टिप्स हिंदी में ब्लॉग की पास
    HTML mode में आप अपने टेक्स्ट के साईज व रंग को बदलने के लिए कोड कैसे लिखें ? को स्थान देने के लिए धन्यवाद !

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  7. उत्कृष्ट व संतुलित रचनाओं का संचय, समृद्ध है ,आपकी लगन व निष्ठा का आभार .....

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  8. बढ़िया चर्चां..........
    सुंदर लिंक्स...................

    सादर
    अनु

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  9. बहुत बढ़िया लिंक्स के साथ सार्थक चर्चा प्रस्तुति के लिए आभार

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  10. बहुत सुन्दर चर्चा ..मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ...

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  11. सुन्दर लिंक्स से सजी रोचक चर्चा...आभार

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  12. आदरणीय शास्त्री जी अभिवादन ....रचनाएँ चोरी हो रही हैं ...मेरे इस लेख को भी आप ने चुना भ्रमर का दर्द और दर्पण से ,,,देख ख़ुशी हुए हमारे कवी एवं लेखक मित्रों को इस का ध्यान रखना चाहिए की जो वे इतनी मेहनत से रच रहे हैं जो उनकी प्यारी है उसे कोई बिना उनके अनुमति के तो ले जाकर अपना नाम कमाने में नहीं लगा है ऐसा ही एक वाकिया मेरी जानकारी में लाया गया था हमने समझाने की कोशिश की पहले तो मेरी प्रतिक्रियाएं मिटते रहे जनाब फिर अंत में मान गए और रचनाओ को अपने ब्लाग से हटाये ....
    आभार आप का समर्थन हेतु ..जय श्री राधे
    भ्रमर ५

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  13. सुन्दर लिंक्स ,सुन्दर चर्चा ।

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  14. बहुत सुन्दर चर्चा ..मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ...

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